These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) प्रश्न 1. प्रश्न 2. रूपक- प्रश्न
3. परशुराम अपनी वीरता की डींग हाँकते हुए लक्ष्मण को डराने के लिए बार-बार फरसा दिखा रहे हैं। प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6.
प्रश्न 7. (ख) परशुराम बार-बार तर्जनी उँगली दिखाकर लक्ष्मण को डराने का प्रयास कर रहे थे। यह देख लक्ष्मण ने परशुराम से कहा कि मैं सीताफल की नवजात बतिया (फल) के समान निर्बल नहीं हूँ जो आपकी तर्जनी के इशारे से डर जाऊँगा। मैंने आपके प्रति जो कुछ भी कहा वह आपको फरसे और धनुष-बाण से सुसज्जित देखकर ही अभिमानपूर्वक कहा।। (ग) परशुराम की दंभभरी बातें सुन विश्वामित्र मन-ही-मन उनकी बुधि पर हँसने लगे। वे मन-ही-मन कहने लगे कि मुनि को सावन के अंधे की भाँति सब कुछ हरा-हरा ही दिख रहा है। अर्थात् वे राम-लक्ष्मण को भी दूसरे साधारण क्षत्रिय बालकों के समान ही कमजोर समझ रहे हैं। उन्हें राम-लक्ष्मण की शक्ति का अंदाजा नहीं है। जिन्हें वे गन्ने की मीठी खाँड़ समझ रहे हैं जबकि वे शुद्ध लोहे से फौलाद के हथियार की तरह मजबूत तथा शक्तिशाली हैं। प्रश्न 8.
प्रश्न 9. सेवक सो जो करे सेवकाई। अरि करनी करि करिअ लराई।। दूसरे अवसर पर व्यंग्यपूर्ण बातों का क्रम तब देखने को मिलता है जब लक्ष्मण परशुराम से कहते हैं- लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना।। एक अन्य अवसर पर लक्ष्मण परशुराम के दंभ एवं गर्वोक्ति पर व्यंग्य करते हैं पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन पूँकि पहारू।। एक अन्य अवसर पर लक्ष्मण की व्यंग्यपूर्ण बातें देखिए भृगुबर परसु देखाबहु मोही। बिप्र विचारि बचौं नृपद्रोही।। इन साक्ष्यों के आलोक में हम देखते हैं कि इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य विद्यमान है। प्रश्न 10. रचना और अभिव्यक्ति प्रश्न 11. आचार्य
रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष
क्रोध के विपक्ष में-
प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. एक दिन जिला चैंपियन के लिए कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सबको
चुनौती देता हुआ जमींदार का बेटा अखाड़े में घूम रहा था। जोश में था। अखाड़े में घमंड से उछल रहा था। जमींदार भी वहाँ बैठी खूब खुश हो रहा था। जमींदार ने अपने बेटे को खूब बादाम, काजू खिलाए थे। जमींदार के सपने साकार होते हुए दिखाई दे रहे थे। मजदूर का बेटा भी पिता के साथ भीड़ में शांत बैठा देख रहा था। कोई जमींदार के बेटे पहलवान से हाथ मिलाने की हिम्मत नहीं कर रहा था। समय समाप्त होने को था। तभी मजदूर का बेटा धीरे-धीरे आया और चुनौती के अंदाज में हाथ मिलाया। जमींदार और उसका बेटा उसे पहचानकर अवाक् रह गए।
कुश्ती हुई। मजदूर का बेटा विजयी हुआ। मजदूर ने जमींदार को दिए गए वचनों को याद कराया। जमींदार का मुँह लटक गया। जमींदार को होश आया, और कहा-“दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना प्रश्न 15. सड़क पर साइकिल से जाते हुए दो दूधवाले बिना संकेत दिए गलत दिशा में मुड़े, पीछे से तेज़ आते हुए स्कूटर सवार ने ऐसा देख तेज ब्रेक लगाए फिर भी स्कूटर साइकिल से मात्र स्पर्श ही कर पाया था; स्कूटर-सवार स्कूटर से गिर गया। फिर भी स्कूटर सवार को गालियाँ देते हुए दूधवाले ने मुक्का मारा। वहाँ खड़े हुए मैंने दूधवाले को ऐसा करते देख अपने हाथ में पकड़ी अटैची आगे कर दी, जिससे मुक्का अटैची में तेजी से लगा। स्कूटर सवार पिटने से बचा। मेरे साथ मेरा मित्र भी था। स्कूटर सवार तो बच गया। पर हम दोनों पिट गए। तब मुझे व्यंग्यकार, कहानीकार, पं. हरिशंकर परसाई की वह ‘मातादीन चाँद पर’ वाली कहानी याद आ गई, जिसमें गुंडों के एक व्यक्ति को मारने पर घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुँचाने के परिणामतः उसे ही इंस्पेक्टर मातादीन ने जेल भेज दिया था। प्रश्न 16. Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. क्रोध में भरकर परशुराम ने लक्ष्मण को क्या कहा है?परशुराम (गुस्से में भरकर) -तुम्हें तो..........। लक्ष्मण (व्यंग्य भाव से)-बोलो, बोलो (कौन परवाह करता है, आपकी। मैं कुम्हड़े का फूल नहीं हूँ जो आपकी तर्जनी देख सूख जाऊँगा। मैंने तो आपके फरसे और धनुष-बाण को देखा था।
राम के वचन सुनकर परशुराम ने क्रोधित होकर क्या कहा ?' राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए?श्री राम के वचन सुनकर क्रोधित परशुराम जी उनसे बोले कि सेवक वह कहलाता है , जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता का काम करके तो लड़ाई ही मोल ली जाती है। जिसने भगवान शिव जी के इस धनुष को तोड़ा है , वह सहस्रबाहु के समान उनका शत्रु है।
परशुराम जी क्रोधित क्यों हो गए और लक्ष्मण जी ने किस प्रकार उनके क्रोध को और बढ़ाया?परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे। श्री राम उनके क्रोध पर शीतल जल के समान शब्दों व आचरण का आश्रय ले रहे थे। यही कारण था कि उन्होंने स्वयं को उनका सेवक बताया व उनसे अपने लिए आज्ञा करने का निवेदन किया। उनकी भाषा अत्यंत कोमल व मीठी थी और परशुराम के क्रोधित होने पर भी वह अपनी कोमलता को नहीं छोड़ते थे।
परशुराम लक्ष्मण पर क्यों क्रोधित हुए?परशुराम को लक्ष्मण की किस बात पर अधिक गुस्सा आया था? लक्ष्मण ने शिवजी की धनुष को धनुही कहा था। शिवजी के धनुष के अपमान से परशुराम का क्रोध बढ़ गया था। लक्ष्मण के वाक्य से यह प्रकट होता था कि शिवधनु इतना कमजोर था कि उस जैसे धनुहियों को वे अपने बचपन में खेल-खेल में ही तोड़ दिया करते थे।
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