बाली और सुग्रीव के माता का क्या नाम था - baalee aur sugreev ke maata ka kya naam tha

मां के गर्भ से नहीं जन्मे थे त्रेतायुग में पैदा हुए ये दो सगे भाई

Authored by गरिमा सिंह |

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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Apr 29, 2022, 11:45 AM

त्रेतायुग को भगवान राम का काल कहा जाता है। जब श्रीराम को 14 साल का वनवास हुआ, उस दौरान उन्होंने कई कष्ट भोगे। साथ ही कई पराए लोगों से अपनापन और प्रेम प्राप्त किया। शबरी, हनुमानजी, सुग्रीव, जटायु, नल, नील, विभीषण जैसे नामों की श्रंखला बहुत लंबी है। सुग्रीव बहुत शक्तिशाली वानर था। लेकिन सुग्रीव का भाई बाली, उनसे भी अधिक शक्तिशाली था। बाली को वरदान प्राप्त था कि जो भी उसके सामने आएगा, उसका आधा बल बाली को प्राप्त हो जाएगा। इस कारण वह बहुत ही घमंडी और अनाचारी हो गया था...

बाली और सुग्रीव के माता का क्या नाम था - baalee aur sugreev ke maata ka kya naam tha
मां के गर्भ से नहीं जन्मे थे त्रेतायुग में पैदा हुए ये दो सगे भाई

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सगे भाई थे दोनों

बाली और सुग्रीव के माता का क्या नाम था - baalee aur sugreev ke maata ka kya naam tha

वाल्मीकि रामायण में सुग्रीव और बाली दोनों को सगा भाई बताया गया है। दोनों चेहरे और कदकाठी से भी एक समान ही दिखते थे। दूर से इन्हें देखकर पहचानने में मुश्किल होती थी कि सुग्रीव कौन है और बाली कौन है। ये दोनों एक ही मां की संतान थे और इनमें बहुत ही अधिक समानता थी, फिर भी इनके बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म मां के गर्भ से नहीं हुआ था।

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राक्षस से जुड़ी है इनके जन्म की कथा

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बाली और सुग्रीव के जन्म की कथा एक राक्षस से जुड़ी है। इस राक्षस का नाम था ऋक्षराज। यह राक्षस ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। इस पर्वत पर या इसके आस-पास के क्षेत्र में रहनेवाले लोग इस राक्षस के कृत्यों से बहुत परेशान थे। ऋक्षराज मनुष्यों और जानवरों किसी को भी नहीं छोड़ता था।

राक्षस अनजान था इस बात से

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ऋष्यमूक पर्वत के पास ही एक तालाब स्थित था। इस तालाब की विशेषता के बारे में ऋक्षराज को जानकारी नहीं थी और एक दिन वह इस तालाब में नहाने चला गया। जब ऋक्षराज राक्षस नहाकर तालाब से बाहर निकला तो खुद को देखकर हैरात में पड़ गया। उसका शरीर एक सुंदर स्त्री के रूप में परिवर्तित हो गया था।

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राक्षस था हैरान-परेशान

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ऋक्षराज हैरान और परेशान होकर पर्वत पर बैठा हुआ था। उस समय देवराज इंद्र आकाश मार्ग से गुजर रहे थे। उनकी नजर जब सुंदर अप्सरा में बदल चुके राक्षस पर पड़ी तो उनका तेज उस ऋक्षराज राक्षस के बालों पर गिरा और उस तेज की दिव्यता के कारण एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम बाली पड़ा।

भोर काल में हुआ ऐसा

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ऋक्षराज विचारों में उलझा हुआ पूरी रात उसी पर्वत पर बैठा रहा। सूर्योदय के समय जब सूर्यदेव आकाश मंडल में उदित हुए तो उनकी द़ष्टि अप्सरा के समान सुंदरी ऋक्षराज पर गई। सूर्यदेव ऋक्षराज पर मोहित हो गए और उनका तेज ऋक्षराज की ग्रीवा पर गिरा जिससे एक और बालक का जन्म हुआ जिसका नाम सुग्रीव हुआ।

