अच्छे आदमी की मृत्यु जल्दी क्यों हो जाती है? - achchhe aadamee kee mrtyu jaldee kyon ho jaatee hai?

मित्रो यह एक सवाल है कि अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी क्यों हो जाती है । अक्सर यह देखा जाता है कि अच्छे से और धर्म से चलने वाले लोगों की मृत्यु अक्सर जल्दी ही हो जाती है । शास्त्रों में तो बताया गया है कि कलयुग में लोगों की उम्र 30 साल ही रह जाएगी और कलयुग का अंत होते होते इंसान की औसतन उम्र 20 साल ही रह जाएगी ।

आपने यह भी सुना होगा कि भगवान अच्छे लोगों को जल्दी बुला लेते हैं । आपका Getgyaan पर एक बार फिर स्वागत है । हमारा व्हाट्सप्प ग्रुप ज्वाइन करें ताकि अगली पोस्ट कि जानकारी आपको सबसे पहले मिल सके ।

मित्रो धर्म कोई सा भी क्यों ना हो, हर किसी में यही बताया गया है कि जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और अगर बात सनातन धर्म की करें तो इसकी एक मान्यता के अनुसार बच्चे के जन्म की छठी रात ही ब्रह्मा जी उसकी किस्मत लिख देते हैं जिसमें उसके आनेवाले कल जैसे विवाह, पढ़ाई, नौकरी यहाँ तक की मृत्यु की तारीख तक शामिल होती है ।

कर्मो के कारण मृत्यु

यह निर्णय तो भगवान ही करते हैं कि किसकी उम्र कितनी है । आपने यह कहावत भी जरूर सुनी होगी कि जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना । दोस्तों इस कहावत में साफ है कि किसकी मृत्यु कब होनी है यह तो भगवान ही तय करते हैं । वैसे तो अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी हो जाने के पीछे कई कारण हैं लेकिन पहला कारण समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि हम जो कुछ भी इस जन्म में करते हैं उसका जवाब हमें ऊपर यमराज को देना होता है ।

अगर उसके पाप का पलड़ा भारी होता है तो उसे नर्क में यातनाएं काटनी पड़ती हैं और अगर पुण्य का पलड़ा भारी हो तो उसे स्वर्ग का सुख मिलता है और यही चक्र कई युगों तक चलता रहता है । जब तक उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो जाती । इस मृत्युलोक में हर कोई अपने किये की सजा ही भुगतने के लिए आता है ।

कोई आत्मा इंसान बनती है तो कोई जानवर के शरीर में प्रवेश करती है ये उसके संचित कर्मों के आधार पर ही तय होता है । इसके अलावा उसे जन्म देने वाले माता पिता के संस्कार भी उसके अंदर आते हैं । इसके बाद वो जो कर्म करेगा उसके हिसाब से उसे पुण्यात्मा या फिर दुरात्मा कहा जाता है ।

अब यही पुण्य आपकी मृत्यु की तारीख को भी बदल देते हैं । जिस तरह से एक जज जेल में रहने वाले कैदी के व्यवहार को देख उसकी सजा कम कर देता है, ठीक उसी तरह भगवान भी देखते हैं कि इंसान मृत्युलोक में जाने के बाद अच्छे कर्म कर रहा है और उसे अपने किए की सजा मिल चुकी है। और जब उन्हें लगता है कि अब उसे मृत्युलोक में नहीं रहना चाहिए तब वो उसे बुला लेते हैं।

अच्छे लोग अपने पाप का फल जल्दी ही काट लेते हैं

भगवान के दंड विधान के अनुसार हर व्यक्ति को केवल उतना ही दण्डित किया जाना चाहिए जितना उसके पाप किया है । अब क्यूंकि अच्छे लोगों के पाप कर्म बुरे लोगों के पाप कर्मों की तुलना में अधिक होते हैं इसलिए अच्छे लोग अपने पापों का फल जल्दी ही भुगत लेते हैं ।

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भगवान हर अच्छे आदमी को किसी ना किसी उद्देश्य के साथ ही इसे मृत्युलोक में भेजते हैं और भगवान का अपना अवतार उन्हीं उद्देश्यों में शामिल है । इसीलिए जब वो उद्देश्य जल्दी पूरे हो जाते हैं तब भगवान उन्हें वापस बुला लेते हैं । अर्थात अच्छे लोगों की मृत्यु उनके अच्छे कर्मों पर ही निर्भर करती है ।

इसके अलावा आपको ये भी बता दूँ कि जो लोग ये कहते हैं कि मरने के बाद इंसान खाली हाथ जाता है उन्हें यह जान लेना चाहिए कि तीन चीजें ऐसी हैं जो मरने के बाद भी उसके साथ जाती हैं । एक हैं संचित कर्म, दूसरा है स्मृति और तीसरी है जागृति । इसीलिए आप अब किसी से ये मत कहना कि आप खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएंगे 😂 ।

क्या आपने कभी एकांत में यह सोचा है कि आपको यह मानव जीवन क्यों मिला है? तो दोस्तो महाभारत में युधिष्ठिर महाराज के एक प्रश्न के उत्तर में भीष्म पितामह ने कहा था कि मनुष्य से बढकर कोई भी जीव नहीं है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चौरासी लाख योनियों के बाद हमें मनुष्य जीवन मिलता है और संसार के सभी प्राणियों में मनुष्य ही सबसे श्रेष्ठ है ।

मनुष्य जीवन का उद्देश्य

इसकी वजह है मनुष्य में सत्य एवं असत्य का विवेक कराने वाली हमारी बुद्धि का होना । लेकिन इस धरती पर हम दुनियादारी के चक्र में कुछ इस तरह फस जाते हैं कि हमारी बुद्धि सीमित दायरे में ही सिमटकर रह जाती है । हम सांसारिक सुखों को ही सबकुछ मानकर उसमें लिप्त रहने में ही अपना सौभाग्य और अपने जीवन की सफलता समझते हैं ।

