अक्षरों की खोज का सिलसिला कैसे शुरू हुआ - aksharon kee khoj ka silasila kaise shuroo hua

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

  • January 15, 2022
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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व

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अक्षरों का महत्व NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5

Class 6 Hindi Chapter 5 अक्षरों का महत्व Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पाठ में ऐसा क्यों कहा जाता है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई।
उत्तर:
क्योंकि अक्षरों के कारण ही मनुष्य अपना हिसाब-किताब लिखकर रखने लगा। मानव को सभ्य भी तभी से कहा जाने लगा। आदमी के लिखना आरंभ करने से ही इतिहास आरंभ हुआ। आदमी के लिखे लेख मिलने से ही किसी कौम का इतिहास आरंभ होता है। इतिहास की शुरूआत अक्षरों के साथ ही हुई है। उससे पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ यानि इतिहास से पहले का काल कहते हैं।

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प्रश्न 2.
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर:
अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हजार वर्ष पूर्व शुरू हुआ। इससे पहले व्यक्ति चित्रों के द्वारा अपने भाव व्यक्त करता था। जैसे पशु-पक्षियों, आदमियों के चित्र । इन चित्र संकेतों से भाव संकेत अस्तित्व में आए। जैसे एक वृत्त के चारों ओर रेखाएँ खींचने पर वह सूर्य का चित्र बन जाता था। इसके बाद फिर अक्षर अस्तित्व में आए।

प्रश्न 3.
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था ?
उत्तर:
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज़ तक पहुँचाने के लिए चित्रों के जरिए अपने भाव व्यक्त करता था। जैसे पशु, पक्षियों, व्यक्तियों के चित्र।

प्रश्न 4.
भाषा का विकास पहले हुआ, अक्षर और लिपि का बाद में।
बोली गई भाषा को अक्षरों की मदद से लिखा जा सकता है।
कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अक्षर नहीं पहचानते, पर भाषा अच्छी तरह जानते हैं।
इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए भाषा और अक्षर के संबंध के बारे में सोचो और एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर:
सबसे पहले मनुष्य ने बोलना सीखा फिर धीरे-धीरे उसकी भाषा का विकास हुआ। उसने सोचा कि इन विचारों को कैसे सुरक्षित रखा जाए जिससे भविष्य में आने वाली पीढ़ी का मार्ग दर्शन कर सकें। आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। मनुष्य ने अपनी इस आवश्यकता के कारण अक्षरों की शुरूआत की। ध्वनियों को स्थाई रूप प्रदान करने के लिए लिपि चिन्हों का निर्धारण किया। ये लिपि चिन्ह ही अक्षर कहलाए। पहले हमारे वेद और अन्य शास्त्रों का लिखित रूप नहीं था-सुन-सुनकर ही ये कंठस्थ किये जाते थे और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते थे। लिपि चिन्ह अर्थात् अक्षरों के ईज़ाद होने के बाद ही ये लिखित रूप में आए।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
अक्षरों के महत्त्व की तरह ध्वनि के महत्त्व के बारे में जितना जानते हो लिखो।
उत्तर:
अक्षरों का मौखिक रूप ध्वनि ही होता है। जब व्यक्ति किसी अक्षर का उच्चारण करता है तो हम उसके मुख से निकली ध्वनि से ही यह अनुमान लगाते हैं कि उसने क्या कहा। अक्षर भाषा की सबसे छोटी इकाई है। अक्षरों की ध्वनियाँ ही भाषा का मूल रूप है।

प्रश्न 2.
रेडियो की भाषा लिखित नहीं मौखिक है। मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्त्व है ? इसे शिक्षक को कक्षा में सुनाओ।
उत्तर:
मौखिक भाषा ही भाषा का मूल रूप है। एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता भाई-बहिनों के मुख से मौखिक भाषा को ही सुनता है। वह इनका अनुकरण करता है। इस प्रकार वह भी बोलना सीख जाता है। इस रूप को स्वाभाविक रूप से सीखा जाता है

प्रश्न 3.
हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी न किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है। लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है क्यों ? पता करो और शिक्षक को बताओ।
उत्तर:
अक्षर किसी एक व्यक्ति की खोज नहीं है। समय के साथ-साथ तथा अपनी सुविधाओं को देखते हुए लोगों ने अक्षरों की लिपि चिह्नों का निर्माण किया इसलिए इनके साथ किसी एक व्यक्ति का नाम नहीं जुड़ा।

