उसके स्नेहाभिषिक्त कंठ से फूटा हुआ गान सुनकर निकट के मकानों में हलचल मच जाती। छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लिए युवतियाँ चिकों को उठाकर छज्जों पर नीचे झाँकने लगतीं। गलियों और उनके अंतर्व्यापी छोटे-छोटे उद्यानों में खेलते और इठलाते हुए बच्चों का झुंड उसे घेर लेता और तब वह खिलौनेवाला वहीं बैठकर खिलौने की पेटी खोल देता। Show Question 1. Answer: (d) मिठाईवाला-भवानीप्रसाद वाजपेयी Question 2. Answer: (c) मीठा Question 3. Answer: (d) खिलौनेवाले के Question 4. Answer: (c) नीचे की ओर Question 5. Answer: (c) खिलौनेवाले को (2) नगरभर में दो-चार दिनों से एक मुरलीवाले के आने का समाचार फैल गया। लोग कहने लगे-“भाई वाह ! मुरली बजाने में वह एक ही उस्ताद है। मुरली बजाकर, गाना सुनाकर वह मुरली बेचता भी है, सो भी दो-दो पैसे में। भला, इसमें उसे क्या मिलता होगा? मेहनत भी तो न आती होगी!” Question 1. Answer: (d) मुरलीवाले के आने की Question 2. Answer: (b) दो-दो पैसे Question 3. Answer: (c) मुरली बजाकर Question 4. Answer: (b) तीस-बत्तीस वर्ष Question 5. Answer: (b) बीकानेरी रंगीन साफ़ा (3) विजय बाबू एक समाचार-पत्र पढ़ रहे थे। उसी तरह उसे लिए हुए वे दरवाजे पर आकर मुरलीवाले से बोले-“क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?” Question 1. Answer: (b) विजय बाबू Question 2. Answer: (d) भागकर जाने के कारण Question 3. Answer: (c) जूते Question 4. Answer: (c) मुरलीवाले के पास Question 5. Answer: (c) मुरली (4) आज अपने मकान में बैठी हुई रोहिणी मुरलीवाले की सारी बातें सुनती रही। आज भी उसने अनुभव किया, बच्चों के साथ इतने प्यार से बातें करनेवाला फेरीवाला पहले कभी नहीं आया। फिर वह सौदा भी कैसा सस्ता बेचता है! भला आदमी जान पड़ता है। समय की बात है, जो बेचारा इस तरह मारा-मारा फिरता है। पेट जो न कराए, सो थोड़ा! Question 1. Answer: (b) रोहिणी Question 2. Answer: (c) रोहिणी से Question 3. Answer: (c) मोल-भाव करने पर Question 4. Answer: (c) विस्मयादि बोधक (5) समय की गति ! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। दादी, प्राण निकाले नहीं निकले। इसलिए अपने उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। वे सब अंत में होंगे, तो यहीं कहीं। आखिर, कहीं न जनमे ही होंगे। उस तरह रहता, घुल-घुलकर मरता। इस तरह सुख-संतोष के साथ मरूँगा। Question 1. Answer: (b) प्रयाग शुक्ल Question 2. Answer: (c) मिठाईवाले का Question 3. Answer: (c) पत्नी और बच्चे के बिना मृत्यु चाहकर भी मर न पाया Question 4. Answer: (b) धन की Question 5. Answer: (c) अपने बच्चों की झलक (6) नगरभर में दो-चार दिनों से एक मुरलीवाले के आने का समाचार फैल गया। लोग कहने लगे-“भाई वाह! मुरली बजाने में वह एक ही उस्ताद है। मुरली