भारत विकसित क्यों नहीं हो रहा है? - bhaarat vikasit kyon nahin ho raha hai?

2000 के दशक के बाद से भारत ने अति गरीबी को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2011 से 2015 के बीच, 90 लाख से अधिक लोगों को अति गरीबी से बाहर निकाला गया।

हालांकि, वित्त वर्ष 2021 में अच्छी तरह से तैयार की गई राजकोषीय और मौद्रिक नीति के समर्थन के बावजूद कोविड-19 महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की कमी आई। घातक 'दूसरी लहर’ के बाद वित्त वर्ष 2022 में विकास दर 7.5 से 12.5 प्रतिशत के दायरे के निचले स्तर पर रहने की उम्मीद है – जो भारत को अभी भी दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में शुमार रखता है। टीकाकरण की गति, जो बढ़ रही है, इस साल और उससे आगे आर्थिक संभावनाओं का निर्धारण करेगी। कृषि और श्रम सुधारों का सफल कार्यान्वयन, मध्यम अवधि के विकास को बढ़ावा देगा, जबकि परिवारों और कंपनियों की कमजोर बैलेंस शीट इसमें बाधक हो सकती है। माना जा रहा है कि महामारी से प्रेरित आर्थिक सुस्ती का गरीब और कमजोर परिवारों पर विशेष रूप से उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। महामारी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए प्रति व्यक्ति जीडीपी विकास के हालिया अनुमान बताते हैं कि 2020 में गरीबी दर के 2016 के अनुमानित स्तर तक पहुंचने की संभावना है।

भारत के श्रम बल का बड़ा हिस्से को काम देने वाला अनौपचारिक क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुआ है। अधिकांश देशों की तरह, महामारी ने युवाओं, महिलाओं और प्रवासियों जैसे पारंपरिक रूप से वर्जित समूहों के लिए कमजोरियां बढ़ाई हैं। श्रम बाजार संकेतक बताते हैं कि शहरी परिवारों को महामारी से पहले की तुलना अब गरीबी में घिरने का अधिक खतरा है।

कोविड-19 महामारी पर सरकार की प्रतिक्रिया तीव्र और व्यापक रही है। स्वास्थ्य आपात स्थिति को रोकने के लिए राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान सबसे गरीब परिवारों (विभिन्न सामाजिक सुरक्षा उपायों के जरिए) और साथ ही साथ लघु एवं मझोले उद्यमों (तरलता और वित्तीय समर्थन बढ़ा कर) पर असर के खत्म के लिए एक व्यापक नीतिगत पैकेज दिया गया।

स्थिति को फिर से बेहतर बनाने के लिए, भारत के लिए यह आवश्यक होगा कि अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए विकास उन्मुख सुधारों को लागू करते समय असमानता को कम करने ध्यान केंद्रित किए रहे। विश्व बैंक हरित, लचीले और समावेशी विकास के जरिए देश और लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की दृष्टि से नीतियों, संस्थानों और निवेश को मजबूत बनाने में मदद करके इस प्रयास में सरकार के साथ सहयोग कर रहा है।

आर्थिक दृष्टिकोण

वर्षों तक अत्यंत उच्च दर से विकास करने के बाद, भारत की अर्थव्यवस्था कोविड -19 महामारी की शुरुआत से पहले ही सुस्त होनी शुरू हो गई थी। वित्त वर्ष 2017 और वित्त वर्ष 2020 के बीच, वित्तीय क्षेत्र में कमजोरी के साथ ही निजी उपभोग की वृद्धि में गिरावट से विकास दर 8.3 प्रतिशत से गिरकर 4.0 प्रतिशत तक आ गई थी। वित्त वर्ष 2021 में, अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई।

कोविड -19 के झटके के जवाब में, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने कमजोर कंपनियों और परिवारों का समर्थन करने, सेवा डिलीवरी का विस्तार (स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर वृद्धि हुई खर्च के साथ) करने और अर्थव्यवस्था पर संकट के असर को कम करने के लिए कई मौद्रिक और राजकोषीय नीति उपाय किए। आंशिक रूप से इन सक्रिय उपायों की बदौलत अर्थव्यवस्था के वित्त वर्ष 2022 में होने वाले मजबूत बुनियादी प्रभावों के साथ पटरी पर लौटने की उम्मीद है और उसके बाद विकास दर लगभग 7 प्रतिशत पर स्थिर होने की उम्मीद है।

