शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

Shankhpushpi, which goes by the botanical name Convolvulus pluricaulis is a perennial plant native to India. Well-known as morning-glory, speed wheel or Aloe weed in English, this medicinal herb has specific arrowhead-shaped leaves and bulb-shaped blue or white flowers. The herb is extremely beneficial and is used from root to tips for its wide range of therapeutic benefits.

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The holistic science of ayurveda popularizes shankhpushpi in various rasayanas or formulations and scriptures by the Sanskrit names Shyamakranta, Visnukranta, Vaishnava, Sankhaholi, Vishnugandhi, Vishnukranti, Shankavall, Vishnukrantha, Krishnaenkranti, Nilashankhapushpi, Ksheerpushpi, Laghuvishnukranta, Erravishnukaraantha.

The host of properties including Medhya (memory booster), Vamana (Vomiting), Deepana (enhances stomach fire), Pachana (helps in digestion), Rochana (stimulates appetite), Kusthahara (treats skin disease), Shothahara (reduces inflammation), Hridaya (treats heart problems), Jantujit (relieves from worm infestation) makes this magical herb a potent solution of umpteen health problems.

Effect On Doshas

Shankhpushpi characterizes Tikta Rasa (bitter taste). It shows Snigdha (oily, sticky) and Pichhil (slimy) gunas, Sheeto Virya (cold potency) and Madhura Vipaka (pungent metabolic property). It pacifies Tridoshas, i.e. the Pitta (fire and air), Vata (air) and Kapha (earth and water) doshas and works more on Vata and Pitta doshas. Also Read: Introduction To Ayurveda: Learn About Vata, Pitta And Kapha Doshas

Known as Mangalyakushuma in Sanskrit which means bringer of good fortune and health, each and every part of this milky-white flowered plant is extremely beneficial for treating a host of ailments and improving the longevity of life.

Phytochemical Constituents

The magical herbal remedy as a whole contains a myriad of active constituents including alkaloids like shankhapushpine, convolvuline, convolidine, convolvine, convolamine, convoline, confoline, convozine. Besides these, it also contains volatile oils, fatty acids, fatty alcohols, hydrocarbons, palmitic acids, linoleic acids, myristic acids, flavonoids, steroids-phytosterols, D-glucose, maltose, sucrose, starch, rhamnose, and other carbohydrates, proteins, and amino acids.

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

Health benefits Of Shankhapushpi

Improves Cognitive Functioning:

Shankhpushpi is a traditional herbal remedy blessed with umpteen health benefits. It holds high significance in improving the memory capacity, enhancing concentration, learning capabilities, and treating mental fatigue, insomnia, anxiety, depression, etc. The extensive health benefits of the various herbs used in this formulation also increase its therapeutic efficacy in treating infertility issues. If taken in the proper dosage, one can steer clear of the side effects and enjoy the countless health benefits.

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आयुर्विज्ञान में कई पौधों, फलों और जड़ी-बूटियों को गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इन्हीं में से एक है शंखपुष्पी। इस पौधे की खासियत यह है कि इसके फूल शंख के आकार के होते हैं। इसी कारण इसे शंखपुष्पी के नाम से पुकारा जाता है। आमतौर पर इसका उपयोग दिमागी शक्ति, एकाग्रता और स्मृति सुधार के लिए होता है। वहीं, कई अन्य गंभीर समस्याओं के इलाज के लिए भी इसे उपयोग में लाया जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम शंखपुष्पी के फायदे, उपयोग और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे।

शंखपुष्पी के फायदे और उपयोग को जानने से पहले जरूरी होगा कि हम यह जान लें कि यह है क्या।

विषय सूची

  • शंखपुष्पी क्या है – What is Shankhpushpi in Hindi
  • शंखपुष्पी के फायदे – Benefits of Shankhpushpi in Hindi
  • शंखपुष्पी का उपयोग – How to Use Shankhpushpi in Hindi
  • शंखपुष्पी के नुकसान – Side Effects of Shankhpushpi in Hindi

