ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं की जाती - brahma jee kee pooja kyon nahin kee jaatee

भगवान विष्णु को संसार का पालनहार और भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है तो वही ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना गया है।

भगवान शिव और विष्णु की संसार में पूजा होती है और इनके कई मंदिर देश के हर कोने में स्थापित है। लेकिन ब्रह्मा जी का पूरे संसार में केवल एक मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है।

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों है? क्यों नहीं की जाती ब्रह्मा जी पूजा? तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे की जुड़ी कथा के बारे में बताते हैं।

एक बार ब्रह्माजी के मन में धरती की भलाई के लिए यज्ञ करने का ख्याल आया लेकिन यज्ञ के लिए जगह की तलाश करनी थी। इसके लिए उन्होंने अपनी बांह से निकले हुए एक कमल को धरती की ओर भेजा। कहते हैं कि जिस स्थान पर वह कमल गिरा वहां ही ब्रह्माजी का एक मंदिर बनाया गया है। यह स्थान है राजस्थान का पुष्कर शहर, जहां उस पुष्प का एक अंश गिरने से तालाब का निर्माण भी हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए ब्रह्मा जी पुष्कर पहुंचे, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ठीक समय पर नहीं पहुंचीं। पूजा का शुभ मुहूर्त बीतता जा रहा था। सभी देवी-देवता यज्ञ स्थल पर पहुंच गए थे, लेकिन सावित्री का कुछ पता नहीं था। कहते हैं कि जब शुभ मुहूर्त निकलने लगा तब कोई उपाय न देखकर ब्रह्मा जी ने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा किया।

कुछ समय बाद सावित्री यज्ञ स्थल पर पहुंचीं तो वहां ब्रह्मा जी के बगल में किसी और स्त्री को बैठे देख वो क्रोधित हो गईं। गुस्से में उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया और कहा कि जाओ इस पृथ्वी लोक में तुम्हारी कहीं पूजा नहीं होगी। हालांकि बाद में जब उनका गुस्सा शांत हुआ और देवताओं ने उनसे श्राप वापस लेने की प्रार्थना की तो उन्होंने कहा कि धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही ब्रह्मा जी की पूजा होगी। इसके अलावा जो कोई भी आपका दूसरा मंदिर बनाएगा, उसका विनाश हो जाएगा।

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ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती? भारतीय संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को रचयिता, पालक और संहारक मानते हैं। पर इस दुनिया में आभार की भावना नहीं है, तो हमें बनाने वाले देव ब्रह्मा का मंदिर कभी भी नहीं बनवाया गया।

ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं की जाती - brahma jee kee pooja kyon nahin kee jaatee
भारतीय संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को रचयिता, पालक और संहारक के रूप में माना जाता है। फिर ऐसा क्यों है कि केवल शिव और विष्णु के मंदिर बनाएं गए हैं, पर ब्रह्मा का कहीं कोई मंदिर नहीं?

प्रश्न : सद्‌गुरु, हमारे यहां ब्रह्मा, विष्णु और शिव की अवधारणा है, जो सृष्टि के रचयिता, पालक और विनाशक माने गए हैं। हमारे यहां ब्रह्मा के मंदिर क्यों नहीं हैं? कोई भी कभी ब्रह्मा की उपासना नहीं करता। भारत जैसे देश में जहां हम पत्थर से लेकर अपने औजारों तक, पेड़ों से लेकर जानवरों तक की पूजा करते हैं, वहां हम ब्रह्मा की पूजा क्यों नही करते?

दुनिया आभार नहीं लालच से भरी है

सद्‌गुरु : देश में ब्रह्मा के दो मंदिर हैं। एक गुजरात में और एक तमिलनाडु में। सृष्टि रचते समय ब्रह्मा ने एक गलती की, वे बिना कोई शर्त रखे हर चीज बनाते गए। रचना करते समय उन्होंने आपके सामने कोई शर्त नहीं रखी।

एक समय ऐसा था जब सारा भारतवर्ष, यह पूरी संस्कृति केवल आध्यात्मिक कल्याण की ओर उन्मुख थी, तब मंदिर निर्माण के विज्ञान ने मंदिर बनाने के लिए शिव को ही चुना।

चूंकि यह जीवन आपको दिया जा चुका है, तो फिर अब कौन परवाह करता है? यह दुनिया आभार से नहीं, बल्कि लालच से भरी है। इसलिए किसी ने भी ब्रह्मा के मंदिर बनाने के बारे में नहीं सोचा। थोड़ा बहुत किसी में जो आभार था, उसकी वजह से दो मंदिर बन गए। एक समय ऐसा था जब सारा भारतवर्ष, यह पूरी संस्कृति केवल आध्यात्मिक कल्याण की ओर उन्मुख थी, तब मंदिर निर्माण के विज्ञान ने मंदिर बनाने के लिए शिव को ही चुना। लेकिन समय के साथ लगभग हजार बारह सौ साल पहले लोगों का एक ऐसा समूह आया, जो सिर्फ अपने कल्याण को लेकर सोचते थे। उनके लिए शिव उपयोगी नहीं थे, इसलिए उन्होंने विष्णु को चुना। इस तरह से पिछले एक हजार साल में हर जगह विष्णु के बहुत सारे मंदिर बनाए गए। ये विष्णु भक्त इस हद तक चले गए कि ये लोग पुराने बने मंदिरों में जाते और वहां से शिवलिंग को उठाकर बाहर फेंक देते और उनकी जगह विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर देते। देश में ऐसे कई विशाल मंदिर हैं, जहां पूरा मंदिर शिव का है, लेकिन वहां मूर्ति विष्णु की लगी है। आप जानते हैं कि कुछ बाहरी लोग आए और हमारे मंदिरों को तोडक़र चले गए, लेकिन हमारे यहां के लोग कहीं ज्यादा चालाक थे। आखिर मंदिर क्यों तोडऩा? भगवान ही बदल दो ना। तो उन लोगों ने यही किया।

