अस्पताल में कौन कौन से काम होते हैं? - aspataal mein kaun kaun se kaam hote hain?

\BSudama.Yadav\ \B

\Bनई दिल्ली : एमसीडी अस्पतालों के डॉक्टर्स, नर्स और कर्मचारियों की हड़ताल की समस्या का समाधान आसान नहीं। एमसीडी के पास इतने पैसे नहीं हैं कि कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके। एमसीडी के पांच प्रमुख अस्पतालों में डॉक्टर्स, नर्स व अन्य स्टाफ को मिलाकर 4741 कर्मचारी हैं। इनकी सैलरी पर सालाना खर्च करीब 600 करोड़ रुपये है। दवाइयां और मेडिकल इक्विपमेंट की खरीदारी पर होनेवाला खर्च अलग है। नॉर्थ एमसीडी को प्रॉपर्टी टैक्स से जितने पैसे मिलते हैं, वह पूरा पैसा भी स्टाफ के वेतन पर खर्च कर दिया जाए, तब भी पूरा वेतन नहीं दिया जा सकता। ऐसे में इस समस्या का फिलहाल कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। मरीजों को इसी तरह से परेशान होना पड़ेगा।

नॉर्थ एमसीडी में हिंदूराव, कस्तूरबा गांधी, राजन बाबू टीबी हॉस्पिटल, गिरधारी लाल मैटरनिटी हॉस्पिटल, महर्षि वाल्मीकि और बालकराम ये पांच बड़े अस्पताल हैं। इनमें ग्रुप ए,बी, सी, डी को मिलाकर करीब नियमित 3611 और कॉन्ट्रैक्ट पर 1130 कर्मचारी हैं। कुल 4741 कर्मचारी हैं, जिनकी सैलरी पर हर साल करीब 600 करोड़ रुपये का खर्च आता है। लेकिन न तो इतने पैसे एमसीडी के पास हैं और न ही स्टाफ की सैलरी समय पर मिल पा रही है। पिछले तीन सालों में नॉर्थ एमसीडी ने अस्पताल स्टाफ की सैलरी पर 1222.29 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें साल 2014-15 में 406.05 करोड़, साल 2015-16 में 391.31 करोड़ और साल 2016-17 में 424.93 करोड़ शामिल हैं। साल 2017-18 में सैलरी पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। एमसीडी अफसरों का कहना है कि अस्पताल सर्विसेज एमसीडी पर एक अलग से बोझ हैं। फंड न होने के कारण एक तो स्टाफ को समय पर वेतन नहीं मिल पाता और वे हड़ताल करते हैं। दूसरा, फंड के अभाव में मेडिकल इक्विपमेंट और दवाइयां समय पर नहीं आतीं और मरीजों को नहीं मिलती। इससे उन्हें भी परेशानी हैं।

\Bक्या कहते हैं एमसीडी अधिकारी

\Bनॉर्थ एमसीडी के एक सीनियर अफसर के अनुसार, अस्पताल के स्टाफ की सैलरी देने के लिए दिल्ली सरकार के फाइनेंस सेक्रेटरी को कई बार पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन, पैसे नहीं मिल रहे हैं। इसलिए सैलरी देने में देरी हो गई है। जबतक दिल्ली सरकार से पैसे नहीं मिलते हैं, तबतक यह समस्या हल नहीं होने वाली।

अस्पतालों में बेड

\Bअस्पताल बेड

\Bहिंदूराव 980

कस्तूरबा गांधी मैटरनिटी हॉस्पिटल 450

राजन बाबू टीबी अस्पताल 1155

गिरधारी लाल मैटरनिटी हॉस्पिटल 97

महर्षि वाल्मीकि 227

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वर्तमान स्थितियों को देखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में करियर विकल्पों को तलाशना ना सिर्फ भविष्य के लिए लाभदायी है, बल्कि सार्थकता का अनुभव देने वाला करियर विकल्प भी है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट अवसरों से भरपूर क्षेत्र है। 
हॉस्पिटल मैनेजमेंट का करियर हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन या हेल्थकेयर मैनेजमेंट के नाम से भी जाना जाता है। मैनेजमेंट के कोर्सेज में यह तुलनात्मक रूप से नया क्षेत्र है। इन दिनों महामारी के संदर्भ में वर्तमान हेल्थकेयर सेक्टर की जरूरतें इस करियर विकल्प के महत्व को समझाने के लिए काफी हैं। हेल्थ केयर से संबंधित अध्ययन और शोधों का मानना है कि आने वाले समय में ऐसी समस्याओं के लिए हमें बेहतर तरीके से तैयार होना होगा। स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना एक अहम काम है और उन्हें वक्त के साथ सुनियोजित ढंग से उन्नत और आधुनिक बनाते जाना भी जरूरी है। इन सभी कामों के लिए हेल्थकेयर मैनेजर्स की आवश्यकता पड़ती है।  

