अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो, जान थोड़ी है राहत इंदौरी ने लिखा था :- “सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में राहत इंदौरी का यह शेर इन दिनों खूब लिखा, बोला जा रहा है। अब मेरा जवाब भी पढिये, पसंद आये तो शेयर भी कीजियेगा। “ख़फ़ा होते हैं हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी हैं ये कान्हा राम की धरती, सजदा करना ही होगा मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी, मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा बहुत लूटा फिरंगी ने कभी बाबर के पूतों ने बिरले मिलते है सच्चे मुसलमान दुनिया में, कुछ तो अपने भी शामिल है वतन तोड़ने में अरे देश की संम्पत्ति जलाने वालों, Please follow and like us: Share this:
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