'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) Show धातुएँ - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। या वे तत्व जिसमें चमक हो,आघातवर्धक गुण हो तथा जिसकी तनन क्षमता अधिक हो और जो उष्मा एवं विद्युत के सुचालक हो धातु कहलाते हैं धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। परिचय[संपादित करें]रासायनिक तत्वों को सर्वप्रथम धातुओं और अधातुओं में विभाजित किया गया, यद्यपि दोनों समूहों को बिल्कुल पृथक् नहीं किया जा सकता था। धातु की परिभाषा करना कठिन कार्य है। मोटे रूप से हम कह सकते हैं कि यदि किसी तत्व में निम्नलिखित संपूर्ण या कुछ गुण हों तो उसे धातु कहेंगे : हम यह अवश्य कह सकते हैं कि यदि कोई तत्व विशुद्ध अवस्था में चमकदार और विद्युत् का चालक नहीं है, तो वह अधातु (non-metal) है। प्रकृति में असंयुक्त अवस्था में बिरली धातु ही मिलती है। स्वर्ण, रजत, प्लैटिनम और कभी-कभी ताम्र धातुएँ यदाकदा मिल जाती हैं। अधिकांश धातुओं के अयस्क (Ores) मिलते हैं जो अधातुओं (जैसे ऑक्सीजन, कार्बन, गंधक आदि) के साथ धातुओं के यौगिक होते हैं। ये यौगिक भी शुद्ध अवस्था में न होकर अन्य खनिज में मिश्रित रहते हैं। इन अयस्कों से विविध रीतियों द्वारा धातुएँ निकाली जाती हैं। रासायनिक गुण[संपादित करें]धातु प्रायः रसायनिक रूप से क्रियाशील होते हैं। हवा में आक्सीजन से संयोग कर धात्विक आक्साईड बनाते हैं। सबसे ज्यादा क्रियाशील अल्कली धातु (सोडियम, लीथियम, पोटेशियम - वर्ग I के धातु) होते है जबकि उसके बाद अल्कली मृदा धातुओं (बैरेलियम, मैग्नेशियम, कैल्शियम - वर्ग II के धातु) का स्थान आता है। उदाहरणार्थ - 4Na + O2 → 2Na2O (सोडियम ऑक्साईड)2Ca + O2 → 2CaO (कैल्शियम ऑक्साईड)4Al + 3O2 → 2Al2O3 (अल्यूमीनियम ऑक्साईड)संक्रमण धातुओं का ऑक्सीकरण अपेक्षाकृत धीरे से होता है। धात्विक आक्साईड धातु के उपर एक परत बना लेते हैं, जैसे - लोहे में जंग लगना। धात्विक ऑक्साईड क्षारीय होते हैं जबकि अधात्विक ऑक्साईड प्रधानतया अम्लीय। हैलोजनों से अभिक्रिया करते धातु धात्विक हैलाईड लवण बनाते हैं। उदाहरणार्थ - 2Na + Cl2 → 2NaCl (सोडियम क्लोराईड - साधारण नमक)Ca + Cl2 → CaCl2 (कैल्शियम क्लोराईड)2Li + F2 → 2LiF (लीथियम फ्लोराईड)अधिक क्रियाशील धातु जल के साथ अभिक्रिया करके क्षार बनाते हैं और हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं। 2Na + 2H2O → 2NaOH + H2कम क्रियाशील धातु साधारण ताप पर जल से अभिक्रिया नहीं करते बल्कि वे तप्त अवस्था में भाप से अभिक्रिया करके धात्विक ऑक्साईड बनाते हैं। अम्लों से अभिक्रिया करके धातु लवण बनाते हैं और हाईड्रोजन गैस मुक्त करते हैं - Mg + H2SO4 → MgSO4 + H2भौतिक गुण[संपादित करें]धातु आघातवर्धनीय होते हैं - इनको हथौड़े से पीटकर लम्बा किया जा सकता है। जैसे किसी अल्यूमिनियम या तांबे के तार को पर प्रहार (आघात) करने से उसका प्रसार (वर्धन) होता है। धातु तन्य भी होते हैं, यानि उन्हें खींचकर एक लम्बा तार बनाया जा सकता है। अधातुओं में यह गुण नहीं पाया जाता है। उदाहरणार्थ फास्फोरस को कितना भी खींचने पर वो लम्बे तार के रूप में नहीं बनाया जा सकता। धातुओं का घनत्व भी उच्च होता है तथा इनमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है जिसे 'धात्विक चमक' कहते हैं। अधिकतर धातुएँ भूरे श्वेत से लेकर चमकदार श्वेत रंग की होती हैं। स्वर्ण और ताम्र इसके अपवाद हैं। पारद को छोड़कर (गलनांक -38.87 सें.) और सारे धातु साधारण ताप पर ठोस हैं। सीजियम तथा गैलियम धातु का गलनांक क्रमश: 28° सें. तथा 29.78° सें. हैं। दूसरी और टंग्स्टेन धातु 3,380° सें. पर द्रव बनती है। उच्च ताप पर धातुएँ वाष्प में परिवर्तित हो जाएँगी। पर इसमें भी उनमें कोई समानता नहीं दिखाई देती। पारद का क्वथनांक 356° सें. है, परंतु टंग्स्टेन का 5,930° सें.। ऐसा अनुमान है कि टैंटेलम 6,100° सें. पर वाष्पित होगा। यदि हम विद्युत-चालकता पर ध्यान दें, तो ज्ञात होगा कि अधातुओं के विपरीत धातुएँ उत्तम चालक हैं। धातुओं में सबसे श्रेष्ठ विद्युच्चालक रजत है। यदि तुलना के लिए उसकी चालकता 100 मान ली जाए तो कुछ अन्य साधारण धातुओं की चालकता निम्नलिखित सारणी के अनुसार होगी-
