जामुन का कुल कौन सा है? - jaamun ka kul kaun sa hai?

डाक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के फल वैज्ञानिक डाक्टर एस के सिंह बताते हैं कि अब जामुन के पारंपरिक किस्मों के बजाए नई रिसर्च पर आधारित किस्मों को ही किसान लगा रहे हैं. इसमें फल भी अच्छे हैं और बीज भी छोटे होते है.

भारत, विश्व की मधुमेह की राजधानी है और अधिकांश घरों में मधुमेह, जिसे ‘शर्करा रोग’ के रूप में जाना जाता है. मधुमेह मुख्य रूप से एक जीवन शैली की स्थिति है जो भारत में सभी आयु समूहों में खतरनाक रूप से बढ़ी है, और युवा आबादी में इसका प्रसार भी 10% से अधिक हो गया है. शहरी क्षेत्रों की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बदतर है, जहां सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों में बीमारी का प्रसार लगभग दोगुना है. विशेष रूप से युवा आबादी में मधुमेह की वर्तमान वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चिंता का कारण है.

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जामुन को उष्णकटिबंधीय जलवायु वाली जगहों पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. भारत में इसे ठंडे प्रदेशों को छोड़कर कहीं पर भी लगाया जा सकता है.

इसके पेड़ पर सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई ख़ास असर देखने को नही मिलता . लेकिन जाड़े में पड़ने वाला पाला और गर्मियों में अत्यधिक तेज़ धूप इसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है.

डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर के प्रोफेसर प्लांट पैथोलॉजी सह निदेशक अनुसंधान, अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के डाक्टर एस के सिंह से टीवी9 भारतवर्ष को बताया कि अब पारंपरिक तरीके के खेती में भी बदलाव आ गया है. बड़े फल और छोटे बीज वाले जामुन के किस्म को लोग ज्यादा उगाते हैं.

डाक्टर सिंह बताते हैं कि अपने देश में जामुन की उन्नत किस्मों के बारे में जामुन की कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं. कई किस्में किसानों की पसंद की वजह से बेहद लोकप्रिय है.

राजा जामुन

जामुन की इस प्रजाति को भारत में अधिक पसंद किया जाता है. इस किस्म के फल आकर में बड़े, आयताकार और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं. इसके फलों में पाई जाने वाली गुठली का आकार छोटा होते हैं. इसके फल पकने के बाद मीठे और रसदार बन जाते हैं.

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इस किस्म का विकास सेंट्रल फॉर सब-ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया है.इस किस्म के फल के अंदर बीज नहीं होते. इस किस्म के फल सामान्य मोटाई वाले अंडाकार दिखाई देते हैं.जिनका रंग पकने के बाद काला और गहरा नीला दिखाई देते है. इस किस्म के फल रसदार और स्वाद में मीठे होते हैं. इस किस्म के पौधे गुजरात और उत्तर प्रदेश में अधिक उगाये जाते हैं.

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इस किस्म के फल गहरे काले रंग के होते हैं.जो बारिश के मौसम में पककर तैयार हो जाते हैं. इसके फलों में गुठली का आकार छोटा होता है. इसका गुदा मीठा और रसदार होता है.

काथा

इस किस्म के फल आकार में छोटे होते हैं. जिनका रंग गहरा जामुनी होता है. इस किस्म के फलों में गुदे की मात्रा कम पाई जाती है. जो स्वाद में खट्टा होता है. इसके फलों का आकार बेर की तरह गोल होता है.

गोमा प्रियंका

इस किस्म का विकास केन्द्रीय बागवानी प्रयोग केन्द्र गोधरा, गुजरात के द्वारा किया गया है. इस किस्म के फल स्वाद में मीठे होते है. जो खाने के बाद कसेला स्वाद देते है. इसके फलों में गुदे की मात्रा ज्यादा पाई जाती है.इस किस्म के फल बारिश के मौसम में पककर तैयार हो जाते हैं.