शंखपुष्पी क्या है – What is Shankhpushpi in Hindi

शंखपुष्पी पथरीली भूमि वाले जंगलों में पाई जाने वाले एक प्रकार की वनस्पति है। इसका वैज्ञानिक नाम कॉन्वोल्वुलस प्लुरिकायुलिस (Convolvulus pluricaulis) है। मुख्य रूप से शंखपुष्पी का पौधा तीन रंगों (सफेद, लाल और नीला) में पाया जाता है, लेकिन औषधि के लिए विशेष तौर पर इनमें से सफेद रंग वाले पौधे का इस्तेमाल किया जाता है। यह सर्दियों में झड़कर मिट्टी में मिल जाता है और बरसात में खुद-ब-खुद पनपने लगता है।

इसके तने करीब एक से डेढ़ फीट की लंबाई तक फैलते हैं। वहीं, इसकी जड़ एक से दो इंच तक लंबी और उंगली के समान मोटाई लिए हुए होती है। इसकी पत्तियों को मसलने पर मूली जैसी गंध महसूस होती है। चमत्कारिक औषधीय गुणों के कारण शंखपुष्पी का पौधा आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर शामिल किया जाता है और इसकी जड़, पत्ती, तने और फूलों को कई जटिल बीमारियों को दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

शंखपुष्पी क्या है इस बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अब आती है शंखपुष्पी के फायदे जानने की बारी।

शंखपुष्पी के फायदे – Benefits of Shankhpushpi in Hindi

1. याददाश्त में सुधार

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

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आयुर्वेद में शंखपुष्पी को तंत्रिका टॉनिक का दर्जा दिया गया है। कारण यह है कि इसमें ट्राइपटेनोइड, फ्लेवोनोल ग्लाइकोसाइड, एंथोसायनिन और स्टेरॉयड जैसे तत्व पाए जाते हैं। यह तत्व अन्य औषधीय गुणों के साथ मस्तिष्क के विकास और स्मृति सुधार में भी सहायक साबित हो सकते हैं। इस कारण शंखपुष्पी का उपयोग याददाश्त कमजोर होने की समस्या में लाभकारी सिद्ध हो सकता है (1)।

2. कमजोरी से दिलाए राहत

मानसिक दुर्बलता के साथ-साथ शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी शंखपुष्पी के लाभ देखे जा सकते हैं। दरअसल, इस संबंध में ब्लड शुगर के मरीजों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का उपयोग करने वाले न केवल दिमागी तौर पर मजबूत पाए गए, बल्कि उनमें शारीरिक रूप से भी काफी सुधार देखा गया (2)। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि शंखपुष्पी का नियमित उपयोग शारीरिक कमजोरी को दूर करने में भी सहायक साबित हो सकता है।

3. मेंटल हाइपर सेंसिटिविटी

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

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मेंटल हाइपर सेंसिटिविटी दिमाग की वह अवस्था है, जिसमें किसी भी मनुष्य का अपनी भावनाओं पर संतुलन नहीं रहता। इस कारण वह छोटी-छोटी बातों को लेकर भावुक हो जाता है। वर्तमान और भविष्य को लेकर पीड़ित के दिमाग में कई तरह के अच्छे-बुरे विचार आने लगते हैं, जो क्रोध, अवसाद और चिंता के रूप में झलकते हैं। इस संबंध में ब्लड शुगर की समस्या से ग्रस्त रोगियों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि शंखपुष्पी का उपयोग इंसान में भावुकता और भावनाओं की अति को रोकने का कार्य करता है (2)। इस कारण ऐसा माना जा सकता है, कि शंखपुष्पी के लाभ मेंटल हाइपर सेंसटिविटी की समस्या से छुटकारा पाने में दिख सकते हैं।

