वर्षण क्या है वर्षण के विश्व प्रतिरूप की व्याख्या कीजिए? - varshan kya hai varshan ke vishv pratiroop kee vyaakhya keejie?

वर्षण क्या है वर्षण के विश्व प्रतिरूप की व्याख्या कीजिए? - varshan kya hai varshan ke vishv pratiroop kee vyaakhya keejie?

महीने भर की वर्षण प्रक्रिया[1]

वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि।[2] अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है।

वर्षण का महत्व जलविज्ञान में भी है क्योंकि किसी भी जलसम्भर का जल बजट तय करने में इसकी प्रमुख भूमिका होती है।[3]

ऊपर उठती गर्म एवं आर्द्र वायु के संतृप्त होने तथा ओसांक की प्राप्ति के बाद संघनन होने पर वायुमंडलीय जलवाष्प के या तो तरल रूप (ओस, जलवर्षा) या ठोस रूप (हिमपात) में नीचे गिरने को वर्षण कहते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Karger, Dirk Nikolaus; एवं अन्य (2016-07-01). "Climatologies at high resolution for the Earth land surface areas". Scientific Data. 4: 170122. arXiv:1607.00217. PMC 5584396. PMID 28872642. डीओआइ:10.1038/sdata.2017.122. बिबकोड:2016arXiv160700217N.
  2. वर्षण या अवक्षेपण (इण्डिया वाटर पोर्टल से)।
  3. टोड, डी के - ग्राउण्डवाटर हाइड्रोलोजी, जॉन वाइली प्रकाशन।

वर्षण क्या है वर्षण के विश्व प्रतिरूप की व्याख्या कीजिए? - varshan kya hai varshan ke vishv pratiroop kee vyaakhya keejie?
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उत्तर :

प्रश्न विच्छेद

वर्षण की प्रक्रिया तथा उसके वैश्विक प्रतिरूप की चर्चा करें।

हल करने का दृष्टिकोण

संक्षिप्त भूमिका लिखें।

वर्षण की प्रक्रिया को स्पष्ट करें।

वर्षण के वैश्विक प्रतिरूप की चर्चा करें।

जब जलवाष्प संघनित होकर जल की बूँदों या ठोस हिमकणों के रूप में धरातल पर गिरती है, तो उसे वर्षण कहते हैं। विश्व के अलग-अलग भागों में वर्षण की मात्रा और प्रकार में काफी भिन्नता है।

वर्षण की प्रक्रिया संपन्न होने के लिये नमी युक्त वायु, संवहन धाराएँ, वायु में धूल-कण की उपस्थिति तथा संघनन की प्रक्रिया आवश्यक शर्त है। जब आर्द्र वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है और फैलती है, तो तापमान में कमी आती है और बादलों का निर्माण होता है। तापमान में कमी आने से जलग्राही नाभिक (धूल-कण) के चारों ओर जलवाष्प का संघनन होने लगता है। जलवाष्प का संघनन होने से जल की बूँदों का निर्माण होता है। जब हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध इन बूँदों को रोकने में असफल हो जाता है तब ये धरातल पर जलकण या हिम-रवे के रूप में गिरते हैं, जिसे वर्षण कहा जाता है।

वर्षा का वैश्विक वितरण असमान है।

पृथ्वी के अलग-अलग भाग भिन्न-भिन्न मात्रा में तथा अलग-अलग मौसमों में वर्षा प्राप्त करते हैं :

  • सामान्यत: भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है।
  • विश्व के वे भाग जहाँ उच्च तापमान और जल की अधिकता है, वहाँ पर वर्षा अधिक होती है।
  • भूमध्यरेखीय प्रदेश सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करते हैं।
  • वे प्रदेश जो उच्च वायुदाब की पेटी में आते हैं कम वार्षिक वर्षा प्राप्त करते हें।
  • व्यापारिक पवनों की पेटी में महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर अधिक वर्षा होती है तथा पश्चिम की तरफ यह घटती जाती है।
  • इसके विपरीत पछुआ पवन की पेटी में महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर अधिक वर्षा होती है।
  • विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है।

वर्षा का प्रतिरूप वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित करता है। पृथ्वी के वे भाग जो अत्यधिक या कम वर्षा प्राप्त करते हैं, सामाजिक-आर्थिक रूप से कम महत्त्वपूर्ण हैं जबकि मानसूनी क्षेत्र सघन जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप वैश्विक वर्षण प्रतिरूप में बदलाव के कारण अनेक सामाजिक-आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

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वर्षण 

वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जब जल द्रव या ठोस के रूप में धरातल पर गिरता है तो उसे वर्षण कहते हैं।

स्वतंत्र हवा में लगातार संघनन की प्रक्रिया संघनित कणों के आकार को बड़ा करने में मदद करती है तथा वे वायु में तैरते हुये रूक नहीं पाते क्योंकि हवा का प्रतिरोध गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध उनको रोकने में असफल हो जाता है तब ये पृथ्वी की सतह पर गिरते हैं। इसलिए जलवाष्प के संघनन के बाद नमी के मुक्त होने की अवस्था को वर्षण कहते हैं।

