अ संक्षेपण को परिभाषित करते हुए इसके प्रकारों का उल्लेख कीजिए ब अनुवाद से क्या आशय है परिभाषा दीजिए? - a sankshepan ko paribhaashit karate hue isake prakaaron ka ullekh keejie ba anuvaad se kya aashay hai paribhaasha deejie?

संक्षेपण अथवा सार-लेखन (अंग्रेज़ी: Précis) का आशय है किसी अनुच्छेद, परिच्छेद, विस्तृत टिप्पणी अथवा प्रतिवेदन को संक्षिप्त कर देना। किसी बड़े पाठ (निबन्ध, लेख, शोध प्रबन्ध आदि) में मुख्य विचारों, तर्कों आदि को लघुतर आकार में प्रस्तुत करना संक्षेपण (critical précis writing) कहलाता है। इसकी संरचना भी निबन्ध जैसी ही होती है। सार लेखन की आवश्यकता कार्यालय, वाणिज्य, पत्रकारिता, शिक्षा आदि कई क्षेत्रों में पड़ती है। संक्षेपण को अंग्रजी में 'समराईजिंग' 'प्रेसी राइटिंग' अथवा प्रेसी भी कहते हैं।

परिचय[संपादित करें]

आज का जीवन बहुत गतिपूर्ण हो गया है। लोगों के पास समय की कमी है। यही कारण है कि व्यक्ति कम-से-कम समय में अधिक से अधिक बातें जान लेना चाहता है। किसी भी सामग्री को चाहे वह कोई विवरण पत्र हो या कोई लेख या आख्यान हो, उसके मुख्य भाव या विचार को छोड़े बिना, एक तिहाई भाग में लिखना ही सार-लेखन कहा जाता है।

अपनी बात को प्रभावी और रोचक बनाने और उसे पाठको की समझ में आ सकने योग्य बनाने के लिए लेखक अपनी बात को दोहराता है, मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग करता है, किसी कथा-प्रसंग से उसे प्रमाणित करता है, विद्वानों की उक्तियों को उद्धृत करके उसे ठोस बनाता है, अलंकार युक्त शब्दावली का प्रयोग करता है और कथ्य को विस्तार देता है। इन सब कारणों से मुख्य विचार कम होते हुए भी सामग्री का आकार बढ जाता है। संक्षेपण में जो बाते महत्व की होती है उन्हे हम स्वीकर लेते हैं और शेष को छोड़ देते है। (सार-सार को गहि रहै, थोथा देत उड़ाय)

संक्षेपण की प्रक्रिया[संपादित करें]

संक्षेपण की प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। मूल पाठ से संक्षेपण में अर्थ का संप्रेषण भिन्न नहीं होना चाहिए। दंगल झाल्टे[1] ने इसकी प्रक्रिया को निम्नवत रूप से समझाया है :

  1. संक्षेपण करते समय सबसे पहले मूल अनुच्छेद या विषय-वस्तु को एकाधिक बार ध्यान पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। इससे मूल अनुच्छेद का भावार्थ समझ में आ जाएगा तब तक सार-लेखन की शुरूआत नहीं करनी चाहिए जब तक कि मूल विषय का भावार्थ समझ में न आ जाए।
  2. मूल अनुच्छेद को पढ़ने के बाद महत्त्वपूर्ण तथ्यों, बातों तथा विचारों को रेखांकित कर लिया जाना चाहिए। रेखांकन करते समय मूल विषय से संबंधित कोई भी महत्त्वपूर्ण अंश नहीं छूटना चाहिए।
  3. इसके बाद मूल में व्यक्त किए गए विचारों, भावों तथा तथ्यों को क्रमबद्ध कर लेना चाहिए।
  4. मूल अनुच्छेद का एक तिहाई में संक्षेपण करना चाहिए। इसमें संक्षेपक को अपनी ओर से कोई भी तर्क-वितर्क करने तथा किसी अतिरिक्त अंश को जोड़ने की अनुमति या छूट नहीं होती।
  5. संक्षेपण को अंतिम रूप दिए जाने से पूर्व उसका पहले कच्चा रूप तैयार कर लेना चाहिए और अच्छी तरह देख लिया जाना चाहिए कि सभी महत्त्वपूर्ण भावों का अंतर्भाव उसमें हो चुका है या नहीं।
  6. संक्षेपण तैयार करते समय मूल अनुच्छेद में वर्णित या उल्लिखित कहावतें, मुहावरे, वाक् प्रचार तथा अलंकार आदि को हटा देना चाहिए।
  7. संक्षेपण तैयार करने के बाद उसके लिए सुयोग्य शीर्षक का चयन किया जाना चाहिए।

