उपमा कितने प्रकार के होते हैं? - upama kitane prakaar ke hote hain?

इस पेज पर आप उपमा अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

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चलिए आज हम उपमा अलंकार की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

उपमा अलंकार किसे कहते हैं

उपमा शब्द का मतलब होता तुलना है। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से की जाती है तब वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।

जैसे :-

1. सागर -सा गंभीर ह्रदय हो,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।

2. नवल सुन्दर श्याम-शरीर की,
सजल नीरद -सी कल कान्ति थी।

उपमा अलंकार के अंग 

उपमा अलंकार के मुख्य चार अंग है जो एक उपमा अलंकार के लिए आवश्यक होते हैं।

  1. उपमेय
  2. उपमान
  3. वाचक शब्द
  4. साधारण धर्म

1. उपमेय :- उपमेय का मतलब होता है – उपमा देने के योग्य। यदि जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये तब वहाँ पर उपमेय होता है।

2. उपमान :- उपमेय की उपमा जिस से दी जाती है उसे उपमान कहते हैं। अथार्त उपमेय की जिसके साथ समानता बताई जाती है उसे उपमान कहते हैं।

3. वाचक शब्द :- जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है तब उस समय जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।

4. साधारण धर्म :- दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की सहायता ली जाती है जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।

उपमा अलंकार के प्रकार

उपमा अलंकार के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।

  1. पूर्णोपमा अलंकार
  2. लुप्तोपमा अलंकार

1. पूर्णोपमा अलंकार

जिस उपमा अलंकार में उपमा के सभी अंग उपस्थित होते हैं जैसे उपमेय, उपमान, वाचक शब्द, साधारण धर्म आदि अंग होते हैं वहाँ पर पूर्णोपमा अलंकार होता है।

जैसे :-

सागर-सा गंभीर ह्रदय हो,
गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन।

2. लुप्तोपमा अलंकार 

जिस उपमा अलंकार में उपमा के चारों अंगों में से यदि एक या दो का या फिर तीन उपस्थित न हो तब वहाँ पर लुप्तोपमा अलंकार होता है।

जैसे :- कल्पना सी अतिशय कोमल। 

उपर दिए गए उदाहरण में उपमेय उपस्थित नहीं है तो इसलिए यह लुप्तोपमा का उदहारण है।

जरूर पढ़िए :

  • अनुप्रास अलंकार
  • यमक अलंकार
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उम्मीद हैं आपको उपमा अलंकार की जानकारी पसंद आयी होगी।

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किसी प्रस्तुत वस्तु की उसके किसी विशेष गुण, क्रिया, स्वभाव आदि की समानता के आधार पर अन्य अप्रस्तुत से समानता स्थापित की जाए तो उपमा अलंकार होगा। हरि पद कोमल कमल से -यहाँ हरि (भगवान) के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। उपमा के चार अंग होते हैं 1 उपमेय - काव्य में जिसकी समान गुन धर्म के आधार पर तुलना की जाती है उसे उपमेय कहते है। 2 उपमान - उपमेय की तुलना जिसके वस्तु साथ की जाती है उसे उपमान कहते हैं। 3 साधरण धर्म- उपमेय और उपमान के बीच समान गुणधर्म को साधारण धर्म कहते है। 4 वाचक शब्द - जो शब्द उपमेय और उपमान के बीच समानता को दर्शाते है उन्हें वाचक शब्द कहते है सा, सी, सम, सरिस, जैसा, ज्यो।

यहां आप उपमा अलंकार के भेद , उदाहरण तथा पहचान करने की विधि को जान पाएंगे। इस लेख के अध्ययन उपरांत आप उपमा अलंकार के विषय में गहनता से समझ विकसित कर पाएंगे।

उपमा अलंकार के अतिरिक्त अन्य अलंकारों के विषय में भी संक्षिप्त परिचय प्राप्त करेंगे।

यह लेख परीक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है।  विद्यार्थियों के कठिनाई स्तर को पहचान करते हुए यहां सरल बनाने का प्रयत्न किया गया है।

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है।  वहाँ उपमा अलंकार माना जाता है | उसके कुछ उद्धरण नीचे दिए गए हैं –

जैसे –

= “चाँद सा मुख ”