भादो

इस किस्म के फल सामान्य आकार के होते हैं. जिनका रंग गहरा बेंगानी होता है. इस क़िस्म के पौधे पछेती पैदावार के लिए जाने जाते हैं. जिन पर फल बारिश के मौसम के बाद अगस्त महीने में पककर तैयार होते हैं. इस किस्म के फलों का स्वाद खटाई लिए हुए हल्का मीठा होता है.

उपरोक्त प्रजातियों के अलावा और भी कई किस्में हैं जिनकी अलग अलग प्रदेशों में उगाकर अच्छी पैदावार ली जाती हैं. जिनमें नरेंद्र 6, कोंकण भादोली, बादाम, जत्थी और राजेन्द्र 1 जैसी कई किस्में शामिल हैं.

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जामुन का पेड़ एक औषधीय पौधा है। जामुन के पौधे में काले कलर के फल लगते हैं, जो बहुत ही स्वादिष्ट रहते हैं। यह एक फल देने वाला पौधा है। यह फल चमकदार रहते हैं। यह फल खाने में बहुत स्वादिष्ट रहते हैं। इन फलों का स्वाद मीठा रहता है। जामुन को एक औषधीय पौधा माना जाता है। जामुन का पौधा संपूर्ण भारत भूमि में पाया जाता है। जामुन के पेड़ के सभी भागों का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है। जामुन का फल गर्मी में मिलता है। जामुन का पेड़ 15 से 25 फीट ऊंचा रहता है। यह पेड़ सदा हरा भरा रहता है। इस पेड़ में हरे रंग की पत्तियां देखने के लिए मिलती है। 

जामुन की पत्तियां चिकनी रहती हैं। जामुन का तना खुरदुरा रहता है। जामुन के तने में एक मुख्य तना देखने के लिए मिलता है और शाखाएं देखने के लिए मिलती है। जामुन के पत्तों एवं इसकी शाखाओं के द्वारा, यह पौधा बहुत ज्यादा सघन रहता है, जिससे इस पौधे से छाया प्राप्त होती है। यह एक छायादार वृक्ष है। इस पौधे को गार्डन में और घरों में लगाया जाता है, क्योंकि इससे मीठे मीठे जामुन खाने के लिए मिलते हैं। जामुन का फल बहुत फायदेमंद रहता है। यह मधुमेह के इलाज में बहुत उपयोगी है। जामुन के औषधीय गुणों के बारे में लोग परिचित नहीं है, जिस से लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। आज इस ब्लॉग में हम जामुन के उपयोग और इसके औषधीय महत्व के बारे में जानेंगे। 

जामुन का पौधा सामान्य जलवायु में आसानी से बड़ा हो जाता है। जामुन के फल में बहुत सारे गुण मौजूद रहते हैं, जो हमारी रोगों से रक्षा करते हैं। जामुन के पौधे की आयु 80 से 90 साल रहती है। जामुन का पौधे का उपयोग बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। जामुन का पेड़ के सभी अंग उपयोगी रहते हैं। जामुन के पेड़ के पत्ते, फल, गुठली या बीज, तना, छाल, और टहनी यह सब उपयोगी रहते हैं और इन सब का उपयोग आयुर्वेदिक रूप से किया जाता है। जामुन का पौधा 5 से 6 सालों में फल देने लगता है। 

जामुन में सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल आते हैं। यह फूल गुच्छों  में लगते हैं। जामुन के फल गुच्छों में लगते है। जामुन के फल प्रारंभिक अवस्था में हरे कलर के रहते हैं। पकने के बाद, जामुन के फल बैगनी और काले रंग के हो जाते हैं। यह फल रसदार और गूदेदार होते है। जामुन के फल का स्वाद मीठा और खट्टा दोनों रहता है। जामुन के फल को, जब हम खाते हैं, तो जीभ पर, बैगनी रंग छोड़ देता है। बाजार में जामुन के फल आसानी से मिल जाते हैं। गर्मियों में जामुन आप ले सकते हैं और इसका उपयोग कर सकते हैं। जामुन के फलों में बहुत सारे औषधीय गुण रहते हैं, जो हमें बहुत सारे रोगो से बचाते हैं। जामुन के फल हृदय रोग, मधुमेह, पाचन, बाबासीर, त्वचा, लीवर, दांत संबंधी रोग को ठीक कर देते है। 


