कवि दुष्यंत कुमार की गजल साए में धूप शीर्षक में गुलमोहर शब्द से क्या तात्पर्य है? - kavi dushyant kumaar kee gajal sae mein dhoop sheershak mein gulamohar shabd se kya taatpary hai?


कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।

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गजल  कविता का प्रसंग - प्रस्तुत शेर कवि दुष्यंत कुमार द्वारा रचित गजल 'साये में धूप' से उद्धृत है। यहाँ राजनेताओं द्वारा किए गए झूठे वादों का उल्लेख करते हुए कवि ने बताया है कि

गजल  कविता का व्याख्या - चुनाव प्रक्रिया के दौरान यह घोषणा की जाती है कि प्रत्येक घर में रोशनी का प्रबंध होगा। परंतु बाद में घर तो क्या पूरे शहर के लिएएक दीपक भी उपलब्ध नहीं हो पाता। कहने का अभिप्राय यह है कि जन नेता सामान्य व्यक्ति की प्रत्येक आवश्यकता को पूरा करने की घोषणा करते हैं और बाद में व्यक्ति तो क्या पूरे शहर की छोटी-से-छोटी ज़रूरत भी पूरी नहीं हो पाती है। गजल  कविता का विशेष- यहाँ कवि ने सत्ता पक्ष के ऐसे लोगों का वर्णन किया है जिनकी कथनी और करनी में आकाश-पाताल का अंतर है। यह गज़ल विधा काएक शेर है। उर्दू-फारसी शब्दों का भावानुकूल प्रयोग किया गया है।

यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है,
चलो यहाँ से चलें और उम्र भर के लिए।

गजल कविता का प्रसंग - यहाँ कवि ने सुविधाएँ प्रदान करने वालों से असुविधाएँ मिलने का उल्लेख किया है। कवि कहता है

गजल कविता का व्याख्या - पेड़ों की छाया में भी धूप लगने लगी है, इसलिए बची हुई शेष उम्र को बिताने के लिए कोई और आश्रय स्थल खोजा जाए। अर्थात् जो व्यक्ति या वस्तु आज तक हमें सहारा देती आई है, अब परिस्थितियाँ बदलने के कारण वे दुख व पीड़ा पहुँचाने लगे हैं। इसलिए शेष बच्ची हुई उम्र बिताने के लिए कहीं और जाकर आश्रय अपनाया जाए।

गजल कविता का विशेष - यहाँ कवि ने सामाजिक अव्यवस्था का उल्लेख किया है। पलायनवादी वृत्ति का चित्रण किया गया है। उर्दू-फारसी मिश्रित हिंदी का प्रयोग किया गया है।

न हो कमीज़ तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए।

गजल कविता का प्रसंग -यहाँ कवि ने अभावों में भी जीवन से समझौता करने वाले लोगों का चित्रण करते हुए बताया है कि

गजल कविता का भावार्थ - यदि पूरे शरीर का ढकने केलिए कमीज़ नहीं है तो लोग अपने पैरों को मोड़कर पेट को ढँक लेते हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि जीवन में अभावों का सामना करने वाले लोग इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि वे उन अभावों से समझौता कर लेते हैं और सीमित साधनों के माध्यम से ही जीवनयापन कर लेते हैं। इस प्रकार के लोग ऐसी जीवन यात्रा के लिए सर्वथा उचित हैं।

गजल कविता का विशेष - यहाँ कवि ने अभावग्रस्त लोगों के जीने के ढंग का सजीव एवं मार्मिक चित्रण किया है। 'पाँवों से पेट ढकना' जीवन से समझौता करने का प्रतीक है।

खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिए।

गजल कविता का प्रसंग -यहाँ कवि ने ऐसे लोगों का उल्लेख किया है जो समाज में मानवता का प्रसार करने के इच्छुक हैं। कवि कहता है कि

गजल कविता का व्याख्या -यदि मनुष्य भगवान नहीं बन सकता है तो कोई बात नहीं लेकिन उसके पास मानव बनने का तो सुंदर सपना है अर्थात् मनुष्य समाज मेंअपने आदर्शों और सद्कर्मों के माध्यम से मनुष्यता का प्रचार-प्रसार कर सकता है। उसकी आँखों में सभ्य, समृद्ध समाज का सुंदर दृश्य विद्यमानहै।