 पीपर पात      सरिस             मन            डोला 

उपमान       वाचक शब्द        उपमेय       साधारण धर्म  ‘

उपमा अलंकार के भेद Upma alankar ke bhed

उपमा अलंकार के तीन भेद हैं – १ पूर्णोपमा  २ लुप्तोपमा ३ मालोपमा

  • पूर्णोपमा – जिस वाक्य में उपमा के चारों अंग अर्थात – उपमेय , उपमान  ,समान धर्म तथा वाचक शब्द उपस्थित रहते हैं , वह पूर्णोपमा अलंकार कहलाते हैं।

नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।

इस काव्य पंक्ति में उपमा के चारों अंग – उपमेय हृदय , उपमान नील गगन , समान धर्म शांत और वाचक शब्द सा विद्यमान है। अतः यह पूर्णोपमा  अलंकार है।

  • लुप्तोपमा – जिस पंक्ति में उपमा अलंकार के चारों अंग में से एक या अधिक अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा अलंकार माना जाता है।

कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा

इस काव्य पंक्ति में उपमा के तीन अंग – उपमेय वचन , उपमान कुलिस और वाचक शब्द सम विद्यमान है। किंतु समान धर्म का लोप है। अतः यह लुप्तोपमा का उदाहरण है।

  • मालोपमा – जिस पंक्ति में एक से अधिक उपमेय तथा उपमान उपस्थित हो।  जिससे ऐसा प्रतीत हो कि काव्य में उनकी माला बन गई हो।  वहां मालोपमा अलंकार माना जाता है।

हिरनी से मीन से , सुखखंजन समान चारु 

अमल कमल से , विलोचन तिहारे हैं।

 नेत्र उपमेय के लिए उपमान प्रस्तुत किए गए हैं। अतः यह मालोपमा अलंकार है।

उपमा अलंकार के अंग  Upma alankar ke ang

१ उपमेय अलंकार, ( प्रत्यक्ष /प्रस्तुत )

वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी जा सके अथवा काव्य में जिसका वर्णन अपेक्षित हो उपमेय कहलाती है। मुख ,मन ,कमल ,आदि

२ उपमान ,( अप्रत्यक्ष / अप्रस्तुत )

वह प्रसिद्ध बिन्दु या प्राणी जिसके साथ उपमेय की तुलना की जाये उपमान कहलाता है –

छान ,पीपर ,पात आदि

३ साधारण कर्म

उपमान तथा उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर ” समान गुण ” साधारण धर्म कहलाता है जैसे –

चाँद सा सुन्दर मुख

४ सादृश्य वाचक शब्द

जिस शब्द विशेष से समानता या उपमा का बोध होता है  उसे वाचक शब्द कहलाते है।

उपमा अलंकार के उदाहरण

जैसे –

सम , सी , सा , सरिस , आदि शब्द वाचक शब्द कहलाते है।

उदहारण  पहचान
हाय  फूल सी कोमल बच्ची , हुई राख की ढेरी  थी। बच्ची की कोमलता फूल के समान बताया है
यह देखिये , अरविन्द – शिशु वृन्द कैसे सो रहे। शिशु को फूल के समान माना गया है।
मुख बाल रवि सम  लाल होकर ज्वाला – सा हुआ  बोधित। मुख के लाली को सूर्य के समाना बताया है
नदियां जिनकी यशधारा सी बहती है अब निशि -वासर नदी के धारा को यश बहाने वाला बताया है
पीपर पात सरिस मन डोला पीपल के पत्तों के समान मन के डोलने का वर्णन
उतर रही है संध्या सुंदरी परी सी संध्या को परी के रूप में चित्रित किया है

उपमा अलंकार के उदाहरण – Upma alankar ke udahran –

उदहारण  पहचान संकेत
मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला टीले की तुलना हाथी से की गई है।
तब बहता समय शिला सा जम जायेगा समय को पत्थर सा जमने के लिए कहा गया है
सहसबाहु सम रिपु मोरा। शत्रु को सहत्रबाहु के सामान माना है
चाँद की सी उजली जाली चांद के समान ऊजली बताया गया है
वह दीपशिखा सी शांत भाव में लीन दीप से उठने वाली ज्वाला के समान शांत बताया है
कमल सा कोमल गात सुहाना गाल के कोमलता की तुलना कमल पुष्प से की है
कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।
एही सम विजय उपजा न दूजा
दिवस का समय ,मेघ आसमान से उतर रही है ,

वह संध्या सुंदरी सी ,धीरे धीरे।

संध्या के समय के दृश्य को परी के समान कहा है
सिंधु सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह निर्वाचित होने के उत्साह को सिंधु नदी के समान विस्तृत बताया है
असंख्य कीर्ति रश्मियों विकीर्ण दिव्य दाह सी।
निर्मल तेरा अमृत के सम उत्तम है