जामुन के औषधीय गुण, महत्व और उपयोग - Medicinal properties, importance and uses of Jamun

जामुन में बहुत सारे औषधीय गुण रहते हैं। जामुन में बहुत सारे पोषक तत्व रहते हैं। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, विटामिन बी, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व रहते हैं। जामुन बहुत सारे रोगों से लड़ता है और हमारी रक्षा करता है। जामुन में एस्ट्रिजेंट गुण पाया जाता है, जो हमारे बहुत सारे रोगों को दूर करता है। जामुन में एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी इनफेक्टिव और एंटीमलेरियल के गुण पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है, जो बहुत सारे बुखारो में हमारी रक्षा करते हैं। 


जामुन के पेड़ के फायदे और जामुन खाने के फायदे - Benefits of Jamun tree and benefits of eating Jamun

दातों के लिए जामुन के सूखे पत्तों का प्रयोग 

दातों के लिए जामुन के सूखे पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए सूखे पत्ते को जलाकर इसकी राख का पाउडर बनाया जाता है और इससे दांतों व मसूड़ों से मालिश की जाती है, जिससे दांत मजबूत होते हैं और दांत के सभी रोग भी ठीक हो जाता है। इससे दांतों का पायरिया रोग भी ठीक हो जाता है। 

मुंह के छालों में जामुन के पत्तों का प्रयोग 

मुंह के छाले में जामुन के पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है और जामुन के फल को प्रतिदिन खाने से गले के रोग ठीक हो जाते हैं। जामुन के पत्तों को उबालकर कुल्ला करने से भी फायदा मिलता है। अगर गला बैठ गया हो या गले में दर्द हो, तो जामुन की छाल को पानी में उबालकर, इस से गरारे करने पर फायदा मिलता है। 

लीवर की बीमारी में जामुन का उपयोग 

लीवर की बीमारी में जामुन का उपयोग किया जा सकता है। लीवर के सिरके का रस पीने से बढ़े हुए लीवर की बीमारी में फायदा मिलता है। 

मुहांसों को दूर करने में जामुन के पत्तों का उपयोग 

मुहांसों को दूर करने के लिए जामुन के पत्तों का उपयोग किया जाता है। इसके लिए जामुन के पत्तों का रस निकालकर चेहरे में लगाया जाता है, जिससे मुहासे जैसे विकार ठीक हो जाते हैं। जामुन के पत्ते का रस को त्वचा पर लगाने से, त्वचा में तेल आने की समस्या कम हो जाती है, जिससे पिंपल्स नहीं होते हैं और हमारी त्वचा सुंदर दिखती है। 

मोतियाबिंद में जामुन का प्रयोग 

मोतियाबिंद में जामुन का प्रयोग किया जा सकता है। मोतियाबिंद में जामुन की गुठली को पीसकर इसका पाउडर बना लेना है और जामुन का पाउडर और आंवले के पाउडर की बराबर मात्रा शहद के साथ लेना है। इसका सेवन करने से आंखों में मोतियाबिंद की समस्या दूर होती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। 

इंफेक्शन की समस्या को दूर करना 

जामुन की पत्तियों इंफेक्शन की समस्या को भी दूर करता है। जामुन की पत्तियों को आप काढ़ा बना ले और इससे आप घाव को धोते हैं, तो घाव जल्दी भर जाता है और इन्फेक्शन भी नहीं फैलता है। 

श्वेत प्रदर की समस्या के लिए जामुन की गुठली का प्रयोग 

श्वेत प्रदर की समस्या बहुत बड़ी है। यह महिलाओं में विशेष कर पाई जाती है। श्वेत प्रदर की समस्या के लिए जामुन की गुठली का पाउडर एवं आंवला का पाउडर मिलाकर मिश्री के साथ सेवन करने से फायदा मिलता है। इससे धातु रूप भी ठीक होता है। 