प्रश्न 4.
एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। आगे कुछ शब्द दिए गए हैं, जैसे- भारत, गांधी, भाषा। इन्हें एक से अधिक लिपियों में लिखो।
उत्तर:
भारत – BHARAT
गांधी – GANDHI

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
पुराने जमाने में लोग यह क्यों सोचते होंगे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की थी? अनुमान लगाओ और लिखो?
उत्तर:
पुस्तकों में बड़े-बड़े किस्से और ज्ञानवर्धक बातें लिखी होती हैं। अक्षरों की खोज कोई सामान्य बात नहीं है इसलिए लोग सोचते होंगे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की होगी।

प्रश्न 2.
अक्षरों के महत्त्व के साथ ही मनुष्य के जीवन में गीत, नृत्य और खेलों का भी महत्त्व है। अपने मित्रों के साथ बातचीत कर इनके महत्त्व के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कल्पना करो कि यदि हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो क्या होता ? लिखो।
उत्तर:
यदि हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो हम अपने विचारों को न तो सही ढंग से प्रकट कर पाते और न ही उनको सुरक्षित रख पाते। आज दुनिया में पुस्तकों के रूप में जो ज्ञान का भण्डार है यह हमें उपलब्ध नहीं होता।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरूआत या आदि न हो। नीचे दिए गए शब्द भी मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बने हैं। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके लिखो और मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो-
असफल ………………….
अदृश्य ………………….
अनुचित ………………….
अनावश्यक ………………….
अपरिचित ………………….
अनिच्छा ………………….
(क) अब बताओ कि ये उपसर्ग जिन शब्दों के साथ जुड़ रहे हैं क्या उनमें कोई अंतर है ?
(ख) उपर्युक्त शब्दों से वाक्य बनाओ और समझो कि वे संज्ञा हैं या विशेषण।
उत्तर:
असफल = अ + सफल
अदृश्य = अ + दृश्य
अनुचित = अ + उचित
अनावश्यक = अन् + आवश्यक
अपरिचित = अ + परिचित
अनिच्छा = अन् + इच्छा

(क) शब्द के पूर्व में व्यंजन आने पर विलोम शब्द बनाने के लिए ‘अ’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है तथा शब्द के पूर्व स्वर आने पर विलोम शब्द बनाने के लिए ‘अन्’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है।

(ख) (i) परिश्रम न करने वाला असफल रहता है।
(ii) वह देखते ही देखते अदृश्य हो गया।
(ii) मुझे अनुचित कार्य बिल्कुल पसंद नहीं है।
(iv) तुम अनावश्यक रूप से विवाद को जन्म दे रहे हो।
(v) किसी अपरिचित से खाने की कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए।
(vi) मैंने यह कार्य अनिच्छा से किया है।
यहाँ ‘अपरिचित’ को छोड़कर सभी शब्द विशेषण हैं।

प्रश्न 2.
वैसे तो संख्याएँ संज्ञा होती हैं पर कभी-कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे लिखे वाक्य में-
हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।
कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया।
इन वाक्यों में रेखाकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीजों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके। जैसे, चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज़ को गिना नहीं जा सकता तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा माप-तौल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है।

  • तीन जग पानी
  • एक किलो जीरा

यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला, कटोरी, एकड़, मीटर, लीटर, किलो, ट्रक, चम्मच

तीन कटोरी खीर,
दो एकड़ ज़मीन,
छह मीटर कपड़ा,
एक ट्रक रेत,
दो प्याला कॉफी,
पाँच किलो बाजरा
एक किलो दूध,
तीन लीटर तेल

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपनी लिपि के कुछ अक्षरों के बारे में जानकारी इकट्ठी करो।
(क) जो अब प्रयोग में नहीं रहे।
(ख) प्रचलित नए अक्षर जो अब प्रयोग में आ गए हैं।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
लिखित और मौखिक भाषा के हानि-लाभ के बारे में अपने दोस्तों के बीच चर्चा करो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अक्षर और कंप्यूटर के संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करो और इसे शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
अक्षर ध्वनियों (स्वरों और व्यंजनों) का प्रतीक होते हैं। उदाहरण के लिए ‘हिंदी’, ‘उर्दू’ और ‘बंगला’ आदि शब्दों में प्रत्येक अक्षर के लिए उसकी ध्वनि निर्धारित है। कुछ चित्रों से भी संकेत व्यक्त होते हैं। नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। उससे क्या संकेत व्यक्त होते हैं, बताओ-

अक्षरों की खोज का सिलसिला कैसे शुरू हुआ - aksharon kee khoj ka silasila kaise shuroo hua

