यह कहानी शिवप्रसाद सिंह हैं जिसमें लेखक ने अपनी दादी माँ का वर्णन किया है और बड़ों के महत्व को दिखाया है। लेखक बड़े हो चुके थे| उन्होंने अब तक बहुत तरह के सुख-दुख देखे थे परंतु जरा-सी कठिनाई पड़ते ही मन अनमना हो जाता था। मित्र उसके आगे तो उसके साथ होने का दिखावा करते थे, परंतु पीठ पीछे उनको कमजोर कहकर मज़ाक उड़ाते थे। ऐसे समय में लेखक को अपनी दादी माँ की बहुत याद आती थी। लेखक की दादी ममता, स्नेह, दया, की मूर्ति थी। बच्चों में लेखक को बरसात के दिनों में गंध भरे जल में कूदना अच्छा लगता था जिससे एक बार उसे बुखार आ गया था। उस समय उसे बीमार पड़ना भी अच्छा लगता था। बीमारी में उसे दिन-भर नींबू और साबू मिलता था परंतु इस बार उसे जो बुख़ार चढ़ा था वह उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। वे उसकी दादी उसके माथे पर कोई अदृश्य शक्तिधारी चबूतरे की मिट्टी लगाती थीं। वह उसकी पूरी तरह से देखभाल करती थीं। दादी माँ को गाँवों में मिलने वाली पचासी किस्म की दवाओं के नाम याद थे। उन्हें गंदगी बिलकुल नापसंद थी। लेखक आज भी बीमार पड़ता है, परंतु मेस महाराज अपनी इच्छानुसार देखभाल करता है। डॉक्टर की शक्ल देखते ही अब उसका बुखार भाग जाता है। अब लेखक का बीमार पड़ने को मन नहीं करता था। एक दोपहर दादी माँ रामी की चाची को डाँट रही थीं। रामी की चाची ने पहले पैसे वापस नहीं किए थे और दोबारा पैसे माँगने आ गई थी। वह दादी माँ के आगे गिड़गिड़ा रही थी कि बेटी की शादी के बाद वह सब दे देगी। लेखक ने दादी को पैसे दे देने को कहा परन्तु दादी ने उसे भी डाँटा। कई दिनों बाद लेखक को पता चला कि उसकी दादी माँ ने रामी की चाची का पिछला ऋण भी माफ़ कर दिया और उसे बेटी की शादी के लिए दस रुपये भी दिए। लेखक के किशन भैया की शादी थी| लेखक को बुखार आ रहा था इसलिए वह बारात में नहीं गया। दादी माँ ने लेखक को उसके पास ही चारपाई पर सुला दिया। घर में औरतें विवाह की रात को अभिनय करती हैं। उसके मामा का लड़का राघव देर से पहुँचने के कारण बरात में जाने से रह गया। औरतों ने एतराज़ किया कि इस समय यहाँ लड़के का काम नहीं है। दादी माँ ने कहा कि छोटे लड़के और ब्रह्मा में कोई अंतर नहीं होता। दादी माँ ने अपने जीवन में बहुत सुख-दुख देखे थे। दादा की अचानक मृत्यु से वे उदास रहने लगी थीं। उनकी मृत्यु पर पिताजी और दादी माँ को उनका शुभचिंतक बताने वालों की कमी नहीं थी। इन्हीं शुभचिंतकों के कारण घर की स्थिति बिगड़ गई थी। दादी माँ के मना करने पर दादा जी के श्राद्ध पर पिताजी ने बहुत खर्चा किया। घर का उधार बहुत बढ़ गया| एक दिन दादी माघ की सर्दी में गीली धोती पहने कमरे में संदूक पर दीपक जलाए बैठी थीं। लेखक उनके पास जाकर बैठ गया। उसने दादी माँ से उनके रोने का कारण पूछा। दादी माँ ने उसे टाल दिया। अगली सुबह लेखक ने देखा कि उसके पिताजी और किशन भइया दुखी मन से कुछ सोच रहे थे। उन्हें कहीं से भी उधार नहीं मिल रहा था| उस समय दादी माँ ने पिताजी को दिलासा दिया कि उनके रहते चिंता मत करें। उन्होंने पिताजी को अपने सोने के इसे सुनेंरोकेंAnswer: दादी माँ का स्वभाव दयालु है। (ii) घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण दादी माँ ने दादा जी द्वारा पहनाया गया कंगन अपने बच्चों को दे दिया। Show पाँच बातें आप अपने दादा दादी के साथ क्या लिखना? इसे सुनेंरोकेंदादा-दादी के साथ रहना, उनके आस-पास रहना अपने आप में एक मज़ेदार एहसास हैं। वे न केवल ज्ञान के मोती फैलाते हैं बल्कि प्यार और देखभाल के साथ हमारे जीवन को भी खुशियों से भर देते हैं। उनके आसपास होने की भावना शब्दों के माध्यम से वर्णित नहीं की जा सकती। दादा-दादी द्वारा दिए गए प्यार और स्नेह का कोई मेल नहीं है। आप अपने दादा दादी के लिए क्या क्या करते हैं जिससे उनको और आपको खुशी मिलती है?