शान्तिनिकेतन (बांग्ला: শান্তিনিকেতন) भारत के पश्चिम बंगाल प्रदेश में बीरभूम जिले के अंतर्गत बोलपुर के समीप छोटा-सा शहर है। यह कोलकाता से लगभग 100 कि॰मी॰ उत्तर की ओर स्थित है। नोबेल पुरस्कार विजयी कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर द्बारा विश्व-भारती विश्वविद्यालय की स्थापना के कारण यह नगर प्रसिद्ध हो गया। यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि टैगोर ने यहाँ कई कालजयी साहित्यिक कृतियों का सृजन किया। उनका घर ऐतिहासिक महत्व की इमारत है। रवीन्द्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1863 में सात एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी। वहीं आज विश्वभारती है। रवीन्द्रनाथ ने 1901 में सिर्फ पांच छात्रों को लेकर यहां एक स्कूल खोला। इन पांच लोगों में उनका अपना पुत्र भी शामिल था। 1921 में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा पाने वाले विश्वभारती में इस समय लगभग छह हजार छात्र पढ़ते हैं। इसी के इर्द-गिर्द शांतिनिकेतन बसा था। शांतिनिकेतन का निर्माण किसने किया था?(00 : 00) लिखित उत्तर गुरु रामदासमहाराजा प्रताप रबिन्द्रनाथ टैगोर ब्रिटिश सरकार Answer : C Solution : शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में बोलपुर के निकट एक छोटा शहर है जिसको स्थापना महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर द्वारा की गई थी। बाद में उनके पुत्र रबिन्द्रनाथ टैगोर ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए इस शहर का विस्तार किया जिसे वर्तमान में विश्वविद्यालय शहर, विशेष रूप से विश्वभारती विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है।
विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने पश्चिम बंगाल के शान्तिनिकेतन नगर में की। यह भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है।[2] अनेक स्नातक और परास्नातक संस्थान इससे संबद्ध हैं। शान्ति निकेतन के संस्थापक रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म १८६१ ई में कलकत्ता में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। इनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने १८६३ ई में अपनी साधना हेतु कलकत्ते के निकट बोलपुर नामक ग्राम में एक आश्रम की स्थापना की जिसका नाम `शांति-निकेतन' रखा गया। जिस स्थान पर वे साधना किया करते थे वहां एक संगमरमर की शिला पर बंगला भाषा में अंकित है--`तिनि आमार प्राणेद आराम, मनेर आनन्द, आत्मार शांति।' १९०१ ई में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसी स्थान पर बालकों की शिक्षा हेतु एक प्रयोगात्मक विद्यालय स्थापित किया जो प्रारम्भ में `ब्रह्म विद्यालय,' बाद में `शान्ति निकेतन' तथा १९२१ ई। `विश्व भारती' विश्वविद्यालय के नाम से प्रख्यात हुआ। टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे। शांतिनिकेतन का जन्म[संपादित करें]गुरु-शिष्य सम्बन्धों पर विचार करते हुए टैगोर ने आधुनिक किशोर की समस्याओं का सहृदयता से अध्ययन किया और अपना दृढ़ मत व्यक्त किया कि शिक्षण संस्थाओं में व्याप्त अनुशासनहीनता को दूर करने के लिए जेल और मिलिट्री की बैरकों का कठोर अनुशासन काम नहीं दे सकता, यह तो अध्यापकों की प्रतिष्ठा पर भी आघात होगा। विद्यार्थियों से यह आशा करना ही गलत है वे अध्यापकों से वैसा ही व्यवहार करें जैसा किसी सामन्त के दरबारी करते हैं। टैगोर का विश्वास था कि शिक्षा में आदान-प्रदान की प्रक्रिया यदि पारस्परिक सम्मान की भावना से युक्त हो तो अनुशासन की समस्या स्वयमेव सुलझ जाएगी। ज्ञान का समाज के हर वर्ग में फैलाना अतीत की शिक्षा का एक आदर्श था। धर्म ग्रन्थों और महाकाव्यों के अंशों का वाचन, भक्त ध्रुव, सीता वनवास, दानवीर कर्ण, सत्यवादी हरिशचन्द्र, आदि नाटक इसी उद्देश्य से किए