यहीं बनाया साम्राज्य

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ऋक्षराज के पास अब कोई और चारा नहीं था कि वह अपने पुराने रूप में वापस आ सके। इसलिए उसने बाली और सुग्रीव के पालन-पोषण पर ध्यान दिया और ऋष्यमूक पर्वत पर ही अपना साम्राज्य स्थापित किया। इस पौराणिक कथा के आधार पर ही कहा जाता है कि एक ही मां की संतान होने के बावजूद बाली और सुग्रीव का जन्म मां के गर्भ से नहीं हुआ था।

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बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ How was bali and sugreev born 

हैलो दोस्तों आपका हमारे इस लेख बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ (How was Bali and Sugreev born) में बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि वास्तव में सुग्रीव और बाली की माता कौन थी?

इनका जन्म हुआ कैसे था? तो दोस्तों बने रहिये हमारे इस लेख के साथ बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ था? और दोस्तों हम आपके लिए ऐसे ही पौराणिक कहानियाँ  लेकर आते हैं

जो आश्चर्यजनक तथा हैरत करने वाली होती हैं इसीलिए आप हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें तो दोस्तों बढ़ते हैं हमारे इस लेख बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ था में :-

बाली और सुग्रीव के माता का क्या नाम था - baalee aur sugreev ke maata ka kya naam tha

बाली कौन था Who was bali 

इस संसार में ऐसे अनेक बलशाली योद्धाओं ने जन्म लिया है, जिनको पाकर हमारी पृथ्वी भी धन्य हो जाती है। ऐसे वीर पुरुष कभी-कभी ही जन्म लेते हैं। रामायण काल में ऐसे बहुत वीर पुरुष थे, जो महाप्रतापी और महात्यागी थे।

उन्हीं में से एक थे "बाली" बाली को तो सभी जानते हैं, क्योंकि बाली ही एक वह पुरुष थे, जिसने रावण को 3 माह तक अपनी काँख में दबाकर तीनों लोकों की यात्रा की थी।

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बाली किष्किंधा नरेश तथा सुग्रीव का भाई था। बाली के पिता देवराज इंद्र थे। बाली के पास एक ऐसा वरदान था कि वह जिससे युद्ध करता था,

उसकी आधी शक्ति अपने अंदर समेट लेता था। इसलिए बाली को कोई जीत भी नहीं पाया था बाली के अवगुण तथा अधर्म पर चलना ही उसकी मृत्यु का कारण बना।

सुग्रीव कौन था Who was sugreev 

सुग्रीव बाली का छोटा भाई तथा सूर्यपुत्र था। सुग्रीव वास्तव में महान, शक्तिशाली तथा वीर योद्धा भी था। उसमें एक राजा के सारे गुण थे।

सुग्रीव की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर भगवान राम की सेवा का अवसर सुग्रीव को प्राप्त हुआ और भगवान श्रीराम के चहेते मित्र भी बन गए थे।

भगवान श्रीराम ने बाली का वध करके सुग्रीव की मदद की तथा सुग्रीव ने भी अपनी मित्रता का धर्म बखूबी निभाया और भगवान श्री राम के लिए अपने समस्त सैनिक तक स्वयं को समर्पित कर दिया।

यहाँ तक कि मित्रता की परम सीमा को सार्थक कर दिया। अपने भाई बाली की मृत्यु के पश्चात सुग्रीव किष्किंधा नरेश बने तथा अंगद को वहाँ का युवराज बनाया गया।

बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ था How was bali and sugreev born

पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि त्रेता युग में एक वानर था, जो बहुत ही विशाल और शक्तिशाली था।

उस वानर का नाम था ऋक्षराज, जो ऋषिमूक पर्वत के आसपास ही रहा करता था। ऋषिमूक पर्वत के पास ही एक सरोवर था, जिसे पंपापुर सरोवर के नाम से पुकारते थे।

यह सरोवर एक चमत्कारी सरोवर था। कहा जाता है, कि इस सरोवर का उपयोग केवल पीने के लिए जल की आपूर्ति हेतु किया जाता था।

इस सरोवर की रक्षा यक्ष करते थे, तथा इस सरोवर में एक चमत्कारिक शक्ति थी। अगर कोई भी इस सरोवर में स्नान करता है, तो वह पुरुष से सुंदर स्त्री में बदल जाता था।