इसे सुनेंरोकेंबच्चों द्वारा दादा -दादी को अपना राजदार बनाना ,उनसे छोटी-छोटी बातें शेयर करना, प्यार से उनके गले में बाहें डाल देना, उनसे कहानी सुनना और उनकी बातों को सुनना, खाते समय उनसे भी खाने को कहना व उनके साथ सोने के लिए तैयार होना तथा उनके पास क्या चीज नहीं है इसकी चिंता करना और अपने माता-पिता से लाने को कहना, उन्हें निहाल कर … पढ़ना: दोपहर 12 00 बजे को क्या कहेंगे? दादी मां पाठ की संहिता विद्या क्या है? इसे सुनेंरोकें⏩ ‘दादी-माँ’ पाठ साहित्य की ‘संस्मरण’ विधा है। ‘दादी माँ’ पाठ में लेखक शिव प्रसाद सिंह ने अपने बचपन के दिनों के संस्मरण व्यक्त किए हैं, जब वह गाँव में अपनी दादी माँ के साथ रहते थे। तब लेखक को अपने दादी माँ के साथ बिताए गए बीते हुए दिन याद आ गए। इस पाठ में लेखक ने अपनी दादी माँ के स्वभाव और आचरण का वर्णन किया है। दादी मां ने कौन सी चीज संभाल कर रखें?इसे सुनेंरोकेंसवाल: दादी मां ने कौन सी चीज संभाल कर रखी थी? उत्तर: दादी मां ने घर में संदूक में सोने का कंगन संभाल कर रखते थे, जो कि दादा ने दादी को दिया था। दादी माँ के पास अपने वंश की अंतिम निशानी क्या थी *? इसे सुनेंरोकें(क) दादी माँ ने अपने वंश की अंतिम निशानी सोने का कंगन अपने बेटे को क्यों दिया? घर की आर्थिक स्थिति खराब थी। उनकी परेशानी दादी माँ से देखी नहीं गई, तो उन्होंने सोचा कि यह कंगन ही इस समय इन्हें दुखों से छुटकारा दिला सकता है। वे कंगन को बेचकर कर्ज से मुक्ति पा सकते हैं। पढ़ना: तुर्की गणतंत्र का पहला राष्ट्रपति कौन था? दादा दादी नाना नानी के साथ बिताए गए यादगार पल घटना को 10 वाक्यों?इसे सुनेंरोकेंमाता-पिता के माता-पिता यह शब्द हमारे दादा-दादी/नाना-नानी के लिए बहुत उपयुक्त है। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं। दादा-दादी/नाना-नानी वे हैं जिन्होंने हमारे माता-पिता को पाल-पोस कर बड़ा किया है जो हमारे जीवन में एक और अद्भुत सहायक है। उनके चेहरे पर आई झुर्रियां इस सबूत हैं कि वे हमारे घरों में सबसे अधिक अनुभवी लोग हैं। दादी मां ने अपने पोते की देखभाल कैसे की? इसे सुनेंरोकेंAnswer: बीमारी में उसे दिन-भर नींबू और साबू मिलता था परंतु इस बार उसे जो बुख़ार चढ़ा था वह उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। वे उसकी दादी उसके माथे पर कोई अदृश्य शक्तिधारी चबूतरे की मिट्टी लगाती थीं। वह उसकी पूरी तरह से देखभाल करती थीं। दादा जी को खुश कैसे करें?इसे सुनेंरोकेंअपने दादा जी और दादी जी को खुश करने के लिए आप उनके साथ समय बिता ये । उन्हें बहुत अच्छा लगेगा हो सके तो उनसे बात करते करते उनके पैर भी दबाए । उन्हें बहुत आराम मिलेगा और इससे दादा और दादी जी को खुशी भी मिलेगी। ऐसा करने पर उनको तो खुशी मिलेगी ही साथ में आपको भी उनका प्यार और बहुत सारा आशीर्वाद मिलेगा । दादी माँ ने कौनसा पाठ पढ़ाया? इसे सुनेंरोकेंदादी माँ ने यह पाठ पढ़ाया एकता समता अनेकता दादी मां का क्या व्यक्तित्व कैसा था?इसे सुनेंरोकेंजवाब: लेखक शिव प्रसाद के अनुसार उनकी दादी मां का व्यक्तित्व स्नेह एवं ममता पूर्ण था। वह सबसे स्नेह एवं परिवार के प्रत्येक व्यक्ति से प्रेम करती थी। वह सभी का ध्यान रखने वाली महिला थी। लेखक की दादी मां एक दयालु व्यक्ति भी थी उन्होंने रामी की चाची को दिया हुआ कर्ज भी माफ कर दिया। पढ़ना: वन संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? दादीजी ने संदूक से कौन सी कीमती चीज़ निकाली? इसे सुनेंरोकेंदादी माँ अपने घर के सदस्य से लेकर गरीबों तक की मदद करने से पीछे नहीं हटती हैं। जैसे – (i) रामी चाची के उधार न चुकाने पर भी दादी माँ उनकी बेटी की शादी में आर्थिक सहायता करती हैं। (ii) घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण दादी माँ ने दादा जी द्वारा पहनाया गया कंगन अपने बच्चों को दे दिया। इसे सुनेंरोकेंजैसे – (i) रामी चाची के उधार न चुकाने पर भी दादी माँ उनकी बेटी की शादी में आर्थिक सहायता करती हैं। (ii) घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण दादी माँ ने दादा जी द्वारा पहनाया गया कंगन अपने बच्चों को दे दिया। |