इसे सुनेंरोकेंकृष्ण के वृंदावन छोड़ने का बाहरी कारण अन्य मामलों में भाग लेना था जैसे राक्षसों को मारना और धार्मिक सिद्धांतों को स्थापित करना (जैसा कि उन्होंने अपनी उपस्थिति से पहले मातृ पृथ्वी का वादा किया था, और जो उन्होंने कुरुक्षेत्र की लड़ाई में किया था) और साथ ही साथ पारस्परिकता के लिए। नंद बाबा के पास कितनी गाय थी? इसे सुनेंरोकें- नंदबाबा
ने स्थानीय राजाओं को इकट्ठा किया। उस वक्त बृज के सबसे बड़े राजा वृषभान थे। इनके पास 11 लाख गाय थीं। जबकि, नंद जी के पास नौ लाख गाय थी। वृन्दावन का निर्माण कैसे हुआ? इसे सुनेंरोकेंVrindavan in Hindi/ वृन्दावन भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में मथुरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम में यमुना तट पर स्थित है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन
की महिमा का वर्णन किया गया है। इसे सुनेंरोकेंकंस हिन्दू पौराणिक कथाएँ अनुसार चंद्रवंशी यादव राजा था जिसकी राजधानी मथुरा थी। वह भगवान कृष्ण की मां देवकी का भाई था। कंस को प्रारंभिक स्रोतों में मानव और पुराणों में एक दानव के रूप में वर्णित किया गया है। कृष्ण का गोकुल से क्या संबंध है? इसे सुनेंरोकेंश्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था, जहां से उनके पिता वसुदेव जी ने उन्हें गोकुल ले जाकर नंद बाबा और यशोदा मैया को सौंप दिया था.
गोकुल में मथुरा का राजा कंस आए दिन बालक कृष्ण को मारने के लिए राक्षसों को भेजता रहता था. इसी से तंग आकर जब कृष्ण 2 साल 3 दिन के थे. तब नंद बाबा और यशोदा मैया नंदगांव रहने चले गए. नंद बाबा का गांव कौन सा था? इसे सुनेंरोकेंयह कृष्ण भक्तों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। किंवदंती के अनुसार यह गांव भगवान कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा एक पहाड़ी पर बसाया गया था। इसी कारण इस स्थान का नाम नंदगांव पड़ा। गोकुल को छोड़ कर नंदबाबा श्रीकृष्ण और गोप ग्वालों को लेकर नंदगाँव आ गए थे। वृंदावन क्यों फेमस है?इसे सुनेंरोकेंमथुरा वृंदावन इस लिए प्रसिद्ध है क्योंकि वृन्दावन मथुरा क्षेत्र में एक नगर है जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। वृंदावन कौन सा स्टेट में पड़ता है? उत्तर प्रदेशवृन्दावन / राज्य क्यों किया था कृष्ण ने पलायन, जानें रहस्य...प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु' मित्रों, आज हम आपको बताएंगे भगवान कृष्ण की वह कहानी, जो शायद ही आपने सुनी होगी। आप ये तो जानते होंगे कि श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ना पड़ी थी लेकिन कैसे, कब और यात्रा में उन्होंने किन-किन कठिनाइयों का सामना किया, यह नहीं जानते होंगे। इस दौरान वे कहां-कहां रुके और किस-किस से मिले, यह भी आप नहीं जानते होंगे। अब आप जानेंगे एक अद्भुत और रहस्यमय कहानी।> कंस वध के बाद मथुरा पर शक्तिशाली मगध के राजा जरासंध के आक्रमण बढ़ गए थे। मथुरा पर उस वक्त यादव राजा उग्रसेन का आधिपत्य था। श्रीकृष्ण ने सोचा, मेरे अकेले के कारण यादवों पर चारों ओर से घोर संकट पैदा हो गया है। मेरे कारण यादवों पर किसी प्रकार का संकट न हो, यह सोचकर भगवान कृष्ण ने बहुत कम उम्र में ही मथुरा को छोड़कर कहीं अन्य जगह सुरक्षित शरण लेने की सोची। दक्षिण में यादवों के 4 राज्य थे। पहला राज्य आदिपुरुष महाराजा यदु की 4 नागकन्याओं से प्राप्त 4 पुत्रों ने स्थापित किया था। यह राज्य मुचकुन्द ने दक्षिण ऋक्षवान पर्वत के समीप बसाया था। दूसरा राज्य पद्मावत महाबलीश्वरम के पास था। यदु पुत्र पद्मवर्ण ने उसे सह्माद्रि के पठार पर वेण्या नामक नदी के तट पर बसाया था। पंचगंगा नदी के तट पर बसी करवीर नामक वेदकालीन विख्यात नगरी भी इसी राज्य के अंतर्गत आती थी। उस पर श्रंगाल नामक नागवंशीय माण्डलिक राजा का आधिपत्य था। करवीर नगरी को दक्षिण काशी कहा जाता था। उसके दक्षिण में यदु पुत्र सारस का स्थापित किया हुआ तीसरा राज्य क्रौंचपुर था। यहां क्रौंच नामक पक्षियों की अधिकता थी इसीलिए इसे क्रौंचपुर कहा जाता था। वहां की भूमि लाल मिट्टी की और उर्वरा थी। इस राज्य को 'वनस्थली' राज्य भी कहा जाता था। चौथा राज्य यदु पुत्र हरित ने पश्चिमी सागर तट पर बसाया था। इन चारों राज्यों में अमात्य विपृथु ने पहले ही दूतों द्वारा संदेश भिजवाए थे कि श्रीकृष्ण पधार रहे हैं। अगले पन्ने पर श्रीकृष्ण की कठिन यात्रा... > सम्बंधित जानकारी
