मित्रों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - mitron ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

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हम और हमारे मित्र, जानें क्या है दोस्त की जीवन में भूमिका

Published: Sep 29, 2017 12:29:04 pm

Submitted by:

अमनप्रीत कौर

यह जरूरी नहीं कि दोस्त कोई आपके घर के बाहर का हो, वह आपके परिवार का कोई भी सदस्य हो सकता है या फिर सभी सदस्य भी। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

मित्रों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - mitron ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

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यह जरूरी नहीं कि दोस्त कोई आपके घर के बाहर का हो, वह आपके परिवार का कोई भी सदस्य हो सकता है या फिर सभी सदस्य भी। कुछ ऐसे ही विचार अपने ब्लॉग पर लिखे हैं संजय कुमार चौरसिया ने...

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु मित्रता का महत्व पर निबंध Essay on Importance of Friendship in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपको
मित्रता का महत्व पर बहुत सी जानकारी देंगे जैसे सच्ची मित्रता वह है जहाँ मित्र का दुख अपना दुख लगे और मित्र का सुख अपना सुख।आइये पढ़ते है मित्रता का महत्व पर निबंध

मित्रों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? - mitron ka hamaare jeevan mein kya mahatv hai?

भूमिका :

मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है, कदम-कदम पर उसे चुनौतियों का सामाना करना पड़ता है। सारी समस्याओं से वह अकेला नहीं लड़ सकता। उसे कुछ मित्रों की आवश्यकता होती है। लेकिन मित्र वही जो मुसीबत में काम आए। यदि किसी को जीवन में सच्चा, स्वार्थहीन मित्र मिल जाए, तो उसका तो कल्याण ही हो जाएगा।

मित्रता की परिभाषा :

सच्ची मित्रता वह है जहाँ मित्र का दुख अपना दुख लगे और मित्र का सुख अपना सुख। सच्चा मित्र अपने मित्र को कुमार्ग पर चलने से रोकता है और सुपथ का मार्ग दिखाता है। वह उसके गुणों की भरपूर प्रशंसा करता है लेकिन हर दुख-सुख में अपने मित्र के साथ खड़ा होता है।

मित्रता :

अनमोल सम्पत्ति : मित्रता ही सच्चा धन है। जिसके जितने अधिक सच्चे मित्र होते हैं, वह उतना ही अधिक धनी होता है। संसार में उसकी प्रतिष्ठा होती है। इंसान की पहचान उसके मित्रों से ही होती है। अच्छे तथा सच्चे मित्र की संगति जीवन को सरल, सुखी तथा सम्मानीय बनाती है। मुश्किल समय में धन इतना काम नहीं आता, जितना कि किसी सच्चे मित्र की मित्रता काम आती है।

अच्छी मित्रता के लाभ :

अच्छी मित्रता के अनेक लाभ हैं। इससे जीवन का मार्ग सरल हो जाता है। कठिन से कठिन कार्य भी सरल लगने लगता है। जीवन में सुख-आनंद बढ़ता है। सच्ची मित्रता से एक-दूसरे पर विश्वास बढ़ता है। अच्छी मित्रता से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।

बुरी मित्रता से हानि :

सच्ची मित्रता यदि हमारा कल्याण कर सकती है तो बुरी मित्रता हमें गर्त में भी गिरा सकती है। वह पैर में बँधी चक्की के समान है। एक व्यक्ति के पैरों में यदि चक्की बाँध दी जाए, तो वह तैर नहीं सकता। पैरों में बँधी चक्की अच्छे से अच्छे तैराक के पैरों में बेड़ियाँ डाल देती है। उसी प्रकार बुरे व्यक्ति की मित्रता विनाश का कारण बनती है तथा पतन की ओर ले जाती है।

सच्ची मित्रता के कुछ उदाहरण :

इतिहास सच्ची मित्रता के उदाहरणों से भरा पड़ा है। कृष्ण और सुदामा की सच्ची मित्रता से तो सभी परिचित हैं। कृष्ण राजकुमार थे और सुदामा गरीब ब्राह्मण। लेकिन दोनों की मित्रता के बीच पैसा कभी नहीं आया और कृष्ण भगवान ने सुदामा की सहायता की। ऐसी ही मित्रता रामचन्द्र जी तथा सुग्रीव के बीच भी थी।

सच्ची मित्रता का आधार :

सच्ची मित्रता के लिए दोनों ओर से सहयोग होना आवश्यक है। दोनों में विश्वास होना जरूरी है। इसके बिना मित्रता सुदृढ़ नहीं हो सकती। मित्रता में विश्वास का होना भी आवश्यक है। जलन, ईर्ष्या, बैर के लिए मित्रता में कोई स्थान नहीं होता है।

उपसंहार :

वास्तव में सच्ची मित्रता का जीवन पर सुखकारी प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य के लिए सुख तथा सम्पन्नता का आधार है। हमें सदा सच्चे मित्रों पर विश्वास रखना चाहिए।

