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प्रोलैक्टिन की 3-डी संरचना प्रोलेक्टिन एक कार्बनिक यौगिक है एवं जंतुओं में हार्मोन की तरह कार्य करता है। महिलाओं में इसका सम्बन्ध दूग्ध निर्माण से है।
यह हार्मोन महिलाओं में गर्भकाल के दौरान स्तनों में वृद्धि और दुग्ध स्त्रावण का प्रेरक है इसके साथ ही यह पक्षियों में घोसलें का निर्माण , पैतृक संरक्षण , कबूतर में क्रॉप ग्रंथि के निर्माण में प्रेरित करता है । इंसुलिन की मात्रा बढ़ने से भूख ज्यादा लगती है. इससे लोग ज्यादा खाने लगते हैं.Tips For Weight Loss: गलत खान-पान की वजह से लोगों में मोटापा (Obessity) आता है. इसकी प्रमुख वजह हॉर्मोंस (Hormones) हैं. आहार में परिवर्तन करके इसे सही किया जा सकता है.
Tips For Weight Loss: शरीर पर चढ़ी अनावश्यक चर्बी के लिए गलत खान-पान को जिम्मेदार माना जाता है लेकिन इसके लिए हॉर्मोन भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं. हालांकि इन हॉर्मोंस का नियंत्रण भी खान-पान को संतुलित कर किया जा सकता है. पोषणविद (Nutritionist ) राशि चौधरी के अनुसार वजन बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से तीन हॉर्मोंस जिम्मेदार होते हैं. ये हैं- प्रोलेक्टिन (Prolactin), इंसुलिन (Insulin) और थॉयरॉयड (Thyroid). राशि चौधरी बताती हैं कि इन तीन हॉर्मोंस को संतुलित कर वजन पर काबू पाया जा सकता है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर ऐसे कई टिप्स बताएं हैं जिनसे वजन पर काबू पाया जा सकता है. ये रहे टिप्स. प्रोलेक्टिन हॉर्मोन का बहुत बड़ा योगदान इसे भी पढ़ेंः जानें हेल्दी लाइफ के लिए क्यों जरूरी है शाकाहारी फूड इंसुलिन भी वजन बढ़ाने में बड़ा कारक थॉयरॉयड एंटीबॉडिज पर संतुलन जरूरी इन
हॉर्मोंस को कैसे नियंत्रित करें इसे भी पढ़ेंः बारिश के मौसम में इन टिप्स को करें फॉलो, रहें सेहतमंद रिफाइंड चीजें जैसे सफेद आटे से बने उत्पाद- ब्रेड, पास्ता, बिना चोकर वाले आटे, रिफाइंड तेल, प्रोसेस्ड फूड जिसमें फाइबर न हो और शुगर से बने उत्पाद शरीर में शीघ्रता से ऊर्जी में परिवर्तित हो जाते हैं. इसके कारण खून में शुगर और इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. इंसुलिन की मात्रा बढ़ने से भूख ज्यादा लगती है. इससे लोग ज्यादा खाने लगते हैं. नतीजा मोटापे के रूप में सामने आता है. इसलिए अपनी डाइट में इन चीजों से दूरी बना लें. कुछ खास फूड है जो थॉयरॉयड की सामान्य प्रक्रिया को बाधित करते हैं. इनमें ग्लूटेन थॉयरॉयड की प्रक्रिया को धीमा कर देता है. इससे इम्युन सिस्टम प्रभावित होती है. गेंहू, बार्ली, राई, पास्ता, ब्रेड, केक इत्यादि ग्लूटेन से भरपूर होते हैं. इसलिए इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Health, Health tips, Lifestyle FIRST PUBLISHED : August 24, 2021, 12:01 IST प्रोलैक्टिन हार्मोन के बढ़ने से क्या होता है?यह अक्सर गर्भवती होने में कठिनाई का कारण बन सकता है और वन्ध्यत्व का कारण भी बन सकता है। इस अवस्था में महिला के शरीर में प्रोलैक्टिन की अधिकता हो जाती है। इससे उन्हें अनियमित मासिकधर्म और वन्ध्यत्व होने लगता है।
प्रोलैक्टिन के स्तर को कैसे कम करें?प्रोलेक्टिन को कम करने के लिए डेयरी उत्पादों को अपनी डाइट में कम करना होगा. रोजाना इसकी अधिकतम सीमा 4-20 ng/ml से ज्यादा न हो. इंसुलिन भी वजन बढ़ाने का बहुत बड़ा कारक है. इंसुलिन को कम करने के लिए शुगर और रिफाइंड चीजों का इस्तेमाल कम कर दें.
महिलाओं में प्रोलैक्टिन हार्मोन कितना होना चाहिए?प्रेग्नेंसी के लिए मासिक चक्र के दौरान एफएसएच का नॉर्मल लेवल 4.7 और 8 आईयू/लीटर के बीच होना चाहिए। ये लेवल बिना किसी गर्भ निरोधक दवा के सेवन के बिना होना चाहिए। इस हार्मोन के लेवल की जांच के लिए एफएसएच टेस्ट करवाया जाता है। पुरुषों और महिलाओं का दोनों का ही ये टेस्ट करवाया जाता है।
प्रोलैक्टिन हार्मोन का क्या काम है?यह हार्मोन महिलाओं में गर्भकाल के दौरान स्तनों में वृद्धि और दुग्ध स्त्रावण का प्रेरक है इसके साथ ही यह पक्षियों में घोसलें का निर्माण , पैतृक संरक्षण , कबूतर में क्रॉप ग्रंथि के निर्माण में प्रेरित करता है ।
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