गांधीवादी दृष्टिकोण: स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में गांधीवादी दृष्टिकोण और उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show संदर्भआज आधुनिकता की अंधाधुंध दौड़ में दौड़ रहे विश्व के सभी देशों की गति पर कोरोना वायरस ने ब्रेक लगा दिया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कोरोना वायरस का तेज़ी से प्रसार इसी दौड़ का परिणाम है। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन की व्यवस्था अपनाई गई है। इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिये गांधीवादी दृष्टिकोण पर आधारित स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। सामान्यतः महात्मा गांधी को औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध के विरुद्ध संघर्ष करने वाले योद्धा के रूप में देखा जाता है, किंतु यदि गहराई से देखें तो गांधी ने न केवल स्वतंत्रता की लड़ाई बल्कि उन्होंने हर समय भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठता दिलाने का प्रयास भी किया और विश्व व्यवस्था के समक्ष भारतीय सभ्यता का प्रतिनिधित्व किया। पश्चिमी सभ्यता के वर्चस्व वाले उस युग में गांधी ने भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठ बताते हुए उसे संपूर्ण विश्व के लिये एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने गांधी के बारे में उचित ही लिखा है- “एक देश में बांध संकुचित करो न इसको इस आलेख में गांधीवादी दृष्टिकोण की व्यापकता को समझते हुए, वैश्विक महामारी COVID-19 के प्रसार को रोकने में सहायक स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा का मूल्यांकन करने का प्रयास किया जाएगा। गांधीवादी दृष्टिकोण क्या है?
स्वदेशी से तात्पर्य
गांधी का स्वदेशी दर्शन
गांधी और स्वच्छता
गांधी और सर्वोदय
गांधी और पर्यावरण
वर्तमान में गांधी की प्रासंगिकता
निष्कर्षध्यातव्य है कि इस समय पूरा विश्व कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ रहा है। इस महामारी को पर्यावरण क्षरण, स्वच्छता में कमी तथा उपभोक्तावादी जीवनशैली जैसे कारकों का परिणाम माना जा सकता है। गांधीवादी दृष्टिकोण ने सर्वथा पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, ज़रुरत के अनुसार ही उपभोग, आत्मनिर्भरता तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ज़ोर दिया। इस संकट काल में गांधी के विचारों की महत्ता एक बार फिर स्थापित होती है। इस महामारी ने एक अवसर प्रदान किया है कि हमें अपनी खाद्य श्रृंखला में बदलाव करते हुए गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता है। प्रश्न- गांधीवाद से आप क्या समझते हैं? गांधी के ‘सर्वोदय’ संबंधी अवधारणा का उल्लेख करते हुए गांधीवाद की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिये। |