मृदुल वैभव की रखवाली सी

चंवर सदृश दोल रहे सरसों के सर अनंत सरसों के पौधे चंवर की भांति डोल रहे हैं
पट पिट मानहुँ तड़ित रूचि सूचि नौमी जनक सुतांवर
नभ मंडल छाया मरुस्थल सा दल बाँध के अंधड़ आवे चला।
अति मलिन वृषभानुकुमारी ,अधोमुख रहति ,उरध नहीं चितवत , ज्यों गथ हारे थकित जुआरी ,छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानो , ज्यों नलिनी हिमकर की मारी
कुन्द इन्दु सन देह , उमा रमन वरुण अमन चंद्रमा के समान दमकता देह बताया गया है।
माँ सरीखी अभी जैसे मंदिरों में चढ़कर खुशरंग फूल
नीलोत्पल के बीच सजाये मोती से आंसूं के बून्द कमल पुष्प के बीच ओस की बूंदे आंसू के समान प्रतीत हो रही है।
वेदना बोझिल सी वेदना को बोझिल के समान माना है।
हो भरष्ट शील के से शतदल
हरिपद कोमल कमल से ईश्वर के चरण कोमल कमल पुष्प जैसे बताया है
स्वान  रूप संसार हे
लघु तरनि हंसिनी सी सुन्दर नदी के तट को हंस के समान माना है

उपमा अलंकार के अन्य उद्धरण भी पढ़ें –

उदहारण पहचान संकेत
भूली सी एक छुअन बनता हर जीवित छण
मुख बाल रवि सम होकर ज्वाला सा बोधित हुआ बालक का मुख सूर्य के समान लाल बौद्धित हो रहा है

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रस। प्रकार ,भेद ,उदहारण आदि।

निष्कर्ष –

उपरोक्त अध्ययन के उपरांत यह ज्ञात होता है कि मोटे तौर पर उपमा अलंकार के अंतर्गत तुलना की जाती है। किसी भी प्रसिद्ध या प्रधान वस्तु से जब तुलना की जाती है वहां उपमा अलंकार होता है। ऊपर अनेकों उदाहरण से स्पष्ट हुआ है। सा , सी , जैसा जिस वाक्य में प्रयोग होता है वहां उपमा अलंकार का आभास होता है।

जैसे – उसका चांद से मुख है।

वाक्य में चांद के समान मुख को माना गया है जबकि वास्तविक रूप से चांद और मुख का कोई संबंध नहीं है। किंतु उसके समान शीतल और चमक होने के कारण मुख की तुलना चांद से की है अतः यहां उपमा अलंकार होता है।

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उपमा के कितने भेद हैं नाम लिखिए?

1)-उपमेय:-जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए। 2)-उपमान:- जिससे तुलना की जाए। 3)-वाचक शब्द:- समानता बताने वाले शब्द। जैसे-सा, सम, सी, ज्यो, तुल्य आदि।

उपमा अलंकार कितने प्रकार की होती है?

Upma Alankar Ke Prakar.
उपमा अलंकार के चार अंग है:- ... .
उपमाअलंकार दो प्रकार के होते हैं:-.
1)- पुणोर्पमाअलंकार-जहाँ उपमा अलंकार के चारों अंग विधमान होते हैं, वहाँ पुणोर्पमा अलंकार होता है।.
2)- लुप्तोपमाअलंकार- जहाँ उपमेय, उपमान, वाचक और साधारण धर्म में से कोई एक भी लुप्त हो जाय, वहाँ लुप्तोपमा अलंकार होता है।.

उपमा के कितने अंग होते हैं?

उपमा के चार अंग होते हैं 1 उपमेय - काव्य में जिसकी समान गुन धर्म के आधार पर तुलना की जाती है उसे उपमेय कहते है। 2 उपमान - उपमेय की तुलना जिसके वस्तु साथ की जाती है उसे उपमान कहते हैं। 3 साधरण धर्म- उपमेय और उपमान के बीच समान गुणधर्म को साधारण धर्म कहते है।

उपमा अलंकार का उदाहरण क्या है?

जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन। हाय फूल सी कोमल बच्ची , हुई राख की ढेरी थी। यह देखिये , अरविन्द – शिशु वृन्द कैसे सो रहे।