गजल कविता का विशेष - यहाँ कवि ने समाज में मानवता के विकास की भावना को व्यक्त किया है। मानवता का पालन करना मानव का सर्वश्रेष्ठ कार्य है। यह एक प्रेरणादायक शेर है।

वे मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता,
मैं बेकरार हूँ आवाज़ में असर के लिए।

गजल कविता का प्रसंग - यहाँ कवि ने शोषित के प्रति शोषक को भावुक बनाने की बात कही है। कवि कहता है

गजल कविता का व्याख्या -समृद्ध वर्ग अर्थात् शोषक वर्ग को विश्वास है कि वे पत्थर की तरह कठोर हैं। किसी का दुख या वेदना उन्हें भावुक नहीं बना सकती है।लेकिन कवि एक ऐसी आवाज़ के लिए व्याकुल है जिसमें इतना दर्द भरा हो कि पत्थर हृदय पिघल जाए। कहने का अभिप्राय यह है कि शोषित अर्थात् निम्न वर्ग के प्रति भी सहानुभूति व्यक्त करने वाला समाज में कोई तो हो ।

गजल कविता का विशेष —यहाँ कवि ने समाज के असहाय लोगों की विवशता का चित्रण किया है। वह इस बात के लिए उत्सुक जान पड़ता है कि कोई तो ऐसा व्यक्ति हो जो अपने दुख से कठोर हृदय समाज को पिघला सके। 'पत्थर पिघल' में अनुप्रास अलंकार है।

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।

गजल कविता का प्रसंग -यहाँ कवि ने सत्ताधारी पक्ष का द्वारा समाज पर लगाए जाने वाले अंकुश का उल्लेख करते हुए कहा है कि

गजल कविता का व्याख्या - तुम्हारा शासन है, तुम चाहो तो कवि की आवाज बंद कर सकते हो। क्योंकि जो रचनाएँ उसके द्वारा की जा रही हैं वे तुम्हारे विरुद्ध सिद्ध होती हैं। ऐसी रचनाओं को समाज में फैलने से रोकने के लिए यही सावधानी अपनानी होगी कि कवि को समाप्त कर दिया जाए।

गजल कविता की विशेष -यहाँ कवि ने राजनीतिज्ञों की निरंकुशता का उल्लेख किया है। काव्य-रचना की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है। उर्दू-फारसी के शब्दों का प्रयोग किया गया है।

जिएँ तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले,
मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए।

गजल कविता का प्रसंग -यहाँ कवि ने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीने और दूसरों के प्रति परोपकार की भावना से जीवन त्यागने की भावना का उल्लेख करतेहुए कहा है कि-

गजल कविता की व्याख्या -हम अपने उपवन के सुंदर फूलदार गुलमोहर के वृक्ष के नीचे अपना जीवन बिताएँ और दूसरों के फूलदार गुलमोहर की रक्षा के लिए अपनेप्राण तक न्योछावर कर दें। कहने का अभिप्राय यह है कि हम अपने जीवन में उपलब्ध होने वाली सुख-सुविधाओं में जीवन-निर्वाह करें और दूसरोंकी सुख-सुविधाओं की रक्षा करने की भावना भी रखें। परोपकर के लिए हमें अपना जीवन तक न्योछावर कर देना चाहिए।

गजल कविता का विशेष —यहाँ कवि ने अपने जीवन को सुंदर बनाने के साथ-साथ दूसरों के जीवन को सुखी और समृद्ध बनाए रखने की प्रेरणा दी है। 'गुलमोहर' जीवन की सुख-शांति का प्रतीक है।

गजल कविता का प्रश्न उत्तर 

1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।


उत्तर- 'गुलमोहर' से अभिप्राय है- स्वाधीनता या आत्म-सम्मान से है। अपने क्षेत्र या देश में हम प्रत्येक परिस्थिति में स्वाधीनता बनकर जीयें औरअपनी इसी स्वाधीनता की रक्षा के लिए किसी अन्य स्थान या देश में अपना बलिदान देना पड़े तो हमेशा तैयार रहना चाहिए।

2. पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि इसका क्या महत्त्व है?

