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उपसर्गउपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है।उपसर्गों का स्वतन्त्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलाकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। उप’ का अर्थ ‘समीप’, ‘निकट’ या ‘पास में’ है। ‘सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना। ‘उपसर्ग’ का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना। उपसर्ग का अर्थ है – किसी शब्द के समीप आकार नया शब्द बनाना। जो शब्दों के आदि में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। (1) हार’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द ‘प्रहार’ बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ ‘मारना’ । (2) यत्न’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया तो एक नया शब्द ‘प्रयत्न’ बन गया। इस नए शब्द का अर्थ होगा प्रयास करना। (3) अन’ उपसर्ग ‘बन’ शब्द के पहले रख देने से एक शब्द ‘अनबन ‘बनता है, जिसका विशेष अर्थ ‘मनमुटाव’ है। (4) भ्रमण’ शब्द के पहले ‘परि’ उपसर्ग लगाने से अर्थ में अन्तर न होकर तेजी आयी। कभी-कभी उपसर्ग के प्रयोग से शब्द का बिलकुल उल्टा अर्थ निकलता है। (5) स्व + तंत्र = स्वतंत्र, (6) निः + बल = निर्बल (7) स + पूत = सपूत, (8) सु + कुमार = सुकुमार उपसर्ग की विशेषताउपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं- (1) शब्द के अर्थ में नई विशेषता
लाना। (2) शब्द के अर्थ को उलट देना। (3) शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना। उपसर्ग के प्रकार(1) संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम उपसर्ग) (2) हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव उपसर्ग) (3) अरबी-फारसी या उर्दू के उपसर्ग (आगत उपसर्ग) (4) अंग्रेज़ी के उपसर्ग (5) उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय (उपसर्गवत्) (1) संस्कृत के उपसर्ग (तत्सम उपसर्ग)
(2) हिन्दी के उपसर्ग (तद्भव उपसर्ग)
(3) अरबी-फारसी या उर्दू के उपसर्ग (आगत उपसर्ग)
(4) अंग्रेज़ी के उपसर्ग
(5) उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय (उपसर्गवत्)
दो उपसर्गो से निर्मित शब्दकभी-कभी दो या तीन उपसर्ग एकसाथ ही एक शब्द के पहले ही लगा दिए जाते हैं, जैसे- 1. निर् + आ + करण = निराकरण 2. सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत 3. अन् + आ + हार = अनाहार 4. अ + सु + रक्षित = असुरक्षित 5. सु + सम् + गठित = सुसंगठित 6. अति + आ + चार = अत्याचार 7. वि + आ + करण= व्याकरण 8. प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार 9. अन् + आ + हार = अनाहार 10. अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति 11. सम् + आ + लोचना= समालोचना 12. अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित 13. अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष 14. सु+ आ+ गत = स्वागत 15. सु+ प्र+ स्थान = सुप्रस्थान 16. अ +परा+ जय = अपराजय
उपसर्ग लगाकर शब्द कैसे बनाएं?उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है - किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। उदाहरण: प्र + हार = प्रहार, 'हार' शब्द का अर्थ है पराजय। परंतु इसी शब्द के आगे 'प्र' शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा - 'प्रहार' (प्र + हार) जिसका अर्थ है चोट करना।
उपसर्ग कैसे पहचाने?(a) उपसर्ग शब्द के शुरू में जुड़ता है। (a) प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ता है। (b) उपसर्ग जुड़ने पर मूल शब्द का अर्थ बदल सकता है। उदाहरण- प्र+चार= प्रचार इसमें प्र उपसर्ग है, जो चार शब्द के पहले जुड़ा है।
शब्दों के शुरू में क्या लगाकर उपसर्ग बनते हैं?भाषा के वे अर्थवान छोटे-छोटे खंड जो शब्दों में आगे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं और उनके अर्थ में बदलाव लाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। यहाँ 'प्र', 'आ', 'अधि', 'अनु' उपसर्ग हैं। (क) नया शब्द बनता है। (ख) मूल शब्द के अर्थ में बदलाव आ जाता है।
उपसर्ग कितने होते हैं?उपसर्ग – वे शब्दांश, जो किसी शब्द के पूर्व में जुड़कर उसके अर्थ को प्रभावित कर देते हैं उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उपसर्ग शब्द 'उप' उपसर्ग एवं 'सर्ग' शब्द के संयोग से बना है। हिंदी में 22 उपसर्ग हैं। किसी शब्द की तरह उपसर्ग का अपना कोई अर्थ नहीं होता, लेकिन प्रत्येक उपसर्ग एक विशेष अर्थ के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
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