4. डिप्रेशन को करे दूर

शंखपुष्पी का इस्तेमाल अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या को दूर करने में भी किया जा सकता है। दरअसल, शंखपुष्पी पर किए एक शोध में पाया गया है कि इसका उपयोग चिंता, दुख, भय और अवसाद जैसे विकारों में लाभकारी परिणाम दे सकता है। इस कारण ऐसा माना जा सकता है कि यह डिप्रेशन की समस्या को दूर करने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है (2)।

5. एकाग्रता बढ़ाने में मददगार

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

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शंखपुष्पी को नोट्रोपिक (nootropic) औषधि यानी मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह औषधि तनाव को दूर कर और दिमागी क्षमता को बढ़ाकर बुद्धि, ध्यान, एकाग्रता, स्मृति और तंत्रिका से संबंधित विकारों में प्रभावशाली परिणाम प्रदान करती है (3)। इस कारण ऐसा माना जा सकता है कि शंखपुष्पी के लाभ एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक साबित हो सकते हैं।

6. तनाव मुक्त करने में सहायक

शंखपुष्पी का इस्तेमाल तनाव को दूर करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। कारण यह है कि इसमें बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना, मानसिक उत्तेजना को बढ़ाना, क्रोध को नियंत्रित करना और तनाव मुक्त करना जैसे गुण पाए जाते हैं। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि शंखपुष्पी को एंटी-स्ट्रेस (तनाव दूर करने वाली) औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है (3)।

7. अनिद्रा की समस्या में फायदेमंद

शंखपुष्पी सिरप का उपयोग कैसे करें? - shankhapushpee sirap ka upayog kaise karen?

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शंखपुष्पी एक कमाल की औषधि है, जिसका इस्तेमाल खासतौर पर मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए किया जाता है। वहीं, इसका एक खास गुण यह भी है कि यह शरीर में तनाव की समस्या को पैदा करने वाले हार्मोन एड्रेनालाइन और कोर्टिसोल के उत्पादन को भी नियंत्रित करने का काम करता है, जिसे अनिद्रा की समस्या की एक बड़ी वजह माना जाता है। इस कारण ऐसा माना जा सकता है कि शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण अनिद्रा की समस्या से राहत पाने के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं (1)।

8. मानसिक थकान में राहत

जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि शंखपुष्पी तनाव पैदा करने वाले हार्मोन एड्रेनालाइन और कोर्टिसोल को नियंत्रित करने सहायक साबित होती है। वहीं चिंता, क्रोध, अनिद्रा और मानसिक थकान जैसी समस्या अत्यधिक तनाव के कारण ही पैदा होती है। इस कारण इसे मानसिक थकान को दूर करने का एक बेहतर विकल्प माना जा सकता है (1)।

9. सिरदर्द में पहुंचाए आराम

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लेख में आपको पहले भी बताया जा चुका है कि शंखपुष्पी एक ऐसी औषधि है, जो तनाव को दूर करने और मानसिक विकास के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। इस कारण यह बुद्धि, ध्यान, एकाग्रता, स्मृति और तंत्रिका से संबंधित विकारों को दूर करने में भी मददगार मानी जाती है (3)। तंत्रिका विकार में तनाव, चिंता, मानसिक थकान और अनिद्रा की समस्या शामिल है, जो कि सिरदर्द का कारण बन सकते हैं (1)। इसलिए, ऐसा माना जा सकता है कि इसका उपयोग सिरदर्द में भी लाभकारी साबित हो सकता है।

10. ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर)

ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति की एकाग्रता में कमी और अतिसंवेदशील व्यवहार देखा जा सकता है। आमतौर पर यह समस्या बच्चों में देखी जाती है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह समस्या बड़े होने के बाद भी लोगों में बनी रहती है। इस समस्या के होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:- आनुवंशिक कमी, नशे की आदत, कम वजन के साथ जन्म या फिर दिमागी क्षति (4)। कुल मिलाकर यह एक तंत्रिका विकार है, जो मानसिक कमजोरी को दर्शाता है।