 अंतिम बार अद्यतित: 04/10/21

विश्व बैंक समूह और भारत

भारत के साथ विश्व बैंक समूह (डब्लूबीजी) की सात दशक पुरानी साझेदारी मजबूत और स्थायी है। 1949 में भारतीय रेलवे के लिए सबसे पहले ऋण के बाद से, डब्लूबीजी के वित्तपोषण, विश्लेषणात्मक कार्य, और सलाहकार सेवाओं ने देश के विकास में योगदान दिया है। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए गठित - डब्लूबीजी की आसान ऋण देने वाली शाखा इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन – ने उन गतिविधियों का समर्थन किया जिनका प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण करने; ग्रामीण आजीविका परियोजनाओं की श्रृंखलाओं के जरिए ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने; हरित और श्वेत (दुग्ध) क्रांति के समर्थन के जरिए कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने; और पोलियो, टीबी और एचआईवी/एड्स से निपटने में उल्लेखनीय असर रहा था। वित्त वर्ष 2018 में, रिश्ते एक प्रमुख पड़ाव पर पहुंच गए जब भारत एक निम्न मध्य आय वाला देश बन गया और अंतरराष्ट्रीय विकास एसोसिएशन के वित्तपोषण से लाभान्वित हुआ।

देश साझेदारी ढांचा

भारत के साथ डब्लूबीजी का वर्तमान कार्य उसके वित्त वर्ष 2018-22 के लिए देश साझेदारी ढांचा (सीपीएफ) द्वारा निर्देशित है। सीपीएफ दशकों लंबी साझेदारी पर आधारित है और समूह के भारत के लिए व्यवस्थित देश नैदानिक में चिह्नित देश की विकास संबंधी आकांक्षाओं और प्राथमिकता जरूरतों की दिशा में काम करना चाहता है। भारत के साथ काम करना इसका लक्ष्य इसलिए है ताकि देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था संसाधनों का और अधिक कुशल उपयोग करे; मानव पूंजी में निवेश करके और अधिक गुणवत्तापूर्ण कार्य सृजित करके समावेशन को बढ़ाए; और सार्वजनिक क्षेत्र के मजबूत संस्थानों को विकसित करे जो एक बढ़ती मध्यवर्ग अर्थव्यवस्था की मांगों को पूरा करने में सक्षम हों। सीपीएफ का दृष्टिकोण इन दो बातों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को जोड़ता है कि डब्लूबीजी का काम ‘क्या’ होगा और यह प्रक्रिया में भारत को ‘कैसे’ जोड़ेगा।


डब्लूबीजी का काम क्या होगा?

  • ग्रामीण, शहरी, और ऊर्जा सेक्टरों में समेत संसाधन-कुशल विकास को बढ़ावा देने के साथ ही आपदा जोखिम प्रबंधन और वायु प्रदूषण से निपटना;
  • व्यापार वातावरण, वित्त तक पहुंच, कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक्स, कौशल उन्नयन में सुधार और महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बढ़ाने समेत प्रतिस्पर्धा बढ़ाना और रोजगार सृजन को सक्षम करना;
  • शैशवावस्था विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, और ग्रामीण जलापूर्ति और स्वच्छता के जरिए मानव पूंजी में निवेश।

डब्लूबीजी भारत में अपने काम के प्रभाव को कैसे बढ़ाएगा?

  • निजी क्षेत्र को सुविधाएं देकर
  • भारत की संघीय व्यवस्था को काम में लाकर
  • सार्वजनिक संस्थाओं को मजबूत बनाकर
  • देश के भीतर और भारत एवं दुनिया के शेष देशों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए लाइटहाउस इंडिया का समर्थन करके।

अपनी सभी गतिविधियों में, डब्लूबीजी जलवायु परिवर्तन, लिंग अंतराल, और प्रौद्योगिकी के कारण सामने आई चुनौतियों और अवसरों का निस्तारण करना चाहेगा।

विश्व बैंक समूह कार्यक्रम

विश्व बैंक के ऋण कार्यक्रमों में 92 ऋण परिचालन (22.8 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है जिसमें 17.7 बिलियन डॉलर आईबीआरडी है और 5.1 बिलियन डॉलर आईडीए है, और 0.1 बिलियन डॉलर अन्य स्रोतों से है जो मुख्य रूप से वैश्विक पर्यावरण कोष से अनुदान सहायता है) शामिल हैं।

