जानिए क्या होते हैं थायराइड के लक्षण और कैसे इससे बचें?लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: योगेश जोशी Updated Sat, 27 Feb 2021 03:47 PM IST Show
थायराइड की बीमारी तेजी से पांव पसार रही है। इस बीमारी में वजन बढ़ने के साथ ही हार्मोन भी गड़बड़ा जाते हैं। महिलाएं सबसे ज्यादा थायराइड की बीमारी की चपेट में आती हैं। यह बीमारी थायराइड ग्रंथि के बढ़ने की वजह से होती है। यह ग्रंथि तितली के आकार की होती है, जो कि शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। अगली स्लाइड में पढ़िए इस बीमारी के लक्षण... थायराइड ग्रंथि टी3 और टी4 थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है जो कि सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर सीधा असर करती है। साथ ही ये हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करते हैं। जब शरीर में ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है, इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं। यह एक साइलेंट किलर बीमारी है क्योंकि इसके लक्षण फौरन सामने नहीं आते हैं। थायराइड ग्रंथि शरीर में थाइराक्सिन नामक जो हार्मोन बनाती है, उससे शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन और दूसरे हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। थायराइड के लक्षण में सबसे आम वजन घटना ही है। इसके अलावा, अनिंद्रा की समस्या और ज्यादा प्यास लगना, अधिक पसीना आना, हाथ कांपना, दिल तेजी से धड़कना, कमजोरी और चिंता शामिल है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण शुरुआती स्तर पर जल्द ही पहचान में नहीं आते हैं। थायराइड की बीमारी में महिलाओं को सुस्ती, थकान, कब्ज और त्वचा के रुखेपन की समस्या होती है। इसके अलावा, इस बीमारी में पीरियड्स की अनियमितता भी रहती है। थायराइड के लक्षणों में मन का चंचलपन, याद्दाश्त कमजोर और मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द की शिकायत भी होती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षणों को नजरअंदाज करने पर ये जानलेवा साबित हो सकती है। थायराइड के लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह बीमारी बिगड़ने पर शरीर पर घातक असर करती है। यह बीमारी गर्दन के निचले हिस्से में स्थित इंडोक्राइन ग्रंथि में होती है। इस बीमारी से बचने के लिए आपको फाइबर युक्त भोजन लेना चाहिए और जरूरी तौर पर शारीरिक गतिविधियां करनी चाहिए। चिकित्सकीय परामर्श
थायराइड क्या है (What Is Thyroid In Hindi)थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में स्थित एक तितली नुमा ग्रंथि है। यह ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) हार्मोन स्रावित करती है, जिसे हम थायराइड हार्मोन भी कहते हैं। ये हार्मोन शरीर की कई गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं जैसे कि आपके हार्ट बीट रेट और कैलोरी की खपत को नियंत्रित करना आदि। थायराइड हार्मोन क्या काम करता है?थायराइड हार्मोन शरीर के प्रत्येक सेल्स और अंगों को नियंत्रित करते हैं, इनके निम्न कार्य होते हैं:-
थायराइड से जुड़ी कुछ सामान्य समस्याएं हैं जो नीचे दी गई हैं:जब थायराइड ग्रंथि शरीर की जरूरत से ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाता है तब थायराइड से जुड़ी कुछ समस्याओं का जन्म हो जाता है। क्योंकि इससे पूरे शरीर के काम करने का संतुलन बिगड़ जाता है। इसे पढ़ें: गर्भावस्था में थायराइड साथ ही, थायराइड ग्रंथि में कैंसर युक्त कोशिकाओं (Cancerous cells) के बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक संसार में पुरुषों की तुलना में महिलाएं थायरराइड से जुड़े रोगों का अधिक शिकार होती हैं। 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थायरोइड के रोगों की मरीज होती हैं। हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism In Hindi)इस स्थिति में थायराइड ग्रंथि ज्यादा एक्टिव हो जाता है, जिसकी वजह से थायराइड हार्मोन जरूरत से जयादा डिस्चार्ज होने लगता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism In Hindi)इस स्थिति में थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन को डिस्चार्ज करती है। थायराइड कैंसर (Thyroid Cancer In Hindi)ये स्थिति एंडोक्राइम कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है। टिश्यू के आधार पर थायराइड कैंसर को दो वर्गों में बांटा जा सकता है।
थायराइड रोग होने के कारण (Causes Of Thyroid Disease In Hindi)थायराइड से जुड़े रोग होने के काफी कारण हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर इस बीमारी से शुरूआती दौर में ही बचा जा सकता है।