ऐसे में शंखपुष्पी का उपयोग इस समस्या के समाधान के तौर पर किया जा सकता है, क्योंकि यह एक दिमागी टॉनिक की तरह काम करती है। दरअसल, लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि शंखपुष्पी एक नोट्रोपिक (nootropic) औषधि यानी मानसिक और बौद्धिक विकास के रूप में इस्तेमाल की जाती है (3)।

11. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी विकार है, जो मानसिक विकास न हो पाने के कारण होता है। इस समस्या में रोगी को सामान्य तौर पर लोगों से बातचीत करने और घुलने-मिलने में दिक्कत महसूस होती है (5)। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी विकास से संबंधित एक बीमारी है और शंखपुष्पी मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार करने वाली औषधि मानी जाती है (1)। इस कारण शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की समस्या में भी लाभकारी माने जा सकते हैं।

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12. खांसी में दिलाए आराम

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आमतौर पर शंखपुष्पी को मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसके खास औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेद में खांसी, नींद न आना, मिर्गी, मतिभ्रम (Hallucinations) और चिंता जैसी समस्याओं के लिए भी किया जाता है। इस कारण यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि शंखपुष्पी पुरानी से पुरानी खांसी की समस्या को दूर करने में भी लाभकारी परिणाम दे सकती है (6)।

13. हाई ब्लड प्रेशर

शंखपुष्पी के औषधीय गुणों को लेकर किए गए एक शोध में सामने आया है कि इसका इस्तेमाल मानसिक रोगों के साथ अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर, मिर्गी, उल्टी, मधुमेह, सन स्ट्रोक और रक्तस्राव जैसी समस्याओं को दूर करने में भी सहायक सिद्ध हो सकता है (6)। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शंखपुष्पी के चमत्कारिक गुण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से छुटकारा दिलाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।

14. हैबिचुअल मिसकैरेज

हैबिचुअल मिसकैरेज (Habitual Miscarriage) वो अवस्था है, जिसमें लगातार दो या दो से अधिक बार गर्भपात अपने आप होता है। आयुर्वेद में अविकसित या कमजोर गर्भाशय को इस समस्या का मुख्य कारण माना जाता है। हालांकि, इस बात का अभी तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है कि शंखपुष्पी किस प्रकार हैब्युचल मिसकैरेज को ठीक करती है। हैब्युचल मिसकैरेज के लिए शंखपुष्पी का इस्तेमाल करने से पहले अच्छा होगा कि आप एक बार संबंधित डॉक्टर से परामर्श कर लें।

शंखपुष्पी के फायदों को जानने के बाद हम बात करेंगे इसके उपयोग के बारे में।

शंखपुष्पी का उपयोग – How to Use Shankhpushpi in Hindi

कैसे करें इस्तेमाल– आप इसे चूर्ण या सिरप के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दोनों रूपों में बाजार में आसानी से मिल जाती है।

समय– आप इसका इस्तेमाल सुबह या शाम में कर सकते हैं।

मात्रा– चूर्ण के रूप में आप इसे एक चम्मच और सिरप के रूप में इसकी दो चम्मच मात्रा का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नोट– इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।

उपयोग को जानने के बाद अब आती है शंखपुष्पी के नुकसान को जानने के बारी।

शंखपुष्पी के नुकसान – Side Effects of Shankhpushpi in Hindi

शंखपुष्पी के नुकसान की बात करें, तो अभी तक इसके कोई भी दुष्परिणाम सामने नहीं आए हैं, लेकिन कुछ खास मामलों में इसके नकारात्मक प्रभाव जरूर देखने को मिल सकते हैं।

