हर्निया ऑपरेशन के बाद क्या सावधानी रखनी चाहिए - harniya opareshan ke baad kya saavadhaanee rakhanee chaahie

शरीर के किसी हिस्से का सामान्य से ज्यादा विकास होने पर हर्निया की बीमारी होती है। ऐसी स्थिति शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। हालांकि हर्निया सबसे ज्यादा शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में पेट पर ज्यादा होता है। पेट की मांसपेशियां जब कमजोर होने लगती हैं तो हर्निया की बीमारी धीरे-धीरे शुरू हो जाती है। यह महिला और पुरुषों दोनों में होने वाली समस्या है। हर्निया से बचाव संभव है लेकिन, लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर आप इससे बचाव कर सकते हैं। यदि आपका हर्निया कॉनजेनाइटल है तो भी इसे नियंत्रित करने के लिए आप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर्निया ऐसी समस्या है जो किसी को भी हो सकती है इसका सबसे मुख्य कारण बता पाना मुश्किल हो सकता है। चोट लगने या फिर सर्जरी के बाद घाव के न भर पाने की स्थिति में मांसपेशियों में से कुछ टिशू अपनी जगह से बाहर आ जाते हैं। ये टिशू उभार के रूप में एब्डोमेन में दिखाई देते हैं और इस स्थिति को ही हर्निया कहते हैं। हर्निया की सर्जरी के बाद पेशेंट का खास ध्यान रखना जरूरी है।

आमतौर पर सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अगर हर्निया बढ़ जाए, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स हर्निया रिपेयर सर्जरी करते हैं। सर्जरी के बाद मरीज को बहुत सी बातों का ध्यान रखना जरूरी है अन्यथा ये बीमारी फिर से हो सकती है।

और पढ़ें : Inguinal hernia: इंग्वाइनल हर्निया क्या है?

हर्निया की बीमारी कितने तरह की होती है?

यह निम्नलिखित 4 तरह के हो सकते हैं। जैसे-

1. इंग्वाइनल हर्निया

इंग्वाइनल हर्निया ज्यादातर थाई (जांघ) पर होता है। इंग्वाइनल हर्निया कारण अंडकोष में बदलाव होता है। हाइड्रोसिल की समस्या का कारण यही है।

हर्निया एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमे आंतरिक अंग या शरीर का अन्य हिस्सा मांसपेशियों या ऊतक (tissue) की दीवार कमज़ोर हो जाने से उभरकर बाहर निकलता है, उसे ही हर्निया कहते है। आसन भाषा में बताएं तो शरीर का अंदरूनी हिसा जब कमजोर होकर उसमे छेद हो जाता हैं, तो उसमें से आंत बाहर की तरफ आने लगती हैं, और पेट में उभार दिखने लगाता हैं।


हर्निया आमतौर पर पेट जांघ की ऊपरी हिस्से, नाभी और कमर के आस पास हो सकता हैं। हर्निया ज्यादा तर घातक नहीं होते अगर इसका सही समय पर ईलाज हो जाए तो इसे जल्दी ठीक किया जा सकता हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता हैं, की हर्निया का ईलाज सही समय पे होना जरुरी हैं, अगर हर्निया को ज्यादा दिन हो जाए तो इसमें मौजूद रक्त वाहिका पर दबाव पड़ने लगाता हैं, जिस कारण खून का बहना बंद हो सकता हैं, और आपातकालीन स्थिति आ सकती हैं।

हर्निया कितने प्रकार का होता है 

आमतौर पर पाए जाने वाले हर्निया के प्रकार:


१. हाइटस हर्निया: डायाफ्राम एक बड़ी मासपेशियों से बनी दीवार है, जो आपके पेट और छाती को अलग करती हैं। डायाफ्राम के अंदर एक छेद होता हैं उसे हाइटस (Hiatus) कहा जाता है, और उस छेद से सिर्फ भोजन नली ही पेट तक जाती हैं। जब कभी पेट का कोई हिस्सा (आंत) उस छेद से छाती की तरफ जाता हैं, उस स्थिति को हाइटस हर्निया कहा जाता है।


