पेशाब खुलकर नहीं आने का क्या कारण है? - peshaab khulakar nahin aane ka kya kaaran hai?

पेशाब का रुक जाना :

जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब एकत्रित हो जाता है या मूत्रनली में किसी रुकावट के कारण पेशाब नहीं आता है तो उसे मूत्र न आना रोग कहते हैं परन्तु जब किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब नहीं आता है या नहीं बनता तो उसे मूत्र-नाश (सुप्रेशनस ऑफ यूरेन) कहते हैं। पेशाब रुकने पर पेट का निचला भाग फूल जाता है और मूत्र-नाश में पेट का नीचे का भाग नहीं फूलता है। मूत्र-नाश रोग में जब शरीर के अन्दर के दूषित पदार्थ नहीं निकल पाता है तो कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- रोगी को सुस्ती आना, पूरे दिन ऊंघते रहना, मोह पैदा होना, बेहोशी उत्पन्न होना आदि।

पेशाब रुकने के कारण :

  • मूत्र-नाश रोग बुखार व हैजा के कारण उत्पन्न होता है।
  • यह रोग सुजाक में एकाएक पीब आना बंद हो जाने पर और मूत्रग्रन्थि में जलन या मूत्रस्थली में लकवा मार जाने या किसी तरह के चोट लगने के कारण भी उत्पन्न होता है।

पेशाब रुक जाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपचार :

1. अजवायन : ठंडी प्रकृति वाले रोगी को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन को शहद के साथ और गर्म प्रकृति वाले को आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन सिरके के साथ देने से बंद पेशाब( pesab ) आने लग जाता है।

2. राई : 1-1 ग्राम राई और कलमीशोरा को पीसकर इसमें 2 ग्राम खांड को मिलाकर हर 2-2 घंटे के बाद 2-2 ग्राम की मात्रा में पीने से बंद पेशाब खुल जाता है।

3. पीपल : 5-5 ग्राम पीपल, कालीमिर्च, छोटी इलायची और सेंधानमक को पीसकर और छानकर इसमे से आधा चम्मच चूर्ण को शहद में मिलाकर रोगी को देने से पेशाब बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

4. एरंड : 1 छोटा चम्मच एरंड का तेल बच्चे को पिलाने से बच्चे का बंद पेशाब खुल जाता है।

5. सज्जीखार : 4 ग्राम सज्जीखार को पीसकर छाछ में मिलाकर पीने से बंद पेशाब( pesab ) खुल जाता है।

6. शोराकलमी : 2-2 ग्राम शोराकलमी, जवाखार, रेवन्दचीनी और सौंफ को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 8 ग्राम खांड को मिलाकर आधे गिलास पानी के साथ लेने से पेशाब बंद होने के रोग मे लाभ होता है।

7. गोपी चन्दन : गोपी चन्दन को पीसकर नाभि पर लेप करने से पेशाब( pesab ) बंद होने का रोग दूर हो जाता है।

8. कपूर : लिंग के छेद के अन्दर थोड़ा सा कपूर डालने से बंद पेशाब के रोग में आराम आ जाता है।

9. जौखार : 5 ग्राम जौखार को 2 गिलास छाछ के साथ मिलाकर पीने से पेशाब बंद होने का रोग ठीक हो जाता है।

10. ढाक : ढाक के फूलों को काफी गर्म पानी में डालकर निकाल लें। इस गर्म-गर्म ही नाभि के नीचे बांधने से पेशाब खुलकर आने लगता है।

विशेष : गौझरण अर्क के सेवन से रुकी हुयी पेशाब खुल जाती है |

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

अक्सर देखा गया है कि 50 वर्ष की उम्र पार करते ही महिलाओं व पुरुषों में बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है, इसके अलावा पेशाब में संक्रमण की समस्याएं भी देखने आती हैं। समय पर सटीक इलाज और सावधानी के अभाव में यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है

पेशाब में संक्रमण होना या मूत्र विसर्जन के दौरान दाह होना जैसी समस्याएं बेहद आम है। अक्सर खान-पान में गड़बड़ी और जीवनचर्या में अचानक आए बदलाव की वजह से कई बार इस तरह की समस्याओं का सामना करना होता है।

अक्सर देखा गया है कि 50 वर्ष की उम्र पार करते ही महिलाओं व पुरुषों में बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है, इसके अलावा पेशाब में संक्रमण की समस्याएं भी देखने आती हैं। समय पर सटीक इलाज और सावधानी के अभाव में यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है। बुजुर्गों में मुख्यत: इसका कारण पेशाब में इंफेक्शन होना ही होता है।