क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ष 2020 की शुरुआत में पंद्रहवें फाइनेंस कमीशन द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय कमेटी ने भी हेल्थकेयर सेक्टर में आने वाले पांच सालों में 3000 से 5000 के लगभग छोटे स्तर के निजी अस्पतालों के खोले जाने का सुझाव दिया था। प्राइसवाटरहाउस कूपर की महामारी से पहले आई रिपोर्ट कहती है कि भारत को 3.5 मिलियन हॉस्पिटल बेड्स की आवश्यकता होगी 2034 तक। यह सामान्य दिनों को देखते हुए बनाई गई रिपोर्ट थी। आज महामारी की आकस्मिक स्थिति में बढ़ी हुई जरूरत का अंदाजा आप लगा सकते हैं। भारत सरकार की आयुष्मान भारत स्कीम के अनुसार, आने वाले 2025 तक भारत को साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा बेड्स की आवश्यकता होगी। जाहिर है कि ऐसी जरूरतों के लिए सही प्रबंधन करने वाले कुशल युवाओं की उसी अनुपात में जरूरत पैदा होगी। 

क्या होगा काम
हेल्थ केयर एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट हॉस्पिटल मैनेजमेंट के अंतर्गत ही आता है। अस्पताल प्रबंधक अस्पताल से संबंधित सभी व्यवस्थाओं पर पैनी नजर बनाए रखता है, ताकि संसाधनों का समुचित और बेहतर इस्तेमाल हो व इलाज के लिए आने वालों को सेवा प्रदान करने का कुशल तंत्र विकसित हो। इनके अंतर्गत अस्पताल से अच्छे से अच्छे डॉक्टरों को जोड़ना, नए-नए उपकरणों और तकनीक की व्यवस्था करना आदि सब आता है। यहां तक कि हॉस्पिटल में कोई हादसा होता है तो उसकी जवाबदेही का जिम्मा भी इन्हीं प्रोफेशनल्स का होता है। अस्पताल की वित्तीय व्यवस्था, कर्मचारियों की सुविधा आदि कार्य भी उन्हें करने होते हैं। एक संस्थान द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि आने वाले समय में 10 लाख से कहीं ज्यादा हॉस्पिटल मैनेजर्स की आवश्यकता होगी।  

एमबीए कोर्स को दें वरीयता
इस क्षेत्र में एमबीए की डिग्री आपको एक शानदार भविष्य देगी। कैट, मैट, जीमैट, सीमैट जैसी प्रवेश परीक्षाओं के बाद आप अच्छे संस्थान से कोर्स चुनें। इसके बाद आपको एंट्री लेवल या मिड लेयर पदों पर नियुक्ति मिलेगी। 

कोर्स में प्रवेश की शर्तें
बैचलर्स इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री में प्रवेश पाने के लिए 12वीं में साइंस स्ट्रीम से बायोलॉजी के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य हैं। कई यूनिवर्सिटी में ग्रुप डिस्कशन तथा इंटरव्यू के आधार पर भी चयन किया जाता है। जो लोग गैर मेडिकल फील्ड से हैं, वो भी इस कोर्स से जुड़ सकते हैं। मास्टर इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन (एमएचए) में किसी भी संकाय की बैचलर डिग्री के बाद एडमिशन मिल सकता है। इसके लिए प्रवेश परीक्षा देनी होगी। 

क्या हैं कोर्स
अगर आपकी  मेडिकल फील्ड  में रुचि है, तो आपके लिए यह कोर्स बहुत अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।  इस क्षेत्र  में प्रवेश करने के लिए  मुख्यत: प्रोफेशनल कोर्स, बैचलर ऑफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट होता है, जिसकी समयावधि 3  साल होती है। मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन और एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन  करने के लिए दो साल की अवधि निर्धारित है। इसके चार सेमेस्टर होते हैं । 
डॉक्टोरल डिग्री एमडी/एमफिल भी कर सकते हैं, जिसके  लिए मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिग्री होना अनिवार्य  है। ईएमबीए, पीजीडीएचएम तथा एडीएचएम जैसे कोर्सेज की समय  अवधि एक साल सुनिश्चित है। शॉर्ट टर्म से संबंधित सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स भी इसमें उपलब्ध हैं। लेकिन डिग्री कोर्स को वरीयता दें।  

कुछ संस्थानों, जैसे एम्स और एएफएमसी जैसे चर्चित संस्थानों में पीजी कोर्स में केवल उन छात्रों को ही मौका मिल पाता है, जिन्होंने एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर ली होती है। इसके अलावा यदि आप  डिस्टेंस लर्निग के इच्छुक हैं तो भी इसमें कोर्स उपलब्ध हैं।   

जॉब प्रोफ़ाइल
- अनुभवी लोगों के लिए मेडिकल कॉलेजों के डीन और निदेशक तक की संभावनाएं खुली होती हैं। 
- शुरुआत में ब्लड बैंक एडमिनिस्ट्रेटर, मेडिकल एंड हेल्थ सर्विस मैनेजर आदि के पदों पर नियुक्तियां मिलती हैं। 
- हेल्थकेयर फाइनेंस मैनेजर्स मेडिकल संस्थान की वित्तीय योजना, प्रबंधन आदि देखते हैं। 
- हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर, हॉस्पिटल  के सेवा संचालन को देखते हैं। एचआर रिक्रूटमेंट का काम भी मिल सकता है। 