परिचालनों का मोटे तौर पर एक तिहाई और प्रतिबद्धताओं का लगभग 56%,  या तो केंद्रीय या फिर बहु-राज्यीय परिचालन हैं जबकि शेष हिस्सा भारत के 28 राज्यों में से 21 में राज्य-विशिष्ट परिचालनों कार्यों से मिलकर बनता है।

तीन सबसे बड़े निवेश क्षेत्र कृषि (कुल 3.7 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धताओं के 15 परिचालन), शहरी विकास (कुल 3.2 अरब डॉलर की 17 परियोजनाएं), और परिवहन (कुल 2.9 बिलियन डॉलर की 10 परियोजनाएं) हैं।

वित्त वर्ष 2021 में, बैंक ने 3.16 बिलियन डॉलर राशि के 14 परिचालनों को मंजूरी दी। इसमें से 2.65 बिलियन डॉलर का ऋण आईबीआरडी से और 0.5 बिलियन डॉलर आईडीए (आईडीए के रद्द कार्यक्रमों में से पुनर्प्रतिबद्धता) से है। वित्त वर्ष 2022 के लिए एक मजबूत पाइपलाइन है, जिसमें कुल 3-4 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धताओं के साथ लगभग 20 परिचालन डिलीवर किए जाने की उम्मीद है।

आईएफसी के लिए, भारत सबसे बड़ा ग्राहक देश है जो इसके वैश्विक निवेश का 10 प्रतिशत (6.3 बिलियन डॉलर) है। 1958 में अपने पहले कार्य से अब तक, आईएफसी ने भारत में 500 से अधिक कंपनियों में 24 बिलियन डॉलर (पूंजी जुटाना भी शामिल है) से अधिक का निवेश किया है। भारत 4.01 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ आईएफसी का छठा सबसे बड़ा शेयरधारक है।

विश्व बैंक और आईएफसी विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ काम करते हैं जिन ऊर्जा, परिवहन, पानी और स्वास्थ्य प्रमुख हैं। आईएफसी-बैंक सहयोग, सबसे बड़े एकल स्थल सौर ऊर्जा परियोजना की स्थापना में मध्य प्रदेश सरकार का समर्थन करने में, अक्षय ऊर्जा के लिए वित्तपोषण जुटाने में विशेष रूप से मजबूत रहा है। यह परियोजना रिकॉर्ड निम्न कीमत पर सौर ऊर्जा प्रदान करती है। हाईब्रिड वार्षिकी-आधारित पीपीपी परियोजनाओं का उपयोग कर सीवेज उपचार संयंत्रों के लिए सरकार फ्लैगशिप कार्यक्रम स्वच्छ गंगा के तहत आईएफसी और विश्व बैंक में समान सहयोग रहा था। आईएफसी ने पीपीपी प्रशासन की अगुवाई की, जबकि विश्व बैंक का ऋण इस सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए भुगतान गारंटी प्रदान करने में मदद कर रहा है।

बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (एमआईजीए) का भारत में बहुत काम नहीं है। एमआईजीए ने राज्य स्तरीय और राज्य-स्वामित्व वाले उद्यमों (SOE) के स्तर पर क्रेडिट वृद्धि समाधान प्रदान करने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम करता है। यह राज्य सरकारों और एसओई को लंबी अवधि के वाणिज्यिक वित्तपोषण, जो अन्य बहुपक्षीय और विकास वित्त संस्थाओं द्वारा प्रदान रियायती ऋण के पूरक हो सकते हैं, का उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।

डब्लूबीजी का सलाहकार सेवाओं और एनालिटिक्स का व्यापक कार्यक्रम है। कार्यक्रम नीतिगत बहस की सूचना देता है, परिचालन और रणनीति के लिए विश्लेषणात्मक आधार और शिक्षण प्रदान करता है, नवाचारी समाधान का पैमाना बढ़ाने की सहूलियत देता है और राज्य की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। अक्टूबर 2021 में, 18 विश्लेषणात्मक अध्ययन और 15 सलाहकार गतिविधियां चल रही थीं। ध्यान देने का प्रमुख क्षेत्रों में गरीबी और व्यापक आर्थिक विश्लेषण, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और जेंडर, हवा के गुणवत्ता प्रबंधन सहित मानव पूंजी को बढ़ाना और साथ ही साथ राज्य की क्षमता और गवर्नेंस शामिल हैं।