इसके अलावा महिलाओं में मासिक चक्र के बंद होने के बाद हार्मोन में परिवर्तन, गलत खान-पान एवं मधुमेह भी एक खास वजह होती है। पेशाब से जुड़ी इस तरह की समस्याओं से करीब 50 फीसदी से ज्यादा पुरुष, 60 फीसदी से ज्यादा महिलाएं प्रभावित होती हैं। इन सब के अलावा बच्चों में भी मूत्र से जुड़े अनेक विकार देखे जा सकते हैं जिनमें से प्रमुख बिस्तर पर पेशाब करना है। यदि संतुलित जीवनशैली को अपनाया जाए, सही भोज्य पदार्थों और आदतों को अपना कर इस तरह की अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है।

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सुदूर ग्रामीण अंचलों में आज भी पारंपरिक हर्बल जानकार आस-पास उपलब्ध जड़ी-बूटियों की मदद से इन समस्याओं का निदान करते हैं, चलिए चर्चा करते हैं ऐसे ही कुछ खास नुस्खों की जिन्हें आज भी पारंपरिक वैद्य अपनाए हुए हैं, हालांकि इनमें से अनेक नुस्खों पर किसी तरह की वैज्ञानिक शोध नहीं हुई है। अत: पाठकों से अनुरोध है कि अपने चिकित्सक की जानकारी में इन नुस्खों का आजमाएं।

1. पेशाब में संक्रमण होने की दशा में डांग-गुजरात के आदिवासी रोगियों को एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और दो चम्मच दालचीनी की छाल का चूर्ण मिलाकर देते हैं।

2. पीपल के सूखे फल मूत्र संबंधित रोगों के निवारण के लिये काफी कारगर माने जाते हैं। आदिवासी इसके सूखे फलों का चूर्ण तैयार कर प्रतिदिन एक चम्मच चूर्ण को शक्कर या थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर रोगी को देते हैं, माना जाता है कि इससे पेशाब संबंधित समस्याओं जैसे पेशाब में जलन होना, खासकर प्रोस्ट्रेट की समस्याओं में रोगी को बेहतर महसूस होता है।

3. पारंपरिक हर्बल जानकारों के अनुसार जिन्हें अक्सर पेशाब में जलन की शिकायत हो, उन्हें फूल गोभी की सब्जी ज्यादा खानी चाहिए। फूलगोभी को साफ धोकर कच्चा चबाया जाना भी काफी हितकर होता है।

4. पेशाब में जलन होने पर अमलतास के फल के गूदे, अंगूर और पुनर्नवा की समान मात्रा (प्रत्येक 6 ग्राम) लेकर 250 मिली पानी में उबाला जाता है और 20 मिनट तक धीमी आँच पर उबाला जाता है। ठंडा होने पर रोगी को दिया जाए तो पेशाब में जलन होना बंद हो जाती है।

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5. नींबू का रस एक चम्मच, 2 चम्मच शक्कर और चुटकी भर नमक पानी में मिलाकर पीने से पेशाब की जलन में आराम मिलता है। मध्य प्रदेश में आदिवासी हर्बल जानकार इस दौरान नाभि पर चूना लेपित कर देते हैं और रोगी को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं।

6. छुई-मुई के पत्तों (करीब 4 ग्राम) को पानी में पीसकर नाभि के निचले हिस्से में लेप करने से पेशाब का अधिक आना बंद हो जाता है। आदिवासी मानते हैं कि पत्तियों के रस की 4 चम्मच मात्रा दिन में एक बार लेने से भी फायदा होता है।

7. तेजपान की पत्तियों का चूर्ण पेशाब संबंधित समस्याओं में काफी फायदा करता है। दिन में दो बार 2-2 ग्राम चूर्ण का सेवन खाना खाने के बाद किया जाए तो पेशाब से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से निजात मिल जाती है।

8. पेशाब में जलन होने पर बरगद की हवाई जड़ों (10 ग्राम) का बारीक चूर्ण, जीरा और इलायची (2-2 ग्राम) का बारीक चूर्ण एक साथ गाय के ताजे दूध के साथ मिलाकर लिया जाए तो अति शीघ्र लाभ होता है। यही फार्मूला पेशाब से संबंधित अन्य विकारों में भी लाभकारी होता है।

