अमेरिका के प्रसिद्ध नेता कौन थे? - amerika ke prasiddh neta kaun the?

अमेरिका के प्रसिद्ध नेता कौन थे? - amerika ke prasiddh neta kaun the?

विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दुनिया में अब भी कायम है। पीएम मोदी एक बार फिर 75 फीसदी अप्रूवल रेटिंग के साथ दुनिया के नेताओं से आगे निकल गए हैं। वैश्विक रेटिंग में शीर्ष पर हैं। मॉर्निंग कंसल्ट सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।

सर्वे के मुताबिक, पीएम मोदी के बाद मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर (63%) का नंबर आता है। ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बानीस (58 फीसदी) तीसरे, इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी 54 फीसदी अप्रूवल रेटिंग के साथ चौथे स्थान पर रहे।

22 विश्व नेताओं की सूची में स्वीडन की प्रधानमंत्री मेगदालेना एंडरसन को 50 फीसदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को 41 फीसदी रेटिंग मिली है। बाइडन के बाद कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो को 39 फीसदी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा 38 फीसदी रेटिंग मिली है।

मॉर्निंग कंसल्ट पॉलिटिकल इंटेलिजेंस वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, जर्मनी, भारत, मैक्सिको, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका में नेताओं और अनुमोदन रेटिंग पर नजर रख रहा है। इससे पहले नवंबर 2021 और जनवरी 2022 में दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेताओं की सूची में भी प्रधानमंत्री मोदी शीर्ष पर थे। यह मंच राजनीतिक चुनावों, निर्वाचित अधिकारियों और मतदान के मुद्दों पर रीयल-टाइम मतदान डेटा प्रदान करता है। मॉर्निंग कंसल्ट प्रतिदिन 20,000 से अधिक वैश्विक साक्षात्कार आयोजित करता है।

वैश्विक नेता और देश प्रक्षेपवक्र डेटा किसी दिए गए देश में सभी वयस्कों के सात-दिवसीय चलती औसत पर आधारित है। डेटा में +/- 1-4 प्रतिशत का अंतर आ सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में औसत सैंपल आकार लगभग 45,000 है। अन्य देशों में सैंपल साइज लगभग 500-5,000 के बीच भी होता है।

वयस्कों के राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि सैंपल्स के बीच सभी साक्षात्कार ऑनलाइन आयोजित किए जाते हैं। भारत में नमूना साक्षर आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। हर देश में उम्र, लिंग, क्षेत्र और कुछ देशों में आधिकारिक सरकारी स्रोतों व शिक्षा के आधार पर सर्वेक्षणों को महत्व दिया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वेक्षणों को नस्ल और जातीयता के आधार पर भी महत्व दिया जाता है। उत्तरदाता इन सर्वेक्षणों को अपने देशों के लिए उपयुक्त भाषाओं में पूरा करते हैं।

वॉशिंगटन। अमेरिका में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के 4 भारतीय-अमेरिकी नेता बुधवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाचित हुए और कई अन्य ने देशभर में मध्यावधि चुनाव में प्रांतीय विधानमंडलों के लिए जीत हासिल की। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए निर्वाचित भारतीय मूल के नेताओं में राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल शामिल हैं।
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी से नेता बने एवं डेमोक्रेटिक पार्टी से संबंधित श्री थानेदार रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार मार्टेल बिविंग्स को मात देते हुए मिशिगन से कांग्रेस (संसद) का चुनाव जीतने वाले पहले भारतीय अमेरिकी बने।

थानेदार (67 वर्ष) वर्तमान में मिशिगन हाउस में तीसरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं। इलिनॉइस के आठवें कांग्रेस जिले में 49 वर्षीय राजा कृष्णमूर्ति लगातार चौथे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित हुए। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार क्रिस डार्गिस को हराया।

