घर में पूजा कौन सी दिशा में करनी चाहिए? - ghar mein pooja kaun see disha mein karanee chaahie?

घर के भीतर पूजा स्थल बनाते समय हमें वास्तु नियमों की अनदेखी कभी नहीं करनी चाहिए, अन्यथा पूजा के शुभ फल की बजाय जीवन में तमाम तरह की दिक्कतें आने लगती हैं. पढ़ें आखिर कैसा और कहां होना चाहिए आपका पूजा घर —

घर में पूजा कौन सी दिशा में करनी चाहिए? - ghar mein pooja kaun see disha mein karanee chaahie?

वास्तु के अनुसार बनाएं अपना पूजा घर

TV9 Bharatvarsh | Edited By:

Updated on: Jul 13, 2021 | 7:07 PM

घर का पूजा स्थल वो स्थान है जहां पर जाकर माथा टेकने पर कैसी भी चिंता या परेशानी हो उसके तनाव से मुक्ति मिल जाती है. मन की शांति और ऊर्जा प्रदान करने वाले इस पवित्र स्थान को लेकर हमारे यहां कुछ नियम बताए गये हैं, जिनका पालन करने पर हमारी साधना शीघ्र ही सफल होती है और ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है. तो आइए जानते हैं घर में देवी-देवताओं के लिए पूजा बनवाते समय हमें किन ​वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए —

  1. घर में पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि ईशान कोण शुभ प्रभावों से युक्त होता है. घर के इसी क्षेत्र में सत्व ऊर्जा का प्रभाव शत-प्रतिशत होता है.
  2. घर के अंदर रखने वाले मंदिर के आकार की बात करें तो इसकी ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दुगुनी होनी चाहिए.
  3. घर के भीतर पूजाघर बनवाते हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि इसके नीचे या ऊपर या फिर अगल-बगल शौचालय नहीं होना चाहिए.
  4. घर की सीढ़ी के नीचे कभी पूजाघर नहीं बनाना चाहिए.
  5. पूजाघर में कभी भी दिवंगत लोगों की फोटो नहीं रखना चाहिए.
  6. पूजाघर में भूलकर भी खंडित मूर्ति या फटी-गली तस्वीर नहीं रखना चाहिए. ऐसी मूर्ति या फोटो को किसी पवित्र स्थान में गढ्ढा खोद दबा देना चाहिए.
  7. पूजाघर में धन-संपत्ति छुपाकर रखना शुभ नहीं माना गया है .
  8. घर के बेडरूम में कभी भी पूजाघर नहीं बनवाना चाहिए. यदि मजबूरी में बनाना भी पड़े तो उसे उस कमरे के ईशान कोण में बनाएं और रात को सोते समय उसमें परदा जरूर लगाएं.
  9. ईश्वर की पूजा हमेशा पवित्र स्थान पर शांत चित्त मन से करना चाहिए.
  10. कभी भी ईश्वर की प्रतिमा के ठीक सामने खड़े होकर पूजा-आरती नहीं करना चाहिए.

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किस दिशा में ​करें किस देवी–देवता की पूजा

जिस तरह पूजा स्थल के लिए एक शुभ दिशा निर्धारित है, उसी तरह प्रत्येक देवी देवता की साधना आराधना के लिए भी एक दिशा सुनिश्चत की गई है. जैसे देवों में प्रथम पूजनीय गणपति की पूजा उत्तर दिशा में, लक्ष्मी माता एवं कुबेर की पूजा उत्तर-पूर्व में, शक्ति और हनुमान जी की पूजा दक्षिण दिशा में और श्री राम दरबार,बभगवान विष्णु एवं सूर्य की पूजा पूर्व दिशा में करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है.

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घर में मंदिर बनाने एवं पूजा-पाठ करते समय वास्तु के नियमों की अनदेखी से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं बढ़ सकती हैं. वास्तु (Vastu Shastra) के मुताबिक घर में मंदिर स्थापित करने के लिए ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा को चुनना चाहिए. आइए वास्तु के अनुसार जानते हैं घर के मंदिर और पूजा-पाठ से जुड़ी खास बातें.