9. पातालकोट के आदिवासी सफेद मूसली की जड़ों के चूर्ण के साथ इलायची मिलाकर दूध में उबालते हैं और पेशाब में जलन की शिकायत होने पर रोगियों को दिन में दो बार पीने की सलाह देते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार इलायची शांत प्रकृति की होती है और ठंडक देती है।

10. आदिवासियों की मानी जाए तो जिन्हें पेशाब करने के समय जलन की शिकायत होती है उनके लिए आँवला एक फायदेमंद उपाय है। आँवले के फलों का रस तैयार कर इसमें स्वादानुसार शक्कर और शहद और घी मिलाकर पिया जाए तो पेशाब की जलन शाँत हो जाती है।

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11. पेशाब करते समय यदि जलन महसूस हो तो गिलोय के तने का चूर्ण (10 ग्राम), आंवला के फलों का चूर्ण (10 ग्राम), सोंठ चूर्ण (5 ग्राम), गोखरु के बीजों का चूर्ण (3 ग्राम) और अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण (5 ग्राम) लिया जाए और इसे 100 एमएल पानी में उबाला जाए, प्राप्त काढ़े को रोगी को दिन में एक बार प्रतिदिन एक माह तक दिया जाना चाहिए।

12. ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबाल लिया जाए और छानकर इसमें मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन और गुर्दों की कमजोरी भी दूर होती है।

13. अश्वगंधा की जड़ों का रस और आंवला के फलों का रस समान मात्रा में (आधा-आधा कप) लिया जाए तो मूत्राशय और मूत्र मार्ग में पेशाब करते समय जलन की शिकायत खत्म हो जाती है और माना जाता है कि यह पथरी को गलाकर पेशाब मार्ग से बाहर भी निकाल फेंकता है।

14. सौंफ की जड़ों का रस (25 एमएल) दिन में दो बार लेने से पेशाब से जुड़ी समस्याओं में तेजी से राहत मिलती है। पातालकोट में आदिवासी सौंफ, कुटकी और अदरक के मिश्रण को लेने की सलाह देते हैं।

15. पुर्ननवा की जड़ों को दूध में उबालकर पिलाने से बुखार में तुरंत आराम मिलता है। इसी मिश्रण को अल्पमूत्रता और मूत्र में जलन की शिकायत से छुटकारा मिलता है।

16. डाँग के आदिवासी तरबूत का रस मिट्टी के बर्तन में लेकर उसे रात के समय में खुले आसमान में रख देते है ताकि इस पर ओंस की बूंदे पड़े, सुबह इसमें चीनी मिलाकर उस रोगी को देते है जिसके लिंग पर घाव हुआ हो और मूत्र दाह में जलन होती हो। माना जाता है कि इस तरह की समस्याओं के लिए यह उपाय काफी कारगर है।

17. जिन्हें पेशाब होने में तकलीफ होती है उन्हें दूध के साथ पान के पत्ते को उबालकर पीना चाहिए, माना जाता है कि पान पेशाब होना सामान्य कर देता है।

18. पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार जिन्हें पेशाब के दौरान दर्द होने की शिकायत हो, उन्हें सागौन के फूलों का काढा तैयार करके पीने से लाभ मिलता है।

19. लगभग 15 ग्राम दूब की जड़ को 1 कप दही में पीसकर लेने से पेशाब करते समय होने वाले दर्द से निजात मिलती है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार दूबघास की पत्तियों को पानी के साथ मसलकर स्वादानुसार मिश्री डालकर अच्छी तरह से घोट लेते हैं फिर छानकर इसकी 1 गिलास मात्रा रोजाना पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।

20. आदिवासियों का मानना है कि जिन पुरुषों को स्पर्मेटोरिया (पेशाब और मल करते समय वीर्य जाने की शिकायत) हो उन्हे गेंदा के फूलों (करीब 10 ग्राम) का रस पीना चाहिए।

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21. पेशाब से जुड़ी समस्याओं और पथरी के दर्द में राहत के लिए तुलसी भी रामबाण की तरह ही है। तुलसी की पत्तियों का चूर्ण और हर्रा के फलों का चूर्ण मिलाकर खाने से पेशाब करते समय होने वाले दर्द में काफी आराम मिलता है।