इस माप पर बौरॉन (अधातु) की चालकता 10-10 आएगी। इसी प्रकार धातुएँ उत्तम ऊष्मा चालक भी होती हैं। विशेषकर विशुद्ध धातुओं की दोनों चालकताएँ लगभग एक क्रम में रहती हैं। ताप घटाने पर धातुओं का विद्युत्प्रतिरोध घटता है, अथवा हम यह भी कह सकते हैं कि चालकता बढ़ती है। धातुओं का ताप बढ़ने पर उनका आकार बढ़ जाता है। इस गुण को तापीय प्रसार (Thermal expansion) कहते हैं। थर्मामीटर में पारद के इसी गुण का लाभ उठाया जाता है। कुछ ऐसी मिश्रधातुएँ भी बनी हैं जिनका ताप के साथ तापीय प्रसार अति सूक्ष्म है। लौह, निकेल और कोबाल्ट को छोड़कर अन्य धातुओं में चुंबकीय गुण अनुपस्थित है। धातु में अपना आकार रखने की बड़ी क्षमता होती है। इस ओर यह बाहरी दबाव का बहुत प्रतिरोध करता है। मैंगनीज सबसे कठोर धातु है और लीथियम सबसे कोमल। तनावक्षमता में टंग्स्टेन सबसे श्रेष्ठ और सीसा बहुत न्यून है। अनेक धातुओं में घातुवर्ध्यता (malleability) और तन्यता (ductility) के गुण होते हैं। इन्हें ठोक पीटकर पतली पर्त बनाई जा सकती है (विशेषकर स्वर्ण, रजत और ताम्र की)। तन्यता के फलस्वरूप यदि किसी पतले छिद्र के मध्य से उन्हें खींचा जाए तो उनके पतले तार खिंच आएँगे। धातु क्रिस्टलीय होती हैं जो अधिकतर धन प्रणाली के होते हैं। धातु के परमाणु धन के आकार में सुसज्जित होने के कारण इसी श्रेणी के क्रिस्टल बनाते हैं। कुछ धातुएँ षड्फलकीय (Hexagonal) प्रणाली के मणिभ बनाती हैं। कभी कभी एक ही धातु के परमाणु एक से अधिक प्रणाली में व्यवस्थित होकर विभिन्न रूप में क्रिस्टल बनाते हैं। इन्हें अपररूपता (Allotropic modification या Allotropy) कहेंगे। धातु के परमाणु इलेक्ट्रॉनदाता होते हैं। क्रिस्टल में इनके धनायन नियत स्थान में रहेंगे और मुक्त इलेक्ट्रॉन उसके रिक्त स्थानों में। इस प्रकार यह इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र और सचल रहेंगे, जिसके कारण धातु में उच्च चालकता, परावर्तकता (reflectivity) आदि गुण आ जाते हैं। धातुओं के लगभग सभी गुण उनकी परमाणु संख्या के आबर्त फलन (Periodic function) होते हैं। यह आवर्तिता परमाणु आयतन विद्युत् और ऊष्मा चालकता, घातवर्ध्यता, तन्यता, संगलन की गुप्त ऊष्मा (Latent heat of fusion) आदि में उल्लेखनीय हैं। लादेर मायर ने इसी आवर्तिता की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान पहले पहल तत्वों की आवर्तसारणी द्वारा आकर्षित किया था। धातुकर्म[संपादित करें]अयस्कों से धातु के निष्कर्षण और उपयोग में लाने के पूर्व उनके शुद्धीकरण की प्रक्रिया को धातुकर्म (मेटलर्जी) कहते हैं।[1] सबसे भारी धातु ऑस्मियम हैं सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
गर्म करने पर धातु का क्या होता है?धातु गर्म करने पर फैलती है और सिकुड़ती है | 6 | Changes around us | CHEMISTRY | LECTURE NOTES CR... - YouTube.
सबसे गर्म धातु कौन सा है?शुद्ध धातु न गर्म अवस्था में और न ठंडी में व्यवहार योग्य है। हवा में गर्म करने पर इसका उड़नशील आक्साइड Os4 बन जाता है।
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ओस्मियम. कौन सी धातु गर्म करने पर गर्म नहीं होती है?Detailed Solution. सही उत्तर Fe है। लोहा (Fe), एल्यूमीनियम (Al), और जस्ता (Zn) जैसी धातुएं ठंडे और गर्म जल से भी अभिक्रिया नहीं करती हैं।
धातु का घनत्व क्या होता है?धातुओं का घनत्व भी उच्च होता है तथा इनमें एक विशेष प्रकार की चमक होती है जिसे 'धात्विक चमक' कहते हैं। अधिकतर धातुएँ भूरे श्वेत से लेकर चमकदार श्वेत रंग की होती हैं। स्वर्ण और ताम्र इसके अपवाद हैं।
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