यह द्रव , गैस या ठोस अवस्था में हो सकता है।

वर्षण के रूप

ठोस- हिमपात, ओलवृष्टि

द्रव- जलवर्षा, फुहार

गैस- ओस ,कोहरा, धुंध

फुहार: जब समान आकार की अत्यन्त छोटी-छोटी बूदें जिनका व्यास 0.5 मि.मि. से कम होता है। धरातल पर गिरती हैं, तो उसे फुहार कहते हैं।

वर्षा- वर्षण जब पानी के रूप में होता है उसे वर्षा कहा जाता है अत: जब जल की छोटी-छोटी बूदें मिलकर बड़ी बूदों के रूप में धरातल पर गिरती हैं तो उसे वर्षा कहते हैं। अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है।

हिमपात : जब तापमान 0°से० से कम होता है तो वायुमण्डलीय आर्द्रता हिमकणों में बदल जाती है। ये छोटे-छोटे हिमकण मिलकर हिमलव बनाते हैं।

जो बड़े और भारी होकर धरातल पर गिरने लगते हैं। तब वर्षण हिमतृलों के रूप में होता है जिसे हिमपात कहते हैं।

ओला पात : कभी-कभी वर्षा की बूंदें बादल से मुक्त होने के बाद बर्फ के छोटे गोलाकार ठोस टुकड़ों में परिवर्तित हो जाती हैं तथा पृथ्वी की सतह पर पहुँचती हैं जिसे ओलापत्थर कहा जाता है।

ये वर्षा के जल से बनती हैं जो कि ठंडी परतों से होकर गुजरती हैं। ये ओला पत्थर एक के ऊपर एक बर्फ की कई सकेंद्रीय परतों वाले होते हैं।

सहिम वृष्टि -सहिम वृष्टि जमी हुई वर्षा की बूंदे हैं या पिघली हुई बर्फ के पानी की जमी हुई बूंदें हैं।

जमाव बिंदु के तापमान के साथ जब वायु की एक परत सतह के नजदीक आधे जमे हुए परत पर गिरती है तब सहिम वृष्टि होती है।

ओसांक -जिस तापमान पर जल-वाष्प संघनित होकर जल रूप में बदल जाती है, उसे ओसांक कहते हैं। ओसांक कई बातों पर निर्भर करता है, दबाव, सापेक्ष आर्द्रता आदि।

पाला -आमतौर पर शीतकाल की लंबी रातं ज्यादा ठंडी होती है और कई बार तापमान हिमांक पर या इस से भी नीचे चला जता है।

ऐसी स्थिति में जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सुक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं, इसे पाला कहते हैं 

धुंध -धुंध भी कोहरे की तरह ही होती है, अंतर बस केवल इतना है कि यह अधिक घनी हो जाती है। जहाँ कोहरा हमें जाड़े में दिखायी देता है वहीं धुंध बरसात के दिनों में हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाने के कारण उत्पन्न होती है। 

तुषार -हवा में मिली भाप जो सरदी से जमकर और सूक्ष्म जलकण के रूप में हवा से अलग होकर गिरती और पदार्थों पर जमती दिखलाई देती है।

कोहरा-सापेक्षिक आ‌र्द्रता शत प्रतिशत होने पर हवा में जलवाष्प की मात्रा स्थिर हो जाती है।

इससे अतिरिक्त जलवाष्प के शामिल होने से या तापमान के कम होने से संघनन शुरू हो जाता है।

जलवाष्प से संघनित छोटी पानी की बूंदे वायुमंडल में कोहरे के रूप में फैल जाती हैं।

संघनन -गैस से द्रव बनने की परिघटना को संघनन कहते हैं । यह वाष्पन के विपरीत है। प्रायः जल-​चक्र के सन्दर्भ में ही इसका प्रयोग होता है​। वर्षा भी एक प्रकार का संघनन ही है।

वर्षण का क्या अर्थ है वर्षा के विभिन्न रूपों का वर्णन करें?

वर्षा मेघ मोटे जलवाष्प की आकृति विहीन संहति होते हैं। मध्य ऊँचाई के बादल - स्तरी मध्य तथा कपासी मध्य, कम ऊँचाई के बादल - स्तरी कपासी, स्तरी वर्षा मेघ एवं कपासी वर्षा मेघ । 0°से० से कम होता है तब वर्षण हिमतूलों के रूप में होता है जिसे हिमपात कहते हैं।

वर्षण क्या है उत्तर दीजिए?

वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि। अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है।

वर्षण के तीन प्रकार कौन कौन से हैं?

उत्तर- वर्षण के कई प्रकार होते हैं, जैसे-वर्षा, हिमपात, सहिम वृष्टि तथा करकापाता।

वर्षण का कौन सा रूप है?

वर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि वर्षण के रूप हैं। कोहरा, धुंध, ओस और बादल संघनन के प्रकार हैं।