और भी पढ़ें :कृष्ण ने 11 वर्ष की आयु में वृंदावन छोड़ दिया, हालांकि आमतौर पर कहा जाता है कि जब वे 12 वर्ष के थे तब उन्होंने छोड़ दिया था। तो आइए इस लेख को पूरा पढ़ें और जानें कि
भगवान कृष्ण को वृंदावन क्यों छोड़ना पड़ा। विषयसूची
वृंदावन छोड़ने के वजहभगवान कृष्ण को वृंदावन छोड़ना पड़ा क्योंकि उन्हें कंस का वध करना था और वे देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। चूंकि उनका मकसद हर जगह धर्म का प्रसार करना था इसलिए उन्हें वृंदावन छोड़ना पड़ा था । अक्रूर जी लेने आये कृष्ण और बलराम कोकृष्ण के वृंदावन से बाहर निकलने का समय आ गया था। कंस ने अक्रूर के माध्यम से कृष्ण को महल में आने का निमंत्रण भेजा था। अक्रूर मथुरा से एक रथ लाए थे, यह खबर कि कृष्ण जल्द ही वृंदावन छोड़ देंगे, जंगल की आग की तरह फैल गई और वृंदावन की मिट्टी पर शोक का भारी बादल छा गया। गोपिका की मांगसभी गोपियों और गोपियों ने अक्रूर द्वारा लाई गई रथ को घेर लिया और पूरी रात उसके चारों ओर नींद से गुजार दी ताकि कृष्ण न चले जाएं और हमेशा उनके साथ रहने का चुनाव करें। हालाँकि, कृष्ण के दिव्य मिशन को और भी कई महान काम करने थे और इसलिए, उन्हें बिना किसी विकल्प के उन्हें छोड़ना पड़ा। अधिक पढ़ें : गोपियों को अकेला छोड़कर कृष्ण कहां चले गए थे राधा से मिले कृष्णराधा को विदा कहने के लिए कृष्ण राधा के पास गए । राधा हमेशा हृदय से कृष्ण के प्रति समर्पित थीं । दोनों मिले और बिना कुछ बोले बस कुछ मिनट ही गुजार दी । वे एक-दूसरे के दिल को जानते थे और एक-दूसरे के लिए अपने प्यार को व्यक्त करने के लिए शब्दों का उपयोग का कोई मतलब नहीं था।राधा ने अंत में कहा कि चूंकि कृष्ण उनकी आत्मा बन गए हैं, कृष्ण को शारीरिक रूप से छोड़ने पर भी कोई भी उनसे दूर नहीं हो सकता है। फिर कृष्ण चतुराई से गोपों और गोपियों को भी मना लिया और बलराम के साथ अक्रूर के साथ मथुरा के लिए रवाना हो गए। यह भी पढ़ें :
कृष्ण ने वृंदावन क्यों छोड़ा?भगवान कृष्ण को वृंदावन छोड़ना पड़ा क्योंकि उन्हें कंस का वध करना था और वे देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। चूंकि उनका मकसद हर जगह धर्म का प्रसार करना था इसलिए उन्हें वृंदावन छोड़ना पड़ा था ।
श्री कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद राधा का क्या हुआ?जब कृष्ण वृंदावन से निकल गए, तब राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था. राधा की शादी एक यादव से हो गई. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं और बूढ़ी हुईं, लेकिन उनका मन तब भी कृष्ण के लिए समर्पित था. राधा ने पत्नी के तौर पर अपने सारे कर्तव्य पूरे किए.
राधा को क्या श्राप मिला?सुदामा ने दिया था राधा को श्राप
श्रीकृष्ण और राधा गोलोक एकसाथ निवास करते थे. एक बार राधा की अनुपस्थिति में कृष्ण विरजा नामक की एक गोपिका से विहार कर रहे थे. तभी वहां राधा आ पहुंची और उन्होंने कृष्ण और विरजा को अपमानित किया. इसके बाद राधा ने विरजा को धरती पर दरिद्र ब्राह्मण होकर दुख भोगने का श्राप दे दिया.
कृष्ण ने वृंदावन में क्या थी?वृंदावन में यमुना महारानी को श्रीकृष्ण की पटरानी कहा जाता है। उसमें बिना वस्त्र स्नान करना स्त्रियों के लिए भी निषेध होता है। भगवान ने विश्व को यही संदेश देने के लिए यमुना किनारे चीरहरण लीला रची थी।
|