त्वचा के लिए जामुन की छाल का प्रयोग 

त्वचा संबंधी रोगों के लिए जामुन की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। जामुन की छाल में रक्तशोधक का गुण रहता है, जो हमारे रक्त को शुद्ध करता है। जामुन की छाल के प्रयोग से हमारे रक्त में, जो भी गंदगी रहती है। वह साफ हो जाती है और हमारी त्वचा अच्छी दिखने लगती है। जामुन में एस्ट्रिजेंट के गुण पाए जाते हैं, जो हमारी त्वचा को और खूबसूरत बनाता है। 

जामुन से पथरी का इलाज

जामुन से पथरी का इलाज किया जा सकता है। जामुन के फल को आप प्रतिदिन खाते हैं, तो पथरी गल कर निकलने लगती है। पथरी मूत्र नली से गल कर निकलने लगती है। 

जामुन के कोमल पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लेना है और इसे काली मिर्च के पाउडर के साथ मिलाकर खाने से पथरी में फायदा मिलता है। यह पथरी के लिए एक देसी दवा का काम करता है। इससे आपको जरूर फायदा मिलेगा। 

जामुन से शुगर का इलाज

शुगर में जामुन फायदा देती है। जामुन से शुगर का इलाज किया जा सकता है। मधुमेह या शुगर के इलाज के लिए जामुन के गुठली के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है, जो बहुत फायदेमंद होता है। 

जामुन के बीज को सुखाकर, इसका पाउडर बना लेना चाहिए और इस पाउडर को दिन में तीन बार लेना चाहिए, जिससे शुगर में फायदा मिलता है। 

जामुन के पके हुए फल को खाने से भी शुगर में बहुत फायदा मिलता है। 

जामुन के बड़े आकार के फल को धूप में सुखाकर चूर्ण बना लेना चाहिए और इस चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए, जिससे फायदा मिलता है। 

जामुन की छाल भी मधुमेह के इलाज के लिए एक मुख्य औषधि है। जामुन की छाल की राख मधुमेह के लिए उपयोग की जाती है। आप इस राख का सेवन करते हैं, तो आपको मधुमेह रोग में लाभ मिलता है। 

गठिया रोग में जामुन की जड़ का प्रयोग 

गठिया रोग में जामुन की जड़ का प्रयोग किया जाता है। गठिया रोग में जामुन की जड़ को उबालकर इसे पीसना पड़ता है और इससे गठिया वाले स्थान पर लगाना पड़ता है, जिससे गठिया में आराम मिलता है। 

रक्तपित्त में जामुन का फायदा 

रक्तपित्त का अर्थ होता है, की कान, नाक या शरीर के किसी भी अंग से खून बहना। रक्तपित्त में जामुन का बहुत फायदा होता है। रक्तपित्त में जामुन की पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। जामुन के पत्तों के रस को निकालकर इसका सेवन करने से रक्त पित्त में आराम मिलता है। 


जामुन की तासीर कैसी होती है - Jamun ki taseer Kaisi hoti hai

जामुन की तासीर ठंडी रहती है। जामुन का फल ठंडा रहता है। इसलिए आप जामुन खाते है, तो आप जामुन ज्यादा मात्रा में ना खाये। नहीं तो आपको कफ की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए आप जामुन कम मात्रा में खाएं, जिससे आपको कफ की समस्या ना बढ़े। 


जामुन का पाउडर या जामुन की बीज या गुठलियों का पाउडर - Jamun powder or Jamun seeds powder

जामुन के सीड का पाउडर बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए पके हुए जामुन ले। आप जामुन का गुदा उतारकर। उस गूदे का सिरका बना सकते हैं या आप जामुन को खा सकते हैं और इसके जो भी बीज रहते हैं। उसे पानी में धोकर धूप में सुखा लीजिए। जब यह बीज सूख जाते हैं, तो इन बीजों को आप मिक्सी में या सिलबट्टे में पीस लीजिए। आप इन बीज को बारीक़ पीस लीजिए और इसका पाउडर बना लीजिए। 

