मुद्रा को विनिमय के माध्यम से क्यों स्वीकार किया जाता है? - mudra ko vinimay ke maadhyam se kyon sveekaar kiya jaata hai?


अध्याय : 3. मुद्रा तथा साख

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम

मुद्रा विनिमय का एक माध्यम
(1) यह मुद्रा का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसका अर्थ है कि मुद्रा लेन-देन के विनिमय में वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए मध्यवर्ती के रूप में कार्य करती है। लेन-देन के माध्यम के रूप में मुद्रा का उपयोग विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की बड़ी कठिनार्इ दूर करता है।
(2) मुद्रा का यह उद्देश्य समय तथा स्थान के आधार पर वगीकृत सभी लेन-देन रखता है। अब, व्यापारी किसी भी समय वस्तुओं को बेच सकता है तथा उन्हें उपयुक्तता में रख सकता है।
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग :
इसका अर्थ है कि दोनों पार्टियाँ अर्थात् व्यापारी तथा खरीददार एक-दूसरे के माल को खरीदने व बेचने के लिए सहमत है। विनिमय प्रणाली में, आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना अनिवार्य विशेषता है। परन्तु जब मुद्रा उपयोग की जाती है यह आवश्यकता दूर होती है
मुद्रा के लाभ :
1. यह विनिमय के माध्यम के रूप में उपयोग की जाती है।
2. यह लोगों को आर्थिक स्वतंत्राता प्रदान करती है।
3. यह वस्तुओं तथा सेवाओं के खरीदने के लिए उपयोग की जाती है।
4. यह मुद्रा आपूर्ति के लिए आसान है।


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विषयसूची

  • 1 विनिमय का माध्यम क्या है?
  • 2 मुद्रा क्या है विनिमय के माध्यम के रूप में इसका उपयोग कैसे किया जाता है उदाहरण देकर समझाइए?
  • 3 मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में कैसे कार्य करती हैं?
  • 4 विचार विनिमय का सर्वोत्तम साधन क्या है?
  • 5 विदेशी विनिमय दर को और क्या कहते हैं?

विनिमय का माध्यम क्या है?

इसे सुनेंरोकें1. विनिमय का माध्यमः मुद्रा का प्राथमिक कार्य यह है कि यह विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। इसका तात्पर्य यह है कि लोग मुद्रा की सहायता से वस्तुएं और सेवाओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। वस्तु के विक्रेता द्वारा मुद्रा प्राप्त की जाती है तथा वस्तु के क्रेता द्वारा मुद्रा का भुगतान किया जाता है ।

मुद्रा क्या है विनिमय के माध्यम के रूप में इसका उपयोग कैसे किया जाता है उदाहरण देकर समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में विनिमय सौदों को दो भागों क्रय और विक्रय में विभाजित करती है। मुद्रा का यह कार्य आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कठिनाई को दूर करता है। लोग अपनी वस्तुओं को मुद्रा के बदले में बेचते हैं और उससे प्राप्त राशि को अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं के क्रय में प्रयोग करते हैं।

दर कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंडर कई प्रकार के होते हैं,किसी को आग से जलने का डर, किसी को ऊंचाई से गिरने का डर, किसी को परीक्षा में फैल होने का डर, किसी को इंजेक्शन से डर ,किसी को सांप से डर, किसी को छिपकली कांक्रोच का डर, डरने के कई प्रकार हैं।

मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया गया?

इसे सुनेंरोकेंमुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार करने के पीछे मुख्य कारण यह था, कि मुद्रा एक ऐसी वस्तु हो गई थी। जिसे लोग बिना किसी डर और संदेह के ग्रहण कर लेते थे और उसे ऋण चुकाने तथा अन्य किसी प्रकार से प्रयोग में लिया जा सकता था। मुद्रा को लोग अपनी इच्छा से स्वीकार कर लेते थे और यह विनिमय का एक अच्छा माध्यम बन गया था।

मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में कैसे कार्य करती हैं?

