“वन्यजीव संरक्षण” यह शब्द हमें उन संसाधनों को बचाने की याद दिलाता है जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं। वन्यजीव उन जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है जो पालतू या समझदार नहीं हैं। वे सिर्फ जंगली जानवर हैं और पूरी तरह से जंगल के माहौल में रहते हैं। ऐसे जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण जरूरी है ताकि वे विलुप्त होने के खतरे से बाहर हो सकें, और इस पूरी क्रिया को ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। इस विषय पर हम आपके लिए अलग-अलग शब्द संख्या में कुछ निबंध लेकर आये हैं ताकि आपका दृष्टिकोण पूर्ण रूप से स्पष्ट हो सके। Show
वन्यजीव संरक्षण पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Wildlife Conservation in Hindi, Vanyajiv Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)निबंध 1 (250 शब्द) – वन्यजीव संरक्षणपरिचय उपयुक्त तरीकों को लागू करने से विलुप्त होने या लुप्त होने से वन्यजीवों की प्रजातियों की सुरक्षा की जा सकती है और इसे ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। जंगली जानवर और पौधे उस पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जहाँ वे रहते हैं। वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता यह उस तरीके का परिणाम है जिस तरह से इन्सान अपनी जीवनशैली और आधुनिकता में उन्नति कर रहा है। पेड़ों और जंगलों की भारी कटाई से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं। मानव के विचारहीन कर्म वन्यजीव प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के लिए जिम्मेदार हैं। शिकार करना या अवैध रूप से शिकार का कार्य भी एक दंडनीय अपराध है, किसी भी वन्यजीव की प्रजाति को अपने आनंद के उद्देश्य से नहीं मारा जाना चाहिए। जंगली जानवर और पौधे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता। ऐसे कई कारक हैं जो वन्यजीव प्राणियों के लिए खतरा हैं। बढ़ता प्रदूषण, तापमान और जलवायु परिवर्तन, संसाधनों का अत्यधिक दोहन, अनियमित शिकार या अवैध शिकार, निवास स्थान की हानि, आदि वन्यजीवों की समाप्ति के प्रमुख कारण हैं। वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा कई कार्य और नीतियां तैयार और संशोधित की गईं हैं। निष्कर्ष यह मनुष्य की एकमात्र और सामाजिक जिम्मेदारी है, व्यक्तिगत आधार पर, हर किसी को चाहिए कि हम अपने अक्षय संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रयास करें। वे बहुमूल्य हैं और इनका बुद्धिमानी से उपयोग किया जाना चाहिए। वन्यजीव प्राणी और पौधे हमारी प्रकृति में सुंदरता को जोड़ते हैं। उनकी विशिष्टता, कुछ पक्षियों और जानवरों की सुंदर आवाज, वातावरण और निवास स्थान को बहुत ही मनभावन और अद्भुत बनाती है। निबंध 2 (400 शब्द) – वन्यजीवों के घटने का कारणपरिचय जंगली पौधों और जानवरों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए की गयी कार्रवाई को वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। मानव द्वारा विभिन्न योजनाओं और नीतियों को अमल में लाकर इसे हासिल किया जाता है। वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण कारक है, उनके अस्तित्व के बिना, पारिस्थितिक संतुलन एक असंतुलित स्थिति में बदल जाएगी। जिस तरह से इस धरती पर मौजूद हर एक प्राणी को अपने अस्तित्व का अधिकार है और इसलिए उन्हें एक उचित निवास स्थान और उनकी शर्तों का अधिकार मिलना चाहिए। लेकिन वर्तमान में हो रही परिस्थितियां पूरी तरह से अलग हैं। मनुष्य अपनी इच्छाओं को लेकर इतना अधिक स्वार्थी हो गया है कि वो यह भूल गया कि अन्य जीवों को भी यही अधिकार प्राप्त है। विभिन्न अवैध प्रथाओं, उन्नति, आवश्यकताओं ने एक ऐसी स्थिति का निर्माण किया है जो काफी चिंताजनक है। वन्यजीवों की कमी के कारण वन्यजीवों के विनाश के लिए कई कारक हैं जिनमे से कुछ को हमने यहाँ सूचीबद्ध किया है:
दूषित जल से समुद्री जैव विविधता भी काफी प्रभावित होती है; पानी में मौजूद रसायन समुद्री जलचरों की कार्यात्मक गतिविधियों को बिगाड़ते हैं। मूंगा-चट्टान तापमान परिवर्तन और दूषितकरण से काफी ज्यादा प्रभावित होती है। निष्कर्ष वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। सरकार द्वारा पहले से ही संरक्षण उद्देश्यों के लिए काम कर रही कई नीतियां, योजनाएं और पहल जारी हैं। जंगली जानवरों और पौधों को अपने स्वयं के आवास के भीतर संरक्षित करना आसान है उन्हें अनुवान्सिक तौर पर संरक्षण उपाय करने के बाद संरक्षित किया जाना चाहिए। वे जानवर और पौधे जो अपने स्वयं के निवास स्थान में सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं या विलुप्त हो रहे