घर में बने मंदिर से जुड़ी गलतियां बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं. वास्तु के मुताबिक कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें पूजा घर में रखना शुभ नहीं माना जाता. घर में पूजा स्थल पर कभी भी खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए. 

वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार शंखनाद से किसी भी स्थान की नकारात्मकता  (Negativity) को दूर किया जा सकता है. कहा जाता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है. घर में शंख रखने से वास्तु दोषों से छुटकारा पाया जा सकता हैं. साथ ही धन की प्राप्ति भी होती है. शंख को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए.

वास्तु (Vastu) के अनुसार, शिवलिंग को हमेशा रेशमी कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर ही रखें. शिवलिंग को बिना रेशमी कपड़े के रखने से वास्तु दोष (Vastu Dosh) की संभावना होती है. इसके साथ ही घर में आर्थिक तंगी भी होती है.

वास्तु के मुताबिक अगर घर में शिवलिंग की स्थापना करना चाहते हैं तो अकेला शिवलिंग नहीं बल्कि शिव परिवार की मूर्ति रखना शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा घर में कभी भी पूर्वजों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए.

भगवान की किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए. यदि पूर्व दिशा में मुंह नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में मुंह करके पूजा करना भी उचित है.

वास्तु शास्त्र के हिसाब से पीले, हरे या फिर हल्के गुलाबी रंग की दीवार मंदिर के लिए शुभ होती है. हालांकि, ध्यान रखें कि मंदिर की दीवार का रंग एक ही होना चाहिए. 

कई बार हवन या अनुष्ठान कराने के बाद बची हुई पूजा की सामग्री घर के मंदिर में रख देते हैं, जबकि ऐसा करना वास्तु के अनुसार सही नही हैं. बची हुई सामग्री को प्रयोग करना या जल में बहाना उचित माना जाता है.

कलश के बिना पूजा अधूरी ही होती है. ज्यादातर लोग कलश को जमीन पर रख देते हैं, ऐसा करने से वास्तु दोष (Vastu Dosh) उत्पन्न होता है. इसलिए कलश को हमेशा थाली में रखना चाहिए.


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पूजा कौन सी दिशा में मुंह करके करनी चाहिए?

भगवान की किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा में होना चाहिए. यदि पूर्व दिशा में मुंह नहीं कर सकते तो पश्चिम दिशा में मुंह करके पूजा करना भी उचित है. वास्तु शास्त्र के हिसाब से पीले, हरे या फिर हल्के गुलाबी रंग की दीवार मंदिर के लिए शुभ होती है.

घर के मंदिर का मुंह कौन सी दिशा में होना चाहिए?

वास्तु के हिसाब से घर में मंदिर को स्थापित करने के लिए घर का सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा होती है। यह दिशा भगवान के मंदिर को रखने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है।

भगवान का मुख कौन सी दिशा में होना चाहिए?

7- भगवान का मुंह दक्षिण मुखी कभी नहीं होना चाहिए । पूरब, पश्चिम और उत्तर मुखी हो सकते हैं । पूजा करने वाले का भी पूरब-पश्चिम की ओर ही मुंह होना चाहिए । पूजा घर में कोई अन्य सामान नहीं रखना चाहिए

क्या उत्तर दिशा में मुंह करके पूजा की जा सकती है?

सामान्य तौर पर तो उत्तर या पूर्व दिशा में ही मुख करके पूजा-पाठ या जप किया जाता है, लेकिन कभी-कभी किसी फल की प्राप्ति के लिये अन्य दिशाओं में भी जप किया जाता है। पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करने से धन, वैभव व ऐश्वर्य कामना की पूर्ति होती है। दक्षिण दिशा में मुख करके जप करने से षट्कर्मों की प्राप्ति होती है।