बजाकर, गाना सुनाकर वह मुरली बेचता भी है, सो भी दो-दो पैसे में। भला, इसमें उसे क्या मिलता होगा? मेहनत भी तो न आती होगी!” Question 1. Answer: नगर में समाचार फैल गया कि मधुर तान में गाकर मुरलियाँ बेचने वाला आया है। Question 2. Answer: मुरलीवाले के बारे में लोग कहते थे कि वह मुरली बजाने में उस्ताद है। वह गाना सुनाकर और मुरली बजाकर मुरली बेचता है। वह दो-दो पैसे में मुरली बेच रहा है। इतने में तो मेहनत भी पूरी न होती होगी। Question 3. Answer: मुरलीवाला पहले खिलौने बेचा करता था। Question 4. Answer: मुरलीवाले का हुलिया-वह गोरा, पतला युवक था। वह 30-32 वर्ष का व्यक्ति था। वह बीकानेरी साफ़ा बाँधता था। Question 5. Answer: मुरलीवाले के द्वारा सस्ती मुरलियाँ बेचने पर लोग कहते थे कि वह क्या लाभ कमाता होगा। (7) विजय बाबू भीतर-बाहर दोनों रूपों में मुसकरा दिए। मन-ही-मन कहने लगे-कैसा है! देता तो सबको इसी भाव से है, पर मुझ पर उलटा अहसान लाद रहा है। फिर बोले-“तुम लोगों की झूठ बोलने की आदत होती है। देते होगे सभी को दो-दो पैसे में, पर अहसान का बोझा मेरे ही ऊपर लाद रहे हो।” मुरलीवाला एकदम अप्रतिभ हो उठा। बोला-“आपको क्या पता बाबू जी कि इनकी असली लागत क्या है! यह तो ग्राहकों का दस्तूर होता है कि दुकानदार चाहे हानि उठाकर चीज़ क्यों न बेचे, पर ग्राहक यही समझते हैं-दुकानदार मुझे लूट रहा है। Question 1. Answer: विजय बाबू रोहिणी के पति और चुन्नू-मुन्नू के पिता थे। Question 2. Answer: जब मुरलीवाले ने कहा कि वैसे तो मुरली तीन पैसे की है लेकिन मैं आपको दो पैसे की दूंगा तो विजय बाबू मुसकराने लगे। वस्तुतः वे मुरलीवाले को एक आम फेरीवाला समझ रहे थे। उसके मन के भाव से पूर्णतया अपरिचित थे। Question 3. Answer: मुरलीवाले और विजय बाबू के बीच बातचीत हुआ कि तुम लोगों की आदत झूठ बोलने की है। सभी को दो-दो पैसों में देते होगे पर अहसान का बोझा मेरे ऊपर लाद रहे हो। इस बात का तर्कपूर्ण उत्तर देते हुए कहा कि-मुरली की लागत का पता नहीं है। हर ग्राहक यही समझता है कि दुकानदार मुझे लूट रहा है। मैंने तो एक हज़ार मुरलियाँ बनवाई थीं। अत: मुझे इस भाव पड़ी है। अन्यथा कहीं भी ये मुरलियाँ दो-दो पैसे में नहीं मिल सकती। Question 4. Answer: मुरलीवाले ने सफाई दी कि आपको मुरली की लागत का पर्मा नहीं है। हर ग्राहक यही समझता है कि दुकानदार मुझसे ज़्यादा पैसा ले रहा है लेकिन मुझे एक हजार मुरलियाँ बनाने में लागत यही लगी है। अन्यथा कही भी मुरलियाँ दो-दो पैसे के नहीं मिलती हैं। Question 5. Answer: हाँ, मैं मुरलीवाले की बात से सहमत हूँ। (8) मिठाईवाले का स्वर उसके लिए परिचित था, झट से रोहिणी नीचे उतर आई। उस समय उसके पति मकान में नहीं थे। हाँ, उनकी वृद्धा दादी थीं। रोहिणी उनके निकट आकर बोली-“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। ज़रा कमरे