  • लो ब्लड प्रेशर की समस्या वाले लोगों को शंखपुष्पी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक माना जाता है (6)।
  • गर्भावस्था के दौरान इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, इसका कोई प्रमाणित कारण अभी तक नहीं मिल पाया है।
  • इसका ताजा पेस्ट इस्तेमाल करने के दौरान इसके स्वाद को लेकर लोगों को दिक्कत महसूस हो सकती है। कारण यह है कि इसका स्वाद कड़वा होता है (7)।

अब तो आप शंखपुष्पी के औषधीय गुणों के बारे में अच्छे से जान ही गए होंगे। साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा किन-किन समस्याओं में इसका उपयोग लाभकारी परिणाम दे सकता है। साथ ही आपको लेख के माध्यम से शंखपुष्पी के फायदे और नुकसान के संबंध में भी पूरी जानकारी दी जा चुकी है। ऐसे में अगर आप भी इसे नियमित इस्तेमाल में लाने की सोच रहे हैं, तो बेहतर होगा कि लेख में दी गई सभी जानकारियों को पहले अच्छे से पढ़ लें। उसके बाद ही आगे कदम बढ़ाएं। उम्मीद है कि यह लेख आपकी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक साबित होगा। स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहिए स्टाइलक्रेज से।

Sources

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  • Ayurvedic medicinal plants for Alzheimer’s disease: a review
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3506936/
  • Clinical efficacy of Shankhapushpi and a herbo-mineral compound in type-II diabetes
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3611639/
  • Nootropic efficacy of Satvavajaya Chikitsa and Ayurvedic drug therapy: A comparative clinical exposition
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4479887/
  • Attention-Deficit/Hyperactivity Disorder (ADHD): The Basics
    https://www.nimh.nih.gov/health/publications/attention-deficit-hyperactivity-disorder-adhd-the-basics/index.shtml
  • Autism Spectrum Disorder
    https://www.nimh.nih.gov/health/topics/autism-spectrum-disorders-asd/index.shtml
  • An update on Ayurvedic herb Convolvulus pluricaulis Choisy
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3868798/
  • Clinical efficacy of Shankhapushpi and a herbo-mineral compound in type-II diabetes
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3611639/

और पढ़े:

    • हरसिंगार के फायदे, उपयोग और नुकसान
    • गोखरू के फायदे, उपयोग और नुकसान
    • ब्राह्मी के 20 फायदे, उपयोग और नुकसान
    • स्पिरुलिना के फायदे और नुकसान

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    शंखपुष्पी सिरप कैसे पिया जाता है?

    शंखपुष्पी शरीर में पित्तदोष के रस का संतुलन बनाए रखती है, जिससे एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है। इसके लिए शंखपुष्पी के पत्ते का 4 छोटा चम्मच रस निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करें। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ कराया जाता है।

    शंखपुष्पी कब पीना चाहिए?

    इसके लिए डायबिटीज के मरीज शंखपुष्पी के चूर्ण को दूध अथवा पानी के साथ सेवन कर सकते हैं। हालांकि, सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप, तनाव और अवसाद में भी शंखपुष्पी फायदेमंद होता है। साथ ही शंखपुष्पी का अर्क ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

    शंखपुष्पी सिरप पीने से क्या फायदा होता है?

    आइए जानते हैं इसके सेवन से होने वाले फायदों के बारे में... जो लोग मानसिक कमजोरी, मानसिक कार्यभार या मानसिक तनाव के कारण सिरदर्द की समस्या से पीड़ित हैं, उनके लिए शंखपुष्पी सिरप अधिक लाभकारी माना जाता है। यह मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करती है और परेशान नसों को शांत करती है, जिससे सिरदर्द की समस्या में राहत मिलती है।

    शंखपुष्पी का दूसरा नाम क्या है?

    शंखपुष्पी (वानस्पतिक नाम:Convolvulus pluricaulis) एक पादप है। शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं। इसे क्षीरपुष्प (दूध के समान सफेद फूल वाले), 'मांगल्य कुसुमा' (जिसके दर्शन से मंगल माना जाता हो) भी कहते हैं।