Show
Published in JournalYear: Feb, 2019 Article Details
महादेवी वर्मा की कविता का केंद्रीय भाव क्या है?महादेवी वर्मा का केन्द्रीय भाव
महादेवी वर्मा की रचनाओं में वैयक्तिक भावनाओं-प्रेम, विरह, पीड़ा आदि की अभिव्यिक्त् हुई है। बदली के उमड़ने घिरने बरसने के माध्यम से कवयित्री अपने मन में वेदना के उमड़ने ओर बरसने को संकेतित करती है। कवयित्री अपनी वैयक्तिक भावनाओं का आरोप प्रकृति के क्रिया व्यापारों में करती है।
महादेवी की कविताओं का मूल विषय क्या है?महादेवी वर्मा रहस्यवाद और छायावाद की कवयित्री थीं, अतः उनके काव्य में आत्मा-परमात्मा के मिलन विरह तथा प्रकृति के व्यापारों की छाया स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। वेदना और पीड़ा महादेवी जी की कविता के प्राण रहे। उनका समस्त काव्य वेदनामय है। उन्हें निराशावाद अथवा पीड़ावाद की कवयित्री कहा गया है।
महादेवी वर्मा की कविता का मूल स्वर क्या है?महादेवी वर्मा की कविताओं का केन्द्र बिन्दु दुःख है। उनमें जीवन, प्रेम और सौन्दर्य के लिए विह्वल आकांक्षा | वह मार्ग की कठिनाइयों से विचलित नहीं होती बल्कि उनसे टकराने की प्रवृत्ति उनमें दिखाई देती है । यह विरहानुभूति निराशाजन्य नहीं वरन् आशा से पूर्ण है ।
महादेवी वर्मा के काव्य का चिंतन क्या था?महादेवी वर्मा ने खड़ी बोली हिंदी को कोमलता और मधुरता से संसिक्त कर सहज मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का द्वार खोला, विरह को दीपशिखा का गौरव दिया, व्यष्टिमूलक मानवतावादी काव्य के चिंतन को प्रतिष्ठापित किया। महादेवी वर्मा के गीतों का नाद-सौंदर्य, पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है।
|