सिलिकॉन वैली में, भारतीय-अमेरिकी रो खन्ना (46) ने कैलिफोर्निया के 17वें कांग्रेस जिले में रिपब्लिकन पार्टी उम्मीदवार रितेश टंडन को हराया। प्रतिनिधि सभा में एकमात्र भारतीय-अमेरिकी महिला सांसद, चेन्नई में जन्मी प्रमिला जयपाल ने वॉशिंगटन प्रांत के 7वें कांग्रेस जिले में अपने प्रतिद्वंद्वी क्लिफ मून को हराया।

खन्ना, कृष्णमूर्ति और जयपाल लगातार चौथे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे थे। भारतीय-अमेरिकी नेताओं में सबसे वरिष्ठ, अमी बेरा (57) कैलिफोर्निया के 7वें कांग्रेस जिले से प्रतिनिधि सभा में छठे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़े हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा होनी अभी बाकी है।

भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों ने प्रांतीय विधानमंडलों में भी सीटों पर कब्जा जमाया। मैरीलैंड में अरुणा मिलर ने लेफ्टिनेंट गवर्नर की दौड़ जीतने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी नेता बनकर इतिहास रचा। हालांकि भारतीय-अमेरिकी संदीप श्रीवास्तव टेक्सास के तीसरे कांग्रेस जिले से कॉलिन काउंटी के पूर्व न्यायाधीश कीथ सेल्फ से हार गए।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour

राजकुमार कुम्भज

अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव इस बरस नवम्बर में होना है और जैसाकि जाहिर है कि यह फैसला भी तभी आएगा कि अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए राज्यों से जो चुनाव नतीजे आ रहे हैं, उनसें तो अभी यही प्रतीत हो रहा है कि मुख्य मुकाबला हिलेरी क्लिंटन (डेमोक्रेटिक) और डोनाल्ड ट्रंप (रिपब्लिकन) के बीच ही रहेगा।


विश्व स्तर पर भी राजनीतिक चर्चाएं यही चल रही हैं, कि हिलेरी क्लिंटन अथवा डोनाल्ड ट्रंप में से ही कोई अमेरिका का अगला राष्ट्रपति हो सकता है। सी.एन.एन. की फेंगशुई भविष्यवक्ता का कहना है कि ट्रंप अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं, क्योंकि वर्ष 2016 ट्रंप का है और उनका साइ्रन अर्थडॉग है।

राष्ट्रपति पद के इस चुनाव में खासतौर से युवावर्ग की पहली पसंद हिलेरी क्लिंटन दिखाई दे रही हैं, जबकि अमेरिकी समाज का एक बड़ा वर्ग डोनाल्ड ट्रंप को बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति देखना चाहता है। अमेरिका का युवा मतदाता हिलेरी क्लिंटन को शांत, लेकिन एक प्रभावशाली नेता मानते हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप को आक्रामक, लेकिन शक्तिशाली अमेरिका के लिए एक जरूरी नेता स्वीकारते हैं। न्यू हेंपशायर के नतीजों ने हिलेरी को निराश किया।> > सीनेटर बर्नी सेंडर्स ने हिलेरी को बराबर की टक्कर दी, लेकिन हिलेरी ने खुले मंच पर होने वाली बहस में कोई आक्रोश अथवा उत्तेजना नहीं दिखाई। न तो उन्होंने सेंडर्स को गलत ठहराया, न ही कहीं अपनी आवाज ही ऊंची की। वे मुख्य बिंदुओं पर निरंतर बहस करती रहीं और निरंतर शांत बनी रहीं। अनुकूल नतीजे न आने के बावजूद प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं देने से, अमेरिका के युवा मतदाताओं में, हिलेरी की पहुंच और पसंद का विस्तार हुआ है। हालांकि कुछ दिन पहले हिलेरी ने सेंडर्स को धूर्त तक कह दिया था। 