 अंतिम बार अद्यतित: 04/10/21

डब्लूबीजी के वित्तपोषण ने पिछले पांच वर्षों में भारत की कई परिणामों की उपलब्धि में सहयोग किया, जिनमें से मुख्य निम्न हैं :

शिक्षा: पिछले तीन दशकों में, भारत सरकार को हमारे समर्थन ने गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा तक राष्ट्रीय पहुंच का पैमाना बढ़ाने में मदद की है। इसके परिणामस्वरूप प्राथमिक स्तर पर लगभग सार्वभौमिक कवरेज हो गया है और हाशिए के समूहों से आने वाली लड़कियों और छात्रों के प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई है। स्किल इंडिया मिशन ऑपरेशन (संकल्प) और स्ट्राइव जैसी राष्ट्रीय परियोजनाओं के जरिए कौशल विकास को समर्थन अल्पकालिक अनौपचारिक और दीर्घकालिक संस्थागत कौशल प्रणाली को मजबूत करता है। नई मंजिल परियोजना अल्पसंख्यक समुदायों के स्कूल छोड़ने वाले लोगों को अपनी शिक्षा पूरी करने और एक विपणन योग्य कौशल सीखने का अवसर प्रदान करती है। कार्यक्रमके जरिए दी गई शिक्षा और कौशल से 50,700 से अधिक अल्पसंख्यक महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। 2003 से 2021 तक के परिचालन में तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार (टीईक्यूआईपी) परियोजना के तीन चरणों के तहत, 30 लाख से अधिक छात्रों के लिए तृतीयक शिक्षा में सुधार हुआ। बैंक उड़ीसा और मध्य प्रदेश में राज्य स्तरीय तृतीयक शिक्षा सुधारों को भी सहायता प्रदान करता है, जो कुल मिलाकर लगभग 20 लाख छात्रों को प्रभावित करता है।

सामाजिक सुरक्षा: कोविड-19 महामारी के प्रत्युत्तर में, विश्व बैंक ने 2021 में भारत के त्वरित कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा प्रत्युत्तर कार्यक्रम (1.15 बिलियन डॉलर) और समन्वित एवं प्रत्युत्तरशील भारतीय सामाजिक सुरक्षा प्रणाली सृजन (सीसीआरआईएसपी) ऑपरेशन (50 करोड़ डॉलर) के जरिए भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में भारी निवेश किया। इन ऑपरेशनों के जरिए, लगभग 32 करोड़ व्यक्तिगत बैंक खातों तक नकद हस्तांतरण किया गया; और लगभग 80 करोड़ व्यक्तियों को अतिरिक्त भोजन राशन उपलब्ध कराया गया। बिहार जैसे कम आय वाले राज्यों में अन्य ऑपरेशन ने एकीकृत सेवा वितरण मंच के जरिए बुजुर्गों और दिव्यांगों के जीवन में रचनांतरण परिवर्तन लाए, जो 90 लाख  से अधिक लाभार्थियों को मासिक और त्रैमासिक डीबीटी हस्तांतरण प्रदान करता है। झारखंड में एक ऑपरेशन ने लगभग 13,000 मजबूत समुदाय स्तर के क्लब स्थापित करने में मदद की है जिसने 10 लाख से अधिक किशोरियों और युवतियों को कौशल और शिक्षा देने में मदद की। 150,000 से अधिक लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा पूरी करने और कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार हासिल करने में सहायता मिलेगी।  

स्वास्थ्य: भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए विश्व बैंक का समर्थन 1972 में शुरू हुआ। भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के प्रदर्शन में सुधार हुआ है लेकिन चुनौतियां बनी हुई हैं। कोविड -19 महामारी ने दिखाया है कि भारत की कड़ी मेहनत से प्राप्त स्वास्थ्य और मानव पूंजी परिणामों के लाभ बड़े कमजोर हैं। हाल के वर्षों में भारत के स्वास्थ्य पोर्टफोलियो में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में, आठ परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं, जिनके लिए 2.5 बिलियन डॉलर का वित्तपोषण किया गया है। विश्व बैंक ने एचआईवी के प्रति भारत के मजबूत प्रत्युत्तर का समर्थन किया है, जिसे वैश्विक सफलता की कहानी के रूप में सराहा गया है: भारत में 2010 से 2019 तक नए एचआईवी संक्रमण 37% कम हो गए थे। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और उत्तराखंड राज्यों में चल रहे परिचालन का ध्यान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य की क्षमता के निर्माण, सेवा वितरण में सुधार के लिए निजी क्षेत्र को शामिल करने और गैर-संचारी रोगों का प्रबंधन मजबूत करने पर केंद्रित है। तमिलनाडु, नागालैंड और आंध्र प्रदेश में बेहतर सेवा वितरण के लिए डिजिटल स्वास्थ्य रणनीतियों का उपयोग कार्यान्वित किया जा रहा है। डब्लूबीजी ने परीक्षण और उपचार के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता का विस्तार करने और महामारी की तैयारियों को मजबूत करने के साथ भारत के कोविड -19 आपातकालीन प्रत्युत्तर का समर्थन किया है। 2019 से, बैंक निजी क्षेत्र की टीबी सूचनाओं और उपचार की सफलता दर को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग (टीबी) कार्यक्रम का समर्थन करता है।

