समाज की सेवा का क्या अर्थ है? - samaaj kee seva ka kya arth hai?

परिभाषा

समाज की सेवा का क्या अर्थ है? - samaaj kee seva ka kya arth hai?
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संज्ञा 

समाज की की जाने वाली सेवा:"समाज सेवा में लगे लोगों के प्रति मेरी हार्दिक श्रद्धा है"
पर्याय: समाजसेवा,

उदाहरण वाक्य

1.And I was getting my Ph.D. in social work,
और मुझे समाज सेवा में आचार्य की उपाधि मिलने वाली थी,2.Really, one of the big sayings in social work
वाकई, समाज सेवा में सबसे बड़ी कहावतों में से एक है3.Because, by the time you're a social worker for 10 years,
क्योंकि 10 सालों तक समाज सेवा करने के बाद,4.That I have a bachelor's in social work, a master's in social work,
कि मेरे पास समाज सेवा में स्नातक, और समाज सेवा में स्नातकोत्तर की डिग्री है,5.That I have a bachelor's in social work, a master's in social work,
कि मेरे पास समाज सेवा में स्नातक, और समाज सेवा में स्नातकोत्तर की डिग्री है,6.From the Tehelka team 's point of view , it is all in the name of truth-a little sex service for the larger social service .
तहलका टीम की राय में यह सब सचाई की खातिर है-व्यापक समाज सेवा के लिए थोड़ी-सी सेक्स सेवा .7.Ask your local social services department, or consult this leaflet, in which there is a list of voluntary organisations at the end; contact any of them.
अपनें स्थानीय समाज सेवा विभाग से पूछें या इस पुस्तिका के अन्त में सूचीगत ऐच्छिक संस्थाओं मेंसे किसी एक के साथ संपर्क करें।8.Ask your local social services department , or consult this leaflet , in which there is a list of voluntary organisations at the end ; contact any of them .
अपनें स्थानीय समाज सेवा विभाग से पूछें या इस पुस्तिका के अन्त में सूचीगत ऐच्छिक संस्थाओं मेंसे किसी एक के साथ संपर्क करें .9.In Calcutta , he learnt that social service was an integral part of Yoga and it encompassed national reconstruction on modern lines .
कलकत्ता में उन्होंने सीखा कि समाज सेवा योग-साधना का अभिन्न अंग है और आधुनिकतामूलक राष्ट्रीय पुनर्निर्माण भी समाज कार्य के दायरे में आता है .10.He made another tour of the country , this time exhorting the Hindu community to do the work of social service and reform , specially the education and uplift of women in the organised , Western way .
उन्होने अपने देश की एक और दूसरी यात्रा की और इस बार हिंदू समुदाय को समाज सेवा और सुधार के लिये प्रोत्साहि करते हुये विशेषकर महिलाओं की शिक्षा तथा उद्धार , पश्चिमी तरीके से संगठित रूप में करने पर जोर दिया .  अधिक वाक्य:   1  2  3  4  5

समाजसेवा का उद्देश्य व्यक्तियों, समूहों और समुदायों का अधिकतम हितसाधन होता है। अत: सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी को उसकी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाने के साथ उसके पर्यावरण में अपेक्षित सुधार लाने का प्रयास करता है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के निमित्त सेवार्थी की क्षमता तथा पर्यावरण की रचनात्मक शक्तियों का प्रयोग करता है। समाजसेवा सेवार्थी तथा उसके पर्यावरण के हितों में सामजस्य स्थापित करने का प्रयास करती है।

समाजसेवा का वर्तमान स्वरूप निम्नलिखित जनतांत्रिक मूल्यों के आधार पर निर्मित हुआ है :

(1) व्यक्ति की अंतनिर्हित क्षमता, समग्रता एवं गरिमा में विश्वास-समाजसेवा सेवार्थी की परिवर्तन और प्रगति की क्षमता में विश्वास करती है।

(2) स्वनिर्णय का अधिकार - सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी को अपनी आवश्यकताओं और उनकी पूर्ति की योजना के निर्धारण की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करता है। निस्संदेह कार्यकर्ता सेवार्थी को स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सहायता करता है जिससे वह वास्तविकता को स्वीकार कर लक्ष्यप्राप्ति की दिशा में उन्मुख हो।

(3) अवसर की समानता में विश्वास - समाज सेवा सबको समान रूप से उपलब्ध रहती है और सभी प्रकार के पक्षपातों और पूर्वाग्रहों से मुक्त कार्यकर्तासमूह अथवा समुदाय के सभी सदस्यों को उनकी क्षमता और आवश्यकता के अनुरूप सहायता प्रदान करता है।

