भारत की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार चुनौतियाँ
गौरतलब है कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के तत्त्वधानों में वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन की (World Trade Organization’s - WTO) स्थापना की गई| उन्होंने अमेरिकी हितों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 1947 से चली आ रही बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली जीएटीटी (General Agreement on Tariffs and Trade) का विस्तार करते हुए, इस व्यवस्था को डब्लूटीओ के रूप में लागू करने का विचार प्रस्तुत किया| परन्तु अब समय बदल गया है तथा इस बदले परिदृश्य में अमेरिका की कमान डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों में है| ऐसे में हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन तथा वर्तमान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं| Show प्रमुख बिंदु
भारतीय परिदृश्य
अंतत: यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में अपनी महत्ता एवं प्रभुत्व को स्थापित करना चाहता है तो उसे इन गतिरोधों का समाधान करने के लिये विश्व व्यापार संगठन के भीतर तथा बाहर कार्य करके कृषि सब्सिडियों और पेशेवरों के मुक्त आवगमन (जो इसकी प्रासंगिकता को समाप्त कर रहे हैं अथवा करना चाहते हैं) जैसे परिवर्तनों तथा इससे संबद्ध चुनौतियों का न केवल सामना करना होगा, बल्कि इसके लिये आवश्यक कार्यवाहियों को भी वास्तविक जामा पहनना होगा| अंतरराष्ट्रीय व्यापार क्या है लिखिए?अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रों के आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।. अधिकांश देशों में, यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के महत्त्वपूर्ण अंश का प्रतिनिधित्व करता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार का क्या महत्व है?व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ग्राहकों को कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैलता है, जिससे आप दुनिया भर में बढ़ सकते हैं। वैश्विक बाजार आपको राजस्व के नए स्रोत तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो आपके व्यवसाय को अधिक वित्तीय क्षमता दे सकता है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार के होते हैं?चार प्रकार के अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय शुरू हो सकते हैं: 1. निर्यात 2. लाइसेंसिंग 3. फ़्रैंचाइजिंग 4.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लाभ क्या है?अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व/लाभ. श्रम विभाजन तथा विशिष्टीकरण के लाभ ... . साधनों का पूर्ण उपयोग ... . उत्पादन कुशलता मे वृद्धि ... . संकटकाल मे सहायता ... . रोगजार तथा आय मे वृद्धि ... . एकाधिकारों पर रोक ... . उपभोक्ताओं को लाभ ... . मूल्यों मे समता. |