में चलकर ठहराओ। मैं उधर कैसे जाऊँ, कोई आता न हो। ज़रा हटकर मैं भी चिक की ओट में बैठी रहूँगी।” दादी उठकर कमरे में आकर बोली-“ए मिठाईवाले, इधर आना।” मिठाईवाला निकट आ गया। बोला-“कितनी मिठाई दूँ माँ? ये नए तरह की मिठाइयाँ हैं-रंग-बिरंगी, कुछ-कुछ खट्टी, कुछ-कुछ मीठी, ज़ायकेदार, बड़ी देर तक मुँह में टिकती हैं। जल्दी नहीं घुलतीं। बच्चे बड़े चाव से चूसते हैं। Question 1. Answer: मिठाईवाले के आवाज़ से रोहिणी समझ गई थी कि यह वही व्यक्ति है जो पहले खिलौने और मुरली लेकर आया था। उस व्यक्ति का स्वभाव विनम्र होने के कारण वह समझ गई कि वह व्यक्ति वही है। वह उसके परिवार के विषय के बारे में जानने के लिए उत्सुक थी, इसलिए उसकी आवाज़ सुनकर वह झट नीचे उतर आई ताकि बच्चों के लिए मिठाई लेने के बहाने उसे बुलवा सके। Question 2. Answer: रोहिणी ने मिठाईवाले को बुलाने के लिए अपने पति की बूढ़ी दादी से कहा कि वह मिठाईवाले को बुला दें, क्योंकि उसके पति उसके घर में नहीं थे। Question 3. Answer: रोहिणी घर की बहू थी। उस ज़माने में घर की बहुओं को परदे में रहना पड़ता था। उन्हें परिवार तथा गाँव घर के बड़े-बुजुर्गों के सामने जाने की मनाही थी। यही कारण था कि रोहिणी स्वयं बाहर नहीं जा रही थी। Question 4. Answer: मिठाइयों की यह विशषता थी कि वह रंग-बिरंगी, खट्टी-मीठी, ज़ायकेदार, बड़ी देर तक मुँह में टिकती है। जल्दी नहीं घुलती। Question 5. Answer: उपर्युक्त गद्यांश में मिठाई बेचने की बात की गई है। (9) अतिशय गंभीरता के साथ मिठाईवाले ने कहा-“मैं भी अपने नगर का एक प्रतिष्ठित आदमी था। मकान, व्यवसाय, गाड़ी-घोड़े, नौकर-चाकर सभी कुछ था। स्त्री थी, छोटे-छोटे दो बच्चे भी थे। मेरा वह सोने का संसार था। बाहर संपत्ति का वैभव था, भीतर सांसारिक सुख था। स्त्री सुंदरी थी, मेरी प्राण थी। बच्चे ऐसे सुंदर थे, जैसे सोने के सजीव खिलौने। उनकी अठखेलियों के मारे घर में कोलाहल मचा रहता था। समय की गति! विधाता की लीला। अब कोई नहीं है। Question 1. Answer: मिठाईवाला उस शहर में प्रतिष्ठित व धनी व्यक्ति था। व्यवसाय व नौकर-चाकर किसी प्रकार की कोई कमी उसे न थी। उसकी पत्नी अत्यंत सुंदर थी और बच्चे भी बहुत सुंदर एवं नटखट थे। उसका जीवन काफ़ी सुखमय था। Question 2. Answer: मिठाईवाला अपने जीवन की सच्चाई रोहिणी के पूछने के बाद उसको सुना रहा था। Question 3. Answer: मिठाईवाले का संसार काफ़ी सुखमय था। Question 4. Answer: मिठाईवाले के मन की व्यथा थी कि उसका संसार उजड़ चुका था। पत्नी व बच्चे की मौत एक हादसे में हो गई थी। अब वह अकेला जीवन के दिन काट रहा था यही उसकी व्यथा का कारण था। Question 5. Answer: सजीव खिलौने में रेखांकित शब्द है विशेषण का। कहानी से प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
प्रश्न 6.
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