द्वितीय राजकीय भाषा कौन सी है? - dviteey raajakeey bhaasha kaun see hai?

बिहार के द्वितीयक राजभाषा क्या है?...


द्वितीय राजकीय भाषा कौन सी है? - dviteey raajakeey bhaasha kaun see hai?

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आपका प्रश्न है बिहार की द्वितीय राजभाषा क्या है तो मैं आपको बताना चाहूंगा बिहार की द्वितीय राजभाषा उर्दू है

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा का आज सोमवार को 82 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. कांग्रेस पार्टी की ओर से जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे. मिश्रा ने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए बिहार के लिए कई अहम फैसले लिए. इनमें उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देना शामिल है. इसके फैसले के बाद प्रदेश में जोरदार विरोध-प्रदर्शन हुआ.

कांग्रेस नेता जगन्नाथ मिश्रा जब दूसरी बार 1980 में बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने कैबिनेट की पहली बैठक में ही उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का फैसला ले लिया. उनके इस फैसले के बाद इसका जोरदार विरोध शुरू हो गया. विरोध करने वाले ज्यादातर मैथिली ब्राह्मण थे.

दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद 10 जून को जगन्नाथ मिश्रा ने कैबिनेट की पहली बैठक की. इसमें उर्दू को द्वितीय राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया और कहा गया कि इसके लिए जल्द ही स्टेट ऑफिसियल लैंग्वेज एक्ट में संशोधन किया जाएगा. तब मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उर्दू को द्विताय राजभाषा का दर्जा देना उनका नैतिक दायित्व था और उन्होंने अपने वादा को पूरा किया है.

जगन्नाथ मिश्रा के इस फैसले के वाद पूरे प्रदेश में इसका विरोध होने लगा. विरोध करने वालों में ज्यादातर उन्हीं के इलाके के मैथिली ब्राह्मण थे. इस फैसले के बाद एक बार जगन्नाथ मिश्रा किसी समारोह में भाग लेने के लिए दरभंगा गए. जहां उनका जोरदार विरोध हुआ और प्रदर्शनकारियों ने उन्हें काला झंडा दिखाया. तब चेतना समिति ने कहा था कि जगन्नाथ मिश्रा ने एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए यह फैसला लिया. यह फैसला मिथिला के संस्कृतिक एकता पर हमला है.

उस समय बिहार उन गिने चुने राज्यों में से था जिसने उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था. सिर्फ जम्मू-कश्मीर में उर्दू ऑफिसियल भाषा थी. तब मैथिली ब्राह्मण लंबे समय से मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे. इस बीच कैबिनेट के फैसले के बाद 19 सितंबर 1980 को उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिल गया.

इस फैसले का मैथिली ब्राह्मणों ने जोरदार विरोध किया. जबकि इस फैसले से कांग्रेस को दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सीतामढ़ी और भागलपुर जैसे जिलों में लाभ होने वाला था. क्योंकि यहां मुस्लिम समुदाय की आबादी अधिक थी. फैसले के बाद उर्दू के विरोध में हिन्दी साहित्य सम्मेलन विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता पार्टी ने कैंपेन चलाया. लेकिन मीडिया ने मिश्रा के इस फैसले का समर्थन किया. विरोधियों ने जगन्नाथ मिश्रा पर वोट बैंक के लिए सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया.

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मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को मिला द्वितीय राजभाषा का दर्जा

झारखंड सरकार ने मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को राज्य में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का फैसला लिया है। बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 के माध्यम से इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जाएगा। अध्यादेश के प्रारूप पर बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह लागू हो जाएगा। इससे पहले सरकार 12 भाषाओं खोरठा, संथाली, बांग्ला, उर्दू, नागपुरी, कुरुख, मुंडारी, हो, उड़िया, कुरमाली, पंचपरगनिया और खड़िया को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दे चुकी है। अब झारखंड में कुल 16 भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिल जाएगा।

राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा फैसलाइन जिलों में ये भाषाएं ज्यादामगही : लातेहार, पलामू और गढ़वा।

भोजपुरी: लातेहार, पलामू और गढ़वा।

मैथिली : जमशेदपुर, दुमका, देवघर, गोड्डा एवं साहेबगंज।

अंगिका : दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज एवं पाकुड़।

जनभावनाओं को देख लिया फैसलाप्रस्ताव में कहा गया है कि झारखंड भाषाई दृष्टिकोण से विविध भाषा-भाषी प्रदेश है। राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक बहुलता की अभिव्यक्ति विभिन्न भाषाओं द्वारा होती है। मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषाओं से जुड़ी जनभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है।

झारखंड में 6.82% लोग मगही, 2.44% लोग बोलते हैं भोजपुरीवर्ष 2001 की जनगणना को आधार बनाकर इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का फैसला लिया गया है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 18.36 लाख लोग मगही बोलते हैं, जो कुल आबादी का 6.82% है। इसी तरह 6.56 लाख यानी 2.44% लोग भोजपुरी, 1.41 लाख यानी 0.52% लोग मैथिली बोलने वाले हैं। अंगिका जनगणना सूची में शामिल नहीं है, लेकिन संथाल के लगभग सभी जिलों में अंगिका भाषियों की बहुलता है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राज्य में यह बहुलता में बोली जाती है। पुलिस नियुक्ति नियमावली और शिक्षक नियुक्ति नियमावली में भी इन भाषाओं को वैकल्पिक विषय के रूप में मान्यता दी गई है।

बिहार की द्वितीय राजकीय भाषा कौन सी है?

भाषा और संस्कृति हिंदी बिहार की राजभाषा और उर्दू द्वितीय राजभाषा है।

झारखंड के द्वितीय भाषा क्या है?

झारखंड सरकार ने मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका को राज्य में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का फैसला लिया है। बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 के माध्यम से इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जाएगा। अध्यादेश के प्रारूप पर बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा।

उत्तर प्रदेश की दूसरी राजकीय भाषा कौन सी है?

यूपी ने शासकीय भाषा (संशोधन) आध्यादेश, 1982 पास किया जिससे शासकीय भाषा कानून, 1951 में धारा 3 जोड़ी गई और उर्दू को प्रदेश में दूसरी शासकीय भाषा बनाया गया।

झारखंड राज्य की भाषा क्या है?

Detailed Solution. झारखंड की आधिकारिक भाषा हिंदी है। झारखंड की राजधानी रांची है। राजकीय पशु : हाथी।