स्थानीय कृषि क्या है इस कृषि की क्या हानि है? - sthaaneey krshi kya hai is krshi kee kya haani hai?

इसे सुनेंरोकेंस्थानांतरित कृषि की निम्नलिखित हानियां हैं – (i) स्थानांतरित कृषि में किसान एक स्थान पर टिक कर नहीं रह सकता। (ii) कृषि बड़े पैमाने पर नहीं की जा सकती। केवल अपने निर्वाह के लिए ही फ़सलें उगाई जाती हैं। (iii) इसमें मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

आदिकालीन निर्वाह कृषि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआदिकालीन निर्वाह कृषि को स्थानान्तरणशील कृषि भी कहा जाता है। यह कृषि उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में की जाती है जहाँ आदिम जाति के लोग कृषि करते हैं। इस कृषि में वनस्पति को जलाकर साफ करके कृषि कार्य किया जाता है। यह कृषि कर्तन एवं दहन कृषि भी कहलाती है।

स्थानांतरणशील कृषि का दूसरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंस्थानांतरण कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं।

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निम्न में से कौन स्थानांतरित कृषि का स्थानीय नाम नहीं है?

स्थानांतरित कृषि के स्थानीय नाम

स्थानांतरित कृषिस्थानीय नामरोकाब्राजीलझूमउत्तर-पूर्वी भारतटावीमेडागास्करकोनुकोवेनेजुएला

कृषि कितने प्रकार की होती है नाम बताइए?

कृषि कितने प्रकार की होती है

  • सिंचित कृषि
  • मिश्रित कृषि
  • एकल और बहु-फसल कृषि
  • विविध कृषिऔर विशेष कृषि
  • उपउत्पाद कृषि
  • स्थानांतरण कृषि
  • बागवानी कृषि
  • व्यापारिक कृषि

कृषि कितने प्रकार की होती है Class 10?

भारत में कृषि के प्रकार

  • स्थानांतरित कृषि: यह कृषि अभ्यास मुख्य रूप से जनजातीय समूहों द्वारा कंद और जड़ो वाली फसलों को विकसित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • निर्वाह खेती:
  • गहन कृषि:
  • व्यापक कृषि:
  • वाणिज्यिक कृषि:
  • बागवानी कृषि:
  • सूखी भूमि खेती:
  • गीले भूमि की खेती:

किसान आंदोलन के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंकिसान क्यों कर रहे अब भी आंदोलन इसकका कारण ये है कि किसान संगठनों का कहना है कि सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगे पूरी करें. किसानों ने कहा है कि केंद्र से काथ इस संबंध में बातचीत होने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा.

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निर्वाह कृषि कितने प्रकार के हैं?

इसे सुनेंरोकेंनिर्वाह कृषि को पुनः गहन निर्वाह कृषि और आदिम निर्वाह कृषि में वर्गीकृत किया जा सकता है । गहन निर्वाह कृषि में किसान एक छोटे भूखंड पर साधारण औज़ारों और अधिक श्रम से खेती करता है।

गहन कृषि की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगहन कृषि, जिसे गहन कृषि के रूप में भी जाना जाता है, एक कृषि उत्पादन प्रणाली है जो उच्च पूंजी, श्रम और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के साथ कम परती अनुपात का उपयोग करती है। उच्च फसल की उपज । किसान आसानी से भूमि की निगरानी कर सकते हैं और पशुधन की रक्षा कर सकते हैं ।

जीवन निर्वाह कृषि के दो प्रकार कौन से हैं?

कर्तन दहन खेती: प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि को ‘कर्तन दहन खेती’ भी कहते हैं।

  • गहन जीविका कृषि की समस्याएँ: इस तरह की खेती की सबसे बड़ी समस्या है पीढ़ी दर पीढ़ी जमीन का बँटवारा होना।
  • रोपण कृषि: जब किसी एक फसल को एक बहुत बड़े भूभाग में उपजाया जाता है तो उसे रोपण कृषि कहते हैं।
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    निर्वाह कृषि को कितने भागों में बांटा गया है?