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गौतम बुद्ध को भी विष्णु का अवतार बताया गया

यहां तक कि जब गौतम बुद्ध आए और वे लोकप्रिय होना शुरू हुए तो शुरू में इन लोगों ने उनके साथ तर्क और बहस करनी चाही। इन लोगों ने चाहा कि उन्हें शास्त्रार्थ में हराकर अपने मन की करें।

इसलिए वह आपको भ्रमित करने आया है, लेकिन वह भी है विष्णु ही। आप इस छलावे में मत आइए। ईश्वर आपकी परीक्षा ले रहा है। इस युक्ति में दोनों ही तरफ जीत थी।

लेकिन फिर उन लोगों ने उनके साथ बहस या तर्क नहीं किया, क्योंकि बुद्ध इन चीजों से परे थे और उनसे तर्क करने वाले लोग भी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर बुद्ध के पास कौन सी शक्ति है। चूंकि बुद्ध किसी ईश्वर की उपासना नहीं करते थे - न शिव की, न विष्णु की और न ही ब्रह्मा की, फिर भी वह दैवीय शक्ति से परिपूर्ण लगते थे। उनके आलोचकों को यह समझ ही नहीं आ रहा था कि बुद्ध के पास शक्ति आखिर आ कहां से रही है। जब बुद्ध बेहद लोकप्रिय हो गए तो वैष्णवों ने कहा कि विष्णु के दस अवतारों में से बुद्ध भी एक अवतार हैं। उनकी दलील थी कि इस बार ईश्वर आपको भ्रमित करने आया है, वह आपकी परीक्षा ले रहा है कि उसके प्रति आपकी भक्ति अचल है या नहीं। इसलिए वह आपको भ्रमित करने आया है, लेकिन वह भी है विष्णु ही। आप इस छलावे में मत आइए। ईश्वर आपकी परीक्षा ले रहा है। इस युक्ति में दोनों ही तरफ जीत थी। आप किसी भी तरह से जाएं, जीत आपकी ही होगी। तो मंदिर इस तरह से बनाए गए।

प्राचीन मंदिर सिर्फ शिव मंदिर थे

जितने भी प्राचीन मंदिर हैं, वे सब शिव मंदिर हैं, क्योंकि उस समय मंदिर आपके कल्याण के लिए नहीं होते थे। तब मंदिर आपके लिए एक ऐसे अवसर के रूप में होते थे, जहां जाकर आप खुद को विसर्जित कर सकें, मिटा सकें।

लेकिन उन लोगों ने बाहरी लोगों से तरकीब सीखी और उसके बाद उन्होंने दूसरों से कहीं ज्यादा चालाकी से इसका इस्तेमाल किया। इस युक्ति ने काम किया। यह युक्ति हमेशा काम करती है।

हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा की पूजा क्यों नहीं की जाती है?

ब्रह्माजी की पूजा करना वर्जित क्यों माना गया है‌? दरअसल देवी सावित्री के श्राप के कारण ही ब्रह्माजी की पूजा वर्जित मानी गई है। - पुराणों के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी हाथ में कमल का फूल लिए हुए अपने वाहन हंस पर सवार होकर अग्नि यज्ञ के लिए उचित स्थान की तलाश कर रहे थे।

ब्रह्मा जी ने अपनी बेटी से शादी क्यों की?

ब्रह्मा का अपनी ही बेटी के साथ विवाह करने की इस घटना का उल्लेख सरस्वती पुराण में वर्णित है। सरस्वती पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा ने सीधे अपने वीर्य से सरस्वती को जन्म दिया था। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती की कोई मां नहीं केवल पिता, ब्रह्मा थे।

भगवान शिव ने ब्रह्मा जी का सिर क्यों काटा?

शिव की दृष्टि में सतरूपा ब्रह्मा की पुत्री सदृश थीं, इसीलिए उन्हें यह घोर पाप लगा। इससे क्रुद्ध होकर शिव जी ने ब्रह्मा का सिर काट डाला ताकि सतरूपा को ब्रह्मा जी की कुदृष्टि से बचाया जा सके। शास्त्र अनुसार, भगवान शिव ने इसके अतिरिक्त भी ब्रह्मा जी को शाप के रूप में दंड दिया।

ब्रह्मा जी की पूजा कौन करता है?

ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता होने के साथ-साथ वेदों के भी देवता माने जाते हैं। उन्होंने ही हमें चार वेदों का ज्ञान दिया। हिंदू धर्म के अनुसार, उनकी शारीरिक संरचना भी बेहद अलग है। चार चेहरे और चार हाथ एवं चारों हाथों में एक-एक वेद लिए ब्रह्माजी अपने भक्तों का उद्धार करते हैं, लेकिन इस देव की पूजा कोई नहीं करता है।