उत्तर:
पहला चिह्न दाएँ मुड़ना है।
दूसरा चिह्न बाएँ मुड़ना है।
तीसरा चिह्न आगे स्कूल है।
चौथा चिह्न आगे गोल चक्कर है।

महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. प्रागैतिहासिक …………………. में आए।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ में से अवतरित है। इसके लेखक ‘गुणाकर मुले’ जी हैं। लेखक ने यहाँ अक्षरों से पहले मनुष्य किस प्रकार अपने भावों को व्यक्त करता था, बताया है।

व्याख्या- लेखक कहता है कि जब इतिहास नहीं लिखा जाता था उस समय मनुष्य अनेक प्रकार के चित्रों को चित्रित करके अपने भावों को व्यक्त करता था। इन चित्रों में विशेषतौर पर पशु-पक्षियों और व्यक्तियों के चित्र होते थे। इन चित्रों के बाद ही भाव संकेतों का आरंभ हुआ। मनुष्य विभिन्न प्रकार के भाव-संकेतों से अपने भावों को व्यक्त करने लगा। जैसे एक वृत्त बनाकर उसके चारों ओर किरणों का बोध कराने के लिए रेखाएँ खींच दी जाती थीं। इस प्रकार की रेखाओं वाला यह वृत्त सूर्य का चित्र बन गया। यह चित्र ही धूप एवं गर्मी को दर्शाने के लिए प्रयोग में आने लगा। इसके बाद और अनेक भाव संकेत अस्तित्व में आते रहे।

2. अक्षरों की ……………………. कहते हैं।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘अक्षरों का महत्त्व’ से अवतरित है। इस गद्यांश में लेखक ‘गुणाकर मुले’ ने अक्षरों की खोज के बाद आए बदलाव का वर्णन किया है।

व्याख्या- लेखक कहता है कि अक्षरों की खोज के बाद एक नए युग की शुरूआत हुई। इसके बाद ही मनुष्य अपने विचारों एवं हिसाब-किताब को सुरक्षित रखने लगा। अक्षरों के आ जाने से मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल हो गया। तब से ही मानव को सभ्यमानव कहा जाने लगा। मनुष्य सभी बातों को लिखकर सुरक्षित रखने लगा इसलिए तब से ही इतिहास शुरू होता है। अक्षरों की खोज होने से पहले का कोई इतिहास मालूम नहीं है। किसी भी जाति या देश का इतिहास तभी से आरंभ माना जाता है जब से उनका इतिहास लिखित रूप में मिलता है। मनुष्य का लिखित इतिहास छह हजार वर्षों से है। उससे पहले का मनुष्य या किसी सभ्यता का कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है। जो कुछ पहले के बारे में कहते हैं वह केवल अनुमान पर ही आधारित है। इतिहास से पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ यानि इतिहास से पहले का काल कहते हैं।

3. अक्षरों की …………………… है भी।

प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘अक्षरों का महत्त्व’ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक ‘गुणाकर मुले’ जी हैं। लेखक ने यहाँ अक्षरों एवं उनसे बनी लिपि के महत्त्व के बारें में बताया है।

व्याख्या- अक्षरों की खोज होने के बाद मानव सभ्यता के विकास में गति आ गई। अक्षरों की खोज ने मनुष्य को मनुष्य के काफी करीब ला दिया। वह अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। अब उसके विचारों से दूसरे लोग भी लाभान्वित होने लगे। एक पीढ़ी द्वारा संचित ज्ञान दूसरी पीढ़ी के काम आने लगा। अक्षरों की खोज के बाद मानव जाति का विकास बहुत ही तीव्र गति से होने लगा। आज हम जो कुछ भी देख रहे हैं वह सब अक्षरों की खोज का ही परिणाम है।

अक्षरों और उनसे बनी हुई लिपियों के कारण क्रांतिकारी परिवर्तन हो गए। हम सबको अक्षरों की कहानी मालूम होनी चाहिए। अक्षर हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। आज हम जो कुछ पढ़ते हैं या लिखते हैं ये सभी अक्षर कब, कहाँ और किसने बनाए यह सब हमको मालूम होना ही चाहिए। अक्षर मानव सभ्यता के विकास का मूल है।

अक्षरों के महत्त्व

प्रश्न 1.
बड़े-बुजुर्गों से पता कीजिए कि जो अक्षर उनके समय में इस्तेमाल होते थे ‘उनमें से कौन से गायब हो गए हैं और कौन से नए आ गए हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कम्प्यूटर पर अलग-अलग आकार में अक्षरों को देखें फिर अपनी लिखी किसी भी पसंदीदा कहानी, लेख, कविता के हिस्से को अलग-अलग आकार में सजाकर प्रिंट करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अक्षरों का महत्व Summary