आप जामुन के पाउडर को छलनी से छान लीजिए या आप बिना छाने भी इस पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं। यह पाउडर बहुत ही गुणकारी रहता है। इस पाउडर का उपयोग डायबिटीज के लिए किया जाता है। इस पाउडर का उपयोग और भी बहुत सारे बीमारियों के लिए किया जाता है। 


जामुन के नुकसान - Harm of berries

जामुन का फल बहुत ज्यादा फायदेमंद रहता है। मगर जामुन का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से, यह नुकसान भी पहुंचाता है। जामुन का फल देर से पचता है। इसलिए इसका कम मात्रा में खाना उचित होता है। आप एक या दो मुट्ठी जामुन के फल को खा सकते हैं। जामुन के फल में अम्ल रहता है। इसलिए इसे  नमक के साथ खाया जाता है। जामुन के फल को खाने से कफ हो सकता है। जामुन की फल को ज्यादा मात्रा में खाया जाए, तो इससे बुखार भी हो सकता है। 


जामुन का सिरका कैसे बनाते हैं - How to make Jamun Vinegar

जामुन का सिरका बनाने की विधि बहुत आसान है। जामुन का सिरका बनाने के लिए, हमें पके हुए जामुन चाहिए। पके हुए जामुन को पहले पानी से अच्छी तरह धो लें। इसमें कंकड़ और मिट्टी के कण नहीं रहना चाहिए। उसके बाद पके हुए जामुन में पानी डालकर और नमक डालकर इसे 1 दिन के लिए रख ले। जामुन अच्छी तरह से गल जाएगा। फिर जामुन को हाथ से मसल लीजिए। मसलने के बाद, इस को छान लीजिए और इसके पानी को कांच की बोतल में भरकर, इसे धूप में रख दीजिए। इसे 2 दिन तक धूप में रखे। यह अच्छी तरह से फर्मेंट हो जाएगा और जामुन का सिरका बनकर तैयार हो जाएगा। जामुन की, जो बची हुई गुठली रहती है। उनका आप पाउडर बना सकते हैं। यह पाउडर बहुत फायदेमंद रहता है। 


जामुन के सिरके के फायदे और नुकसान - Benefits and harms of Jamun Vinegar

जामुन के सिरके के बहुत सारे फायदे रहते हैं -

  1. जामुन का सिरका एक पाचक रस की तरह काम करता है। यह हमारे द्वारा, जो भी खाना खाया जाता है। उसको अच्छी तरह पचा देता है। 
  2. जामुन का सिरका कृमि नाशक रहता है। जामुन के सिरके के प्रयोग से पेट के, जो भी कीड़े रहते हैं। वह खत्म हो जाते हैं। 
  3. जामुन का सिरका मधुमेह के रोग में बहुत लाभकारी होता है। जामुन के सिरके से मधुमेह के रोग ठीक हो जाता है। 
  4. जामुन का सिरका से भूख बढ़ जाती है, जिन्हें भूख नहीं लगती है, उन्हें जामुन का सिरका का प्रयोग करना चाहिए। इससे भूख बढ़ जाती है। 
  5. जामुन का सिरका शीतलता प्रदान करता है, जिनके भी शरीर में गर्मी रखते हैं। जामुन का सिरका उनके शरीर को ठंडा करता है।
  6. जामुन के सिरके से त्वचा साफ होती है। जामुन के सिरके में विटामिन सी रहता है, जिससे त्वचा साफ होती है और त्वचा में निखार आता है। 


जामुन के सिरके के प्रयोग से नुकसान भी होता है। जामुन के सिरके का ज्यादा प्रयोग किया जाए, तो इससे सर्दी खांसी हो जाती है और बुखार होने लगता है।  

जामुन के सिरके का प्रयोग प्रेगनेंट लेडी और बच्चों को डॉक्टर की सलाह लेकर ही करना चाहिए। 