एक बार कौतुहलवश ऋक्षराज उस सरोवर में कूद पड़े और नहाने लगे क़्योकी वे इस चमत्कारिक घटना से अनजान थे। नहाने के पश्चात जब वह सरोवर से बाहर निकले तो अपने रूप को देखकर आश्चर्यचकित हो गए।

क्योंकि उनका रूप एक सुंदर अप्सरा समान कन्या में बदल गया था। ऋक्षराज यही सोचते हुए ऋषिमुक पर्वत पर आ बैठे और इस बारे में सोच ही रहे थे कि, आसमान से भगवान इंद्र की दृष्टि ऋषिमुक पर्वत पर बैठे स्त्री बने ऋक्षराज पर पड़ी।

ऋक्षराज एक सुंदर अप्सरा के समान दिखाई दे रहे थे। इसलिए देवराज इंद्र उसी समय सुंदर स्त्री बने ऋक्षराज पर आसक्त हो गए और उनका तेज ऋक्षराज के सिर बालों पर गिरा जिससे बाली की उत्पत्ति हुई।

बाली की उत्पत्ति होने के पश्चात वही सुंदर अप्सरा  स्त्री बने ऋक्षराज ऋषिमुक  पर्वत पर बैठकर रात बिताने लगे  इसके पश्चात सुबह हुई तो भगवान सूर्य देव आकाश में प्रकट हुए और सुंदर स्त्री बने ऋक्षराज पर आसक्त हो गए तथा

उनका तेज ऋक्षराज की गर्दन पर गिरा, जिससे सुग्रीव की उत्पत्ति हुई इस प्रकार से बाली तथा सुग्रीव एक ही माता से उत्पन्न दो अलग-अलग पिता के पुत्र थे। 

इंद्रदेव का तेज ऋक्षराज के बालों पर गिरा था जिससे जो पुत्र उत्पन्न हुआ उसका नाम बाली रखा गया और बाली इंद्र पुत्र कहलाया, जबकि सूर्यदेव का तेज गर्दन पर गिरा था, जिससे सुग्रीव की उत्पत्ति हुई ग्रीवा पर तेज करने के उनका नाम सुग्रीव पड़ा।

और सुग्रीव को सूर्यपुत्र कहा गया दोनों बालक, के जन्म के पश्चात  ऋक्षराज ने ऋषिमूक पर्वत के पास ही अपना निवास स्थान पर बनाकर रहना शुरू कर दिया। 

दोस्तों आपने इस लेख में बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ (How was Bali and Sugreev Born) पड़ा आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा।

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बाली सुग्रीव की माता का नाम क्या है?

इनके पिता सूर्यनारायण और माता अरुण देव थे। बालि इनके बड़े भाई थे। हनुमान के कारण भगवान श्री राम से उनकी मित्रता हुयी।

बाली के पिता का नाम क्या था?

पुरुष से स्त्री बन गई थी इनकी माता रामायण में आपने दो बलशाली वानरों बाली और सुग्रीव का नाम पढ़ा और सुना होगा। दोनों महावीर थे और साथ मिलकर किष्किंधा नगरी पर शासन करते थे। इनके पिता के विषय में कहा जाता है कि बालि के पिता देवराज इंद्र थे जबकि सुग्रीव के पिता सूर्यदेव थे।

Sugriv किसका पुत्र था?

सुग्रीव सूर्यदेव का पुत्र था। अर्थात बाली और सुग्रीव की माता एक ही थी, लेकिन पिता अलग-अलग थे। सुग्रीव की पत्नी का नाम रूमा था तो बाली की पत्नी वानर वैद्यराज सुषेण की पुत्री तारा थी। तारा एक अप्सरा थी।

बाली की स्त्री का क्या नाम था?

उन्हीं अप्सराओं में से एक तारा थी। वालि और सुषेण दोनों मन्थन में देवतागण की मदद कर रहे थे। जब उन्होंने तारा को देखा तो दोनों में उसे पत्नी बनाने की होड़ लगी। वालि तारा के दाहिनी तरफ़ तथा सुषेण उसके बायीं तरफ़ खड़े हो गए।