    इसे सुनेंरोकेंइसको दो भागों वैज्ञानिक ढंग से संसाधित एवं डिब्बा बंद कर विश्व के बाजारों में र में वर्गीकृत किया जा सकता है। एशिया है (चित्र 5.7)। जाती है। इन क्षेत्रों की वनस्पति को जला दिया जाता है एवं जली गहन निर्वाह कृषि के दो प्रकार हैं।

    झूम खेती को झारखंड में क्या कहते हैं?

    इसे सुनेंरोकेंझारखंड में झूम खेती को ‘कुरुवा’ नाम से जाना जाता है।

    स्थानबद्ध कृषि क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंस्थानबद्ध कृषि कृषि की इस पद्धति के तहत किसी एक स्थायी और निश्चित निवास स्थान पर रहने वाला किसान और उसका परिवार मिल-जुलकर कृषि-कार्य करता है। इस प्रकार की कृषि में किसान फसलों में परिवर्तन करता है और वह भूमि तथा फसलों की अपेक्षाकृत अधिक देखरेख करता है।

    स्थानांतरित खेती को "कर्तन एवं दहन " कृषि के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें फसलों को उगाने के जंगल को साफ किया जाता है और उसको जला कर राख का उपयोग मृदा में उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। झूम खेती की महत्वपूर्ण फ़सलें मक्का, रतालू, आलू और कसावा हैं।


    स्थानांतरित खेती एक प्रकार की आदिम निर्वाह कृषि है और यह अमेज़ॅन बेसिन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया का हिस्सा और पूर्वोत्तर भारत जैसे घने जंगलों वाले क्षेत्रों में प्रचलित है।

    स्थानांतरित खेती पूरी तरह से स्थानीय जलवायु तथा प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर करता है। इसमें प्रौद्योगिकी का ना के बराबर उपयोग किया जाता है और उत्पाद को उपयोग जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है। 


    दो से तीन कृषि वर्षों तक खेती के बाद, मिट्टी अपनी उर्वरता खो देती है, फिर भूमि को छोड़ दिया जाता है और खेती करने के लिए दूसरे जंगल को साफ करते हैं।


    चूँकि स्थानान्तरित कृषि क्षेत्र भारी वर्षा वाले क्षेत्र होते हैं, इसलिए परित्यक्त भूमि पर प्राकृतिक वनस्पति का शीघ्र पुनर्जनन होता है।

    स्थानांतरित कृषि क्या है और इसकी क्या हानियां है?

    जब उस भूमि की उर्वरता खत्म हो जाती है तो कृषक वह भूमि छोड़ देता है तथा नई भूमि पर चला जाता है। इस प्रकार कृषक अपने परिवार की | सहायता से स्थान-स्थान पर खेती करता है। <br> स्थानान्तरी कृषि की हानियाँ-(i) इससे मृदा का क्षरण तथा अपरदन होता है <br> (ii) वन क्षेत्रों को हानि पहुँचती है।

    स्थान कृषि क्या है?

    इस प्रकार की कृषि में रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक खाद और प्राकृतिक पीड़कनाशी का उपयोग किया जाता है। फ़सलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए कोई आनुवंशिक रूपांतरण नहीं किया जाता है। सिंचाई, निराई और कटाई इसकी कुछ संक्रियाएँ हैं। इस तंत्र के निर्गतों के अंतर्गत फ़सल, ऊन, डेरी और कुक्कुट उत्पाद आते हैं।

    स्थानांतरित कृषि क्या है इसकी प्रमुख समय का स्थान किजिये?

    स्थानांतरित खेती एक कृषि प्रणाली है जिसमें भूमि के भूखंड पर अस्थायी रूप से खेती की जाती है, फिर छोड़ दिया जाता है, जबकि अशांति के बाद परती वनस्पति को स्वतंत्र रूप से बढ़ने की अनुमति दी जाती है जबकि किसान दूसरे भूखंड पर चला जाता है।

    स्थानांतरित कृषि कैसे की जाती है?

    स्थानांतरित कृषि या झूम कृषि क्या है?.
    झूम कृषि के तहत पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है| इसके बाद साफ की गई भूमि की पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। ... .
    कुछ वर्षों (प्रायः दो या तीन वर्ष) तक जब तक मृदा में उर्वरता बनी रहती है, इस भूमि पर खेती की जाती है।.