पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की विभिन्नता अलग अलग क्यों होती है? - prthvee kee satah par sooryaatap kee vibhinnata alag alag kyon hotee hai?

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सौर्यिक विकिरण का जो भाग पृथ्वी की ओर आता है, उसे सूर्यातप कहते है| इसे विभिन्न खगोलीय एवं स्थलाकृतिक कारक प्रभावित करते है| पृथ्वी एवं इसका वायुमंडल सौर्यिक ऊर्जा की जितनी मात्रा को प्राप्त करता है उसके बराबर ही अन्तरिक्ष में वापस लौटा देता है, इसे उष्मा बजट या ऊष्मा संतुलन (heat budget) कहते है| हम इस लेख में ऊष्मा बजट और सूर्यातप क्या है और इसे प्रभावित करने वाले कारक कौन से है, के बारे में बता रहे है| What is Insolation and Earth Heat Balance in hindi. Earth Heat Budget in hindi.

पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की विभिन्नता अलग अलग क्यों होती है? - prthvee kee satah par sooryaatap kee vibhinnata alag alag kyon hotee hai?

सूर्यातप क्या है – What is Insolation in hindi.

सौर्यिक विकिरण का जो भाग पृथ्वी की ओर आता है, उसे सूर्यातप कहते है| क्या आप जानते है की पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत सूर्य है| सूर्य से लघु तरंग के रूप में सौर विकिरण लगभग 3 लाख km/s की दर से पृथ्वी की ओर आता है. सूर्यातप पृथ्वी पर तापीय स्थिति एवं ऊष्मा के लिए अति आवश्यक है| यह मानव एवं जीव जंतु, वनस्पतियों के विकास के लिए भी अनिवार्य है|

पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की विभिन्नता अलग अलग क्यों होती है? - prthvee kee satah par sooryaatap kee vibhinnata alag alag kyon hotee hai?

सामान्य तौर पर सौर्यिक विकिरण की दर 1.94 ग्राम कैलोरी प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्रति मिनट है और यह स्थिर होती है. इसे सौर स्थिरांक कहते है.

सूर्यातप की मात्रा लगभग स्थिर होती है, लेकिन विभिन्न अक्षांसो में सूर्यातप की मात्रा में विभिन्नता पाई जाती है. स्थलाकृतिक विशेषताओं के कारण समान अक्षांस के विभिन्न क्षेत्रों में भी Insolation की मात्रा में अंतर पाया जाता है.

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सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक क्या है

सूर्यातप विभिन्न खगोलीय एवं स्थलाकृतिक कारकों पर निर्भर करता है, यही कारक इसे प्रभावित करते है| सूर्यातप को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक है:

सूर्य की किरणों का तिरछापन: Insolation की मात्रा अलग-अलग अक्षांसों पर अलग -अलग होती है| विषुवत क्षेत्र पर यह सर्वाधिक होती है लेकिन ध्रुवों की और बढ़ें पर इसकी मात्रा कम होने लगती है| क्योंकि वहां सूर्य की किरणें कम पहुँच पाती है| यह भी पढ़ें: पृथ्वी पर तापमान का वितरण

पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन: पृथ्वी अपने अक्ष पर घुमती हुई 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है| इस बीच पृथ्वी का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में और आधे भाग पर सूर्य की प्रकाश नहीं प्राप्त होती है| स्पष्ट है की पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन से भी सुर्याताप प्रभावित होती है|

पृथ्वी द्वारा सूर्य का परिक्रमण: पृथ्वी एक वृत्ताकार मार्ग का अनुसरण करती हुई सूर्य का परिक्रमा करती है| जिसमें वर्ष में दो बार वह पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक और दो बार सर्वाधिक दूर होती है| जब यह सूर्य के नजदीक होती है तो अधिक और जब यह दूर होती है तो कम सुर्याताप की प्राप्ति होती है|

सूर्य की पृथ्वी से दुरी: सौर मंडल के ग्रहों में पृथ्वी बुध, शुक्र के बाद सूर्य के सबसे नजदीकी ग्रह है| इससे यहाँ औसत सूर्य ताप की प्राप्ति होती है| पृथ्वी के बाद मंगल ग्रह की स्थिति है वहां पृथ्वी के मुकाबले कम ऊर्जा की प्राप्ति होती है| सूर्य से दूरी बढ़ने के साथ सूर्यताप की मात्रा भी घटने लगती है|

वायुमंडल के संघटक तत्व: गैस, धूलकण, जलवाष्प: वायुमंडल के संघटक तत्व – गैस, धूलकण, जलवाष्प सूर्य से आ रही किरणों का परावर्तन कर देते है, इससे सुर्यतापा प्रभावित होती है| हालाँकि पृथ्वी जितनी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त करती है उसी के बराबर वापस कर देती है जिससे ऊष्मा संतुलन बना रहता है|

सौर्यिक विकिरण का उत्सर्जन दर: सूर्य के धब्बे यदि अधिक है तो सौर्यिक विकिरण की मात्रा अधिक होती है|

स्थलाकृतिक विशेषताएँ– महाद्वीप, महासागर, पर्वत, गर्त, मैदान आदि की स्थिति भी सूर्यातप को प्रभावित करते है.

उपरोक्त कारक पृथ्वी पर सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक है| सूर्यातप को प्रभावित करने वाले कारक क्या है को समझने के बाद आइये समझते है की उष्मा बजट किसे कहते है.

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उष्मा संतुलन – उष्मा बजट किसे कहते है – What is Earth Heat balance in hindi.

पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप की विभिन्नता अलग अलग क्यों होती है? - prthvee kee satah par sooryaatap kee vibhinnata alag alag kyon hotee hai?

पृथ्वी को प्राप्त एवं उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा बराबर होती है और पृथ्वी का ताप संतुलन बना रहता है, इसे पृथ्वी का उष्मा बजट कहते है.

सौर्यिक विकिरण का पृथ्वी एवं वायुमंडल द्वारा अवशोषण होता है. पृथ्वी और वायुमंडल सौर्यिक विकिरण की जिस मात्रा का अवशोषण करता है उसके बराबर मात्रा ही अन्तरिक्ष में वापस लौटा देता है. इस तरह पृथ्वी और वायुमंडल को प्राप्त सौर्यिक ऊर्जा की मात्रा एवं उत्सर्जित ऊर्जा की मात्रा बराबर होती है. इसे ऊष्मा बजट या ऊष्मा संतुलन या heat budget कहते है.

पृथ्वी पर तापीय स्थिति एवं तापीय संतुलन तथा अनुकूल अधिवासीय वातावरण के लिए उष्मा का संतुलित रूप से प्राप्त होना आवश्यक है. 

क्या आप जानते है की उष्मा बजट का निर्धारण पुर्णतः अनुमान पर आधरित है| विभिन्न जलवायुवेत्ताओं द्वारा अत्यंत जटिल प्रक्रियाओं से ऊष्मा संतुलन का निर्धारण किया जाता है| इसीलिए heat budget को लेकर विभिन्न जलवायुवेत्ताओं के मध्य भिन्नता पायी जाती है| हालाँकि सामान्य रूप से स्वीकार किया गया है की पृथ्वी पर सूर्य से प्राप्त ऊर्जा – सूर्यातप एवं उत्सर्जित ऊर्जा में पुर्णतः संतुलन पाया जाता है.

पृथ्वी सौर ऊर्जा का 51% प्राप्त करता है और विभिन्न प्रक्रियाओं से 51% उत्सर्जन भी करता है. इसी तरह वायुमंडल सौर ऊर्जा का लगभग 48% ऊर्जा प्राप्त करता है एवं विभिन्न तरह से 48% उत्सर्जित भी करता है. इस तरह पृथ्वी एवं वायुमंडल को ऊष्मा की प्राप्ति भी होती रहती है एवं ताप संतुलन भी बना रहता है.

सूर्य से उत्सर्जित मात्रा का 35% भाग शुन्य में वापस लौटा दिया जाता है. शेष 65% में लगभग 14% वायुमंडल का जलवाष्प, बादल, धूलकण तथा कुछ स्थायी गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. इस प्रकार केवल 51% ऊर्जा ही पृथ्वी को प्राप्त हो पाती है.

सूर्य से प्राप्त 51% उष्मा ही पृथ्वी को सही रूप में प्राप्त होता है और ऊष्मा की यही मात्रा उत्सर्जित होना आवश्यक होता है. यदि पृथ्वी को प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा से अधिक उत्सर्जन होता है तो धरातल के तापमान में कमी आने लगेगी. ठीक इसी प्रकार कम उत्सर्जन से धरातल के तापमान में वृद्धि आ जाएगी.

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पृथ्वी की ऊष्मा बजट की सरल समझ

माना की 100 यूनिट सौर ऊर्जा पृथ्वी की ओर आई.

उस 100 यूनिट में से,

  • 35 यूनिट शुन्य में वापस लौटा दिया गया. इसे पृथ्वी का एल्बिडो कहते है.
    • 6 यूनिट वायुमंडल द्वारा परावर्तित
    • 27 यूनिट बादलों द्वारा परावर्तित
    • 2 यूनिट हिमाच्छादित क्षत्रों द्वारा परावर्तित
  • शेष बचे हुए 65 यूनिट में से,
    • 14 यूनिट वायुमंडल में स्थित गैस, धूलकण, जलवाष्प द्वारा अवशोषित.
    • 51 यूनिट पृथ्वी को प्राप्त
      • 34 यूनिट भाग प्रत्यक्ष सूर्य प्रकाश से प्राप्त
        • 6 यूनिट विकिरण द्वारा
        • 9 यूनिट संवहन द्वारा
        • 19 यूनिट संघनन की गुप्त ऊष्मा द्वारा
      • 17 यूनिट भाग विसरित दिवा प्रकाश से प्राप्त

इस तरह वायुमंडल द्वारा 48 यूनिट भाग का अवशोषण होता है. वायुमंडल विकिरण द्वारा इन 48 यूनिट को अन्तरिक्ष में वापस लौटा देती है. अन्तरिक्ष में लौटने वाली विकिरण 14 यूनिट तथा 48 यूनिट होती है. वापस लौटने वाली ये यूनिटें सूर्य से प्राप्त होने वाली 65 यूनिट का संतुलन कर देती है. और पृथ्वी पर ताप संतुलन बना रहता है.

पृथ्वी पर ऊष्मा संतुलन या हीट बजट का बना रहना बहुत जरुरी है. यह पृथ्वी पर जीवन और अनुकूल परिस्थिति के लिए अति आवश्यक है|

हम आशा करते है की इस लेख ने आपको पृथ्वी की ऊष्मा बजट और सूर्यातप क्या है, इसे कौन से कारक प्रभावित करते है, के बारे में जानने में सहायता की| आपको महासागर के ऊष्मा बजट के पढना पसंद हो सकता हो|

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