उत्तर- 'चिराग' शब्द का बहुवचन में अर्थ है सुख-सुविधाओं की बहुलता और एकवचन में अर्थ है- ढंग की एक भी सुविधा का उपलब्ध न होना।

यहाँ चिराग शब्द का सांकेतिक प्रयोग किया गया है। इसका अर्थ केवल प्रकाश देने वाले दिये से नहीं है अपितु भौतिक सुख-सुविधाओं से भी है।'चिराग' शब्द की आवृत्ति के कारण यहाँ यमक अलंकार भी है।

3. गजल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

उत्तर - यहाँ कवि दुष्यंत ने ऐसे लोगों की ओर संकेत किया है जो जीवन को मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित होते हुए भी जीवन से समझौता करने और उससे तारतम्य स्थापित करने को तैयार रहते हैं।

4. आशय स्पष्ट करें:

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की,
ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर- प्रस्तुत शेर कवि दुष्यंत द्वारा रचित गजल 'साये में धूप' से लिया गया है। इसमें कवि ने राजनायिकों से लोगों द्वारा उनके विरुद्ध किए जानेवाले विद्रोह को दबाने का परामर्श दिया गया है।

हे नेता! तुम्हारा राज्य है और तुम्हारे विरुद्ध आवाज उठाते हुए काव्य-रचना की जा रही है। तुम्हारे लिए यह जरूरी है कि तुम ऐसी रचनाओं को सामान्य जनता में आने से पहले इनके रचयिता अर्थात् कवियों का ऐसा उपचार कर दो कि वे तुम्हारे विरुद्ध बोल भी न सकें।

गज़ल के आस-पास

1- दुष्यंत की इस गजल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।

उत्तर- कवि दुष्यंत वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों से खुश नहीं हैं। आज चारों ओर भ्रष्टाचार, भेदभाव और शोषण का बोलवाला है। राजनेता अपनी निरंकुशता दिखाते हैं। समाज में कुरीतियाँ और दुष्कर्म बढ़ते जा रहे हैं। कवि राजनीति और समाज में ऐसा जो कुछभी हो रहा है उसे नष्ट करके उसके विकल्प में कुछ नयी एवं स्वस्थ धारणाएँ स्थापित करना चाहता है।

2- हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएं कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?

उत्तर- गालिब के इस शेर का भाव यह है कि यदि मन की इच्छाएँ पूरी नहीं हो सकती हैं तो व्यक्ति को अपने हृदय की प्रसन्नता के लिए कल्पनालोक में जी लेना चाहिए।

कवि दुष्यंत के चौथे शेर का भी भाव इसी तरह का है। आदमी की यदि इच्छा पूरी नहीं होती है तो उसे उसकी कल्पना करके ही संतुष्ट हो जानाचाहिए।

3- 'यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है।' यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतोंपर लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें।


() यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है,………..
() यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है,…………
() यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है,………….
() यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता………

उत्तर-

() जहाँ संबंध नहीं निभाए जाते।
() जहाँ बच्चों में सर्वांगीण विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता।
() जहाँ मरीजों की उचित देखभाल नहीं की जाती।
() जो आम आदमी के लिए उपयुक्त नहीं है।

साये में धूप शीर्षक ग़ज़ल का मूल प्रतिपाद्य क्या है?

इन पंक्तियों का आशय यह है कि शासक वर्ग अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करके अभिव्यक्ति पर पाबंदी लगा देता है। यह सर्वथा अनुचित है। शायर को गजल लिखने में इस प्रकार की सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उसकी अभिव्यक्ति की आजादी कायम रहनी चाहिए।

गुलमोहर का क्या आशय है इसका सांकेतिक अर्थ समझाकर लिखिए?

गुलमोहर से आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से तो है ही, साथ ही इसका सांकेतिक अर्थ भी है। गुलमोहर शांति और सुंदरता का प्रतीक है। इसके नीचे व्यक्ति को आजादी का अहसास होता है। दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है।

गुलमोहर के सांकेतिक अर्थ से शायर ने क्या सन्देश दिया है?

यह एक खास तरह के फूलदार वृक्ष होते हैं। मगर शायर ने इसका सांकेतिक अर्थ लिया है। इस वृक्ष को सौंदर्य तथा शांति का प्रतीक माना जाता है। यह मनुष्य को आज़ादी का अनुभव करवाता है।

गुलमोहर शब्द के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

गुलमोहर एक फूलदार वृक्ष है। यह शांति प्रदान करने वाला है। कवि ने इस शब्द का यहाँ विशेष अर्थ के लिए प्रयोग किया है। मनुष्य अपने घर में शांति व मानवीय गुणों से युक्त होकर रहे।