भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष कौन थी? - bhaarateey raashtreey kaangres kee pahalee bhaarateey mahila adhyaksh kaun thee?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।[6] इसके संस्थापकों में ए॰ ओ॰ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे।[7] 19वीं सदी के आखिर में और शुरूआत से लेकर मध्य 20वीं सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने 1.5 करोड़ से अधिक सदस्यों और 7 करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केंद्रीय भागीदार बनी।

1947 में स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर 2014 तक, 16 आम चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता है और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल 49 वर्षों तक वह केंद्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (1947-64), लाल बहादुर शास्त्री (1964-66), इंदिरा गांधी (1966-77,1980-84) राजीव गांधी (1984-89) पी.वी. नरसिम्हा राव (1991-96) और मनमोहन सिंह (2004-2014) थे। 2014 के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और 543 सदस्यीय लोक सभा में केवल 44 सीट जीती। तब से लेकर अब तक कांग्रेस कई विवादों में घिरी हुई है।

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का इतिहास दो विभिन्न काल से गुज़रता हैं।

  • भारतीय स्वतंत्रता से पूर्व - जब यह पार्टी स्वतंत्रता अभियान की संयुक्त संगठन थी।
  • भारतीय स्वतंत्रता के बाद - जब यह पार्टी भारतीय राजनीति में प्रमुख स्थान पर विद्यमान रही हैं।

कांग्रेस की स्थापना के पूर्व स्थापित राजनीतिक संगठन[संपादित करें]

संगठनसंस्थापकवर्षस्थानलैंडहोल्डर्स सोसाइटी (ज़मींदारी एसोसिएशन)द्वारकानाथ ठाकुर1838कलकत्ताबंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटीजॉर्ज थॉमसन1843कलकत्ताब्रिटिश इंडिया एसोसिएशनद्वारकानाथ ठाकुर1851कलकत्तामद्रास नेटिव एसोसिएशनगज़ुलु लक्ष्मीनारसु चेट्टी1849मद्रासबॉम्बे एसोसिएशनजगन्नाथ शंकशेत1852बॉम्बेईस्ट इंडिया एसोसिएशनदादाभाई नौरजी1866लंदननेशनल इंडियन एसोसिएशनमैरी कारपेंटर1867लंदनपूना सार्वजनिक सभान्यायमूर्ति रानाडे1870पूनाभारतीय समाजआनंद मोहन बोस1872लंदनइंडियन लीगशिशिर कुमार घोष1875कलकत्ताइंडियन एसोसिएशनसुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस1876कलकत्ताभारतीय राष्ट्रीय सम्मेलनसुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस1883कलकत्तामद्रास महाजन सभाजी एस अय्यर, एम वीरराघवचारी, आनंद चार्लू1884मद्रासबॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशनफिरोज शाह मेहता, केटी तलांग, बदरुद्दीन तैयबजी1885बॉम्बे

स्थापना

काँग्रेस की स्थापना के समय सन् 1885 का चित्र

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बंबई (मुंबई) के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था। अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था। इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे। काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था।[8]

प्रारम्भिक वर्ष

1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे - गरम दल एवं नरम दल। गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे। गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग कर रहा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकिय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।

काँग्रेस एक जन आंदोलन के रूप में

परन्तु १९१५ में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया। चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली। १९१९ में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी जी काँग्रेस के महासचिव बने। उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी। तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस आदि शामिल थे। गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई एवं कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ। काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत, पर्दाप्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।[9]

राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए काँग्रेस को धन की कमी का सामना करना पड़ता था। गाँधीजी ने एक करोड़ रुपये से अधिक का धन जमा किया और इसे बाल गंगाधर तिलकके स्मरणार्थ तिलक स्वराज कोष का नाम दिया। ४ आना का नाममात्र सदस्यता शुल्क भी शुरू किया गया था।[10][11]

1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस भारत के मुख्य राजनैतिक दलों में से एक रही है। इस दल के कई प्रमुख नेता भारत के प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री,पण्डित नेहरू की पुत्री इन्दिरा गाँधी एवं उनके नाती राजीव गाँधी इसी दल से थे। राजीव गाँधी के बाद सीताराम केसरी काँग्रेस के अध्यक्ष बने जिन्हे सोनिया गाँधी के समर्थकों ने नामंजूर कर दिया तथा सोनिया गाँधी को हाईकमान बनाया, राजीव गाँधी की पत्नी सोनिया गाँधी काँग्रेस की अध्यक्ष तथा यूपीए की चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। कपिल सिब्बल, काँग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह, अहमद पटेल, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राशिद अल्वी, राज बब्बर, मनीष तिवारी आदि काँग्रेस के वरिष्ट नेता हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह भी काँग्रेस से ताल्लुक रखते हैं।

नेहरू/शास्त्री युग

इंदिरा युग

राजीव गाँधी और राव युग

वर्तमान संरचना तथा परिवारवाद[संपादित करें]