संक्षेपण की विशेषताएँ[संपादित करें]

  • संक्षेपण स्वतः पूर्ण होना चाहिए
  • संक्षेपण में भाव एवं भाषा शुद्ध एवं सुस्पष्ट होनी चाहिए
  • संक्षेपण की भाषा में प्रवाह एवं क्रमबद्धता होनी चाहि
  • संक्षेपण में स्पष्टता होनी चाहिए
  • एकात्मकता होना चाहिए
  • गतिशीलता होनी चाहिए
  • प्रवाहमान गुण होना चाहिए
  • सशक्ति होनी चाहिए
  • केन्द्रीय भावबद्धता होनी चाहिए
  • संक्षेपण में विस्तार नहीं होना चाहिए
  • अशुद्धि एवं व्याकरण के नियमों का ध्यान रखना चाहिए
  • आवश्यकतानुसार विराम चिन्ह लगा होना चाहिए ।
  • संक्षेपण मानसिक प्रशिक्षण है

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • पल्लवन
  • अनुच्छेद
  • लेख (आर्टिकल)
  • निबन्ध

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • संक्षेपण
  • संक्षेपण और पल्लवन (गूगल पुस्तक ; लेखक- कैलाशचन्द्र भाटिया)

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. दंगल, झाल्टे (2002). प्रयोजनमूलक हिन्दी : सिद्धान्त और प्रयोग (2016 संस्करण). नयी दिल्ली: वाणी प्रकाशन. पृ॰ 205-06. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5229-091-8.

प्र 2 अ संक्षेपण को परिभाषित करते हुए इसके प्रकारों का उल्लेख कीजिए ब अनुवाद से क्या आशय है परिभाषा दीजिए?

संक्षेपण अथवा सार-लेखन (अंग्रेज़ी: Précis) का आशय है किसी अनुच्छेद, परिच्छेद, विस्तृत टिप्पणी अथवा प्रतिवेदन को संक्षिप्त कर देना। किसी बड़े पाठ (निबन्ध, लेख, शोध प्रबन्ध आदि) में मुख्य विचारों, तर्कों आदि को लघुतर आकार में प्रस्तुत करना संक्षेपण (critical précis writing) कहलाता है।

संक्षेपण किसे कहते हैं संक्षेपण करते समय कौन कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए?

किसी विस्तृत विवरण, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्रव्यवहार या लेख के तथ्यों और निर्देशों के ऐसे संयोजन को 'संक्षेपण' कहते है, जिसमें अप्रासंगिक, असम्बद्ध, पुनरावृत्त, अनावश्यक बातों का त्याग और सभी अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तथ्यों का प्रवाहपूर्ण संक्षिप्त संकलन हो। इस परिभाषा के अनुसार, संक्षेपण एक स्वतःपूर्ण रचना है।

संक्षेपण क्या होता है संक्षेपण के प्रकार संक्षेपण का भाषा तथा संक्षेपण की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

१) विषय-वस्तु के मूल भाव की संक्षिप्त, सरल अभिव्यक्ति संक्षेपण या सार लेखन की मुख्य विशेषता होती है। सार-लेखन में मूल भावों, विचारों, बातों तथा कथ्यों का रक्षण आवश्यक होता है।

संक्षेपण कितने प्रकार के होते हैं?

पत्राचारों के संक्षेपण के दो प्रकार हैं : सामान्य संक्षेपण और सूचीकरण संक्षेपण। सामान्य . संक्षेपण को विस्तृत रूप से संक्षिप्त करना होता है जबकि सूचीकरण संक्षेपण में कमसंख्या, पत्रसंख्या, दिनांक, प्रेषक, प्रेषिती और पत्र के विषय का ध्यान रखा जाता है।