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मित्रता का महत्व पर निबंध

दो मित्र थे। वे बड़े ही बहादुर थे। उनमें से एक ने अपने बादशाह के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई। बादशाह बड़ा ही कठोर और बेरहम था। उसको जब मालूम हुआ तो उसने उस नौजवान को फांसी के तख्ते पर लटका देने की आज्ञा दी।

नौजवान ने बादशाह से कहा-“आप जो कर रहे हैं वह ठीक है। मैं खुशी-खुशी मौत की गोद में चला जाऊंगा, लेकिन आप मुझे थोड़ी मोहलत दे दीजिए, जिससे मैं गांव जाकर अपने बच्चों से मिल आऊं।”

बादशाह ने कहा- “नहीं, मुझे तुम पर विश्वास नहीं है।” उस नौजवान का मित्र वहां मौजूद था। वह आगे बढ़कर बोला—“मैं अपने इस दोस्त की जमानत देता हूं, अगर यह लौटकर न आए तो आप मुझे फांसी पर चढ़वा दीजिए।”

बादशाह चकित रह गया। उसने अब तक ऐसा कोई आदमी नहीं देखा था, जो दूसरों के लिए अपनी जान देने को तैयार हो जाए।”

बादशाह ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। उसे छः घण्टे का समय दिया गया। नौजवान घोड़े पर सवार होकर अपने गांव को रवाना हो गया। उसका मित्र जेलखाने भेज दिया गया। नौजवान ने हिसाब लगाकर देखा कि वह पांच घण्टे में लौट आएगा, लेकिन बच्चों से मिलकर जब वह वापस आ रहा था, उसका घोड़ा ठोकर खाकर गिर गया और फिर उठा ही नहीं। नौजवान के भी चोट आई, पर उसने हिम्मत नहीं हारी।

छः घण्टे बीते और वह नौजवान नहीं लोटा तो उसका मित्र बड़ा खुश हुआ। आखिर इससे बढ़कर क्या बात होती कि मित्र-मित्र के काम आए। वह भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसका मित्र न लौटे। जिस समय मित्र को फांसी के तख्ते के पास ले जाया जा रहा था कि नौजवान वहां पहुंच गया।

उसने मित्र से कहा-“लो मैं आ गया। अब तुम घर जाओ। मुझे विदा दो।”

मित्र बोला—“यह नहीं हो सकता। तुम्हारी मियाद पूरी हो गई।”

नौजवान ने कहा-“यह तुम क्या कहते हो! सजा तो मुझे मिली है।”

दोनों मित्रों की दोस्ती को बादशाह देख रहा था। उसकी आंखें डबडबा आईं। उसने उन दोनों को बुलाकर कहा-“तुम्हारी दोस्ती ने मेरे दिल पर गहरा असर डाला है। जाओ, मैं तुम्हें माफ करता हूं।” उस दिन से बादशाह ने कभी किसी पर जुल्म नहीं किया।

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मित्र का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

दोस्त एक-दूसरे को भावनात्मक सहायता प्रदान करने के लिए हैं। जब हम कमज़ोर महसूस करते हैं तब वे हमें खुश करते हैं, पढ़ाई में हमारी सहायता करते हैं, खरीदारी के लिए हमारे साथ लंबी दूरी तय करते हैं और विभिन्न मजेदार गतिविधियों में हमारे साथ शामिल होते हैं। मित्र हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।

मित्रता के क्या लाभ है?

मानव जीवन में मित्रता से अनेक लाभ होते हैं। मित्र के समान समाज में सुख और आनंद देने वाला दूसरा कोई नहीं है। दुख के दिनों में मित्र को देखते ही हृदय में शक्ति आ जाती है। अधीरता प्राणों के भीतर से भाग जाती है और निराश मन के अंदर आशा की ज्योति जलने लगती है।

कक्षा 5 के लिए हमारे जीवन निबंध में मित्र क्यों महत्वपूर्ण हैं?

वे हमारे मानसिक समर्थन हैं और जब हम संकट में होते हैं, तो एक अच्छा दोस्त हाथ जोड़कर समस्या को हल करने में मदद करता है । वृद्धावस्था में वर्तमान समाज की एकल परिवार संरचना के कारण लोग ज्यादातर अकेले रहते हैं। दोस्त घूमते हैं और विभिन्न स्थानों का पता लगाने के लिए एक साथ यात्रा करते हैं और एक साथ कई शौक का आनंद लेते हैं।

सच्चे मित्र की पहचान क्या है?

सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। जो मित्र विपत्ति में आपका साथ दे वही सच्चा मित्र है। जो मित्र आपकी खुशी में शामिल होता है और दुख आने पर आपसे दूर हो जाता है तो वह आपका सच्चा मित्र नहीं है। ऐसा मित्र शत्रु से भी ज्यादा खतरनाक है।