जामुन के पेड़ को कैसे लगाएं या उगाये - How to Plant or Grow Jamun Trees

जामुन का वृक्ष लगाना बहुत ही आसान है। जामुन का वृक्ष लगाने के लिए आप जामुन के बीज या गुठली और जामुन के कलम का प्रयोग कर सकते हैं। जामुन के वृक्ष को लगाने के लिए, इसके बीज का प्रयोग किया जाता है। पके हुए जामुन की गुठली या बीज को अच्छी तरह पानी से धो लेना चाहिए और बीज में जामुन का गूदा नहीं लगे रहना चाहिए, नहीं तो इससे जामुन की गुठली मिट्टी में जाकर सड़ जाएगी। 

उसके बाद जामुन की गुठली को धोने के बाद, इसे आप मिट्टी में डायरेक्ट लगा सकते हैं या आप इसे नमी में अंकुरित कर सकते हैं। आप इसे नमी में अंकुरित करेंगे, तो यह अच्छी तरह से अंकुरित हो जाएगी और उसके बाद जब यह अंकुरित हो जाती है, तो इसे आप मिट्टी में लगा दीजिए। आप इसे सही समय पर पानी दे और इसे छांव में रखें। 10 से 15 दिनों में इससे छोटे-छोटे पौधे निकलने लगेंगे। 

आप जामुन के पेड़ को गमले में आसानी से लगा सकते हैं। अगर आप इसे गमले में लगाते हैं, तो गमले के लिए आप मिट्टी तैयार कर लें। आपको मिट्टी तैयार करनी पड़ेगी। इसके लिए आपको गोबर खाद, रेत और मिट्टी का मिश्रण लेना पड़ेगा। इसमें आप नीम की खली भी डाल सकते हैं। उसके बाद आप गमले में जामुन का पौधा लगा दीजिए। आपको 10 से 15 दिन में जामुन के पौधे में पत्तियां देखने के लिए मिल जाएगी। 

आप जामुन के पौधे को कलम के द्वारा भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए जामुन की अच्छे नस्ल के पौधे की कलम लीजिए और जामुन की कलम करीब 6 इंच की रहनी चाहिए। जामुन की कलम से आप पूरी पत्तियों को अलग कर दीजिए। कलम के निचले हिस्से को शार्प कटिंग कर दीजिए और उसे किसी भी पॉलीबैग में लगा दीजिए। जामुन की निचले हिस्से को अगर आप शहद या एलोवेरा लगाते हैं, तो यह जरूर अंकुरित होता है। इसके अंकुरित होने के चांस बढ़ जाते हैं। उसके बाद आप जामुन की कलम के ऊपरी सिरे पर पन्नी बांध दीजिए और इसे पॉलिथीन से ढक दीजिए। आपको 15 से 20 दिन में रिजल्ट देखने के लिए मिल जाएगा। जामुन के ऊपरी भाग में आपको छोटी-छोटी पत्तियां देखने के लिए मिल जाएगी। 

जामुन का दूसरा नाम क्या है?

इसे विभिन्न घरेलू नामों जैसे जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि के नाम से जाना जाता है।

जामुन का पेड़ कौन सी विधा है?

Answer. Explanation: जामुन का पेड़ प्रसिद्ध कथाकार कृष्ण चंदर जी द्वारा लिखी गयी एक हास्य -व्यंग रचना है .

जामुन क्या है उत्तम जामुन के 4 गुण लिखिए?

जामुन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेड भरपूर मात्रा में होते हैं। जामुन का सिर्फ फल ही नहीं, इसके पेड़ की छाल, पत्तियां और फल की गुठली भी बहुत फायदेमंद होती है। बड़ों के साथ ही ये फल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है।

जामुन खाने से कौन सा रोग दूर होता है?

जामुन खाने के अनगिनत स्वास्थ्य लाभ होते हैं. ये पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में भी फायदेमंद है. खून की कमी को पूरा करता है- विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है.