कविता का सार

पुस्तकें हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इनका हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। लेकिन सभी प्रकार की पुस्तकों का निर्माण अक्षरों से हुआ है। संसार में अब तक करोड़ों की संख्या में पुस्तकें छप चुकी हैं और हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। हजारों की संख्या में प्रतिदिन समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं छपती रहती हैं। इन सबके मूल में है अक्षर! हम कल्पना नहीं कर सकते कि यदि मानव को अक्षर ज्ञान न होता तो इस दुनिया का क्या हाल होता? कुछ लोगों का कहना है कि अक्षरों को हम अनादि काल से जानते हैं। कुछ कहते हैं कि अक्षरों का ज्ञान हमें ईश्वर से मिला है।

पुराने समय के लोग सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। लेकिन आज हम जानते हैं अक्षरों की खोज ईश्वर ने नहीं, बल्कि आदमी ने स्वयं की है। लेकिन अब तो हम यह भी जानते हैं किन-किन अक्षरों की खोज किस देश में, किस समय हुई।

हमारी पृथ्वी लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो तीन अरब साल तक पृथ्वी पर किसी प्रकार के जीव-जन्तु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज रहा होगा। पाँच लाख साल पहले ही इस धरती पर मानव ने जन्म लिया, फिर धीरे-धीरे उसका विकास हुआ। कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँव को बसाना शुरू किया। फिर वह धीरे-धीरे खेती करने लगा। वह पत्थरों के औजार बनाकर उनका प्रयोग करने लगा। उसने तांबे और कांसे के औज़ार भी बनाए।

प्रागैतिहासिक काल का मानव पहले अपने भाव, विचार चित्रों के माध्यम से व्यक्त करता था। एक छोटे वृत्त के चारों ओर रेखाएँ खींचने पर सूर्य का चित्र बनने से उन्हें सूर्य ज्ञान हुआ। इस तरह के अनेक भाव संकेत अस्तित्व में नज़र आए। इसके बाद आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज हुए छह हजार साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई। अपने-अपने हिसाब को लिखकर रखने लगा। तब से मानव को सभ्य कहा जाने लगा। जब मानव ने लिखना प्रारम्भ किया तभी से इतिहास का प्रारम्भ हुआ। इससे पहले के काल को “प्रागैतिहासिक काल” यानी इतिहास से पहले का काल कहते हैं। अगर व्यक्ति अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को न जान पाते और हम यह भी न जान पाते कि हजारों साल तक आदमी ने अपना जीवन कैसे व्यतीत किया। वह क्या-क्या सोचता था उसने क्या-क्या कार्य किये। अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है। वह अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का प्रयोग दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज के बाद मानव जाति का तेजी से विकास हुआ।

आज हम जिन अक्षरों को पढ़ते या लिखते हैं हमें उनकी कहानी मालूम होनी चाहिए कि वे कब, कहाँ और किसके द्वारा बनाए गए, यह जानना बहुत जरूरी है।

अक्षरों की खोज का सिलसिला कब शुरू हुआ था?

अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हज़ार साल पहले शुरू हुआ। अक्षर बनाने से पहले मनुष्य अपने भाव पशु, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के माध्यम से प्रकट करता था।

अक्षरों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

अक्षरों द्वारा लिखकर अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं और ध्वनियों द्वारा बोलकर। अक्षरों के बिना लिखा नहीं जा सकता और ध्वनियों के बिना बोलने की कल्पना नहीं की जा सकती है। अपनी भाषा की सार्थक ध्वनियों के उच्चारण द्वारा ही हम अपना भाव व्यक्त करते हैं। इसलिए अक्षर के समान ध्वनि भी महत्त्वपूर्ण है।

अक्षरों की खोज करने की आवश्यकता क्यों पड़ी होगी?

अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा । इस प्रकार, एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हज़ार सालों में मानव जाति का तेज़ी से विकास हुआ।

अक्षरों का प्रयोग कहाँ कहाँ होता है?

Solution : अक्षरों का प्रयोग पुस्तकें लिखने में होता है। आज तरह-तरह के अक्षरों में संसार में हजारों समाचार-पत्र तथा पुस्तकें छपती हैं । अक्षरों के प्रयोग से ही ज्ञान का प्रसार होता है।