२. अम्बिलिकल हर्निया: जब कभी आंतें नाभि के पास पेट की दीवार से बाहर निकलती हैं। और नाभी के पास उभार दिखने लगता हैं उसे अम्बिलिकल हर्निया कहा जाता हैं। ज्यादा तर अम्बिलिकल हर्निया छह साल की कम उम्र वाले बच्चों में पाया जाता हैं।


३. वंक्षण हर्निया: जब पेट से आंत या वसायुक्त ऊतक (Fat tissue) पेट की निचली दीवार को भेद कर बाहर आ जाता हैं, और उभार दिखने लगता हैं उसे वंक्षण हर्निया (Inguinal Hernia) कहा जाता हैं। ज्यादा तर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को वंक्षण हर्निया अधिक बार प्रभावित करता है।


४. स्पोर्ट्स हर्निया: पेट के निचले हिस्से में या जांग के बिच में कमजोर मासपेशियों या ऊतक के फटने से स्पोर्ट्स हर्निया होता है। 


५. इंसिज़नल हर्निया: पेट की सर्जरी होने के बाद जब उचित देख-भाल नहीं होती है, और चीरे वाली जगह से आंतरिक अंग बाहर निकलने लगता है, तभी इंसिज़नल हर्निया होने की संभावना ज्यादा होती हैं। 

हर्निया के लक्षण क्या है 

आमतौर पर हर किसी के मन में ये सवाल जरूर आता हैं की हर्निया को कैसे पहचाने, मगर हर्निया के लक्षणों की बात करे तो इसके कोई ख़ास कर लक्षण नहीं हैं। ज्यादातर हर्निया से ग्रसित पेशंट नीचे दिए गए लक्षण को महसूस कर सकते हैं।


१. हर्निया के मरीजों में एक लक्षण समान्य रूप से पाया जाता हैं, जो की हर्निया से ग्रसित हिसा उभरा हुआ नजर आता हैं, और इसे प्रमुख लक्षण माना जाता हैं।


२. हर्निया से ग्रसित हिस्सा जब हम छूते हैं, तो वह ठोस महसूस होता हैं।


३. जैसे_जैसी दिन बीतते जाते हैं यह हिस्सा में उभार नजर आता हैं, और साथ ही दर्द बना रहता हैं।


४. हर्निया होने के बाद मलमूत्र त्यागते वक्त परेशानी का सामना होना।


५. पेट के निचले हिस्से में सूजन और दर्द महसूस होना।


६. दैनंदिक कामों में या उठने बैठने से भारी दर्द महसूस होना।

हर्निया होने के क्या कारण है

हर्निया रोग क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरुरी हैं, जिस कारण हम सही वक्त रहते और कुछ बातो का ध्यान रखने से कुछ हद तक हर्निया होने से बच सकते हैं।


१. कसरत करते समय भारी वजन उठाना और सही तकनीक का उपयोग ना करना।


२. पुरानी अंदरूनी चोट के कारण हो सकता हैं।


३. ज्यादा दिन खासी रहना जिस कारण अंदरूनी मासपेशियों पर दबाव पड़ने से हो सकता हैं।


४. पेट की सर्जरी के बाद होने के कुछ दिन बाद हो सकता हैं।


५. ज्यादा मोटापे के कारण भी हो सकता हैं।


६. गर्भावस्था में पेट के अंदरून भाग पर ज्यादा तनाव पड़ने से भी हो सकता हैं।


७. अगर परिवार में पहले किसी को हर्निया हो तो आपको भी होने की संभावना होती हैं।


८. उम्र बढ़ने के साथ भी हो सकता हैं।


९. नियमित रुप से धूम्रपान करने से भी हो सकता हैं।

हर्निया से क्या क्या होता है

१. दैनंदिन काम करने तथा उठने बैठने में तकलीफ हो सकती है।


२. हरनिया से प्रभावित हिस्सा उभरा हुआ नजर आ सकता हैं।


३. हर्निया को अगर ज्यादा दिन नजर अंदाज करते तो आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ सकता हैं।


४. ऑपरेशन के बाद कुछ बातों का ध्यान ना रखने से टाके टूट सकते हैं और दुबारा आपको हॉस्पिटल जाना पड़ सकता हैं।