हिलेरी क्लिंटन के इसी शांत स्वभाव और अमेरिका के मतदाताओं को आगामी चुनौतियों का सामना करने वाला विश्व-नेता दिखाई दे रहा है। अन्यथा नहीं है कि हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की विदेश मंत्री रह चुकी हैं और अब राष्ट्रपति पद के लिए अपनी रणनीतिक पहुंच बनाए रखने पर जोर दे रही हैं। इसलिए अब वे डेमोक्रेटिक होते हुए भी खुद को डेमोक्रेटिक समाजवादी कहलवाना पसंद करने लगी हैं और यही खुद को घोषित भी कर चुकी हैं। हिलेरी क्लिंटन में लोगों को बिल क्लिंटन का राजनीतिक अक्सर दिखाई देता है, लेकिन कभी-कभी बिल क्लिंटन का मोनिका लेबिस्की यौन-प्रकरण भी पीछा करने लगता है। 

बिल क्लिंटन की यौन-अय्याशियों का भूत, हिलेरी क्लिंटन के लिए बैचेनी पैदा करने वाला हो सकता है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही साथ राजनीतिक-प्रतिद्वंद्विता भी धीरे-धीरे चटखारों के चरम की ओर बढ़ने लगी है। दुनिया जानती है कि हिलेरी क्लिंटन बिल क्लिंटन की पत्नी है। दुनिया यह भी जानती है कि बिल क्लिंटन जब राष्ट्रपति थे तब व्हाइट हाऊस में मोनिका लेविंस्की भी बतौर इंटर्न काम कर रही थीं, किंतु दुनिया यह खासतौर से जानती है कि बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की की यौन-लिप्तता किस हद तक सार्वजनिक हुई थी ? मोनिका लेविंस्की ने तो बिल क्लिंटन पर मुख-मैथुन के आरोप लगाते हुए अदालत में बतौर प्रमाण, वीर्य सने वस्त्र तक प्रस्तुत कर दिए थे। बिल क्लिंटन का अतीत अब हिलेरी क्लिंटन के लिए खतरे की घंटी बन सकता है।

रिपब्लिकन पार्टी की ओर से हिलेरी क्लिंटन को घेरने की कोशिशों के ताजा क्रम में अमेंरिका के पूर्व राष्ट्रपति और हिलेरीपति बिल क्लिंटन के यौन-कांड को प्रमुख हथियार बनाया है। राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल डोनाल्ड ट्रंप ने उक्त कथित संबंधों की भूरि-भूरि जानकारी भरा अतिगोपनीय, अतिविश्वसनीय और अतिनिंदनीय वीडियो जारी किया है। नब्बे के दशक की विश्व-विख्यात यौन-अय्याशी, वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनाव में एक बार फिर बहुचर्चित हो रही है। बिल क्लिंटन का इतिहास हिलेरी क्लिंटन का वर्तमान बना-बिगाड़ सकता है। ऐसा नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप कोई अकेले अथवा एकमात्र प्राणी हैं और वे अमेरिकी-मतदाताओं के लिए कोई चटखारेदार दुर्लभ सामग्री खोज लाए हैं। अभी पिछले बरस ही बिल क्लिंटन के नाजायज यौनालापों पर एक किताब आई है, जिसके लेखक रोजर स्टोन हैं।
रोजर स्टोन कहते हैं कि ऐसी दो दर्जन महिलाओं को तो वो जानते भी है, जिनका बिल क्लिंटन ने समय-समय पर गलत इस्तेमाल किया। इनमें से कुछ महिलाएं तो अपने आरोपों के साथ अपनी पहचान तक उजागर करने के लिए तैयार हैं। ऐसी ही पीड़ित महिलाओं में से एक जुआनिटा ब्रोडरिक ने तो अभी कुछ दिन पहले ही ट्वीट करते हुए बिल क्लिंटन पर उनके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। यौनालापों की ऐसी कुख्यात घटनाएं हिलेरी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं।

