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धातु (धात) रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज - Ayurvedic medicine and treatment for Spermatorrhea (Dhat rog) in Hindiकई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! धातु रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें सेक्स ना करने पर भी अनैच्छिक वीर्यस्खलन होता है। ये दिन में जागते या रात में सोते समय हो सकता है। अगर किसी पुरुष को सप्ताह में तीन बार से ज्यादा शुक्रपात (वीर्यस्खलन) के साथ-साथ चक्कर आना, अनिद्रा, कमर और पैरों में कमजोरी या एनर्जी में कमी महसूस होती है तो इस समस्या को रोग के रूप में जाना जाता है। बहुत ज्यादा सेक्स, हस्तमैथुन, भावनात्मक रूप से असंतुलन और शराब पीने की वजह से धातु रोग हो सकता है। (और पढ़ें - पैरों में दर्द दूर करने के उपाय) आयुर्वेद में धातु रोग को धात सिंड्रोम बताया गया है जिसमें वीर्य का नुकसान होने लगता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार पुरुषों के शरीर में वीर्य एक महत्वपूर्ण तत्व होता है और इसका शरीर से अधिक निकलना वीर्य के नुकसान को दर्शाता है। धात रोग जैसे प्रजनन प्रणाली से संबंधित रोगों के इलाज के लिए खानपान में बदलाव और हर्बल उपचार की सलाह दी जाती है। पंचकर्म थेरेपी में से बस्ती (एनिमा) और स्नेहन (तेल लगाना) की मदद से खराब हुए शुक्र धातु को वापिस से संतुलन में लाकर धातु रोग का इलाज किया जाता है। धात रोग के इलाज के लिए आयुर्वेद में जड़ी बूटियों एवं हर्बल मिश्रण जैसे कि अश्वगंधा, बाला और गुडूची के साथ अभ्रक भस्म का इस्तेमाल किया जाता है।
धातु रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टर आयुर्वेद के दृष्टिकोण से धातु रोग - Ayurveda ke anusar Dhat rog kya hota haiआयुर्वेद के अनुसार शुक्र पुरुषों में पाया जाने वाला एक सफेद, चिकना, गाढ़ा और मीठा पदार्थ है जो कि गर्भोत्पादन (प्रजनन) का कार्य करता है। इसके अलावा ये पुरुषों के आकर्षण, शारीरिक मजबूती, बुद्धि और याददाश्त में सुधार लाने में मदद करता है। इस वजह से वीर्य के नुकसान का संबंध पुरुषों की यौन शक्ति में कमी के साथ-साथ याददाश्त कम होने और मानसिक असंतुष्टि से होता है। चरक संहिता में वीर्य के नुकसान या वीर्य के जैसे पदार्थ को शुक्लमेह (पेशाब में सफेद पदार्थ), शुक्रमेह (वीर्य का अपने आप निकलना) और सीतमेह (मीठा और ठंडा पेशाब) के रूप में उल्लिखित किया गया है। शादी से पहले यौन संबंध बनाने, कम व्यायाम करने, बहुत ज्यादा सेक्स या यौन इच्छा रखने, कम पानी पीने, धातु में चोट लगने, वसंत ऋतु में यौन क्रिया करने, डर या दुख, दिन के समय संभोग करने और गंदा भोजन करने से शुक्र धातु खराब होकर धात सिंड्रोम का रूप ले सकता है। (और पढ़ें - सेक्स कब और कितनी बार करें) बढ़ती उम्र और अन्य धातु के खराब होने की वजह से भी धात रोग हो सकता है। धात सिंड्रोम से ग्रस्त पुरुषों को एनर्जी में कमी, लिंग का आकार घटने, पेशाब के दौरान जलन, प्रोत्साहन में कमी, मानसिक रोग, डिप्रेशन और शरीर में खनिज पदार्थों (मिनरल्स) की कमी महसूस होती है। (और पढ़ें - शुक्राणु की कमी के लक्षण) शमन (शांत करना) और शोधन (शुद्धिकरण) थेरेपी से शुक्र धातु को वापिस से संतुलन में लाया जाता है। आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ पुरुषों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए थेरेपी दी जाती है। इसके अलावा आराम, अत्यधिक वीर्यस्खलन करने वाले कारणों को दूर कर के एवं व्यायाम की मदद से धात रोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। ब्रह्मचर्य या अविवाहित जीवन की मदद से वीर्य पर पूरा नियंत्रण पाया जा सकता है एवं यौन रोगों को रोका जा सकता है।
