NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 13 ग्राम श्री is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 13 ग्राम श्री. Show NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 13 ग्राम श्रीपाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5.
उत्तर-
प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8. कविता में गंगा की सतरंगी रेती और जल क्रीड़ा करते पक्षियों का चित्रण भी है। हरा-भरा गाँव देखकर लगता है कि यह मरकत का कोई डिब्बा हो। कविता की भाषा सरल सहज बोधगम्य, प्रवाहमयी है जिसमें चित्रमयता है। वर्णन इतना प्रभावी है कि सारा का सारा दृश्य आँखों के सामने साकार हो उठता है। कविता में अनुप्रास, रूपक मानवीकरण और विरोधाभास अलंकारों का सहज एवं स्वाभाविक प्रयोग है। इस तरह ग्राम श्री’ कविता भाव एवं भाषा की दृष्टि से उत्कृष्ट है। प्रश्न 9. पाठेतर सक्रियता प्रश्न 10. प्रश्न 11. अन्य पाठेतर हल प्रश्न लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. More Resources for CBSE Class 9
We hope the given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 13 ग्राम श्री will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 13 ग्राम श्री, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. कवि को पृथ्वी स्त्री की तरह क्यों लगता है?Explanation: कवि नरेश सक्सेना ने रचित पृथ्वी कविता के अनुसार कवि को पृथ्वी स्त्री की तरह लगती है, क्योंकि एक स्त्री अपने पूरे जीवनकाल अनेक भूमिकाओं में अनेक केन्द्रों (धूरियों) के चारों तरफ घूमती रहती है।
पृथ्वी कविता के कवि कौन थे?पृथ्वी गान के रचनाकार भारतीय राजनयिक और कवि अभय कुमार हैं।
पृथ्वी को काँपने का क्या अभिप्राय है?पृथ्वी के काँपने का क्या अभिप्राय है? पृथ्वी के भीतर की बनावट स्थायी न होकर परतदार है। हवा, पानी (समुद्र का) और भूगर्भ ताप के प्रभाव से परतों का स्थान बदलता रहता है। जिसके प्रभाव से प्रतिदिन दुनिया के किसी-न-किसी हिस्से में भूकंप के झटके आते रहते हैं।
कवि को अपनी ओर देखते हुए देखकर स्त्री सामने खड़े भवन की ओर क्यों देखने लगी?कवि को अपनी ओर देखते हुए देखकर स्त्री सामने खड़े भवन की ओर देखने लगती है। वह पत्थर तोड़ना बंद कर देती है। वह सामने खड़े विशाल भवन की ओर देखने लगती है। ऐसा कर वह समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता की ओर संकेत करती है।
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