भाई दूज का व्रत कैसे खोला जाता है - bhaee dooj ka vrat kaise khola jaata hai

सनातन धर्म में रक्षाबंधन की ही तरह भाई दूज के पर्व को भी महत्‍ता दी गई। दीपावली के दो दिन बाद यानि कि कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की द्वितीय तिथ‍ि को मनाए जाने वाले इस पर्व का बहन-भाईयों को बड़ी उत्‍सुकता से इंतजार रहता है। बहनें जहां इस दिन अपने भाईयों की लंबी उम्र की कामना से पूजा करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को उनका साथ निभाने का न सिर्फ वचन देते हैं बल्कि तोहफे देकर उनके चेहरों पर भी मुस्‍कान बिखरते हैं। इसका यह आशय होता है कि उनकी बहनों का जीवन सदैव सुख-समृद्धि से भरा रहे और वह हमेशा हंसती- मुस्‍कुराती रहें। इस बार यह व्रत 29 अक्‍टूबर यानि आज मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं कि क्‍या है भाई दूज पर्व की पूजा विधि…

भाई दूज का व्रत कैसे खोला जाता है - bhaee dooj ka vrat kaise khola jaata hai

ऐसे करें भाई दूज व्रत की शुरुआत

भाई दूज के दिन बहनों को सुबह-सवेरे स्‍नान करके यम देवता की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्‍य दें। विद्वानों के अनुसार यम की पूजा करते समय यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे यमदेव आप मेरे भाई को लंबी आयु का वरदान दें।

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भाई दूज का व्रत कैसे खोला जाता है - bhaee dooj ka vrat kaise khola jaata hai

शुभ मुहूर्त में ही करें पूजा

भाई दूज की पूजा हमेशा मुहूर्त देखकर ही करनी चाहिए। सबसे पहले भाई को किसी चौकी या पटरी पर बिठाएं फिर भाई को रोली और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद भाई को कलावा बांधें फिर भाई को मिठाई खिलाएं। ऐसा करने के बाद यम देवता से प्रार्थना करें कि वह आपके भाई को लंबी उम्र दे। साथ ही आप दोनों के रिश्‍ते में एक-दूसरे के प्रति ढेर सारा आदर, प्‍यार और सम्‍मान बनाए रखे। इसके बाद भाईयों को अपनी बहन को शगुन देना चाहिए।

भाई दूज का व्रत कैसे खोला जाता है - bhaee dooj ka vrat kaise khola jaata hai

यह भी मानते हैं शुभ

भाई दूज के दिन यमुना में स्‍नान करना बेहद शुभ माना जाता है। इसका कारण यह है कि यम देवता और यमुना भाई-बहन हैं और यमुना ने ही सबसे पहले इस व्रत की शुरुआत की थी। उन्‍होंने ही यम देवता से यह वरदान पाया था कि जो भी बहन कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की द्वितीया का यह पावन व्रत करके भाई को तिलक करेगी, उसे यमराज का भय नहीं सताएगा।

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भैया दूज का त्योहार यमुना और उनके भाई यमराज पर आधारित है। बहनें भाइयों के लिए यमराज से लंबी आयु का वरदान मांगती हैं।

भाई दूज या भैया दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। दिवाली के दो दिन बाद होने वाला इस पर्व को बहन भाई के प्रेम का प्रतीक माना गया है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं। भैय्या दूज पर बहनें अपने भाइयों को टीका करके उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। इस बार भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 बजे से 03:26 बजे तक रहेगा। जानिए भाई दूज की पूजा विधि और कथा…

भाई दूज पूजा विधि : (Bhaiya Dooj, Bhai Dooj Puja Vidhi)

इस दिन भाई बहन को यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि यमुना मृत्यु देवता यम की बहन मानी जाती है। लेकिन अगर यमुना में स्नान कर पाना संभव न हो तो घर पर सुबह उठकर स्नान कर तैयार हो जाएं। सबसे पहले बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। इसके बाद बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती हैं। फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती हैं। फिर भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।

भाई दूज की कथा : सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर माँगने को कहा।
ब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज ‘तथास्तु’ कहकर यमपुरी चले गए।

ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।

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कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह दीपावली के पांच दिवसीय महोत्सव का अंतिम दिन होता है। इस दिन यमराज और चित्रगुप्त की पूजा होती है। इसी दिन बहन अपने भाई को अपने घर आमंत्रित करके भोजन कराने के बाद तिलक लगाकर खुश करती हैं। इस बार यह त्योहार 26 अक्टूबर 2022 को मनाया जाएगा। आओ इस त्योहार को मनाने के सरल तरीके जानते हैं।

1. इस दिन बहनें प्रात: स्नान कर, अपने ईष्ट देव और विष्णु एवं गणेशजी का व्रत-पूजन करें। फिर चावल के आटे से चौक तैयार करने के बाद इस चौक पर भाई को बैठाएं और उनके हाथों की पूजा करें।

2. फिर भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं, उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। फिर हाथों में कलवा बांधे। कहीं-कहीं पर इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाइयों में कलावा बांधती हैं। इसके बाद माखन-मिश्री से भाई का मुंह मीठा करें। फिर भोजन कराएं।

3. इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी भेंट करते हैं।

भाई दूज का व्रत कैसे खोला जाता है - bhaee dooj ka vrat kaise khola jaata hai

4. अंत में संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीये का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें।

5. मान्यता है कि इस दिन बहनें आसमान में उड़ती हुई चील देखकर अपने भाईयों की लंबी आयु के लिए जो प्रार्थना करती हैं, वह पूर्ण हो जाती है और साथ ही वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।

6. इसके साथ ही इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान कर इसके तट पर यम और यमुना का पूजन करते हैं जिससे दोनों ही अकाल मृत्यु से छुटकारा पाकर सुखपूर्वक जीवनयापन करते हैं।

भाई दूज का व्रत कब खोलते हैं?

मगर पंडित प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि भाई दूज 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट के बाद से लेकर 27 अक्टूबर को 12 बजकर 45 मिनट तक मनाया जा सकता है. जो बहनें और भाई 3 बजे तक व्रत रख सकते हैं, वो 26 अक्टूबर यानी आज भैया दूज मनाएं.

भाई दूज के व्रत में क्या खाना चाहिए?

कुछ लोग 26 अक्टूबर को तो कुछ लोग 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने की बात कह रहे हैं. भाई दूज के दिन बहनों को भाई का तिलक करने से पहले कुछ भी खाना नहीं खाना चाहिए. भाई दूज के दिन बहनों को अपने भाई की पसंद का ही खाना बनाना चाहिए. भाई दूज के दिन अपने भाई का तिलक करके उसे मीठा खिलाना चाहिए.

भाई दूज की पूजा कैसे की जाती है?

भाई दूज की पूजा विधि शुभ मुहूर्त में ही भाई की पूजा करनी चाहिए. भाई को एक चौकी पर बिठाएं और उसका तिलक करें और अक्षत लगाएं. टीका करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- 'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्‍ण को, गंगा-यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े.

भाई दूज का शुभ मुहूर्त कब है 2022?

भाई दूज 2022 तिथि कब से कब तक हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 और 27 अक्तूबर दो दिन पड़ रही है। जिसके कारण भाई दूज को लेकर मतभेद है। पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि,आज यानी 26 अक्तूबर को दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो जाएगी।