पुलिस मेडिकल में क्या क्या चेक होता है - pulis medikal mein kya kya chek hota hai

अजमेर. पुलिस भर्ती में अपनाई जाने वाली मेडिकल टेस्ट प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस का मेडिकल बोर्ड जहां अभ्यर्थियों को टेस्ट में अनफिट करार दे रहा है, वहीं अन्य मेडिकल बोर्ड उन्हें फिट बता रहा है।

मेडिकल बोर्ड पर उठे रहे सवाल

अब सवाल यह है कि कौन से बोर्ड की प्रणाली को सही माना जाए? ऐसा ही एक मामला गत माह में भीलवाड़ा जिले में हुई पुलिस कांस्टेबल भर्ती में सामने आया। कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया में चयनित 45 अभ्यर्थियों को पुलिस के जिस मेडिकल बोर्ड ने अनफिट करार दिया था, उसमें से अधिकतर को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में गठित मेडिकल बोर्ड ने फिट करार दे दिया। हैरानी वाली बात यह है कि इनमें से चार तो ऐसे थे, जिन्हें पुलिस के मेडिकल बोर्ड ने लाइलाज बीमारी “कलर ब्लाइंडनेस’ से पीड़ित बताया था।

दो मेडिकल बोर्ड के इन अलग-अलग ओपीनियन को पुलिस मुख्यालय ने भी गंभीरता से लिया है और जेएलएन अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से स्पष्टीकरण चाहा है कि कलर ब्लाइंडनेस लाइलाज बीमारी है, अभ्यर्थियों को कैसे फिट करार दिया गया है, इसे स्पष्ट करें। इधर, अनफिट-फिट के फेर में अटके इन अभ्यर्थियों को फिलहाल क्लीनचिट नहीं मिली है, जबकि कलर ब्लाइंडनेस वाले चार अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। अब पुलिस मुख्यालय स्तर पर प्रकरण की जांच की जा रही है।

कैसा मेडिकल बोर्ड? कहीं अनफिट तो कहीं फिट

45 में से चार अभ्यर्थियों को बताया था भीलवाड़ा पुलिस के मेडिकल बोर्ड ने कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित रोल नंबर 02146448 मोहनराम को पार्सिएल कलर ब्लाइंडनेस, रोल नंबर 02130966 इंद्रजीत को कलर ब्लाइंडनेस, रोल नंबर 02116051 को फुल कलर ब्लाइंडनेस आैर रोल नंबर 02114169 बलबीर राम को कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित बताकर मेडिकली अयोग्य घोषित किया गया। जबकि बीमारी जन्मजात आैर लाइलाज बताई जा रही है। फिर इन्हें जेएलएन अस्पताल में कैसे फिट बता दिया।

चारों अभ्यर्थी भी हुए फिट

अनफिट करार दिए 45 अभ्यर्थियों को सैकंड ओपिनियन के लिए लिखा गया। भीलवाड़ा एसपी ने पुलिस मुख्यालय को यह जानकारी दी थी, मुख्यालय ने सैकंड ओपिनियन की मंजूरी दे, आईजी अजमेर रेंज से जेएलएन अस्पताल में मेडिकल बोर्ड गठित कर इन अभ्यर्थियों की पुन: जांच करने के लिए कहा। मेडिकल बोर्ड ऑन ड्यूटी मेडिकल ज्यूरिस्ट की अध्यक्षता में दो सदस्यीय टीम गठित की गई, जिसमें ऑन ड्यूटी सहायक आचार्य काय चिकित्सा आैर ऑनड्यूटी सहायक आचार्य नेत्ररोग विभाग को सदस्य बनाया गया। इस बोर्ड ने कलर ब्लाइंडनेस वाले चारों अभ्यर्थियों को फिट करार दिया।

इनकी देखरेख में हुई थी भर्ती

भर्ती इन्हीं की देखरेख में हुई थी, भीलवाड़ा एसपी प्रदीप मोहन शर्मा : पहली बार मेडिकल हुआ, जिसमें बोर्ड ने क्लियर ओपिनियन नहीं लिखा। कलर ब्लाइंडनेस लिखकर क्वेश्चंस मार्क लगा दिया आैर लिख दिया कि ओपीनियन विल बी टेकन हायर सेंटर। इस पर हमने अभ्यर्थियों को सैकंड ओपीनियन के लिए अजमेर के जेएलएन अस्पताल भेजा था, यहां के मेडिकल बोर्ड से ओपीनियन ले ली आैर मुख्यालय भिजवा दी जा चुकी है। अब फैसला मुख्यालय करेगा।

