Show अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग जिसे सोनोग्राफी भी कहा जाता है। इस तकनीक का उपयोग शरीर के अंदर के अंग और ऊतकों को देखने के लिए किया जाता है। शरीर के अंदर की संरचनाओं को छवि रूप में दिखाने के लिए इसमें उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें इंसान सुन नहीं सकते। कैसे होता है अल्ट्रासाउंडअल्ट्रासाउंड मुलायम या तरल पदार्थ से भरे अंगों की उत्कृष्ट छवियों का उत्पादन करता है, लेकिन यह हवा से भरे अंगों या हड्डियों की जांच के लिए कम प्रभावी है। अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित और दर्दरहित परीक्षण है। इसमें आमतौर पर 15 से 30 मिनट ही लगते हैं। अल्ट्रासाउन्ड में अपके शरीर के भीतरी संरचनाओं की अपेक्षाकृत सटीक छवियों का उत्पादन करने के लिए उच्च आवृत्ति ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।अल्ट्रासाउंड के जरिए आप शरीर के भीतर होने वाली हलचल या किसी भी गड़बड़ी को पारदर्शिता से देख सकते हैं यानी अल्ट्रांसाउंड फोटो कॉपी की तरह होता है। जो ध्वनि तरंग टकराकर वापस आती है, उन्हे अल्ट्रासाउंड मशीन द्वारा मापा जाता है, और शरीर के उस विशेष क्षेत्र को एक छवि में बदला जाता है। अधिकांश अल्ट्रासाउंड परीक्षाओं में आपके शरीर के बाहर एक सोनार डिवाइस का उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ अल्ट्रासाउंड में डिवाइस को शरीर के अंदर भी रखा जाता है। क्यों कराते है अल्ट्रासाउंडआपको कई कारणों से एक अल्ट्रासाउंड से गुजरना पड़ सकता है। भ्रूण का आकलन। पित्ताशय की थैली रोग का निदान। रक्त वाहिकाओं में प्रवाह का मूल्यांकन।बायोप्सी या ट्यूमर के इलाज के लिए। एक स्तन गांठ का मूल्यांकन। अपने थायरॉयड ग्रंथि की जाँच। अपने दिल का अध्ययन। संक्रमण के कुछ रूपों का निदान। कैंसर के कुछ रूपों का निदान।जननांग और प्रोस्टेट में असामान्यताएं के बारे में पता लगाया जा सकता है। अल्ट्रासाउंड से मानसिक विकास में बाधा आती है, इससे निकलने वाली रेडियोएक्टिव तरंगों से होने वाले बच्चे के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है।लगातार अल्ट्रासाउंड करवाने से डीएनए सेल्स को नुकसान पहुंचता है और इसके साथ ही शरीर में ट्यूमर सेल्स भी बनने लगते हैं जो कि मौत का जोखिम बढ़ा देते हैं। अल्ट्रासाउंड परीक्षा अक्सर निदान के लिए आवश्यक बहुमूल्य जानकारियां जैसे रोग की स्थिति व उसकी पुष्टी आदि प्रदान करती है। Image Source-Getty Read More Articles On Ultrasound in Hindi. PDF डाउनलोड करें। PDF डाउनलोड करें। अल्ट्रासाउंड (ultrasound) को बहुत से कारणों के लिए किया जाता है, लेकिन गर्भाशय में शिशु या बच्चे को देखना सबसे आम कारण है। अगर आपका भी हाल ही में अल्ट्रासाउंड हुआ है और आप जानना चाहते हैं कि उसकी तस्वीरें क्या कहती हैं, तो आपको अल्ट्रासाउंड इमेजिंग (imaging) की बेसिक बातों को सीखना होगा। आपको ये भी जानना होगा कि प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड में फीचर्स को कैसे पहचाने जैसे कि बच्चे का सिर और हाथ। ये ध्यान में रखिएगा की अल्ट्रासाउंड को पढ़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप डॉक्टर की मदद से करें।
सलाह
विकीहाउ के बारे मेंसभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो १,९३,४०९ बार पढ़ा गया है। यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?अल्ट्रासाउंड से क्या क्या पता लगाया जा सकता है?अल्ट्रासाउंड आपके शरीर में अंगों और कोमल ऊतकों में असामान्य वृद्धि और संरचनात्मक परिवर्तनों का पता लगाने में मदद कर सकता है। चूंकि यह विकिरण का उपयोग नहीं करता है, यह अन्य इमेजिंग परीक्षणों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
अल्ट्रासाउंड में कौन कौन सी जांच होती है?कुछ स्थितियों के निदान में अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का भी उपयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग मूत्राशय, अंडाशय, प्लीहा, गुर्दे, यकृत, थायरॉयड, गर्भाशय, अंडकोष, आंखों और रक्त वाहिकाओं जैसे अंगों से संबंधित स्थितियों की जांच के लिए किया जाता है।
क्या अल्ट्रासाउंड पेट के ट्यूमर का पता लगा सकता है?एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) प्रक्रिया के जरिये पेट के कैंसर का पता लगाकर अब इस आधुनिक विधि के जरिये ऑपरेशन के बगैर रोग का कारगर इलाज संभव है... पेट में किसी भी कोशिका (सेल) का असामान्य या अनियंत्रित तरीके से बढ़ने को सहज भाषा में पेट का कैंसर कहा जाता है।
अल्ट्रासाउंड कराने से पहले क्या खाएं?लेकिन सिम्स में महिलाओं को जागरूक करने के लिए रेडियोलॉजी विभाग के पास एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें यह जानकारी दी गई कि अगर महिला गर्भवती है तो सोनोग्राफी कराने के पूर्व वह हल्का नाश्ता कर सकती है। वहीं जो महिला गर्भवती नहीं है वह खाली पेट तो आए लेकिन पानी पीकर जरूर आए जिससे सोनोग्राफी रिपोर्ट सही तरीके से आ सके।
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