रामायण में संजीवनी बूटी लक्ष्मण के प्राण वापस लाने और हनुमान के संजीवनी पर्वत को पूरा उठा लाने वाला प्रसंग सभी जानते हैं. वैध सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया है. संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है. माना जाता है कि हनुमानजी ने इस पहाड़ को टुकडे़ करके इस क्षेत्र विशेष में डाल दिया था. Show हनुमानजी की पूजा से शांत रहते हैं शनिदेव... रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है ये जानें, अंजनी पुत्र हनुमानजी की जन्मकथा के बारे में... यहां के पेड़-पौधे हैं खास जब हनुमान पूरा पर्वत उठा लाए संजीवनी एक वनस्पति का नाम है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिये किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Selaginella bryopterisहै और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं। लखनऊ स्थित वनस्पति अनुसंधान संस्थान में संजीवनी बूटी के जीन की पहचान पर कार्य कर रहे पाँच
वनस्पति वैज्ञानिको में से एक डॉ॰ पी.एन. खरे के अनुसार संजीवनी का सम्बंध पौधों के टेरीडोफिया समूह से है जो पृथ्वी पर पैदा होने वाले संवहनी पौधे थे। उोनें बताया की नमी नहीं पर संजीवनी मुरझाकर पपड़ी जैसी हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद यह जिवित रहती हैऔर बाद में थोड़ी सी ही नमी मिलने पर यह फिर से खिल जाती है. यह पत्थरों तथा शुष्क सतह पर भी उग सकती है. इसके इसी गुण के कारण वैज्ञानिक इस बात की गहराई से जांच कर रहे है की आखिर संजीवनी में ऐसा कौन सा जीन पाया जाता है जो इसेअन्य पौधों सेअलग और विशेष
दर्जा प्रदान करता है. हालाँकि वैज्ञानिकों का कहना है की इसकी असली पहचान भी काफी किठन है क्योंकि जंगलों में इसके समान ही अनेक ऐसे पौधे और वनस्पतियां उगती है जिनसे आसानी से धोखा खाया जा सकता है. मगर कहा जाता है की चार इंच के आकार वाली संजीवनी लंबाई में बढ़नेके बजाए सतह पर फैलती है. संजीवनी बूटी हार्टस्ट्रोक , अनियमित मासिक धर्म, डिलीवरी के समय , जॉन्डिस आदि में लाभ दायक है। Scientific classification
Selaginella bryopteris (Devanagari:संजीवनी) is a lithophytic plant that is native to India. It is used medicinally in India and is one of the plants that is considered as a candidate to be the sanjeevani (also called “sanjeevini”or “sanjivini booti”) plant. The popular name sanjeevani translates as “one that infuses life,” and derives from a plant that appears in the Ramayana. Other medicinal plants are also called sanjeevani. The botanical identity of the plant described in the Ramayana is unclear, although Selaginella bryopteris has been suggested as a candidate. Sanjeevani grows on the hills of tropical areas, particularly in the Aravalli Range of mountains in India. Traditional uses include relief from heat stroke, dysuria, irregular menstruation, and jaundice, but the effectiveness has not been scientifically validated. It is also useful for coma patient by way of inhalation To Know more download the research paper –
Register now for special offers +91 Home > English > कक्षा 11 > Biology > Chapter > Plant Kingdom > 'संजीवनी बूटी' का वानस्पतिक ना... लिखित उत्तर Selaginella rupestrisSelaginella brauniiSelaginella bryopterisBoth A and C Answer : C Solution : Botanical name of 'Sanjeevani Booti' is Selginella bryopteris. Question Details till 19/11/2022
Follow Us: Popular Chapters by Class: संजीवनी बूटी का क्या नाम था?संजीवनी बूटी भी इसी तरह की वनस्पति है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिए किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं.
संजीवनी बूटी का पौधा कौन सा है?लद्दाख के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने एक ख़ास पौधे का ज़िक्र किया, जिसे उन्होंने 'संजीवनी बूटी' बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''लद्दाख में सोलो नाम का एक पौधा पाया जाता है. जानकारों का कहना है कि यह पौधा हाई ऐल्टिट्यूड पर रहने वालों के लिए, बर्फीली जगहों पर तैनात सुरक्षाबलों के लिए संजीवनी का काम करता है.
संजीवनी बूटी की पहचान क्या है?संजीवनी बूटी के बारे में 10 रोचक तथ्य (Sanjivani Buti Ka Rahasya) #1. यह बूटी हिमालय पर्वत के एक पहाड़ पर पायी जाती थी जो कैलाश पर्वत तथा ऋषभ पर्वत के बीच में स्थित था। वर्तमान में इसका स्थान उत्तराखंड राज्य के चमोली गाँव में द्रोणागिरी गाँव माना जाता है।
संजीवनी बूटी कौन से पर्वत पर है?इस गांव में द्रोणागिरी पर्वत है। इस पर्वत का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे।
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