22. गोखरू संपूर्ण पौधे का चूर्ण शहद या मिश्री के साथ पीने से पेशाब का बार-बार आना बंद हो जाता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी बार-बार पेशाब आने की समस्या के निदान के लिए गोखरू के बीज, विदारीकन्द का कंद और आँवला के फ़लों का चूर्ण समान मात्रा (लगभग 5 ग्राम) लेकर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने की सलाह देते हैं, आराम मिल जाता है।

23. मक्के के उबल जाने के बाद इस पानी की एक गिलास मात्रा में एक चम्मच शहद मिलाकर रख दिया जाए, पहले मक्के के उबले दानों को चबाया जाए और अंत में शहद मिले पानी को पी लिया जाए तो यह किडनी और मूत्र तंत्र को बेहतर बनाता है। किडनी और मूत्र तत्र की सफाई के लिए यह उत्तम फार्मूला है। आदिवासियों के अनुसार ऐसा करने से किडनी, मूत्र नली और मूत्राशय में पथरी होने की संभावनांए भी खत्म हो जाती हैं।

24. जिन्हें पेशाब जाने में दिक्कत आती है, उन्हें धनिया के बीजों (एक चम्मच) को कुचलकर गुनगुने पानी के साथ पीना चाहिए, पेशाब का आना नियमित और निरंतर हो जाता है।

25. जिन्हें बार-बार पेशाब जाने की शिकायत होती है उन्हें तिल और अजवायन के बीजों की समान मात्रा को तवे पर भूनकर दिन में कम से कम दो बार अवश्य सेवन करना चाहिए।

26. पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार करीब 20 ग्राम मक्के के दानों को कुचलकर एक गिलास पानी में खौलाया जाए और जब यह आधा शेष बचे तो इसमें एक चम्मच शहद की भी डाल दी जाए, इस मिश्रण को बच्चों को दिन में 3 बार देने से वे बिस्तर में पेशाब नहीं करते है।

27. चुटकी भर राई के चूर्ण को पानी के साथ घोलकर बच्चों को देने से वे रात में बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।

28. पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि जामुन के बीजों का चूर्ण की 2-2 ग्राम मात्रा बच्चों को देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।

29. शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50- 50 ग्राम) लेकर मिला लिया जाए और चुटकी भर चूर्ण पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है।

30. अनार के छिलकों को सुखाकर कुचल लिया जाए और इस चूर्ण का आधा चम्मच बच्चों आधा कप पानी में मिलाकर बच्चों को एक सप्ताह तक हर रात दिया जाए तो जल्द ही बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में आराम मिलता है।

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पेशाब खुलकर आने के लिए क्या करना चाहिए?

लगभग 15 ग्राम दूब की जड़ को 1 कप दही में पीसकर लेने से पेशाब करते समय होने वाले दर्द से निजात मिलती है। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार दूबघास की पत्तियों को पानी के साथ मसलकर स्वादानुसार मिश्री डालकर अच्छी तरह से घोट लेते हैं फिर छानकर इसकी 1 गिलास मात्रा रोजाना पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।

पेशाब खुलकर क्यों नहीं होता है?

1-प्रोस्टेट थैली में समस्या हो जाने पर यूरीन की मात्रा कम हो जाती है। 2-यूरीन पास करते वक्त रुकावट महसूस होना। 3-यूरीन और किडनी इंफेक्शन। 4-डायबिटीज होने पर शुगर और कीटोंस की मात्रा बढ़ जाने से भी पेशाब रुक-रुक कर आता है।

पेशाब ठीक से नहीं आ रहा है तो क्या करें?

यूरिन कम आने का इलाज क्या है? यदि आपको इस तरह की शिकायत हो रही है तो सबसे पहले तो आप हर दिन पीने वाले पानी की मात्रा बढ़ा दें. कम से कम 8 से 10 गिलास पानी रोज पिएं. हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीने का सबसे अच्छा तरीका यह होता है कि आप एक लीटर की वॉटर बॉटल ले लें और हर दिन इससे दो से तीन बॉटल पानी पिएं.

पेशाब रुक रुक के करने से क्या होता है?

नियमित रूप से लंबे समय तक पेशाब रोकने से ब्‍लैडर में स्ट्रेचिंग यानि मूत्राशय में खिंचाव हो सकता है। जिसकी वजह से यूरीन लीकेज की समस्‍या भी हो सकती है। ज्यादा देर यूरिन को रोकने पर ब्लैडर पर प्रेशर बढ़ता है जो दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द किडनी तक भी पहुंच सकता है।