सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. सावन का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार, 09 अगस्त को पड़ रहा है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन मंगला गौरी व्रत भी है. इसलिए इस दिन शिवजी, मां मंगला गौरी और हनुमानजी तीनों की पूजा होगी. कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ की उपासना से हर दोष का नाश होता है. यहीं नहीं, इस दिन महादेव के रुद्रावतार कहे जाने वाली हनुमान जी की उपासना करने से शत्रुओं की शांति भी भंग हो जाती है. Show
भौम प्रदोष की उपासना में शिव जी और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. महादेव की पूजा से पापों का नाश होता है और हनुमान की उपासना से जीवन में आ रहीं बाधाएं खत्म हो जाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि भौम प्रदोष का व्रत करके शाम की पूजा करने वाले भक्तों की मंगल संबंधी परेशानियों को भी महादेव दूर करते हैं. भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त भौम प्रदोष व्रत की पूजा Pradosh Vrat November 2022: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा. मार्गशीर्ष माह के इस प्रदोष व्रत को बहुत ही शुभ माना जा रहा है. चूंकि यह व्रत सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहेंगे. प्रदोष व्रत और सोमवार दोनों ही दिन भगवान शिव को समर्पित हैं. ऐसा कहते हैं कि सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा से सारे संकट सारे दुख मिट जाते हैं. आइए आपको मार्गशीर्ष के पहले प्रदोष व्रत की पूजन विधि और मुहूर्त के बारे में बताते हैं. मार्गशीर्ष के सोम प्रदोष का शुभ मुहूर्त पूजा की सामग्री सोम प्रदोष व्रत की पूजन विधि इसके बाद चांदी या तांबे के लोटे से शुद्ध शहद एक धारा के साथ शिवलिंग पर अर्पण करें. शुद्ध जल की धारा से अभिषेक करें तथा ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. आज के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. भगवान शिव और माता पार्वती की शुद्ध घी का दीपक जलाकर आरती उतारें और अपने मंगलकारी जीवन की प्रार्थना करें. हिंदी न्यूज़ धर्मPradosh Vrat : प्रदोष व्रत आज, जानिए, पूजा- विधि, मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्टPradosh Vrat : प्रदोष व्रत आज, जानिए, पूजा- विधि, मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्टPradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के दौरान पूजा...Yogesh Joshiलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 02 Nov 2021 07:52 AM हमें फॉलो करें इस खबर को सुनें 0:00 / ऐप पर पढ़ें Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल के दौरान पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। । हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। आइए जानते हैं नवंबर माह में प्रदोष व्रत डेट, पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट... प्रदोष व्रत कब है?
Dhanteras 2021: धनतेरस 2 नवंबर को, जानिए खरीदारी का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व पौराणिक कथा भौम प्रदोष व्रत मुहूर्त-
प्रदोष काल- 05:35 पी एम से 08:11 पी एम, 2 नवंबर प्रदोष व्रत पूजा- विधि
शुक्र ने किया धनु राशि में प्रवेश, इन 5 राशियों को होगा महालाभ, देखें क्या आपका भी चमकने वाला है भाग्य त्रयोदशी का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?कब से प्रारंभ करें प्रदोष-व्रत
शास्त्रानुसार प्रदोष-व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से प्रारंभ किया जा सकता है। श्रावण व कार्तिक मास प्रदोष-व्रत को प्रारंभ करने के लिए अधिक श्रेष्ठ माने गए हैं।
त्रयोदशी का व्रत कैसे रखते हैं?प्रदोष व्रत के नियम और विधि
- स्नान आदि करने के बाद आप साफ़ वस्त्र पहन लें. - उसके बाद आप बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. - इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है. - पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान कर लें और सफ़ेद रंग का वस्त्र धारण करें.
त्रयोदशी के कितने व्रत करने चाहिए?पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत प्रतिवर्ष 24 बार आता है अर्थात यह व्रत प्रायः महीने में दो बार आता है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है।
त्रयोदशी व्रत में हमें क्या खाना चाहिए?भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा। प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए।
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