धात रोग की आयुर्वेदिक दवा, जड़ी बूटी और औषधि - Dhatu rog ki ayurvedic dawa aur aushadhiधात रोग के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
धात रोग के लिए आयुर्वेदिक औषधियां
व्यक्ति की प्रकृति और कई कारणों के आधार पर चिकित्सा पद्धति निर्धारित की जाती है। उचित औषधि और रोग के निदान हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करें। आयुर्वेद के अनुसार धातु (धात) रोग होने पर क्या करें और क्या न करें - Ayurved ke anusar dhat rog me kya kare kya na kareक्या करें
क्या न करें
धातु रोग के लिए आयुर्वेदिक दवा कितनी लाभदायक है - Dhatu rog ka ayurvedic upchar kitna labhkari haiएक अनुसंधानात्मक अध्ययन में वीर्य में शुक्राणुओं की कमजोरी से ग्रस्त 25 मरीज़ और वीर्य में शुक्राणुओं की कमी से ग्रस्त 25 मरीज़ों को शामिल किया गया था। 3 महीने के बाद दोनों समूह के पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार देखा गया। इसमें पाया गया कि अश्वगंधा कोशिकाओं को होने वाले नुकसान एवं ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (फ्री रेडिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट के बीच असंतुलन) को कम कर वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाती है। ये शुक्राणुओं में जरूरी धातु आयन को भी बढ़ाती है। (और पढ़ें - शुक्राणु की कमी का होम्योपैथिक इलाज) धात रोग की आयुर्वेदिक औषधि के नुकसान - Dhatu rog ki ayurvedic dawa ke side effects
धातु (धात) रोग की आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से जुड़े अन्य सुझाव - Dhat rog ke ayurvedic ilaj se jude anya sujhavअगर धात रोग का इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से नपुंसकता और अन्य यौन समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में कामोत्तेजक और ऊर्जादायक गुण होते हैं जो कि पुरुषों में लिबिडो, शुक्राणुओं की संख्या में सुधार और ताकत प्रदान करती हैं। (और पढ़ें - कामेच्छा बढ़ाने के उपाय) वैसे तो पारंपरिक औषधियां भी धात रोग के इलाज में उपयोगी होती हैं लेकिन आयुर्वेद का हर्बल उपचार ज्यादा सुरक्षित और असरकारी है क्योंकि इसका कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है। धात रोग से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका ब्रह्मचर्य है। (और पढ़ें - सेक्स लाइफ में बाधा बनने वाली बीमारियां) शहर के आयुर्वेदिक डॉक्टर खोजें
धातु रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज के डॉक्टरसंदर्भ
सम्बंधित लेखडॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ धातु रोग को जड़ से खत्म कैसे करें?इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए मेथी का प्रयोग करें. यह हार्मोन को असंतुलन करने वाली दिक्कतों के इलाज में असरदार है. यह पाचन भी ठीक रखता है. इसके अलावा सोने से आधे घंटे पहले मेथी का रस और शहद मिलाकर पीना भी फायदेमंद है.
धातु रोग किसकी कमी से होता है?एक ऐसी बीमारी जो होती है विटामिन डी की कमी से.
धात गिरने से क्या परेशानी होती है?भ्रांति : धात निकलना एक गंभीर यौन रोग है। यह बुरे विचारों, अत्यधिक हस्तमैथुन (मास्टरबेशन) आदि के कारण होता है। इससे शरीर का जीवन द्रव्य निकल जाता है। व्यक्ति कमजोर हो जाता है और भविष्य में प्रजनन लायक भी नहीं रहता है।
धातु रोग कैसे बनता है?धात रोग का प्रमुख कारण क्या है? ( Causes of Dhat Syndrome in Hindi ). अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना!. मन का अशांत रहना!. अक्सर किसी बात या किसी तरह का दुःख मन में होना!. दिमागी कमजोरी होना!. व्यक्ति के शरीर में पौषक पदार्थो और तत्वों व विटामिन्स की कमी हो जाने पर!. किसी बीमारी के चलते अधिक दवाई लेने पर. |