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करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe
करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Bhavarth/Arth) करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning (Hindi Shabdarth/Arth)करता था : जब तुमने कर्म किये (बुरे कर्म किये) करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning (हिंदी अर्थ/भावार्थ)कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा जब बुरे काम करती है तो विचार नहीं करती है. वह बाद में पछतावा करती है लेकिन पछतावा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. तुमने यदि बबूल के पेड़ को बोया है तो
अब तुम आम का फल कहाँ से खाओगे. जो करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe ऐसे ही अन्य भजन देखने के लिए कृपया होम पेज पर अवश्य विजिट करें। संत कबीर के दोहे हिंदी मे?कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥ माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए पर कहानी?अभी हाल में ही बड़े -बुजुर्ग सेक्शन में एक लघु कथा पढ़ी जिसमें एक बुजुर्ग आदमी अपने आपको एक रद्दीवाले से खरीदने के लिए कहता है. ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के पश्चात उसने सोचा था कि वह अपना वक्त परिवार के बीच गुजारेगा.
कबीर दास के 10 दोहे with meaning?कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित. अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। ... . अर्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। ... . अर्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। ... . कबीर दास के 5 दोहे अर्थ सहित?कबीर के 10 बेहतरीन दोहे : देते हैं जिंदगी का असली ज्ञान. मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत | ... . भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय | ... . मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ | ... . शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | ... . जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | ... . मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास | ... . कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास |. |