हर्निया की बीमारी कैसे ठीक होगी 

हर्निया का उपचार उसके लक्षण की गंभीरता पर निर्भर होता हैं। डॉक्टर जब हर्निया के जटिलता की जांच कर लेते हैं, तब आपको ऑपरेशन करना ना करना इसके बारे में बताते हैं। वैसे तो हर्निया को सर्जरी द्वारा ही ठीक किया जा सकता हैं।


हर्निया से ग्रसित मरीजों का उपचार दो प्रकार के सर्जरी से किया जाता हैं, जिनमे से पहला है ओपन सर्जरी और दुसरी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी।


ओपन सर्जरी: हर्निया के ईलाज के लिए काफ़ी लंबे समय से ओपन सर्जरी (Open surgery) का उपयोग किया जा रहा हैं। इस सर्जरी में प्रभावित क्षेत्र में एक बड़ा सा चीरा लगाया जाता हैं, और कुछ खास उपकरणों की मदद से बाहर निकले हुए अंग को उसके सही स्थिति में पुनर्स्थापित किया जाता हैं। हर्निया प्रभावित क्षेत्र में जहा चीरा लगाया जाता हैं, उसे टाके लगाकर या सिंथेटिक जाल के मदद से फिर से बंद किया जाता हैं।


ओपन सर्जरी वाले मरीजों को स्वस्थ होने के लिए 5 से 6 माह का अवधि लग सकता है, इस दरम्यान मरीज को भारी सामान उठाना तथा दैनंदिन काम ना करने की सलाह दी जाती हैं।


लेप्रोस्कोपिक सर्जरी: हर्निया के ईलाज में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को ओपन सर्जरी के तुलना में कम दर्दनाक माना जाता हैं, और मरीज को ठीक होने में कम अवधी लगता हैं। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में हर्निया प्रभावित क्षेत्र में एक छोटासा चीरा लगाया जाता हैं और लेप्रोस्कोप (लेप्रोस्कोप एक एडवांस कैमरा हैं जो सर्जरी के वक्त अंदरूनी हिस्सा बारीकी से दिखाता हैं) को प्रभावित क्षेत्र के पास डाला जाता हैं, और लैप्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से ऑपरेशन किया जाता हैं।


लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद मरीज़ जल्दी स्वस्थ होकर अपने दैनंदिन काम नियमित रुप से कर सकता हैं। किंतु मरीज़ को पुरी तरह स्वस्थ होने के लिए एक सप्ताह का वक्त लग सकता हैं।

हर्निया ऑपरेशन के बाद की सावधानियां

हर्निया ऑपरेशन के बाद की डॉक्टर के द्वारा दिए गए कुछ सावधानियों का पालन करना अनिवार्य होता हैं, ताकि मरीज़ जल्द से जल्द ठिक हो पाए और अपने दैनंदिन काम नियमित रुप से कर पाए। डॉक्टर द्वारा दिए जाने वाले सुझाव कुछ इस तरह होते हैं।


१. हर्निया सर्जरी के बाद 5 से 6 माह तक भारी वजन ना उठाएं।


२. मलमूत्र त्यागते समय ज्यादा दबाव ना डाले।
३. हर्निया ऑपरेशन के बाद कब्ज़ की समस्या से बचे।


४. धुम्रपान करने से बचे जिस कारण खांसी की समस्या हो सकती हैं।


५. शरीर के वजन को बड़ने से रोके।


६. तीव्र खासी हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह से दवा ले।


७. पौष्टिक भोजन जैसे फल और सब्जियों का सेवन करे।


८. टाके लगाए गए जगह को रोज़ाना अच्छे से साफ़ करे।


९. डॉक्टर द्वारा सुझाए दवा का नियमित रूप से सेवन करे।

हर्निया के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए

हर्निया ऑपरेशन के बाद आहार से संबंधित डॉक्टर द्वारा दिए जाने वाली जानकारी का पालन करने से जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती हैं।


१. हर्निया सर्जरी के बाद फलों के रस का सेवन फायदेमंद होता हैं। फलों में पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे कमज़ोर शरीर को ताक़त देने में मदद करते हैं।


२. सर्जरी के बाद फाइबर युक्त भोजन का सेवन करे, फाइबर नैचुरल लैक्सिटिव का काम करता हैं, जो मल त्यागने के प्रक्रिया को आसन बनाता हैं।