जरूरी स्किल्स व चुनौतियां
जरूरी है कि उम्मीदवार त्वरित निर्णय लेने में कुशल हो। यह प्रबंधन का क्षेत्र है, इसलिए आपकी बॉडी लैंग्वेज और बातचीत का कौशल अच्छा होना चाहिए। तनाव में अच्छा काम करके दिखाना भी आना चाहिए।  मेडिकल फील्ड में हो रहे बदलावों से अपडेट रहना भी जरूरी होगा। किसी इमरजेंसी स्थिति के लिए भी सदैव तैयार रहना होगा। और बिना विश्राम लिए कई दिनों तक भी काम करना पड़ सकता है। कार्य की गंभीरता का दबाव भी होता है। 

नौकरी के अवसर  
इस कोर्स को करने के बाद आप सरकारी या निजी, किसी भी तरह के संस्थान में काम कर सकते हैं। चाहे तो हॉस्पिटल सेक्टर, इंटरनेशनल और डोमेस्टिक हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी, नर्सिंग होम आदि में नियुक्ति हो सकती है। अपोलो, वॉकहार्ट, मैक्स, फोर्टिस, टाटा, डंकन, विप्रो, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड, अपोलो हेल्थ केयर जैसी कंपनियों से भी जुड़ सकते हैं। फ्रेशर बतौर असिस्टेंट हॉस्पिटल मैनेजर करियर शुरू कर सकते हैं। 

वेतन
इस क्षेत्र में आकर्षक सैलरी के साथ-साथ  आपको लोगों की सेवा करने का मौका भी मिलता है। सरकारी संस्थानों में वेतन मानकों के अनुसार मिलता है लेकिन निजी संस्थानों में आप शुरुआती समय में 30  हजार से 40 हजार रुपए महीना तक कमा सकते हैं। लेकिन यह  कंपनी के कद और आपकी योग्यता से तय किया जाता है। आपके अनुभव के साथ-साथ  वेतन  में भी बढ़ोतरी होती है।

प्रमुख संस्थान
-एम्स, नई दिल्ली 
-अपोलो इंस्टीट्य़ूट ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, हैदराबाद
-आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज, पुणे
-देवी अहिल्या विश्वविद्यालया, इंदौर  
-इंडियन इंस्टीट्य़ूट ऑफ सोशल वेलफेयर और मैनेजमेंट, कोलकाता
-टाटा इंस्टीट्य़ूट ऑफ सोशल  साइंसेज, मुंबई

एक्सपर्ट की राय 
अस्पताल प्रबंधन में करियर उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प साबित होता है, जो मेडिकल फील्ड से होते हैं और उपयुक्त योग्यता के साथ प्रशासनिक योग्यता रखते हैं। इस इंडस्ट्री में खुद को सफल तरीके से स्थापित करने के लिए डिप्लोमा या क्रैश कोर्स पर्याप्त नहीं हंै। देश में अभी बहुत से हॉस्पिटल्स की जरूरत बनी हुई है, जिस वजह से आने वाले कई सालों तक इस क्षेत्र में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं। आने वाले वर्षों में सरकारी व निजी सेक्टर  में इस प्रोफेशन के जानकारों की काफी डिमांड होगी। 
-तेजेंदर पाल सिंह गुलाटी, करियर काउंसलर

अस्पताल उनके कार्य क्या है?

चिकित्सालय या अस्पताल स्वास्थ्य की देखभाल करने की संस्था है। इसमें विशिष्टताप्राप्त चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ के द्वारा तथा विभिन्न प्रकार के उपकरणों की सहायता से रोगियों का निदान एवं चिकित्सा की जाती है

अस्पताल कितने प्रकार के होते हैं?

Expert-Verified Answer.
भारत में निम्नलिखित प्रकार के अस्पताल होते है.
सरकारी अस्पताल.
निजी अस्पताल.
विशिष्ट अस्पताल.

हॉस्पिटल सेटिंग में कौन काम करता है?

डॉक्टर आपके चिकित्सा उपचार का आकलन और प्रबंधन करते हैं। नर्सें निरंतर देखभाल प्रदान करती हैं। संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर निदान और उपचार में मदद करने के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं, और पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया के दौरान आपकी सहायता करते हैं। सहायक और प्रशासनिक कर्मचारी अस्पताल के दिन-प्रतिदिन के संचालन में सहायता के लिए काम करते हैं।

हॉस्पिटल में हाईएस्ट पोजीशन क्या है?

मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अस्पताल या अस्पताल प्रणाली में उच्चतम स्तर की प्रबंधन स्थिति है। अस्पताल के सीईओ के पास आधुनिक रोगी देखभाल सुविधा की जटिलताओं को प्रबंधित करने और निर्देशित करने के लिए योग्यता और कौशल होना चाहिए।