करता था सो क्यों किया अब करि क्यों पछताय बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाय - karata tha so kyon kiya ab kari kyon pachhataay boya ped babool ka aam kahaan se khaay

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Bhavarth/Arth)
करता था तो क्यूँ रह्या, अब करि क्यूँ पछताइ।
बोवै पेड़ बबूल का,अम्ब कहाँ तैं खाइ॥
Karata Tha To Kyu Rahya, Aub Kari Kyu Pachhtaai,
Bove Ped Babool Ka, Aumb Kaha Te Khaai.

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning (Hindi Shabdarth/Arth)

करता था : जब तुमने कर्म किये (बुरे कर्म किये)
तो क्यूँ रह्या : तब क्यों नहीं रहे, उसे करते ही क्यों रहे (छोड़ा क्यों नहीं)
अब करि क्यूँ पछताइ : अब क्यों पछता रहे हो.
बोवै पेड़ बबूल का : तुमने बबूल का पेड़ बोया है.
अम्ब कहाँ तैं खाइ : अब तुम आम कहाँ से खाओगे.
अम्ब : आम
खाइ- खाओगे.
खाई-खाओगे.

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning (हिंदी अर्थ/भावार्थ)

कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा जब बुरे काम करती है तो विचार नहीं करती है. वह बाद में पछतावा करती है लेकिन पछतावा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. तुमने यदि बबूल के पेड़ को बोया है तो अब तुम आम का फल कहाँ से खाओगे. जो
व्यक्ति जैसे कर्म करता है वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है. जीवन भर व्यक्ति स्वंय की लालसाओं और स्वार्थों की पिछे भागता फिरता है. कबीर साहेब ने कर्म प्रधानता पर बल दिया है, जैसे हमारे कर्म होंगे वैसे ही फल हमें प्राप्त होंगे. इसलिए साधक को चाहिए की वह सद्मार्ग पर चलते हुए नेक कार्य करे और हरी के नाम का सुमिरण करे. बगैर हरी नाम के सुमिरण के इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है.

करता था तो क्यूँ रह्या अब करि क्यूँ पछताइ मीनिंग Karata Tha To Kyu Rahya Meaning Kabir Dohe

ऐसे ही अन्य भजन देखने के लिए कृपया होम पेज पर अवश्य विजिट करें। 


संत कबीर के दोहे हिंदी मे?

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥ माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होए पर कहानी?

अभी हाल में ही बड़े -बुजुर्ग सेक्शन में एक लघु कथा पढ़ी जिसमें एक बुजुर्ग आदमी अपने आपको एक रद्दीवाले से खरीदने के लिए कहता है. ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के पश्चात उसने सोचा था कि वह अपना वक्त परिवार के बीच गुजारेगा.

कबीर दास के 10 दोहे with meaning?

कबीर दास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित.
अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। ... .
अर्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। ... .
अर्थ: इस संसार में ऐसे सज्जनों की जरूरत है जैसे अनाज साफ़ करने वाला सूप होता है। ... .

कबीर दास के 5 दोहे अर्थ सहित?

कबीर के 10 बेहतरीन दोहे : देते हैं जिंदगी का असली ज्ञान.
मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत | ... .
भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय | ... .
मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ | ... .
शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | ... .
जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | ... .
मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास | ... .
कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास |.