सरल आवर्त गति में त्वरण विस्थापन क्या होता है? - saral aavart gati mein tvaran visthaapan kya hota hai?

भौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है। उदाहरण - किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति, किसी सरल लोलक की गति, किसी घर्षणरहित क्षैतिज तल पर किसी स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान की गति आदि।

  • सरल आवर्त गति एक आवर्ती गति (periodic motion) है।
  • वस्तु एक माध्य स्थिति के दोनो तरफ दोलन करती है।

यदि माध्य स्थिति को शून्य विस्थापन माना जाय तो वस्तु का विस्थापन x किसी समय t पर निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया जा सकता है-

x(t)=Acos⁡(2πft+φ),{\displaystyle x(t)=A\cos \left(2\pi \!ft+\varphi \right),}

जहाँ A आयाम (amplitude), f अवृत्ति (frequency) और φ कला है।

सरल आवर्त गति में गतिमान पिण्ड की आवृत्ति सम्बन्धित निकाय के मूल गुणों (intrinsic properties) पर निर्भर करता है (प्राय: पिण्ड का द्रव्यमान एवं बल नियतांक पर) जबकि आयाम एवं कला आरम्भिक दशाओं (initial conditions) पर निर्भर करती है।

विभिन्न प्रकार की गतियों (जैसे किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान का कम्पन) को सरल आवर्त गति के रूप में मॉडल किया जा सकता है। अन्य बहुत सी घटनाओं को सरल आवर्त गति के रूप में सरलीकृत किया जा सकता है। सरल आवर्त गति एक आधार देती है जिसके सहारे इससे भी अधिक जटिल गतियों को फुरिअर विश्लेषण की सहायता से निरूपित किया जा सके।

सरल आवर्त गति का विश्लेषण[संपादित करें]

एकविमीय सरल आवर्त गति के लिये गति का समीकरण न्यूटन के द्वितीय नियम तथा हुक के नियम की सहायता से निकाला जा सकता है। यह समीकरण द्वितीय कोटि वाला, नियत गुणाकों वाला, साधारण अवकल समीकरण है।

Fnet=md2xdt2=−kx,{\displaystyle F_{net}=m{\frac {\mathrm {d} ^{2}x}{\mathrm {d} t^{2}}}=-kx,}

जहाँ

अतः,

d2xdt2=−(km)x,{\displaystyle {\frac {\mathrm {d} ^{2}x}{\mathrm {d} t^{2}}}=-\left({\frac {k}{m}}\right)x,}

उपरोक्त अवकल समीकरण को हल करने पर इसका हल एक साईन वेव फलन मिलता है जो निम्नलिखित है-

x(t)=c1cos⁡(ωt)+c2sin⁡(ωt)=Acos⁡(ωt−φ),{\displaystyle x(t)=c_{1}\cos \left(\omega t\right)+c_{2}\sin \left(\omega t\right)=A\cos \left(\omega t-\varphi \right),}

where

ω=km,{\displaystyle \omega ={\sqrt {\frac {k}{m}}},}A=c12+c22,{\displaystyle A={\sqrt {{c_{1}}^{2}+{c_{2}}^{2}}},}tan⁡φ=(c2c1),{\displaystyle \tan \varphi =\left({\frac {c_{2}}{c_{1}}}\right),}

इस हल में, c1 और c2 दो नियतांक हैं जिनके मान तंत्र की आरम्भिक स्थिति से निर्धारित होंगे। इसके अलावा मध्यमान स्थिति को ही मूल बिन्दु (ओरिजिन) मान लिया गया है। इन दोनों नियतांकों का भौतिक अर्थ भी है: A आयाम है और ω = 2πf कोणीय आवृत्ति (angular frequency) है तथा φ कला है।


डिफरेंशियल कैलकुलस की तकनीकों का उपयोग करके इस समीकरण से वेग तथा त्वरण का मान निकाला जा सकता है:

v(t)=dxdt=−Aωsin⁡(ωt−φ),{\displaystyle v(t)={\frac {\mathrm {d} x}{\mathrm {d} t}}=-A\omega \sin(\omega t-\varphi ),}a(t)=d2xdt2=−Aω2cos⁡(ωt−φ).{\displaystyle a(t)={\frac {\mathrm {d} ^{2}x}{\mathrm {d} t^{2}}}=-A\omega ^{2}\cos(\omega t-\varphi ).}

त्वरण का मान विस्थापन के फलन के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है:

a(x)=−ω2x.{\displaystyle a(x)=-\omega ^{2}x.\!}

चूंकि ω = 2πf,

f=12πkm,{\displaystyle f={\frac {1}{2\pi }}{\sqrt {\frac {k}{m}}},}

और T = 1/f जहाँ T आवर्तकाल है,

T=2πmk.{\displaystyle T=2\pi {\sqrt {\frac {m}{k}}}.}

इन समीकरणों को देखने से स्पष्ट है कि आवृत्ति और आवर्तकाल पिण्ड के आरम्भिक कला तथा आयाम पर निर्भर नहीं हैं।

इस पर्स में क्वेश्चन में हमें की बहने सरल आवर्त गति में तोरण विस्थापन के अनुक्रमानुपाती परंतु विपरीत दिशा में होता है या में बताना है सत्य है या असत्य 30 क्वेश्चन जो हमें स्टेटमेंट यह बिल्कुल सत्य है सरल आवर्त गति में जो हमारा तोरण होता है विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है और विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है और विस्थापन के विपरीत दिशा में होता है यहां से 19 को प्रूफ भी कर दिया कितने पोलिंग भी आसान है मोजादी मुश्किल नहीं है शिवा को डिफेंसिव से नहीं करना है तो यहां से हमारा तो हो गया तुझे पकड़ सरल आवर्त गति करेगा तो उसका जो तोरण होता है विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है और विपरीत दिशा में होता है बिल्कुल सत्य बात है यही हमारा इस क्वेश्चन का आंसर हो जाएगा थैंक यू