वंशवाद भी देखें

सन 1924 में जब महात्मा गाँधी काँग्रेस के अध्यक्ष बने तब उन्होने इसकी संरचना को एक पदानुक्रमी रूप (hierarchical) प्रदान किया।[12][13]

वर्षस्थानअध्यक्षटिप्पणी1885मुंबईव्योमेश चन्द्रबनर्जी72 प्रतिनिधि उपस्थित थे।1886कलकत्तादादाभाई नौरोजीप्रतिनिधियों की संख्या बढकर 436 हो गई।1887मद्राससैयद बद्रूद्दीन तैयबजीप्रथम मुस्लिम अध्यक्ष1888इलाहाबादजॉर्ज यूलप्रथम अंग्रेज अध्यक्ष1889मुंबईसर विलियम वेदरबर्नप्रतिनिधियों की संख्या 1889 हो गई।1890कलकत्ताफिरोजशाह मेहता1891नागपुरआनन्दचार्लु1892इलाहाबादव्योमेश चंद्र बनर्जी1893लाहौरदादाभाई नौरोजी1894मद्रासए.वेब1895पुणेसुरेन्द्रनाथ बनर्जी1896कलकत्ताएम.रहीमतुल्ला सयानीपहली बार राष्ट्रीय गीत गाया गया था1897अमरावतीसी.शंकर नायर1898मद्रासआनंद मोहन बोस1899लखनऊरोमेश चंद्र बोस1900लाहौरएन.जी. चंदूनरकर1901कलकत्ताई.दिंशा वाचा1902अहमदाबादसुरेन्द्रनाथ बनर्जी1903मद्रासलालमोहन बोस1904मुंबईसर हेनरी कॉटन1905बनारसगोपाल कृष्ण गोखले1906कलकत्तादादाभाई नौरोजी'स्वराज्य' शब्द का प्रथम बार प्रयोग अध्यक्ष द्वारा किया गया। मुस्लिम लीग की स्थापना1907सूरतरासबिहारी घोषकांग्रेस का विभाजन एवं सत्र की समाप्ति।1908मद्रासरासबिाहरी घोषकांग्रेस के लिये एक संविधान।1909लाहौरमदनमोहन मालवीय1910इलाहाबादसर विलियम वेदरबर्न1911कलकत्ताबिसन नारायण धर1912पटनाआर.एन. मुधालकर1913कराचीसैयद मुहम्मद बहादुर1914मद्रासभूपेन्द्रनाथ बोस1915मुंबईसर एस.पी. सिन्हा1916लखनऊए.जी. मजुमदारकांग्रेस का मुस्लिम लीग के साथ मिलना कांग्रेस में गरम दल का विलय।1917कलकताश्रीमती एनी बेसेंटप्रथम महिला अध्यक्ष1918मुंबईसैयद हसन इमाम1918दिल्लीमदनमोहन मालवीयनरमदल वालों जैसे एस.एन.बनर्जी का त्यागपत्र1919अमृतसरमोतीलाल नेहरू1920नागपुरसी. विजय राघवाचार्यकांग्रेस के संविधान में परिवर्तन1921अहमदाबादहकीम अजलम खान (कार्यकारी अध्यक्ष)अध्यक्ष सी.आर.दास जेल में कैद1922गयाचित्तरंजन दासस्वराज्य पार्टी का गठन1923दिल्लीअबुल कलाम आज़ादसबसे कम उम्र के अध्यक्ष1923कोकोनाडामौलाना मुहम्मद अली1924बेलगांवमहात्मा गांधी1925कानपुरसरोजिनी नायडूप्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष1926गोहाटीश्रीनिवास अयंगर1927मद्रासएम.ए. अंसारीजवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर पहली बार
स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित हुआ।1928कलकत्तामोतीलाल नेहरूप्रथम अखिल भारतीय युवा कांग्रेस1929लाहौरजवाहरलाल नेहरूपूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव1930अधिवेशन नहीं हुआजवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष बने रहे1931कराचीवल्लभ भाई पटेलमूल अधिकारों तथा राष्ट्रीय आर्थिक नीति प्रस्ताव1932दिल्लीआर.डी. अमृतलाल1933कलकत्ताश्रीमती नलिनी सेनगुप्ता1934मुंबईराजेन्द्र प्रसादकांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन1935अधिवेशन नहीं हुआराजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बने रहे1936लखनऊजवाहरलाल नेहरू1937फैजपुरजवाहरलाल नेहरूपहली बार गांव में सत्र हुआ।1938हरिपुरासुभाष चन्द्र बोस1939त्रिपुरीसुभाष चंद्र बोसबोस का त्यागपत्र, राजेन्द्र प्रसाद का अध्यक्ष बनना तथा
बोस बनना तथा बोस द्वारा फॉरवर्ड ब्लाक का सुभाष चंद्र बोस ने पट्टाभि सीतारमैय्या को पराजित कर के अध्यक्ष बना था।1940रामगढअबुल कलाम आजाद1941-45अधिवेशन नहीं हुआअबुल कलाम आजाद अध्यक्ष बने रहे।1946मेरठजीवटराम भगवानदास कृपलानी1947दिल्लीराजेन्द्र प्रसाद