पोषण: सितंबर 2015 से, लगभग 5.95 करोड़ गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं और 6 महीने से 3 वर्ष की आयु के बच्चों तक विश्व बैंक समूह की कुपोषण विरोधी सहायता पोषण सेवाओं के साथ पहुंच गई है। आईसीडीएस प्रणाली सुदृढ़ीकरण और पोषण सुधार कार्यक्रम सामुदायिक पोषण कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण, सामुदायिक गतिशीलता और पोषण व्यवहार परिवर्तन को मजबूत करने और अभिसरण तंत्र को मजबूत करने के लिए के लिए नवाचारी तरीकों पर केंद्रित है।

ऊर्जा: विश्व बैंक ने भारत में 2017 में सबसे बड़ी एकल-साइट सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार का समर्थन किया है, जिसमें लगभग 57.5 करोड़ डॉलर का निजी निवेश आकर्षित किया गया है। इसमें परियोजना जोखिम-साझाकरण तंत्र की कठोर संरचना के कारण तीव्र प्रतिस्पर्धी बोली लगाई गई है जिसके परिणामस्वरूप अब तक की सबसे कम सौर टैरिफ बोली - जो कि सबसे कम पूर्ववर्ती बोली से लगभग 33 प्रतिशत कम है - लगी। इस सौर परियोजना की सफलता को फिर से मध्य प्रदेश में अब 2021 में दोगुने आकार की परियोजना (1500 मेगावाट) में दोहराया गया है। लगभग 70 करोड़ डॉलर का निजी निवेश करते हुए, इसने टैरिफ के मामले में और इस तरह भारत की ऊर्जा संक्रमण कहानी में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। अब तक, सौर पार्कों के लिए विश्व बैंक-स्वच्छ प्रौद्योगिकी कोष सहायता ने 2500 मेगावाट के पार्कों में निजी पूंजी निधि के 20 गुना से अधिक पूंजी प्रत्यक्ष रूप से जुटाया है।

हमारा भारत विकसित क्यों नहीं है?

हमारा देश एक विकसित देश नही बन पा रहा है , इसके कई कारण हो सकते है पर मुख्य कारण अत्यधिक जनसंख्या को होना है । देखिए हमारी जनसंख्या चीन की जनसंख्या से कुछ ही कम है और कुछ सालो में हम जनसंख्या के नाम पर प्रथम स्थान पर होंगे । हमार देश का चेत्रफल कम और जनसंख्या ज्यादा होने के कारण हमारे देश का घनत्व बहुत ही अधिक है।

भारत कब तक विकसित देश बन सकता है?

What is Developed Countries: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से एक नए लक्ष्य का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि भारत 2047 तक विकसित देश होगा। इसमें मानव विकास सूचकांक भी शामिल होंगे। विकसित देश की बात होते ही, अमेरिका, ब्रिटेन, नार्वे जैसे देशों का ख्याल आता है।

विकसित देशों में भारत कितने नंबर पर है?

- सबसे ज्यादा जीडीपी के मामले में भारत अभी दुनिया में 7वें नंबर पर है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में भारत की जीडीपी 3.17 ट्रिलियन डॉलर रही थी. यानी, अभी अमेरिका और भारत की जीडीपी में लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर का अंतर है. - विकसित देश होने का एक पैमाना प्रति व्यक्ति आय भी है.

भारत को विकसित होने में कितना समय लगेगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 15 अगस्त को लाल किले से भाषण देते हुए 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य तय किया था.