अन्य कारण
थायराइड रोग के लक्षण (Symptoms Of Thyroid In Hindi)काम न करने के बावजूद भी थकान महसूस करना, खान पान पर ध्यान देने के बाद भी वजन का तेजी से बढ़ना या घटना जैसे कितने ही बदलाव शरीर में होते हैं। लेकिन शुरुआत में हम इसे हल्के में ले लेते हैं, जो बाद में गंभीर बीमारी का संकेत निकलते हैं, थायरोइड की समस्या भी कुछ ऐसी ही है। इसे पढ़ें: साइनस का सर्जिकल इलाज व्यक्ति का मूड़, इम्यूनिटी, एनर्जी लेवल, पाचन क्रिया, यौन शक्तिऔर मेटाबॉलिज्म आदि सभी चीजें थायराइड के नियंत्रण में होती हैं। यही कारण है कि जब आपका थायराइड सही तरीके से काम नही करता है तो सेहत बिगड़ जाती है और आपको इसके काफी लक्षण नजर आते हैं। हाइपरथायराइडिज्म के लक्षणजब थायराइड हर्मोन ज्यादा हो जाते हैं तो निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:-
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणजब थायराइड हार्मोन कम हो जाते हैं तो निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:-
थायराइड रोग से बचाव – Prevention From Thyroid In Hindiथायराइड रोग होने के कारणों को नियंत्रित करके आप थायराइड रोग से बचाव कर सकते हैं।
थायराइड रोग का परीक्षण (Diagnosis Of Thyroid In Hindi)थायराइड का निदान करने के लिए निम्न जाँच प्रक्रियाएं की जा सकती हैं:-
ब्लड टेस्ट की मदद से थायराइड हार्मोन के स्तर और हार्मोन को प्रभावित करने वाले कारणों का पता लगाया जा सकता है। इसमें थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) की जाँच की जाती है। यह हार्मोन थायराइड को ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) के उत्पादन का संकेत देता है। इसे पढ़ें: क्या एक दिन में एडेनोइड्स में संक्रमण का परमानेंट इलाज संभव है? टीएसएच की अधिक या कम मात्रा हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म होने का फैसला करती है। इसके अलावा, थायराइड एंटीबॉडीज ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। इससे थायराइड ऑटोइम्यून डिजीज (एक ऑटोइम्यून रोग जिसमें इम्यूनिटी सिस्टम थायराइड को क्षति पहुंचाने लगता है ) का निदान किया जाएगा। कैल्सीटोनिन और थायरोग्लोबुलीन ब्लड टेस्ट के जरिए थायराइड कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
थायराइड में सूजन और टिश्यू के आकार में वृद्धि की जाँच करने के लिए थायराइड स्कैन किया जा सकता है। इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड टेस्ट भी किया जा सकता है, जिसमें हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेब्स की मदद से थायराइड की संरचना का पता लगाया जाता है।
यदि थायराइड में सूजन है या डॉक्टर को लगता है कि आपको थायराइड कैंसर है तो उसकी जांच के लिए थायराइड बायोप्सी की जा सकती है। इसमें डॉक्टर थायराइड के टिश्यू के एक छोटे से सैंपल को जाँच के लिए लैब में भेजते हैं।
इसमें डॉक्टर बाहर से ही आपके थायराइड के क्षेत्र के उभार को देख लेते हैं। डॉक्टर अपने क्लीनिक/ऑफिस में अपने हाथों से गर्दन के निचले हिस्से की जाँच करते हैं। थायराइड का इलाज (Treatment Of Thyroid In Hindi)Thyroid Ka Ilaj के लिए निम्नलिखित उपचार पद्धतियां अपनाई जा सकती हैं:-
हाइपरथायरायडिज्म के केस में डॉक्टर एंटी-थायराइड दवाइयों का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं। ये दवाइयाँ हार्मोन के उत्पादन को कम करती हैं।
ये दवा थायराइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाकर हाइपोरथायरायडिज्म का उपचार करती है।
रेडियोएक्टिव आयोडीन एक दवा है, जिसे रोगी एक बार लेता है। इसे निगलने के बाद, यह थायराइड ग्लैंड में अवशोषित हो जाती है। डोज के अनुसार आयोडीन में मौजूद रेडियोएक्टिविटी थायराइड ग्लैंड के टिश्यू को खत्म कर देती है। इससे हाइपरथायराइडिज्म में आराम मिलता है। यह उपचार थायराइड कैंसर होने पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
थायराइड रोग के लिए सर्जरी को सबसे बेहतर उपचार माना जाता है। यह बहुत ही आसान प्रक्रिया है। इसकी मदद से ग्रंथि के उन ऊतकों को आंशिक रूप से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है, जो हार्मोन का अधिक उत्पादन करते हैं। सर्जरी की वजह से थायराइड के आसपास के दूसरे ऊतकों पर भी प्रभाव पड़ता है। साथ ही, साथ मुंह की नसें और पैराथायराइड ग्रंथि भी प्रभावित होती हैं, जिसका काम शरीर के कैल्शियम को कंट्रोल करना है। इसे भी पढ़ें: नाक की सर्जरी – फायदे, नुकसान और साइड इफेक्ट्स सर्जरी उन लोगों के लिए बेस्ट है, जिन्हे सांस लेने और खाना निगलने में परेशानी होती है। साथ ही साथ प्रेग्नेंट महिलाएं और छोटे बच्चे जो थायराइड की दवाइयां नही खा सकते, उनके लिए भी सर्जरी एक बेहतर ऑप्शन है। थायराइड रोग में आहार (Diet For Thyroid In Hindi)थायराइड की समस्या अभी आम हो गयी है और लोगों के बीच यह डिस्कशन छिड़ गयी है कि इससे पीड़ित होने पर क्या खाना चाहिए और किस चीज से बचना चाहिए।