३. डॉक्टर अंडे, बीन्स और पनिर खाने की सलाह देते हैं, इसमें मौजूद प्रोटीन घाव को जल्दी भरने में मदद करता हैं।


४. प्रोबायोटिक पदार्थों के सेवन से हमारी पाचन प्रणाली अच्छी रहती हैं, और गैस जैसी समस्या से छुटकारा मिलता हैं, जिस कारण डॉक्टर हमे दही जैसे पदार्थ का सेवन करने की सलाह देते हैं।

हर्निया ऑपरेशन के बाद कौनसी एक्सरसाइज करें 

हर्निया ऑपरेशन के बाद ज्यादा कसरत ना करे, जैसे वजन उठाना, सीडियां चढ़ना, ज्यादा भागदौड़ वाले काम ना करे जिसे मासपेशियों पे प्रेशर आता हैं। जिस कारण टाके टूटने का खतरा बढ़ जाता हैं।
आप हल्के कसरत से सुरवात कर सकते हैं, जैसे हाथ और गर्दन की एक्सरसाइज कर सकते हैं।


ऐसी एक्सरसाइज ना करे जिस कारण हर्निया ऑपरेशन प्रभावित क्षेत्र में जोर पड़े। एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें और उनके दिए गए नियमों का पालन करे।

हर्निया ऑपरेशन के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए

हर्निया के ऑपरेशन के बाद एक सवाल मन में आना समान्य हैं, की ऑपरेशन के कितने दिन बाद सेक्स करना चाहीए। जनकारी के लिए बता दू की सेक्स करते समय सर्जरी प्रभावित क्षेत्र में तनाव आ सकता हैं जिस कारण टाके टूटकर रक्त स्त्राव हो सकता हैं। ऑपरेशन के बाद कुछ माह तक शारीरिक संबंध ना बनाएं तो बेहतर हैं।


इस विषय में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से अवश्य संपर्क करे और डॉक्टर की सलाह का पालन करे।

क्या हर्निया बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकता है

हर्निया में मसपेशिया कमज़ोर होने से ऊतक में छेद हो जाता हैं और उस छेड़ से आंतरिक अंग बाहर आ जाता हैं। खराब हुईं मासपेशियों को दुबारा नहीं बनाया जा सकता हैं इसलिए हर्निया का ईलाज सर्जरी के सहायता से होता हैं। 


बीना सर्जरी हर्निया का ईलाज नहीं हो सकता। सर्जरी कब और किस परिस्थिति में करनी हैं ये डॉक्टर आपको बताते हैं और सर्जरी के बाद कोन सी दवा लेनी हैं इसकी सलाह देते हैं।


कुछ आखरी बातें ......🖋️


दोस्तों, आमतौर पर लोगों के द्वार हर्निया से संबंधित पुछे जाने वाले सवालों में कुछ सवाल इस प्रकार होते हैं, जैसे क्या हर्निया बिना ऑपरेशन के ठीक हो सकता है? क्या हर्निया दवा से ठीक हो सकता है? या Hernia operation ke baad ki kya savdhaniya leni chahiye?


आपको बता दू की हर्निया सिर्फ दवा से ठिक नहीं हो सकता हर्निया के ईलाज का एकमात्र उपाय सर्जरी होता हैं, और ये तय डॉक्टर के जांच के बाद किया जाता हैं। अगर आपको हर्निया से संबंधित कोई भी लक्षण नज़र आए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे और अपना वक्र पर ईलाज करे

हर्निया ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

लेप्रोस्कोपिक हर्निया रिपेयर सर्जरी के बाद रिकवरी 1 से 2 सप्ताह के भीतर वह अपने सामान्य गतिविधियों में लौट सकता है। हार्ड एक्सरसाइज या वजन काम करने के लिए 3-4 सप्ताह का इंतजार करना चाहिए

हर्निया ऑपरेशन के बाद क्या क्या परहेज करना चाहिए?

ओपन सर्जरी और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, दोनों से हर्निया का इलाज किया जा सकता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मॉडर्न है और इसमें कम समय लगता है।.
घाव साफ करें ... .
अधिक भोजन न करें ... .
बहुत देर तक एक ही जगह न बैठें ... .
स्नान न करें ... .
समय-समय पर दवा लें ... .
सिगरेट न पिए ... .
कड़े व्यायाम न करें.