स्टोरी हाइलाइट्स Show
हार्टबर्न की समस्या से रोजोना ना जाने कितने लोग परेशान रहते हैं. हार्टबर्न में इंसान को छाती के ठीक बीच में तेज जलन महसूस होती है. ये दिक्कत कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक आपकी मुश्किलें बढ़ा सकती है. ये कई बार प्रेग्नेंसी, गेस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज (GERD) या एंटी-इनफ्लेमेटरी ड्रग्स लेने की वजह से हो सकता है. लेकिन छाती में होने वाली ये जलन कुछ मामलों में गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं. एक हालिया स्टडी में दावा किया गया है कि हार्टबर्न की समस्या कैंसर और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ने से भी जुड़ी हो सकती है. इसलिए शरीर में इसके वॉर्निंग साइन देखते ही आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
कैंसर- हार्टबर्न से जुड़ी समस्या कई बार गले (वॉइस बॉक्स) या पेट की आंत (जीआई ट्रैक्ट) में कैंसर के कारण भी हो सकती है. पेट की आंत में बहने वाला एसिड कई बार टिशू डैमेज कर देता है और इससे एसोफैगस एडिनोकार्सिनोमा विकसित हो जाता है. एक प्रसिद्ध बेरियाट्रिक सर्जन लिनास वेनक्लॉसकास के मुताबिक, हार्टबर्न के कारणों को समय रहते पता लगाकर इलाज ना किया जाए तो बैरेट्स एसोफैगस को ट्रिगर कर सकता है जो कि डाइजेशन सिस्टम में होने वाली एक प्री-कैंसर डिसीज है. हायटस हर्निया-जब पेट का हिस्सा डायफ्राम में कमजोरी के कारण छाती के निचले हिस्से को ऊपर की तरफ धकेलता है तो इसे हायटस हर्निया कहा जाता है. इस समस्या को छाती में दर्द या जलन के वक्त जांच कराने पर ही पकड़ा जा सकता है. आमतौर पर ये दिक्कत 50 से ज्यादा उम्र के लोगों में देखी जाती है. जब तक लक्षण गंभीर ना हो तब तक इसका इलाज कराने की भी जरूरत नहीं पड़ती है. सीने में लगातार जलन बढ़ने पर इसका इलाज जरूर कराएं. पेप्टिक अल्सर डिसीज- पेप्टिक अल्सर डिसीज से जूझ रहने लोग अक्सर इसे सीने में जलन समझकर नजअंदाज कर देते हैं. हार्टबर्न और पेप्टिक अल्सर डिसीज के लक्षण बिल्कुल एक जैसे होते हैं. इसलिए जी मिचलाने, उल्टी, जलन वाला दर्द और ब्लीडिंग के कारण मल के रंग बदलने जैसे लक्षणों पर भी ध्यान देना जरूरी है. ऐसा होने पर इसकी तुरंत जांच कराएं. हार्ट अटैक- हार्ट अटैक के मामले में भी कई बार लोग इसे हार्टबर्न समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. इनमें फर्क समझने के लिए कुछ लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है. सीने में दर्द, तेज हार्टबीट, चिपचिपी त्वचा, इनडाइजेशन और जी मिचलाना जैसे लक्षण हार्ट अटैक का वॉर्निंग साइन हो सकते हैं. सीने में जलन के साथ दर्द, मुंह का कड़वा स्वाद, लेटने पर दर्द बढ़ना, चटपटा खाने के बाद गले तक जलन बढ़ना हार्टबर्न के प्रमुख लक्षण होते हैं. ये भी पढ़ें:
गले में और सीने में जलन हो तो क्या करना चाहिए?इसके अलावा स्ट्रेस, खाने की गलत आदतें और खराब लाइफस्टाइल के कारण भी हाइपर एसिडिटी हो सकती है। एलोवेरा जूस- हाइपर एसिडिटी से परेशान हैं तो एलोवेरा जूस पिएं। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस के सेवन से एसिडिटी कंट्रोल होगी। आंवला- एसिडिटी या पेट दर्द होने पर विटामिन सी वाली डाइट फायदेमंद होती है।
छाती और गले में जलन क्यों होती है?गले में जलन के और भी कारणों से सच्चे हैं. खैने से एलर्जी, जीवाणु और वायरल संक्रमण और अन्नप्रणाली के सूजन की वजह से वह उसके कारण हैं. कई बार, गले में दर्द वायरल संक्रमणों जैसे कि आम सर्दी या फ्लू के कारण होता है. जिसमें नाक चलने के साथ खांसी और बुखार होता है.
गले के अंदर जलन क्यों होती है?गले में इंफेक्शन के मुख्य कारणों में गले में बैक्टीरियल संक्रमण होना शामिल है। बैक्टीरियल संक्रमण के कारण स्ट्रेप थ्रोट की समस्या पैदा होती है जिसके कारण गले और टॉन्सिल में संक्रमण हो सकता है।
जलन कैसे खत्म करें?भोजन करने के बाद कुछ बादाम का सेवन जरूर करें. – एलोवेरा से भी सीने में जलन की समस्या को कम किया जा सकता है. यह एक प्राकृतिक हर्ब है, जिसमें शरीर को ठंडा रखने वाली प्रॉपर्टीज मौजूद होती हैं. सीने में जलन होने पर ताजा एलोवेरा जेल से बने जूस का सेवन करें.
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