क्षेत्रों का सामना कर रहे हैं, उन्हें प्रयोगशालाओं के भीतर या पूर्व-भरण-पोषण उपायों के बाद कुछ भण्डारों में संरक्षित किया जाना चाहिए। निबंध 3 (600 शब्द) – वन्यजीव संरक्षण: कारक, प्रकार, महत्व और परियोजनाएंपरिचय वन्यजीव संरक्षण, विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन की एक प्रक्रिया है। वन्यजीव हमारी पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे जानवर या पौधे ही हैं जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की सहायक प्रणाली हैं। वे जंगल वाले माहौल में या तो जंगलों में या फिर वनों में रहते हैं। वे हमारे पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। अमानवीय क्रियायें वन्यजीव प्राणियों के लुप्त या विलुप्त होने में सबसे बड़ी भूमिका निभा रही हैं। भारत जैव विविधता में समृद्ध है, लेकिन इसके नुकसान के लिए भी कई कारक हैं। वन्यजीवों के विनाश के लिए अग्रणी कारक
वन्यजीव संरक्षण के प्रकार
वन्यजीव संरक्षण का महत्व
भारत में वन्यजीव संरक्षण के प्रयास
परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाघों के आवास को विनाश से बचाना था। साथ ही साथ दूसरे, बाघों की संख्या में वृद्धि सुनिश्चित करना। हमारे रॉयल बंगाल टाइगर्स को बचाने के लिए परियोजना में सकारात्मक दृष्टिकोण था, क्योंकि इस प्रयास के बाद उनकी संख्या 1000-5000 के लगभग बढ़ गई थी। प्रारंभिक स्तर पर, 9 संरक्षित क्षेत्र थे जो 2015 तक बढ़कर 50 हो गए। यह वास्तव में राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण की दिशा में एक सफल प्रयास था।
यह परियोजना केंद्रीय स्तर पर शुरू की गई थी, लेकिन इसकी पहल राज्यों द्वारा की गई थी, इस परियोजना के तहत विभिन्न राज्यों को आवश्यकताओं के अनुसार धन भी प्रदान किया गया था। 16 राज्य मुख्य रूप से इस अधिनियम को लागू कर रहे थे।
निष्कर्ष जनसंख्या विस्फोट और शहरीकरण के ही परिणाम हैं कि वनों को काटकर इसे इमारतों, होटलों, या मानव बस्तियों में बदलने की गतिविधियों में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप जंगल में रहने वाले विभिन्न प्रजातियों के निवास स्थान में कमी आई है। उन्हें उन स्थानों को छोड़ना पड़ता था और नए आवास की तलाश करनी होती थी जो कि आसान नहीं होता है। नए निवास स्थान की खोज, भोजन के लिए बहुत सारी प्रतियोगिता, कई प्रजातियों को लुप्त होने की कगार पर ले जाती है। वन्यजीव जानवर और पौधे प्रकृति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। किसी भी स्तर पर नुकसान होने पर इसके अप्राकृतिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वे पारिस्थितिक संतुलन के लिए जिम्मेदार हैं और मानव जाति के निर्वाह के लिए, यह संतुलन बनाए रखना चाहिए। इसलिए सरकार द्वारा संरक्षण प्रयासों के साथ, यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है, कि हम व्यक्तिगत रूप से वन्यजीवों के संरक्षण में अपना योगदान करें। भारत में वन्य जीवों के संरक्षण हेतु क्या कदम उठाए जा रहे हैं?भारत में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 'पर्यावरण संरक्षण अधिनियम', 'वन संरक्षण अधिनियम', 'राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना', 'टाइगर परियोजना', 'राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य', 'जैव-क्षेत्रीय रिजर्व कार्यक्रम' आदि चल रहे हैं। इन योजनाओं के कारण कुछ प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया गया है।
भारत में वन्य जीव संरक्षण कब लागू किया गया?सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने एवं अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था।
जंगली जानवरों को बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?निम्नलिखित कुछ तरीको से जंगली जानवरों की मदद की जा सकती है:. फंसे हुए जानवरों को बचाना जानवरअक्सर जंगली में दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं । ... . बीमार जानवरों को टीका लगाना और उपचार करना ... . आग और प्राकृतिक आपदाओं में जानवरों की मदद करना ... . जानवरों की बुनियादी जरूरते प्रदान करना. भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 द्वारा वनों की सुरक्षा का क्या प्रावधान है लिखिए?वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 | Wildlife Protection Act 1972 in Hindi. भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 भारत सरकार ने सन् 1972 ई॰ में इस उद्देश्य से पारित किया था कि वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा उसके हाड़-माँस और खाल के व्यापार पर रोक लगाई जा सके।
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