NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व Show
NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5 अक्षरों का महत्व Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. अक्षरों का महत्व NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 5Class 6 Hindi Chapter 5 अक्षरों का महत्व Textbook Questions and Answersप्रश्न 1. x प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. निबंध से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. भाषा की बात प्रश्न 1. (क) शब्द के पूर्व में व्यंजन आने पर विलोम शब्द बनाने के लिए ‘अ’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है तथा शब्द के पूर्व स्वर आने पर विलोम शब्द बनाने के लिए ‘अन्’ उपसर्ग का प्रयोग किया गया है। (ख) (i) परिश्रम न करने वाला असफल रहता है। प्रश्न 2.
यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं क्योंकि इनका संबंध माप-तौल से है। अब नीचे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बॉक्स में दिए गए माप-तौल के उचित शब्द छाँटकर लिखो। तीन कटोरी खीर, कुछ करने को प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर: पहला चिह्न दाएँ मुड़ना है। दूसरा चिह्न बाएँ मुड़ना है। तीसरा चिह्न आगे स्कूल है। चौथा चिह्न आगे गोल चक्कर है। महत्त्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या 1. प्रागैतिहासिक …………………. में आए। प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ में से अवतरित है। इसके लेखक ‘गुणाकर मुले’ जी हैं। लेखक ने यहाँ अक्षरों से पहले मनुष्य किस प्रकार अपने भावों को व्यक्त करता था, बताया है। व्याख्या- लेखक कहता है कि जब इतिहास नहीं लिखा जाता था उस समय मनुष्य अनेक प्रकार के चित्रों को चित्रित करके अपने भावों को व्यक्त करता था। इन चित्रों में विशेषतौर पर पशु-पक्षियों और व्यक्तियों के चित्र होते थे। इन चित्रों के बाद ही भाव संकेतों का आरंभ हुआ। मनुष्य विभिन्न प्रकार के भाव-संकेतों से अपने भावों को व्यक्त करने लगा। जैसे एक वृत्त बनाकर उसके चारों ओर किरणों का बोध कराने के लिए रेखाएँ खींच दी जाती थीं। इस प्रकार की रेखाओं वाला यह वृत्त सूर्य का चित्र बन गया। यह चित्र ही धूप एवं गर्मी को दर्शाने के लिए प्रयोग में आने लगा। इसके बाद और अनेक भाव संकेत अस्तित्व में आते रहे। 2. अक्षरों की ……………………. कहते हैं। प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘अक्षरों का महत्त्व’ से अवतरित है। इस गद्यांश में लेखक ‘गुणाकर मुले’ ने अक्षरों की खोज के बाद आए बदलाव का वर्णन किया है। व्याख्या- लेखक कहता है कि अक्षरों की खोज के बाद एक नए युग की शुरूआत हुई। इसके बाद ही मनुष्य अपने विचारों एवं हिसाब-किताब को सुरक्षित रखने लगा। अक्षरों के आ जाने से मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल हो गया। तब से ही मानव को सभ्यमानव कहा जाने लगा। मनुष्य सभी बातों को लिखकर सुरक्षित रखने लगा इसलिए तब से ही इतिहास शुरू होता है। अक्षरों की खोज होने से पहले का कोई इतिहास मालूम नहीं है। किसी भी जाति या देश का इतिहास तभी से आरंभ माना जाता है जब से उनका इतिहास लिखित रूप में मिलता है। मनुष्य का लिखित इतिहास छह हजार वर्षों से है। उससे पहले का मनुष्य या किसी सभ्यता का कोई इतिहास उपलब्ध नहीं है। जो कुछ पहले के बारे में कहते हैं वह केवल अनुमान पर ही आधारित है। इतिहास से पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ यानि इतिहास से पहले का काल कहते हैं। 3. अक्षरों की …………………… है भी। प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित पाठ ‘अक्षरों का महत्त्व’ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक ‘गुणाकर मुले’ जी हैं। लेखक ने यहाँ अक्षरों एवं उनसे बनी लिपि के महत्त्व के बारें में बताया है। व्याख्या- अक्षरों की खोज होने के बाद मानव सभ्यता के विकास में गति आ गई। अक्षरों की खोज ने मनुष्य को मनुष्य के काफी करीब ला दिया। वह अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। अब उसके विचारों से दूसरे लोग भी लाभान्वित होने लगे। एक पीढ़ी द्वारा संचित ज्ञान दूसरी पीढ़ी के काम आने लगा। अक्षरों की खोज के बाद मानव जाति का विकास बहुत ही तीव्र गति से होने लगा। आज हम जो कुछ भी देख रहे हैं वह सब अक्षरों की खोज का ही परिणाम है। अक्षरों और उनसे बनी हुई लिपियों के कारण क्रांतिकारी परिवर्तन हो गए। हम सबको अक्षरों की कहानी मालूम होनी चाहिए। अक्षर हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। आज हम जो कुछ पढ़ते हैं या लिखते हैं ये सभी अक्षर कब, कहाँ और किसने बनाए यह सब हमको मालूम होना ही चाहिए। अक्षर मानव सभ्यता के विकास का मूल है। अक्षरों के महत्त्व प्रश्न 1. प्रश्न 2. अक्षरों का महत्व Summaryकविता का सार पुस्तकें हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इनका हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। लेकिन सभी प्रकार की पुस्तकों का निर्माण अक्षरों से हुआ है। संसार में अब तक करोड़ों की संख्या में पुस्तकें छप चुकी हैं और हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। हजारों की संख्या में प्रतिदिन समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं छपती रहती हैं। इन सबके मूल में है अक्षर! हम कल्पना नहीं कर सकते कि यदि मानव को अक्षर ज्ञान न होता तो इस दुनिया का क्या हाल होता? कुछ लोगों का कहना है कि अक्षरों को हम अनादि काल से जानते हैं। कुछ कहते हैं कि अक्षरों का ज्ञान हमें ईश्वर से मिला है। पुराने समय के लोग सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। लेकिन आज हम जानते हैं अक्षरों की खोज ईश्वर ने नहीं, बल्कि आदमी ने स्वयं की है। लेकिन अब तो हम यह भी जानते हैं किन-किन अक्षरों की खोज किस देश में, किस समय हुई। हमारी पृथ्वी लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो तीन अरब साल तक पृथ्वी पर किसी प्रकार के जीव-जन्तु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज रहा होगा। पाँच लाख साल पहले ही इस धरती पर मानव ने जन्म लिया, फिर धीरे-धीरे उसका विकास हुआ। कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँव को बसाना शुरू किया। फिर वह धीरे-धीरे खेती करने लगा। वह पत्थरों के औजार बनाकर उनका प्रयोग करने लगा। उसने तांबे और कांसे के औज़ार भी बनाए। प्रागैतिहासिक काल का मानव पहले अपने भाव, विचार चित्रों के माध्यम से व्यक्त करता था। एक छोटे वृत्त के चारों ओर रेखाएँ खींचने पर सूर्य का चित्र बनने से उन्हें सूर्य ज्ञान हुआ। इस तरह के अनेक भाव संकेत अस्तित्व में नज़र आए। इसके बाद आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज हुए छह हजार साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरूआत हुई। अपने-अपने हिसाब को लिखकर रखने लगा। तब से मानव को सभ्य कहा जाने लगा। जब मानव ने लिखना प्रारम्भ किया तभी से इतिहास का प्रारम्भ हुआ। इससे पहले के काल को “प्रागैतिहासिक काल” यानी इतिहास से पहले का काल कहते हैं। अगर व्यक्ति अक्षरों की खोज नहीं करता तो आज हम इतिहास को न जान पाते और हम यह भी न जान पाते कि हजारों साल तक आदमी ने अपना जीवन कैसे व्यतीत किया। वह क्या-क्या सोचता था उसने क्या-क्या कार्य किये। अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है। वह अपने विचारों को लिखकर रखने लगा। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का प्रयोग दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज के बाद मानव जाति का तेजी से विकास हुआ। आज हम जिन अक्षरों को पढ़ते या लिखते हैं हमें उनकी कहानी मालूम होनी चाहिए कि वे कब, कहाँ और किसके द्वारा बनाए गए, यह जानना बहुत जरूरी है। अक्षरों की खोज का सिलसिला कब शुरू हुआ था?अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हज़ार साल पहले शुरू हुआ। अक्षर बनाने से पहले मनुष्य अपने भाव पशु, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के माध्यम से प्रकट करता था।
अक्षरों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?अक्षरों द्वारा लिखकर अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं और ध्वनियों द्वारा बोलकर। अक्षरों के बिना लिखा नहीं जा सकता और ध्वनियों के बिना बोलने की कल्पना नहीं की जा सकती है। अपनी भाषा की सार्थक ध्वनियों के उच्चारण द्वारा ही हम अपना भाव व्यक्त करते हैं। इसलिए अक्षर के समान ध्वनि भी महत्त्वपूर्ण है।
अक्षरों की खोज करने की आवश्यकता क्यों पड़ी होगी?अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा । इस प्रकार, एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हज़ार सालों में मानव जाति का तेज़ी से विकास हुआ।
अक्षरों का प्रयोग कहाँ कहाँ होता है?Solution : अक्षरों का प्रयोग पुस्तकें लिखने में होता है। आज तरह-तरह के अक्षरों में संसार में हजारों समाचार-पत्र तथा पुस्तकें छपती हैं । अक्षरों के प्रयोग से ही ज्ञान का प्रसार होता है।
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