यह बीमारी खासकर 30 से 60 साल की महिलाओं में पायी जाती है। इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड एक्टिव नहीं होती है, जिसकी वजह से शरीर में जरूरत के मुताबिक टी3 और टी4 हार्मोन नही पहुंच पाते हैं और अचानक से शरीर का वजन बढ़ जाता है एवं सुस्ती महसूस होने लगती है। साथ ही साथ शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसकी वजह से अनियमित पीरियड, कब्ज की शिकायत, चेहरे और आंखों में सूजन आ जाती है। क्या खाएं – अगर आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको आयोडीन से भरपूर चीजें, आयोडीन नमक, सी फूड, चिकेन, अंडा, संतरा, केला, टमाटर, मशरूम, टोंड दूध और इससे बनी दूसरी चीजें जैसे दही और पनीर आदि खानी चाहिए। साथ ही, फिजिशियन की सलाह पर विटामिन, मिनिरल्स, आयरन और सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं। क्या नहीं खाएं – सोया प्रोडक्ट, सोया, रेड मीट, पैक किया हुआ भोजन, स्वीट पोटैटो, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी, मूंगफली, शलजम, फूल गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, बाजरा और ज्यादा क्रीम वाली चीजें जैसे केक और पेस्ट्री नहीं खाना चाहिए। इसे पढ़ें: थायराइड होने पर गलती से भी न खाएं ये चीजें
इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड बहुत ही ज़्यादा एक्टिव हो जाती है, जिसकी वजह से टी3 और टी4 हार्मोन जरूरत से ज्यादा मात्रा में निकलकर खून में घुलने लगते हैं। इससे अचानक शरीर का वजन कम जाता है, मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, भूख ज्यादा लगने लगती है, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है, अधिक ब्लीडिंग होना, पीरियड्स में अनियमितता और साथ ही गर्भपात का खतराभी बन जाता है। क्या खाएं – अगर आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो हरी सब्जियां, गाजर, हरी मिर्च, नींबू, ब्राउन ब्रेड, ओलिव तेल, हर्बल, साबुत अनाज, शहद खानी चाहिए और ग्रीन टी पीना चाहिए।आगे पढ़ें: कान का पर्दा फटने का कारण, लक्षण जांच और इलाज क्या नहीं खाएं – सॉफ्ट ड्रिंक, अल्कोहल, कैफीन, मीठी चीजें जैसे मिठाई या चॉकलेट, मैदा से बने प्रोडक्ट जैसे वाइट ब्रेड, मैगी, या पास्ता और रेड मीट नहीं खाना चाहिए।थायराइड रोग के लिए योग (Yoga For Thyroid In Hindi)थायराइड रोग से मुक्ति पाने के लिए बहुत सारे इलाज हैं। इसमें आयुर्वेदिक से लेकर यूनानी, अंग्रेजी और होमियोपैथी शामिल हैं। हम घर बैठे कुछ योग आसनों को फॉलो करके इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
Pristyn Care से करें संपर्कयदि आप थायराइड रोग के लक्षणों का अनुभव करते हैं तो इसके निदान और उचित उपचार के लिए हमें फोन कर सकते हैं या अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। हमारे पास अनुभवी डॉक्टर हैं जो उचित निदान करेंगे। कई बार यह थायराइड कैंसर हो सकता है और यदि शुरुआत में निदान नहीं हुआ तो इसका उपचार कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए जैसे ही लक्षण दिखाई दें डॉक्टर से निदान कराएं। और पढ़े:
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें| थायराइड की बीमारी में क्या क्या दर्द होता है?Thyroid ग्रंथि की अतिसक्रियता के कारण शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है।. घबराहट. अनिद्रा. चिड़चिड़ापन. हाथों का काँपना. अधिक पसीना आना. दिल की धड़कन बढ़ना. बालों का पतला होना एवं झड़ना. मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना. थायराइड में सीने में दर्द होता है क्या?चिकित्सक डा. गीतिका ने बताया कि थायराइड आयोडीन की कमी के कारण होता है। इसकी शुरुआत में गले से आवाज धीमी हो जाती हैं या उसमें बदलाव आ जाता है। इसके अलावा सांस लेने में तकलीफ, खाने में परेशानी, सीने में दर्द रहता है।
थायराइड का शुरुआती लक्षण क्या है?जरूरत से ज्यादा गर्मी लगना, अधिक पसीना आना और यहां तक कि चिंता करना भी हाइपरथायरायडिज्म के स्पष्ट संकेत हैं। थायराइड का एक अत्यंत सामान्य प्रारंभिक लक्षण गर्दन के आसपास की त्वचा की सिलवटों का काला पड़ना है। हालांकि इसकी शुरुआत होते समय बहुत कम ही लोगों का ध्यान इस तरफ जाता है।
थायराइड रोग किसकी कमी से होता है?आयोडीन की अधिकता या कमी : थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयोडी की जरूरत होती है, लेकिन आयोडीन की अधिकता या इसकी कमी थायराइड रोग पैदा करती है।
|