यही गलती हम कर जाते हैं क्योंकि इसके बावजूद कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं करता कि वह पूरी तरह से सुखी है । सच्चाई यह है कि हमें सामान्य मानव जीवन के उद्देश्य की पूर्ति के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए । यह सच है कि अपने और अपने परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी हमारी है और हमें इसे हर हाल में निभाना चाहिए ।

लेकिन क्या आपको यह मालूम है कि आप कहाँ से आए हैं और आपको कितने दिनों तक या कितने सालों तक इस जगत में रहना है और आपकी मंजिल किया है? तो इन प्रश्नों के उत्तर में ज्यादातर लोग यही कहते हैं कि पता नहीं ऐसे लोग बड़े ही अजीब होते हैं । वो यात्रा तो कर रहे होते हैं पर यात्रा के संबंध में उन्हें कुछ जानकारी नहीं होती ।

परमधाम तक पहुँचना है मनुस्य के जीवन का लक्ष्य

उन्होंने मानव जीवन पाया है लेकिन उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य मालूम नहीं होता । हमारे आपके जीवन का मतलब है एक उद्देश्य खोज लेना और अपने भीतर शांत रहना । कहा गया है कि मनुष्य आनंद लोक का वासी है और आनंद के परमधाम तक पहुँचना ही उसके जीवन का एक मात्र लक्ष्य भी है । इसलिए मनुष्य को इस संसार की मृग मरीचिका से निकल कर भव्य जीवन की प्राप्ति के लिए साधना के मार्ग को अपना कर अपने गंतव्य को पहचानना चाहिए ।

अच्छे लोगों कि मृत्यु जल्दी इसलिए होती है

इसी तरह दोस्तों श्रीमद्भगवद्गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण कहते है कि ये एक अध्यात्मिक और ईश्वरीय जीवन का पद है जिसे प्राप्त करके मनुष्य मोहित नहीं होता । अगर कोई जीवन के अंतिम समय में भी इस तरह की स्थिति में हो तो वह भगवद्धाम में प्रवेश कर जाता है । मनुष्य कृष्णभावनामृत या दिव्य जीवन को एक क्षण में तुरंत प्राप्त कर सकता है और हो सकता है की उसे लाखों जन्मों के बाद भी यह प्राप्त न हो ।

दोस्तो यह तो सत्य को समझने और स्वीकार करने की बात है । भगवत गीता कहती है कि वास्तविक जीवन का शुभारंभ इस बौद्धिक जीवन के पूरे होने पर होता है । दोस्तो इन सभी बातों से यह तो स्पष्ट होता है कि हम सभी एक निश्चित समय के लिए धरती लोक पर आते हैं और कुछ विशेष कर्मों को करने के लिए आते हैं ।

जब हमारे कर्म पूरे हो जाते हैं और इस जीवन के लक्ष्य प्राप्त हो जाते हैं, तो प्रभु हमें परलोक में एक सहज जगह प्रदान करते हैं। भगवान कृष्ण और अन्य कहते हैं कि वास्तविक जीवन तब शुरू होता है जब यह भौतिक जीवन समाप्त हो जाता है। मित्रों, जो लोग सदाचारी होते हैं और जीवन में अच्छे कर्म किए होते हैं, वे वास्तव में विशेष होते हैं। जब उनकी मृत्यु का समय निर्धारित हो, तो दोस्तों उनको इस दुनिया को छोड़कर आगे की यात्रा जारी रखनी होती है ।

धन्यवाद

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अच्छे लोग क्यों जल्दी मर जाते हैं?

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भगवान हर अच्छे आदमी को किसी ना किसी उद्देश्य के साथ ही इसे मृत्युलोक में भेजते हैं और भगवान का अपना अवतार उन्हीं उद्देश्यों में शामिल है । इसीलिए जब वो उद्देश्य जल्दी पूरे हो जाते हैं तब भगवान उन्हें वापस बुला लेते हैं । अर्थात अच्छे लोगों की मृत्यु उनके अच्छे कर्मों पर ही निर्भर करती है ।

अचानक मृत्यु क्यों होती है?

अकाल मृत्यु ईश्वर का दंड माना गया है जिसमें व्यक्ति का शरीर छीन लिया जाता है लेकिन उसकी आत्मा को परलोक में प्रवेश की इजाजत नहीं दिया जाता है और जब तक उसकी आत्मा वास्तविक के मृत्यु का समय नहीं पूरा होता है तब तक बिना शरीर के भटकता रहता है।।

जल्दी मृत्यु कैसे होती है?

इसमें 2019 तक किसी भी कारण से हुई मौतों को भी दर्ज किया गया था. स्टडी में पाया गया कि फिजिकल मोटर फंक्शन के लेवल में कमी इंसान की जल्दी मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक जिन वॉलंटियर्स की मौत हुई, उनकी मृत्यु से 10 साल पहले तक कुर्सी से उठने की स्पीड सर्वाइव कर रहे लोगों से कम थी.

मनुष्य की मृत्यु क्यों हो जाती है?

सामान्य भाषा मे किसी भी जीवात्मा अर्थात प्राणी के जीवन के अन्त को मृत्यु कहते हैं। लालच, मोह,रोग,, कुपोषण के परिणामस्वरूप होती है। मुख्यतया मृत्यु के 101 स्वरूप होते है, लेकिन मुख्य 8 प्रकार की होती है। जिसमे बुढ़ापा, रोग, दुर्घटना, अकस्मती आघात, शोक,चिंता, ओर लालच मृत्यु के मुख्य रूप है।