Kalyan Ayurved बिना प्रेगनेंसी स्तनों से दूध निकालना है इस गंभीर बीमारी का संकेत, न करें नजरअंदाज
कल्याण आयुर्वेद- प्रेगनेंसी प्रसव के दौरान
स्तन से दूध निकलना प्राकृतिक प्रक्रिया है जो सभी महिलाओं के साथ होती है. लेकिन बिना प्रेगनेंसी या प्रसव हुए स्तनों से दूध निकलना चिंता की बात हो जाती है. लगभग 20 से 25% महिलाओं को यह परेशानी होती है. जिसमें ज्यादातर समस्याएं मेनोपॉज के बाद ही होती है. हालांकि ऐसा होना कोई बीमारी नहीं है. लेकिन यह किसी समस्या के संकेत जरूर हो सकते हैं. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष व नवजात शिशु को भी यह समस्या हो सकती है. इस समस्या को डॉक्टरी भाषा में ग्लेक्टोरिया के नाम से जानते हैं.
ग्लेक्टोरिया के संकेत-
बिना प्रेग्नेंसी के भी:महिलाओं में क्यों और कितने तरह का होता है निप्पल डिस्चार्ज, बता रही हैं एक्सपर्टएक वर्ष पहलेलेखक: श्वेता कुमारी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में निप्पल डिस्चार्ज की समस्या हो सकती है, लेकिन इसके अलावा 40 की उम्र के बाद या बिना प्रेग्नेंसी के भी कई महिलाओं में ये समस्या देखी जाती है। ये डिस्चार्ज कितने तरह के होते हैं, किस तरह के डिस्चार्ज नॉर्मल हैं और कब इसे खतरे की घंटी समझनी चाहिए, इन विषयों पर हमने बात की है अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर कन्सल्टेंट एंड सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ. रमेश सरीन से। ये एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में आज भी मध्यवर्गीय परिवार की महिलाएं बात करने से हिचकिचाती हैं। निप्पल डिस्चार्ज में ऐसा फ्लूइड बाहर आता है, जो कई बार गाढ़ा, पतला, किसी रंग का या बिना रंग का भी हो सकता है। इस बारे में डॉ. सरीन कहती हैं कि महिलाओं के ब्रेस्ट में 8 से 12 मिल्क डक्स होते हैं। ये छोटी-छोटी पाइप की तरह होते हैं, जो निप्प्ल्स तक ब्रेस्ट मिल्क पहुंचाने का काम करते हैं। वे आगे बताती हैं कि महिलाओं में डिस्चार्ज तब तक कोई बड़ी समस्या नहीं है, जब तक डिस्चार्ज का रंग अलग और ब्रेस्ट के आसपास तकलीफ महसूस हो। फीमेल्स के निप्प्ल्स से डिस्चार्ज हमेशा होता है, लेकिन ये इतना मामूली होता है कि हमें नजर नहीं आता। इसे हम महसूस करना तब शुरू करते हैं, जब डिस्चार्ज ज्यादा होता है। ऐसा होने कि वजह है डक्स का वीक होना। बढ़ती उम्र के साथ मिल्क डक्स कमजोर होते हैं, जिसकी वजह से इनमें लिक्विड भरने लगता है। महिलाओं में आम है निप्पल डिस्चार्ज किन कारणों से हो सकता है डिस्चार्ज?
इन सब कारणों के अलावा प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में भी ये परेशानी हो सकती है। दरअसल तब स्तनों में दूध बनना शुरू हो जाता है। वहीं दूध बढ़ाने की दवा या फिर बच्चे को दूध पिलाना बंद करने के दो से तीन साल बाद तक निप्पल डिस्चार्ज हो सकता है, लेकिन डॉक्टर्स इसे चिंता की बात नहीं मानते। कितने रंग का होता है डिस्चार्ज? येलो / ट्रांसपेरेंट - इस रंग का डिस्चार्ज अगर दोनों ब्रेस्ट से हो, तो ऐसी कोई चिंता की बात नहीं है। वहीं अगर इस रंग का लिक्विड डिस्चार्ज सिर्फ एक ही ब्रेस्ट से हो रहा हो, तो बिना समय गंवाए डॉक्टर से मिलें। ये गंभीर हो सकता है। मिल्की व्हाइट - अगर आप छोटे बच्चे की मां हैं और बच्चे को दूध पिलाना बंद किया है, तो ऐसे डिस्चार्ज नजर आ सकते हैं। कई महिलाओं में स्तनपान छुड़ाने के दो से तीन साल बाद तक ऐसे डिस्चार्ज देखे जाते हैं। मेनोपॉज के पहले भी ये दिक्कत महिलाओं में देखी जाती है। ब्लड कलर - निप्पल से ब्लड जैसे रंग का डिस्चार्ज ब्रेस्ट ट्यूमर (पेपिलोमा) की वजह से हो सकता है। इसके अलावा कुछ मामलों में ऐसा डिस्चार्ज ब्रेस्ट कैंसर के संकेत भी हो सकते हैं। ग्रीन कलर - इस रंग का डिस्चार्ज ब्रेस्ट में हुए सिस्ट, हार्मोनल इमबैलेंस या एबनॉर्मल ग्लैंड सेक्रेशन की वजह से भी हो सकता है। इन संकेतों को न करें नजरअंदाज
डॉ. सरीन के मुताबिक अगर एक ब्रेस्ट में डिस्चार्ज, ब्लडी डिस्चार्ज या ब्रेस्ट के आसपास दर्द-गांठें महसूस कर रही हैं, तो बिना समय गंवाए डॉक्टर से मिलें। साथ ही ऐसी स्थिति में इस बात का बेहद ध्यान रखें कि ब्रा टाइट न पहनें। ब्रेस्ट पर जोर न पड़े। मेल पार्टनर ब्रेस्ट को प्रेस करने या सक करने से बचें। |