बिल क्लिंटन के यौनालापों की ऐसी कुख्यात घटनाओं से पैदा होने वाली मुश्किलों के बावजूद हिलेरी क्लिंटन को अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा का अप्रत्यक्ष समर्थन मिला हुआ है, जबकि बराक ओबामा से नाखुश लोग डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक होते जा रहे हैं। अभी तक किसी भी सरकारी पद पर आसीन नहीं रहे अरबपति और रियालिटी टी.वी. स्टार डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति बराक ओबामा ने परोक्ष आलोचना करते हुए कहा है कि बड़बोले नेताओं को मुस्लिमों का अपमान करने की अनुमति देकर अमेरिका तरक्की नहीं कर सकता है।

ट्रंप ही वह बड़बोले नेता हैं, जिसने सेन बर्नारदिनों-आतंकवादी हमले के मद्देनजर मुस्लिमों के लिए अमेरिकी सीमाएं पूरी तरह बंद करने वाला चुनावी भाषण दिया था। ट्रंप के उक्त बयान से न सिर्फ़ अमेरिका में, बल्कि समूचे युरोप में असहजता देखी गई। यहां तक कि ट्रंप के ब्रिटेन-प्रवेश पर पाबंदी तक की चर्चा चली थी, हालांकि ब्रिटिश सांसदों ने तीन घंटे चली बहस के बाद उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिस पर पांच लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए थे।

ब्रिटिश कानून के मुताबिक किसी भी मुद्दे पर अगर एक लाख लोग अर्जी देते हैं, तो उस मुद्दे पर संसद में बहस होती है। बहस में ब्रिटिश सांसदों का पक्ष ट्रंप के प्रति बेहद आक्रमक रहा। उन्हें क्रेजी, विभाजनकारी, जीरो एजेंडा, ध्यान आकर्षित करने वाला और बड़बोला बताया गया। यहां तक कि लेबर पार्टी की सांसद ट्यूलिप सिद्धीक्‌ ने ट्रंप का ब्रिटेन-प्रवेश प्रतिबंधित किया जाना जरूरी बताते हुए कहा कि वह ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति हैं। उनकी भाषा मनोरंजक नहीं है। उनके शब्द मजाकिया नहीं हैं। वे निहायत ही अभद्र हैं और जहरीली बातें बोल रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप अपने मुस्लिम विरोधी बर्ताव पर अडिग हैं। यही नहीं राष्ट्रपति पद के दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना मुस्लिम विरोधी बयान देते हुए यहां तक जोड़ दिया कि आतंकी संगठन आई एस.आई.एस. के पैदा होने और पनपने के दोष में बराक ओबामा सहित हिलेरी क्लिंटन बराबरी की भागीदार हैं।

ट्रंप ने कहा है कि वे अपने उक्त बयान से न तो पीछे हटेंगे और नही अपने रुख की कोई समीक्षा ही करेंगे। अरबपति डोनाल्ड एक दशक से अधिक समय तक रियलिटी टी.वी. शो ''द एप्रेंटिस'' के होस्ट रह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप को भले ही बराक ओबामा पसंद नहीं करते हों, लेकिन बराक ओबामा से नाखुश लोग डोनाल्ड ट्रंप को बढ़-चढ़कर पसंद कर रहें हैं और बहुत संभव है कि बराक ओबामा से नाखुश लोग ही डोनाल्ड ट्रंप के बेहतर समर्थक साबित हों, जबकि अभी कुछ ही दिनों पूर्व ट्रंप को सारा पॉलिन का भी समर्थन मिल गया है।

सारा पॉलिन अलास्का की पूर्व गवर्नर और वर्ष 2008 में पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद की प्रमुख दावेदार रही हैं। सारा पॉलिन की दावेदारी को तब भारी समर्थन मिला था। ट्रंप को सारा पॉलिन से मिले समर्थन का फायदा मिल भी सकता है और नहीं भी। यह संशय इसलिए कि ट्रंप परंपरागत राजनीति के क्षेत्र की बजाए, निजी क्षेत्र से आते हैं, जबकि ट्रंप दावा करते हैं कि वे अपना भाषण खुद लिखते हैं, कि वे आज भी इतने समर्थ है कि देश में कहीं भी उड़कर जा सकते हैं और कि वे एक सतर्क नेता बन रहे हैं।

सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी ही नहीं, बल्कि समूचा अमेरिका अटकलें लगा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप देश का नेतृत्व कर सकते हैं या नहीं, क्योंकि उनके बोल-बचन गैर-परंपरागत, किंतु थोड़ी चुभन पैदा करते हैं। लीजिए, जरा मुलाहिजा फरमाइए। 

फॉक्स न्यूज की एंकर मेगिन केली को ''बिम्बो'' कहा (''बिम्बो'' का मतलब खूबसूरत लेकिन मूर्ख होता है)। यदि हिलेरी सोचती हैं कि वह मेरे खिलाफ महिला कार्ड खेलकर अपने पति के भयावह यौन-कांड से पीछा छुड़ा सकती हैं, तो वह गलत हैं। वर्ष 2008 में हिलेरी की मदद के लिए बिल क्लिंटन को लगाया गया था, तब वे बुरी तरह से असफल हुए थे और उन्हें नस्लवादी तक कहा गया।
 

राष्ट्रपति बनते ही वे आई.एस. इस्लामिक स्टेट का सर कलम कर देंगे और उसके कब्जे वाले तमाम तेल भंडार पर कब्जा कर लेंगे (अभी यह काम पांचों महाशक्तियां मिलकर भी नहीं कर पा रही हैं। हम अमेरिका को फिर से महान और शक्तिशाली बना देंगे (दुनिया के हर किसी देश में अपने सैन्य-अड्डे बनाकर और हथियार बेचकर)

अगर मैं बीच चौराहे पर खड़े होकर किसी को गोली मार दूं तो भी मेरा वोटर मुझसे अलग नहीं होगा (अमेरिकी संविधान के संशोधन-2 में प्रत्येक अमेरिकी को बंदूक रखने का अधिकार दिया गया है। प्रत्येक अमेरिकी ट्रंप के पदचिन्हों पर चलेगा) वर्ष 2008 में ओबामा के मुकाबले हिलेरी इसलिए पिछड़ गई थीं, क्योंकि उन्होंने बहस के दौरान 'बाथरूम ब्रेक' लिया था, बहस के दौरान 'बाथरूम ब्रेक' लेना एक घिनौना काम था (ट्रंप की यह टिप्पणी ट्रंप को स्त्री-विरोधी साबित करने के लिए पर्याप्त है)

सेन डिएगो में डिस्ट्रिक्ट जज गोंजालो कुरियल की अदालत में पिछले पांच बरस से ट्रंप पर सांप का तेल बेचकर उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी के आरोप का मुकदमा चल रहा है। ट्रंप के मुताबिक उक्त उत्पाद फलों का मिलावटी ज्यूस है (मुकदमे की सुनवाई के दौरान उक्त उत्पाद को लगातार कोबरा सेक्सुअल एनर्जी सप्लीमेंट कहा जा रहा है)

अमेरिकी समाज का एक बड़ा वर्ग डोनाल्ड ट्रंप को इसलिए पसंद करता है कि वे अमेरिका को बंदूक के बल पर महान और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जबकि हिलेरी क्लिंटन बंदूकों पर नियंत्रण करने का वादा करती हैं। हिलेरी क्लिंटन परंपरागत राजनीति के क्षेत्र से आती हैं, जबकि ट्रंप एक अरबपति हैं और मनोरंजन के निजी क्षेत्र से आते हैं। सवाल यही है कि ट्रंप राजनीतिक-चालबाजियों का मुकाबला कैसे व कैसा कर पायेंगे? चुनौतियां दोनों का मुंह चिढ़ा रही हैं।