(4) व्यक्तिगत अधिकारों एवं सामाजिक उत्तरदायित्वों में अंतः सम्बन्ध् व्यक्ति के स्वनिर्णय एवं समान अवसरप्राप्ति के अधिकार, उसके परिवार, समूह एवं समाज के प्रति उसके उत्तरदायित्व से संबंद्ध होते हैं। अत: सामाजिक कार्यकर्ता व्यक्ति की अभिवृत्तियों एवं समूह तथा समुदाय के सदस्यों की अंत:क्रियाओं, व्यवहारों तथा उनके लक्ष्यों के निर्धारण को इस प्रकार निदेशित करता है कि उनके हित के साथ उनके बृहद् समाज का भी हितसाधन हो।

समाजसेवा इस प्रयोजन के निमित्त स्थापित विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से वहाँ नियुक्त प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदान की जाती है। कार्यकर्ताओं का ज्ञान, अनुभव, व्यक्तिगत कुशलता एक सेवा करने की उनकी मनोवृत्ति सेवा के स्तर की निर्धारक होती है। कार्यकर्ता में व्यक्तिविकास की संपूर्ण प्रक्रिया एवं मानव व्यवहार तथा समूह व्यवहार की गतिशीलता तथा उनके निर्धारक तत्वों का सम्यक्‌ ज्ञान समाजसेवा की प्रथम अनिवार्यता है। इस प्रकार ज्ञान पर आधारित समाजसेवा व्यक्ति की समूहों अथवा समुदाय की सहज योग्यताओं तथा सर्जनात्मक शक्तियों को उन्मुक्त एवं विकसित कर स्वनिर्धारित लक्ष्य की दिशा में क्रियाशील बनती है, जिससे वे अपनी संवेगात्मक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक, एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूँढने में स्वयं सक्रिय रूप से प्रवृत्त होते हैं। सेवार्थी अपनी दुर्बलताओं-कुंठा, नैराश्य, हीनता, असहायता एवं असंपृक्तता की भावग्रंथियों और मानसिक तनाव, द्वंद्व तथा विद्वेषजनित आक्रमणात्मक मनोवृत्तियों का परित्याग कर कार्यकर्ता के साथ किस सीमा तक सहयोग करता है, यह कार्यकर्ता और सेवार्थ के मध्य स्थापित संबंध पर निर्भर करता है। यदि सेवाथीं समूह या समुदाय है तो लक्ष्यप्राप्ति में उसके सदस्यों के मध्य वर्तमान संबंध का विशेष महत्व होता है। समाजसेवा में संबंध ही संपूर्ण सहायता का आधार है और यह व्यावसायिक संबंध सदैव साभिप्रय होता है।

समाज सेवा का क्या अर्थ है?

समाज सेवा (Social Service) एक ऐसा कार्य जो सामाजिक भलाई केलिए करता है। समाजकर्मी सामाजिक कार्य करने वाला व्यक्ति होता है जहाँ सामाजिक-कार्य (Social Work) समाजसेवा से अलग है। सामाजिक-कार्य एक पेशेवर काम है। मामूली तौर से समाज सेवा राजनीतिज्ञों, धार्मिक समूहों और सेवा उन्मुख लोगों (डॉक्टरों, धंधेवाला, संघों) करता हे।

समाज सेवा का क्या महत्व है?

'समाजसेवा'वैयक्तिक आधार पर, समूह अथवा समुदाय में व्यक्तियों की सहायता करने की एक प्रक्रिया है, जिससे व्यक्ति अपनी सहायता स्वयं कर सके। इसके माध्यम से सेवार्थी वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में उत्पन्न अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने में सक्षम होता है।

समाज सेवा का क्या उद्देश्य होना चाहिए?

अत: सामाजिक कार्यकर्ता सेवार्थी को उसकी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाने के साथ उसके पर्यावरण में अपेक्षित सुधार लाने का प्रयास करता है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के निमित्त सेवार्थी की क्षमता तथा पर्यावरण की रचनात्मक शक्तियों का प्रयोग करता है।

समाज सेवा कितने प्रकार की होती है?

समाज सेवा को तीन व्यापक हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये हैं सर्विस, एडवोकेसी और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर)। इनकी सेवाओं में पूंजी स्नोत, निर्धनों और जरूरतमंदों के लिए रोजगार का इंतजाम करना भी होता है। समाज सेवा के दायरे में अनाथालयों या वृद्धाश्रमों और छात्रवृत्ति को सहयोग देना भी आता है।