विचार विनिमय का सर्वोत्तम साधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: भाषा विचार-विनिमय का साधन है।

विनियम शब्द का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंViniyam Meaning in Hindi – विनियम का मतलब हिंदी में निग्रह । रोक । संयम । प्रतिबंध ।

तैरती विनिमय दर से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी मुद्रा की कीमत को अन्य मुद्रा के रूप में व्यक्त करना विनिमय दर कहलाता है। विनिमय निर्धारण के क्रयशक्ति समता सिद्धान्त को गुस्ताव कैशल में वर्ष 1920 में प्रस्तुत किया। इसके द्वारा दो अपरिवर्ती मुद्राओं के मध्य साम्य विनिमय दर उन देशों की मुद्रा इकाईयों की क्रय शक्तियों के अनुपात द्वारा निर्धारित होती है।

विदेशी विनिमय दर को और क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसेयर्स के अनुसार- “चलन मुद्राओं की एक-दूसरे में बतायी गयी कीमतों को विदेशी विनिमय दर कहा जाता है।” प्रो. क्राउथर के शब्दों में- “विनिमय दर यह माप करती है कि विदेशी विनिमय बाज़ार में चलन मुद्रा की एक इकाई के बदले में किसी दूसरे देश की चलन मुद्रा की कितनी इकाइयाँ प्राप्त होती है।”

सवाल: मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में क्यों स्वीकार किया जाता है?

मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार करने के पीछे मुख्य कारण यह था, कि मुद्रा एक ऐसी वस्तु हो गई थी। जिसे लोग बिना किसी डर और संदेह के ग्रहण कर लेते थे और उसे ऋण चुकाने तथा अन्य किसी प्रकार से प्रयोग में लिया जा सकता था। मुद्रा को लोग अपनी इच्छा से स्वीकार कर लेते थे और यह विनिमय का एक अच्छा माध्यम बन गया था। इस पर किसी भी व्यक्ति का कोई जवाब नहीं होता था तथा मुद्रा एक मूल्य का मापक भी बन गया था तथा मुद्रा को सौदों के रूप में बहुत ज्यादा उपयोग में लिया जाता था। इसी कारण से मुद्रा का भी विनिमय के रूप में स्वीकार किया जाता था, चाहे वह छोटी स्तरों पर हो या बड़े स्तरों पर हो।

मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार क्यों किया जाता है?

1. विनिमय का माध्यम: मुद्रा का प्राथमिक कार्य यह है कि यह विनिमय के माध्यम का कार्य करती है। इसका तात्पर्य यह है कि लोग मुद्रा की सहायता से वस्तुएं और सेवाओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। वस्तु के विक्रेता द्वारा मुद्रा प्राप्त की जाती है तथा वस्तु के क्रेता द्वारा मुद्रा का भुगतान किया जाता है ।

मुद्रा विनिमय का माध्यम है कैसे?

मुद्रा (Money) ऐसी वस्तु या आधिकारिक प्रमाण होता है जो माल और सेवाओं को खरीदने के लिए और ऋणों व करों के भुगतान के लिए स्वीकार्य होता है। मुद्रा का मुख्य कार्य विनिमय का माध्यम (medium of exchange) होना और मूल्य का कोश (store of value) होना है।

मुद्रा का उपयोग विनिमय के माध्यम के रूप में कैसे किया जाता है उदाहरण सहित समझाइए?

विनिमय के माध्यम का अर्थ होता है कि मुद्रा द्वारा कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तुओं को बेचता है तथा उसके स्थान में दूसरी वस्तुओं को खरीदता है। मुद्रा क्रय तथा विक्रय दोनों को बहुत आसान बना देती है। जबसे व्यक्ति ने विनिमय के माध्यम के रूप में मुद्रा का प्रयोग किया है, तभी से मनुष्य की समय तथा शक्ति की बहुत अधिक बचत हुई है।

मुद्रा विनिमय का अर्थ क्या है?

मुद्रा विनिमय (CURRENCY SWAP) की प्रणाली या नियम यह भी विकल्प दिया जाता है कि, कंपनियां अपने स्वयं के घरेलू मुद्राओं में कर्ज (ऋण) प्राप्त कर सकती हैं अर्थात ऐसा करने में प्रत्येक का तुलनात्मक लाभ मिल सकता है और ऐसी स्थिति में मूलधन के विनिमय के से अपनी वांछित मुद्रा में मूलधन मिल सकता है।

मुद्रा को विनिमय के माध्यम के रूप में क्या सुधार किया जाता है?

थोक विक्रेता वही माल उपभोक्ताओं को मुद्रा के बदले में बेचते हैं। इसी प्रकार समाज का प्रत्येक वर्ग अपनी सेवाओं के बदले में मुद्रा प्राप्त करता है और उससे अपनी आवश्यकता की वस्तु खरीद लेता है। मुद्रा ने विनिमय माध्यम का कार्य करके वस्तु विनिमय की असुविधाओं को दूर कर दिया है।