कबीर के नीति दोहेसाई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय । Show
निंदक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय । - कबीरदास तुलसीदास के नीति दोहे
आवत
ही हर्ष नहीं, नैनन नहीं सनेह । तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर । - तुलसीदास रहीम के नीति दोहे
रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय | जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग । - रहीम तुलसीदास के दोहे कबीर दास के दोहे?1- तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक। साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक। ... . 2-सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु। बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु। ... . 3-आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह। तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह। ... . 4- तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर। ... . 5- तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।. कबीर दास जी के नीति के दोहे?कबीर दास जी के नीति के दोहे नंबर 3 –
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलियाकोय। जो मन खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय।। दोहे का अर्थ: इस दोहे में कवि कहते हैं कि जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झांक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है।
कबीर के 5 दोहे लिख के याद करे?Top 250+ Kabir Das Ke Dohe In Hindi~ संत कबीर के प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ. यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।. शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ।. सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराज ।. सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।. ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये ।. औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए ।. कबीर के दोहे और रहीम के दोहे?रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय।। ... . रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। ... . रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार। ... . जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घट जाहिं। ... . दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं। ... . रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ, ... . वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।. |