स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा[संपादित करें]

काँग्रेस की नीतियों का विरोध[संपादित करें]

समय-समय पर विभिन्न नेताओं ने काँग्रेस की नीतियों का विरोध किया और उसे हटाने के लिये संघर्ष किया।[14] इनमें राममनोहर लोहिया का नाम अग्रणी है जो जवाहरलाल नेहरू के कट्टर विरोधी थे। इसके अलावा जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गाँधी की सत्ता को उखाड़ फेंका और एक नया रूप दिया। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बोफोर्स दलाली काण्ड को लेकर राजीव गाँधी को सत्ता से हटा दिया।

लोहिया का 'काँग्रेस हटाओ' आन्दोलन[संपादित करें]

संयुक्त विधायक दल भी देखें

राम मनोहर लोहिया लोगों को आगाह करते आ रहे थे कि देश की हालत को सुधारने में काँग्रेस नाकाम रही है। काँग्रेस शासन नए समाज की रचना में सबसे बड़ा रोड़ा है। उसका सत्ता में बने रहना देश के लिये हितकर नहीं है। इसलिए लोहिया ने नारा दिया - "काँग्रेस हटाओ, देश बचाओ।"

1967 के आम चुनाव में एक बड़ा परिवर्तन हुआ। देश के 9 राज्यों - पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में गैर काँग्रेसी सरकारें गठित हो गई। लोहिया इस परिवर्तन के प्रणेता और सूत्रधार बने।

सन् 1974 में जयप्रकाश नारायण ने इन्दिरा गान्धी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया। आन्दोलन को भारी जनसमर्थन मिला। इससे निपटने के लिये इन्दिरा गान्धी ने देश में इमर्जेंसी लगा दी। विरोधी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया। इसका आम जनता में जमकर विरोध हुआ। जनता पार्टी की स्थापना हुई और सन् 1977 में काँग्रेस पार्टी बुरी तरह हारी। पुराने काँग्रेसी नेता मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी किन्तु चौधरी चरण सिंह की महत्वाकांक्षा के कारण वह सरकार अधिक दिनों तक न चल सकी।

भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन[संपादित करें]

सन् 1987 में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कम्पनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में काँग्रेस की सरकार थी और उसके प्रधानमन्त्री राजीव गान्धी थे। स्वीडन रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता हैं। इस खुलासे के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन चलाया जिसके परिणाम स्वरूप विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधान मन्त्री बने।

प्रधानमन्त्रियों की सूची[संपादित करें]

कांग्रेस ने पार्टी से संबंधित विभिन्न राजनेताओं को राष्ट्रपति पद के लिए सुशोभित किया। जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं:-

1- डॉ राजेन्द्र प्रसाद (1950- 62)

2- फखरुद्दीन अली अहमद (1974-77)

3- ज़ैल सिंह (1982-87)

4- रामास्वामी वेंकटरमण (1987-92)

5- शंकर दयाल शर्मा (1992-97)

6- के आर नारायणन (1997-2002)

7- प्रतिभा देवीसिंह पाटिल (2007-2012)

8- प्रणब मुखर्जी (2012-2017) 9- रामनाथ कोविंद (2017-2022) 10 द्रोपदी मुर्मू 2022 से अब तक

कांग्रेस ने पार्टी से संबंधित विभिन्न राजनेताओं को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित किया, जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं ।

1- बासप्पा दनप्पा जत्ती (1974-79)

2- रामास्वामी वेंकटरमण (1984-87)

3- शंकर दयाल शर्मा (1987-92)

4- के आर नारायणन (1992-97)

5- हामिद अंसारी (2007-2017)

उपप्रधानमंत्रियो की सूची[संपादित करें]

1- सरदार वल्लभभाई पटेल (1947-50)

2- मोरारजी देसाई (1967-69)

लोकसभा अध्यक्षो की सूची[संपादित करें]

पार्टी को सत्ता मिलने के बाद कांग्रेस ने विभिन्न राजनेताओं को लोकसभा की अध्यक्षता के लिए ज़िम्मेदारी सौंपी, जिनके नाम एवं कार्यकाल निम्न प्रकार हैं :-

भारत की पहली महिला अध्यक्ष कौन थी?

Detailed Solution सही उत्‍तर एनी बेसेंट है। एनी बेसेंट को 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन थी ?`?

एनी बेसेंट 1917 में कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।

कांग्रेस की दूसरी भारतीय महिला अध्यक्ष कौन थी?

१८८८ में चौथे सत्र में जॉर्ज यूल पहले ब्रिटीश अध्यक्ष बने। १९१७ के ३३वें सम्मेलन में एनी बेसेन्ट पहली महिला अध्यक्ष बनी। उनके बाद केवल अन्य चार महिलाओं ने यह पद सम्भाला है; सरोजिनी नायडू, नेली सेनगुप्त, इन्दिरा गांधी और सोनिया गांधी।

कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष कौन थीं?

Solution : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेन्ट (1917 ई. में कलकत्ता का बत्तीसवां अधिवेशन) थीं