जिम्मेदारों ने ये दिए जवाब

भीलवाड़ा पुलिस के मेडिकल बोर्ड में शामिल एमजी अस्पताल भीलवाड़ा के पीएमआे डॉ. केसी पंवार ने कहा कि कांस्टेबल के स्वास्थ्य परीक्षण किए गए थे। बोर्ड में अलग-अलग चिकित्सक बैठे थे, उन्होंने क्या रिपोर्ट दी थी, इस बारे में फिलहाल नहीं बता सकता। मैं घर पर हूं।

अजमेर जेएलएन अस्पताल के नेत्ररोग विभाग के एचआेडी डॉ. राकेश पोरवाल ने कहा हम 100% सही हैं, कलर ब्लाइंडनेस बताए गए अभ्यर्थियों की जांच में इशारा चैप्टर पढ़ाया, जिसे उन्होंने पढ़ लिया। बोर्ड में मौजूद सभी चिकित्सकों ने बारी-बारी से यह परीक्षण किया था। इस आधार पर चारों को फिट घोषित किया।

अजमेर रेंज के आईजी मालिनी अग्रवाल ने कहा है कि भीलवाड़ा से 45 अभ्यर्थियों को सैकंड ओपिनियन के लिए जेएलएन अस्पताल भेजा था। कलर ब्लाइंडनेस वाले चारों अभ्यर्थी फिलहाल भर्ती प्रक्रिया से बाहर हैं। रिपोर्ट पर निर्णय पुलिस मुख्यालय को लेना है।’

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बिल्कुल सारे ही अपने हैं अगर आप से आम सर्विसेज ने ज्वाइन करना चाहते हैं तो सारे ही तो है अपना मेडिकल एग्जाम कब लेकर आते हैं क्योंकि आपको पता है आपकी तबीयत

bilkul saare hi apne hain agar aap se aam services ne join karna chahte hain toh saare hi toh hai apna medical exam kab lekar aate hain kyonki aapko pata hai aapki tabiyat

बिल्कुल सारे ही अपने हैं अगर आप से आम सर्विसेज ने ज्वाइन करना चाहते हैं तो सारे ही तो है अ

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मेडिकल टेस्ट में क्या क्या जांच होता है?

डॉक्‍टर हमारे शरीर की तीन तरीकों से जांच करवाकर यह पता लगाते हैं कि समस्‍या की जड़ कहां हैं..
बॉडी फ्लुइड एनालिसिस पहले प्रकार का टेस्‍ट होता है बॉडी फ्लुइड एनालिसिस, जिसमें रक्‍त, यूरिन, पस, मवाद आदि की जांच करके ये जानने की कोशिश की जाती है कि रोग का कारण क्‍या है. ... .
जेनेटिक टेस्टिंग ... .
इमेजिंग टेस्‍ट.

फिजिकल टेस्ट कैसे होता है?

उत्तर : भर्ती रैली में उम्मीदवारों को सबसे पहले शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया जाता है. जिसमें उम्मीदवारों को 1.6 किलोमीट की दौड़ 5 मिनट 30 सेकेंड में पूरी करनी होती है. इसमें सफल होने वाले अभ्यर्थियों को बैलेनसिंग, 10 पुलअप्स व 9 फीट की लॉन्ग जंप से भी होकर गुजरना होता है.

यूपी पुलिस का मेडिकल कैसे होता है?

ये कार्य उम्मीदवार की शारीरिक सहनशक्ति और फिटनेस की जांच के लिए किए जाते हैं। यह टेस्ट क्वालिफाइंग नेचर का होता है। शारीरिक दक्षता परीक्षा में पुरुष उम्मीदवारों को अधिकतम 25 मिनट में 4.8 किमी की दौड़ पूरी करनी होती है और महिला उम्मीदवारों को अधिकतम 14 मिनट में 2.4 किमी की दौड़ पूरी करनी होती है।

एमपी पुलिस में कितने नंबर से पास किया जाता है?

आपके शहर से (भोपाल) वही ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए यह 76, एससी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 71 एवं एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 65 अंक रह सकता है. महिला उम्मीदवारों की बात करें तो सामान्य वर्ग के लिए 72, ओबीसी वर्ग के लिए 68, एससी के लिए 65 एवं एसटी वर्ग के लिए 59 अंक कटऑफ रह सकता है.