ज्यादा मोबाइल देखने से दिमाग पर क्या असर होता है? - jyaada mobail dekhane se dimaag par kya asar hota hai?

डॉ. अग्रवाल के मुताबिक "गैजेट्स के माध्यम से जानकारी की कई अलग-अलग धाराओं तक पहुंच रखने से मस्तिष्क के ग्रे मैटर के घनत्व में कमी आई है, जो संज्ञान के लिए जिम्मेदार है और भावनात्मक नियंत्रण रखता है. इस डिजिटल युग में, अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है पूर्ण संयम, यानी प्रौद्योगिकी का हल्का फुल्का उपयोग होना चाहिए."

क्या आप मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल करते हैं... ? या आप मोबाइल फोन को अपने साथ रखकर सोते हैं...? क्या आप जानते हैं मोबाइल फोन से होने पैदा होने वाले खतरे को...? अगर आपका जवाब है नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। अगर आपको मोबाइल फोन का उपयोग करने के आदत है, तो जान लें आपकी सेहत को इससे खतरा है।

मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है। जानिए इसके अधि‍क प्रयोग से होती है कौन से नुकसान -

1 मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिकाकर रखते हैं तो संबंधि‍त स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शि‍कार हो सकते हैं।

2 रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है।

3 ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।

4 पुरुषों में कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है। दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।

5 वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।

6 मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधि‍क इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।

7 तनाव और डि‍प्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशि‍काओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती।

8 गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधि‍क इस्तेमाल, गर्भस्थ शि‍शु को प्रभावित कर सकता है। इससे शि‍शु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।

9 मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं।

10 मोबाइल फोन का जरूरी और सीमि‍त इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटि‍क विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सही होगा।

कभी मोबाइल फोन को कैंसर के लिए जिम्मेदार बताया जाता है, तो कभी ब्रेन ट्यूमर के लिए. हालांकि हमारे पास अभी भी बहुत ठोस सबूत नहीं हैं, लेकिन इसका मतलब ये हरगिज नहीं कि मोबाइल फोन से होने वाले नुकसान को नजरअंदाज किया जा सकता है.

माना जाता है कि मोबाइल फोन से सबसे बड़ा खतरा होता है रेडिएशन का. इनसे रेडियो तरंगें निकलती हैं, जो हमारे शरीर के अंदर पहुंचती हैं. ऐसे कई शोध हुए हैं जो ब्रेन ट्यूमर के कारण के तौर पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल की ओर इशारा करते हैं. लेकिन स्विट्जरलैंड के ट्रॉपिकल एंड पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट के मार्टिन रोएसली का मानना है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगों से डरने की कोई जरूरत नहीं है.

रोएसली का कहना है कि इन रेडियो तरंगों की फ्रीक्वेंसी इतनी कम होती है कि इसका शरीर पर कोई असर नहीं हो सकता. उनके अनुसार इसकी तुलना रेडियो और टीवी से निकलने वाली तरंगों से की जा सकती है. वे कहते हैं, "ये रेडियोधर्मी या एक्स रे जैसी किरणें नहीं हैं. इस तरह के रेडिएशन से डीएनए को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं होता. ऐसा होना नामुमकिन है."

फिर ऐसा क्यों है कि आए दिन मोबाइल फोन और कैंसर से जुड़े अध्ययन सामने आते रहते हैं? इस बारे में रोएसली का कहना है कि इस तरह की स्टडी में आम तौर पर लोगों से याद करने को कहा जाता है कि उन्होंने कितना फोन इस्तेमाल किया. ऐसे में मुमकिन है कि लोग सही आंकड़े नहीं दे पाते या फिर जिन्हें ट्यूमर है, वे पहले से ही फोन को जिम्मेदार मान लेते हैं. रोएसली कहते हैं, "पिछले दो दशकों में हमने कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी नहीं देखी है. अगर मोबाइल फोन से इतना बड़ा खतरा होता, तो संख्या जरूर बढ़ी होती."

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के फ्रैंक दे वोख्त भी इससे इत्तेफाक रखते हैं. उनका कहना है, "अगर मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कैंसर जैसी बीमारी में इजाफा होता, तो हमारे पास जो मौजूदा वैज्ञानिक तरीके हैं, उनके जरिए यह जरूर पकड़ में आ चुका होता. मिसाल के तौर पर धूम्रपान और फेंफड़े के कैंसर का सीधा संबंध ढूंढ लिया गया है."

लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि मोबाइल फोन का किसी भी तरह से दिमाग पर असर नहीं पड़ता. रोएसली ने 12 से 17 साल की उम्र के 700 युवाओं पर शोध किया. उन्होंने पाया कि फोन के इस्तेमाल से दिमाग की बातों को याद रखने की क्षमता पर असर पड़ता है. इसमें सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है फोन पर घंटों बातें करना, "दिमाग में पहुंचने वाली 80 फीसदी रेडिएशन फोन को सर के करीब पकड़ कर रखने की वजह से पहुंचती हैं."

खास कर अगर फोन दाहिने कान पर लगा हो क्योंकि दिमाग का दाहिना हिस्सा यादों को समेट कर रखता है. लेकिन जहां तक टेक्स्ट मेसेज करने और ऐप्स के इस्तेमाल की बात है, तो इस शोध में उनका दिमाग पर बुरा असर नहीं देखा गया.

वहीं दे वोख्त का कहना है कि फोन को बाएं कान पर लगा कर या फिर हेडफोन्स और स्पीकर की मदद से इस बुरे असर से बचा जा सकता है. दोनों विशेषज्ञों का कहना है कि शारीरिक असर से ज्यादा मानसिक असर पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि स्मार्टफोन की लत लोगों के बर्ताव को बदल रही है. ऐसे में फोन के मानसिक असर की दिशा में अधिक शोध की जरूरत है.

1 दिन में कितने घंटे मोबाइल चलाना चाहिए?

एक व्यक्ति को एक दिन में लगभग 1 से 2 घंटे फ़ोन का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ज्यादा मोबाइल चलाने से हमारे आखों और मानशिक में काफी तनाव पड़ता है।

मोबाइल चलाने से कौन कौन सी बीमारी होती है?

मोबाइल की नीली स्क्रीन आपकी आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है. इससे गंभीर सिरदर्द, आंखों में दर्द और यहां तक ​​कि हमारी आंखें ड्राई भी हो सकती हैं. ऐसे में सेलफोन का उपयोग करते समय ब्रेक लेना काफी जरूरी होता है.

लगातार मोबाइल देखने से क्या नुकसान होता है?

स्मार्टफोन की ब्राइटनेस से और लगातार फोन के इस्तेमाल से हमारी आंखों पर काफी बुरा असर पड़ता है. फोन से निकलने वाली रोशनी सीधे रेटिना पर असर करती है, जिसकी वजह से आंखें जल्दी खराब होने लगती हैं. इतना ही नहीं धीरे-धीरे देखने की क्षमता भी कम होने लगती है और सिर में दर्द बढ़ने लगता है.

ज्यादा देर मोबाइल चलाने से क्या होता है?

देर रात तक मोबाइल चलाने का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. इससे थकान और तनाव बढ़ने लगता है. रात को लंबे समय तक मोबाइल चलाने से मेलाटोनिन नामक हार्मोन का लेवल कम हो जाता है. इसकी वजह से स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है और आप थकान महसूस करने लगते हैं.