जाते थे। यह उत्तम प्रकार की समाज शिक्षा थी। पर अंग्रेजी शिक्षा का लाभ अधिकांश नगरों तक ही सीमित रहा और शेष देश के असंख्य गाँव अशिक्षा, रोग और क्षय के अन्धकार में विलीन होते गए। इस स्थिति को सुधारना चाहिए। विश्व भारती की स्थापना[संपादित करें]गाँधीजी विश्वभारती में (१९४० में) टैगोर शान्ति निकेतन विद्यालय की स्थापना से ही संतुष्ट नहीं थे। उनका विचार था कि एक ऐसे शिक्षा केन्द्र की स्थापना की जाए, जहाँ पूर्व और पश्चिम को मिलाया जा सके। सन् 1916 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने विदेशों से भेजे गए एक पत्र में लिखा था- "शान्ति निकेतन को समस्त जातिगत तथा भौगोलिक बन्धनों से अलग हटाना होगा, यही मेरे मन में है। समस्त मानव-जाति की विजय-ध्वजा यहीं गड़ेगी। पृथ्वी के स्वादेशिक अभिमान के बंधन को छिन्न-भिन्न करना ही मेरे जीवन का शेष कार्य रहेगा।"अपने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए टैगोर ने 1921 में शान्तिनिकेतन में 'यत्र विश्वम भवत्येकनीडम' (सारा विश्व एक घर है) के नए आदर्श वाक्य के साथ विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की। तभी से यह संस्था एक अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में ख्याति प्राप्त कर रही है। उद्देश्य[संपादित करें](१) विभिन्न दृष्टिकोणों से सत्य के विभिन्न रूपों की प्राप्ति के लिए मानव मस्तिष्क का अध्ययन करना।
विभाग[संपादित करें]
इसके अतिरिक्त 'शिक्षा चर्चा' नामक एक संस्था और है जो बेसिक अध्यापक प्रशिक्षण विद्यालय के रूप में कार्य करती है तथा भारत सरकार द्वारा स्थापित ग्रामीण महाविद्यालय उच्च ग्रामीण शिक्षा की व्यवस्था करती है। विश्व भारती की विशेषताएँ[संपादित करें]
विश्व भारती महर्षि रवीन्द्रनाथ टैगोर के शिक्षा सम्बन्धी विचारों का मूर्तमान स्वरूप है। यहाँ खुले गगन के नीचे वृक्षों व कुंजों के झुरमुटों में पृथ्वी पर बैठकर देश-विदेशों से आकर असंख्य विद्यार्थी धर्म, दर्शन, साहित्य एवं कला का उच्च अध्ययन करते हैं। प्राच्य व पाश्चात्य संस्कृतियों के सम्मिश्रण में इस संस्था ने बड़ा योग दिया है। सात्विक व सादा जीवन, प्रकृति से संपर्क, प्राचीन व आधुनिक शिक्षा पद्धतियों का एकीकरण आध्यात्मिक व भौतिक शिक्षा पर समान बल एवं सांस्कृतिक उत्थान इत्यादि इस संस्था की अपनी विशेषताएँ हैं। भारत की शिक्षा के इतिहास में यह एक नूतन व महान परीक्षण माना जाता है। प्रमुख व्यक्तित्व[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
शांतिनिकेतन का दूसरा नाम क्या है?आज शांति निकेतन का नाम विश्वभारती हैं, जहां लगभग 6000 छात्र पढ़ते हैं. ये जगह कोलकाता से 180 किमी उत्तर की ओर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है. कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन में विश्व-भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. शायद इसीलिए ये जगह पूरी दुनिया में मशहूर हो गई.
शांतिनिकेतन की स्थापना कब की गई थी?उनका घर ऐतिहासिक महत्व की इमारत है। रवीन्द्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1863 में सात एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी।
टैगोर द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्था का वर्तमान नाम क्या है?अपने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए टैगोर ने 1921 में शान्तिनिकेतन में 'यत्र विश्वम भवत्येकनीडम' (सारा विश्व एक घर है) के नए आदर्श वाक्य के साथ विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की। तभी से यह संस्था एक अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में ख्याति प्राप्त कर रही है।
शांतिनिकेतन का मतलब क्या होता है?शांतिनिकेतन का अर्थ होता है- शांति से भरा हुआ घर.
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